सुलतानपुर: एस० के० प्रेसीडेंसी सी० सेकेंडरी स्कूल में ‘अखंड भारत दिवस संपन्न'

सुलतानपुर: टीम डिजिटल: 14 अगस्त: आज विद्यालय के छात्रों तथा शिक्षकों ने भारत के विभाजन दिवस को अखंड भारत दिवस के रूप में मनायाआज से 75 वर्ष पूर्व इसी दिन देश को अप्राकृतिक रूप से बाँट कर तीन भाग कर दिए गए थेइस कार्य में तत्कालीन सत्तालोभी नेताओं ने अपनी महत्वाकांक्षा पूर्ति का साधन देखा|


शेष मणि मिश्रप्रधानाचार्य ने बताया की सन 1905 में अंग्रेज सरकार ने बंगाल प्रान्त को दो भागो में बाँटायह बंटवारा हिन्दू व मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र को देखकर किया गया थापूर्वी बंगाल मुस्लिम बाहुल्य तथा पश्चिमी बंगाल हिन्दू बाहुल्य थाइस बँटवारे का विरोध प्रत्येक राष्ट्रवादी नागरिक ने कश्मीर से कन्याकुमारी तक कियाहिन्दू व मुसलमान धार्मिक विरोधी नहींएक ही माँ के पुत्र की तरह हैयह अपने कार्यों तथा आन्दोलन से उन्होंने अनेको बार सिद्ध किया|

ओमप्रकाश तिवारी, पूरे बाबू मिश्र- मुडुवा, सुलतानपुर की तरफ से सभी देशवासियों को 15 अगस्त की हार्दिक शुभकामनाएं


अंग्रेज सरकार को बंगभंग कानून वापस लेना पड़ासंगठित जनता को विजय श्री मिलीपरन्तु अंग्रेजो ने इसे भुलाया नहींवह लगातार इस प्रयास में लगे रहे की कट्टरपंथी दकियानूस विचारो वाले नेताओं को खोजकर बढाया जाय तथा वे इसके लिए पूरा प्रयास करने लगेउसी के कुछ दिन बाद सन 1921 में तुर्की के खलीफा को पद से हटा दिया गयाइस घटना का भारत से कोई सम्बन्ध नहीं थापरन्तु यहाँ पर कट्टरपंथी शक्तियां तुर्की की इस घटना पर लगातार आन्दोलन करने लगेगाँधी जी ने इसे अपना समर्थन देकर कट्टरपंथियों का दिल जितने का असफल प्रयास कियापरंतु अंग्रेज तो शासक थेउन्होंने दूरी बढाने का भरपूर प्रयास कियाइसी बीच केरल का मोपला कांड केरल में हुआइसका भारत के सदभाव पर बुरा असर हुआअंततः जनता की भावनाओ का बिना ध्यान दिए मुस्लिम लीग तथा कांग्रेस दोनों राजनैतिक दलों ने देश विभाजन को अपनी स्वीकृत दे दीदोनों दल भारत माँ को बाँटकर सत्ता के मोहपाश में फँस गये|


अतः 14 अगस्त 1947 को रात में देश बँट गयाभारत माँ के आँचल पर लकीरे खींच दी गईइस त्रासदी की देश की जागरूक जनता विगत 75 वर्षो से इस दिन याद करती हैजागरूक जनता आज भी तत्कालीन 1947 वाले भारत को पुनः एक करने का संकल्प लेती हैआज भी हम सभी उस त्रासद दिन को याद करते हैंप्रधानाचार्य जी ने विद्यार्थियों व शिक्षकों को भारत को एक करने का संकल्प दिलाया|


दिन दूर नहीं खंडित भारत को पुनः अखंड बनायेंगे,

गिलगित से गारो पर्वत तक आज़ादी पर्व मनाएंगे|

उस स्वर्ण दिवस के लिएउठो और अब कमर कसो बलिदान करो,

जो पाया उसमें खो न जायजो खोया उसको याद करें|

तत्पश्चात आज़ादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर संपन्न होने वाले कार्यक्रमों का रिहर्शल शुरू हुआ|

 

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