نوفمبر 2025

सुलतानपुर, 13 Nov 2025, 07:16 PM




जिले के तिकोनिया पार्क से पंत स्टेडियम रोड पर स्थित अमीना ताइक्वांडो एकेडमी में इन दिनों जोश और अनुशासन का अनोखा संगम देखने को मिल रहा है। एकेडमी में कुशल और अनुभवी प्रशिक्षकों के मार्गदर्शन में लगभग साठ ताइक्वांडो खिलाड़ी अपनी-अपनी बेल्ट परीक्षाओं की तैयारी में जुटे हुए हैं।यहां व्हाइट बेल्ट से लेकर ब्लैक बेल्ट तक की ट्रेनिंग दी जा रही है। विशेष रूप से, आठ खिलाड़ी रेड वन से ब्लैक बेल्ट अर्जित करने की तैयारी में हैं, जबकि तीन खिलाड़ी रेड से रेड वन बेल्ट की परीक्षा देने जा रहे हैं। सभी खिलाड़ी प्रतिदिन कठिन अभ्यास कर अपने लक्ष्य को पाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।प्रशिक्षकों के निर्देशन में खिलाड़ियों को पूंजे (Poomsae), सेल्फ डिफेंस और ब्रेकिंग जैसी विधाओं में निपुण बनाया जा रहा है। अगली बेल्ट हासिल करने के लिए उन्हें शारीरिक प्रदर्शन के साथ लिखित परीक्षा में भी श्रेष्ठ प्रदर्शन करना होगा।एकेडमी के प्रशिक्षिका नेशनल गोल्ड मेडलिस्ट अमीना बानो खिलाड़ियों की मेहनत और समर्पण से बेहद संतुष्ट हैं। उनका कहना है कि बच्चों में अनुशासन और आत्मविश्वास तेजी से बढ़ा है, और उनमें उच्चस्तरीय प्रतियोगिताओं में सफलता पाने की क्षमता दिखाई दे रही है।वहीं अभिभावकों ने भी प्रशिक्षकों की मेहनत की सराहना की। उनका कहना है कि “अमीना ताइक्वांडो एकेडमी" में हर बच्चे पर व्यक्तिगत ध्यान दिया जाता है। यहां प्रशिक्षण के साथ आत्मरक्षा और शारीरिक फिटनेस पर भी समान रूप से फोकस किया जाता है, जो बेहद सराहनीय है।”इस समय अकादमी के प्रशिक्षक और खिलाड़ी दोनों ही आगामी बेल्ट परीक्षाओं को लेकर पूरी तरह तैयार हैं। अमीना ताइक्वांडो एकेडमी धीरे-धीरे जिले में ताइक्वांडो प्रशिक्षण का एक प्रमुख केंद्र बनती जा रही है और यहां के खिलाड़ी भविष्य में राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन करने को तत्पर हैं।


दोस्तपुर संवाद सूत्र, 13 Nov 2025, 06:30PM



भाग्यवती घनश्याम सरस्वती शिशु मंदिर, दोस्तपुर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के द्वितीय दिवस पर कथा व्यास श्री हरि मंगल पाराशर दास जी महाराज ने कहा कि भागवत कथा का श्रवण मन का शुद्धिकरण करता है, जन्म-जन्मांतर के पापों का नाश करता है और आध्यात्मिक विकास का मार्ग प्रशस्त करता है। उन्होंने बताया कि कलयुग में कथा श्रवण ही मोक्ष प्राप्ति का सरल मार्ग है, जो अन्य युगों में कठिन था।

कार्यक्रम के प्रारंभ में कथा व्यास का पूजन बबलू जायसवाल, पिंकी जायसवाल, राजकुमार सोनकर, कृष्ण चंद्र बरनवाल, मन्नू सेठ, अर्चना मिश्रा और दिनेश त्रिपाठी द्वारा किया गया।

कथा की व्यवस्था प्रभाकर दास जी महाराज के निर्देशन में की जा रही है। उन्होंने भक्तों से अधिक से अधिक संख्या में कथा श्रवण कर पुण्य लाभ अर्जित करने का आह्वान किया।

कथा में बबलू जायसवाल, दिनेश त्रिपाठी, बिंदा जायसवाल, राजू जायसवाल, मनीष अग्रहरि, राजकुमार सोनकर, राजेश द्विवेदी, धीरेंद्र सिंह, मीरा तिवारी, साहब राम मोदनवाल, सुभाष मोदनवाल, दिनेश तिवारी, हनुमान पांडे, शशि बरनवाल, अर्चना मिश्रा, विवेक तिवारी और अभय सोनी सहित अनेक धर्मप्रेमी श्रद्धालु उपस्थित रहे। यह दिव्य कथा 19 नवंबर तक जारी रहेगी।

मंत्रिमंडल ने दुख जताया, संवेदना प्रकट की — अब ज़रूरत है कि यह संवेदना सतर्कता में बदल जाए।



दिल्ली के लालकिले के पास हुआ बम विस्फोट एक दर्दनाक हादसा ही नहीं, बल्कि एक चेतावनी भी है।
सरकार ने मृतकों को श्रद्धांजलि दी, घायलों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना की, और जांच के आदेश जारी किए हैं। लेकिन जनता का मन अब सिर्फ शोक नहीं, सुरक्षा के भरोसे की तलाश में है।


10 नवंबर 2025 की शाम को हुए कार बम धमाके ने पूरे देश को झकझोर दिया।
मंत्रिमंडल ने बैठक कर इस घटना की कठोर निंदा की, मृतकों के प्रति श्रद्धांजलि और उनके परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की।
साथ ही यह भी भरोसा दिया गया कि दोषियों को जल्द न्याय के कटघरे में लाया जाएगा।

सरकार की तत्परता और मानवीय प्रतिक्रिया सराहनीय है। लेकिन सवाल यह भी है कि प्रशासनिक तंत्र इतने बड़े शहर में संभावित खतरे का पूर्वानुमान क्यों नहीं लगा सका?
सुरक्षा तंत्र की उपस्थिति के बावजूद विस्फोट होना बताता है कि कहीं न कहीं सतर्कता की कड़ी ढीली पड़ी है।

दिल्ली जैसे शहर में कोई भी घटना केवल पुलिस या प्रशासन की नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की परीक्षा होती है।
अच्छी बात यह है कि सरकार ने जांच को तेज़ और पारदर्शी रखने के निर्देश दिए हैं, और सुरक्षा एजेंसियाँ लगातार निगरानी में जुटी हैं।
पर अब यह भी समय है कि ऐसी घटनाओं से सबक लिया जाए, ताकि अगली बार प्रतिक्रिया नहीं, रोकथाम दिखे।

जनता प्रशासन से नाराज़ है, लेकिन निराश नहीं।
लोग उम्मीद करते हैं कि इस बार जांच सिर्फ रिपोर्टों तक सीमित न रहे, बल्कि नतीजों तक पहुँचे।
क्योंकि संवेदना का असली अर्थ तभी है, जब उससे सुधार की शुरुआत हो।


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सरकार की नीयत साफ़ दिखती है — संवेदनशीलता और संकल्प दोनों मौजूद हैं।
अब जिम्मेदारी प्रशासन की है कि वह इस भरोसे को मजबूत करे।
हर नागरिक चाहता है कि दिल्ली फिर शांति से साँस ले सके —
बिना डर, बिना “अगर” और “लेकिन” के।


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✍️ आनंद माधव तिवारी
कार्यकारी संपादक – Prakash News of India

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