Articles by "प्रयागराज"



प्रयागराज: अधिवक्ता विजय कुमार द्विवेदी और जल योद्धा आर्य शेखर की अगुवाई में आज गोविंदपुर, प्रयागराज में “जान चौपाल” का आयोजन किया गया। चौपाल का प्रमुख मुद्दा था – प्रयागराज में एम्स (AIIMS) की स्थापना।


इस अवसर पर बड़ी संख्या में वरिष्ठ नागरिकों और युवाओं ने भागीदारी की और एम्स की स्थापना को जनहित में आवश्यक बताते हुए समर्थन में जोरदार हुंकार भरी।


चौपाल में वक्ताओं ने कहा कि प्रयागराज जैसे ऐतिहासिक, धार्मिक और शैक्षणिक महत्व के नगर को उच्चस्तरीय स्वास्थ्य सेवाओं की सख्त आवश्यकता है। एम्स की स्थापना से न केवल प्रयागराज बल्कि पूरे पूर्वांचल के लाखों लोग लाभान्वित होंगे।


युवाओं ने इसे जनता का अधिकार बताते हुए आंदोलन को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया, वहीं वरिष्ठ नागरिकों ने इसे स्वास्थ्य सुरक्षा का सबसे बड़ा कदम बताया।


चौपाल के अंत में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि एम्स की मांग को लेकर जनजागरण अभियान और तेज किया जाएगा।

इस कार्यक्रम में अधिवक्ता ऋषभ उपाध्याय, हर्षित तिवारी, मयंक द्विवेदी, शिवम् सिंह, समेत दर्जनों स्थानीय नागरिक मौजूद रहे।

 




प्रयागराज: महाकुंभ 2025 में जहां लाखों श्रद्धालु आस्था और भक्ति के लिए संगम नगरी पहुंचे हैं, वहीं सेक्टर छा में स्थित सच्चा डेरा आश्रम के महंत मनोज ब्रह्मचारी जी ने सेवा और करुणा की ऐसी मिसाल पेश की है, जो हर किसी के दिल को छू गई। कड़ाके की ठंड में बाहर सो रहे श्रद्धालुओं को देखकर ब्रह्मचारी जी का हृदय पिघल गया, और उन्होंने अपने निजी कक्ष को उनके ठहरने के लिए खोल दिया।


ब्रह्मचारी जी का कहना है, "सेवा ही सच्चा धर्म है। महाकुंभ में *आने वाले श्रद्धालु भगवान के रूप होते हैं। जब मैंने इन्हें ठंड में कांपते देखा, तो मेरा मन विचलित हो गया। उन्हें अपने कक्ष में जगह देना मेरा कर्तव्य था।"


सच्चा डेरा आश्रम में न केवल रहने की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है, बल्कि वहां आने वाले श्रद्धालुओं को गर्म कंबल, चाय और भोजन भी दिया जा रहा है। महाराज जी ने अपना कमरा त्यागकर खुद साधारण कुटिया में रहना शुरू कर दिया ताकि ठंड में परेशान लोगों को शरण दी जा सके।


श्रद्धालुओं ने महाराज जी के इस सेवा भाव की जमकर प्रशंसा की। एक श्रद्धालु ने भावुक होकर कहा,"जब ठंड में कांप रहे थे और कहीं भी रहने की जगह नहीं थी, तब महाराज जी ने हमें अपने कमरे में बुलाकर जगह दी। उनका यह कदम हमारे लिए किसी देवता के आशीर्वाद जैसा है।"


महाराज जी की इस पहल ने महाकुंभ में आए हजारों श्रद्धालुओं को प्रेरणा दी है। सच्चा डेरा आश्रम का यह कदम केवल आस्था का नहीं, बल्कि मानवता और सेवा का संदेश भी दे रहा है। ब्रह्मचारी जी के इस कार्य ने यह सिद्ध कर दिया कि एक सच्चा संत वही है, जो केवल उपदेश नहीं देता, बल्कि अपने कर्मों से दूसरों की मदद कर दुनिया को प्रेरणा देता है।


महाकुंभ के इस अद्भुत आयोजन में सच्चा डेरा आश्रम का नाम श्रद्धालुओं के बीच उनकी सेवा भावना के लिए गूंज रहा है। महाराज जी ने यह साबित कर दिया कि करुणा और सेवा ही सबसे बड़ी साधना है।

सुल्तानपुर। कुंभ जैसे विश्व के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन को स्वच्छ और पर्यावरण अनुकूल बनाने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने इस बार एक ऐतिहासिक पहल की है। संघ ने पूरे देश में एक अभियान चलाकर धातु की थालियां और कपड़े के थैले एकत्र किए और अब इन्हें कुंभ मेले में श्रद्धालुओं के बीच वितरित कर रहा है। यह प्रयास न केवल मां गंगा की स्वच्छता बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण का भी संदेश दे रहा है।

संघ का राष्ट्रीय अभियान: थाली और थैला संग्रहण

आरएसएस ने देशभर में अपने स्वयंसेवकों के माध्यम से "हरित कुंभ" के उद्देश्य को साकार करने के लिए एक अनूठा अभियान चलाया। इस अभियान में लाखों परिवारों ने अपनी थाली और थैले दान किए। कुंभ मेले में ये थालियां और थैले निःशुल्क वितरित किए जा रहे हैं ताकि श्रद्धालु प्लास्टिक और डिस्पोजेबल सामग्री का उपयोग न करें।

सुल्तानपुर के विभाग प्रचारक श्री प्रकाश जी ने बताया, "यह पहल केवल एक आयोजन तक सीमित नहीं है, बल्कि समाज में स्वच्छता और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी की भावना को जाग्रत करने का प्रयास है।"

हरित कुंभ का संदेश: प्लास्टिक मुक्त आयोजन

इस अभियान का उद्देश्य कुंभ को प्लास्टिक मुक्त बनाना है। श्रद्धालुओं को वितरित किए गए थालियां और थैले उन्हें पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार बनने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। संघ ने इस अभियान के जरिए यह भी सुनिश्चित किया है कि इस पवित्र आयोजन से कोई ऐसा कचरा न पैदा हो, जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए।

संघ के स्वयंसेवक न केवल थाली और थैले बांट रहे हैं, बल्कि मां गंगा की स्वच्छता बनाए रखने के महत्व पर भी जागरूकता फैला रहे हैं। श्रद्धालुओं को यह बताया जा रहा है कि गंगा केवल एक नदी नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर है। इसे स्वच्छ और पवित्र रखना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।

श्री प्रकाश जी ने कहा, "हम चाहते हैं कि हर व्यक्ति मां गंगा को स्वच्छ रखने और पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान दे। यह पहल भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक स्वच्छ और सुंदर पर्यावरण सुनिश्चित करने की दिशा में हमारा प्रयास है।"

इस पहल का प्रभाव न केवल कुंभ तक सीमित है, बल्कि यह पूरे देश में पर्यावरण और स्वच्छता के प्रति जागरूकता फैलाने का माध्यम बन रहा है। सुल्तानपुर से लेकर देश के हर कोने तक संघ के स्वयंसेवकों ने यह दिखाया है कि सामूहिक प्रयासों से बड़े बदलाव संभव हैं।

आरएसएस का थाली और थैला अभियान कुंभ मेले को स्वच्छ, हरित और पवित्र बनाने की दिशा में एक अनुकरणीय प्रयास है। यह पहल दिखाती है कि यदि हम सभी छोटी-छोटी आदतों में बदलाव करें, तो पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता के बड़े लक्ष्य हासिल किए जा सकते हैं। मां गंगा की स्वच्छता और कुंभ की पवित्रता बनाए रखने के इस प्रयास को हर व्यक्ति को अपनाना चाहिए, ताकि यह संदेश पूरे समाज में गहराई तक पहुंचे।



प्रयागराज : इलाहाबाद  विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष ,भारतीय जनता पार्टी के युवा मोर्चा प्रदेश उपाध्यक्ष रोहित मिश्रा ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के मध्यकालीन एवं आधुनिक इतिहास विभाग से अपना शोध कार्य प्रो. डा योगेश्वर तिवारी के सुपरविजन में पूर्ण किया | 

आपको बताते चले प्रतापगढ़ के सामान्य परिवार में जन्मे रोहित मिश्रा मेधावी छात्र के साथ साथ नेतृत्व छमता के धनी थे | इन्होने अपनी राजनितिक जीवन की सुरुआत अखिलभारतीय विद्यार्थी परिषद् से प्रारंभ किया , विभिन्न दायित्वों का निर्वहन करते हुए २०१६ में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के बैनर तले मैदान में उतरे रोहित ने लगभग एकतरफा और एतिहासिक जीत हासिल की | वर्तमान समय में रोहित मिश्रा भारतीय जनता पार्टी के युवा मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष के रूप में पुरे प्रदेश में युवाओ के लोकप्रिय नेता के रूप में जाने जाते है |



प्रयागराज: सैम हिग्गिनबॉटम यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर नैनी प्रयागराज  के फल विज्ञान के प्रोफेसर डॉक्टर बी एम प्रसाद ने नैनी स्थित एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में पूर्वी प्रजाति के लीची के पौधों का रोपण किया था, जिसमें वर्तमान समय में पूर्ण विकसित फल आ गए हैं। प्रयागराज क्लाइमेटिक जोन में इस प्रकार लीची के पौधे से फल प्राप्त करना अपने आप में किसी चमत्कार से कम नहीं है। 

आइए जानते हैं प्रो. वी एम प्रसाद से लीची के फल उत्पादन के बारे में....



प्रोफेसर डॉक्टर बी एम प्रसाद बताया कि लीची गर्मियों का एक प्रमुख फल है। स्वाद में मीठा और रसीला होने के साथ ही ये सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद है. लीची में कार्बोहाइड्रेट, विटामिन सी, विटामिन ए और बी कॉम्प्लेक्स भरपूर मात्रा में पाया जाता है. इसके अलावा इसमें पोटैशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस और आयरन जैसे मिनरल्स भी पाए जाते हैं।रोजाना लीची खाने से चेहरे पर निखार आता है और बढ़ती उम्र के लक्षण कम नजर आते हैं. इसके अलावा ये शारीरिक विकास को भी प्रोत्साहित करने का काम करता है.

फलों का एक तरफ जहां पोस्टिक महत्व है वही फल प्राकृतिक सुंदरता को भी बढ़ाते हैं जिसका असर मानव जीवन पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पड़ता है। प्रो. बी एम प्रसाद ने  बताया कि उन्होंने पूर्वी  प्रजाति के लीची के पौधों को 7 साल पहले लगाए हुआ था तब से लेकर अब तक उन्होंने लीची के इन पौधे पर विभिन्न प्रकार के ट्रीटमेंट किए जिसके परिणाम स्वरूप आज इस पूर्वी प्रजाति के पौधे में फल आया और फल पूरी तरह अपने आकार में है। प्रयागराज क्लाइमेटिक जोन में लीची के उत्पादन से किसानों को लीची उत्पादन के लिए प्रोत्साहन मिलेगा इस प्रकार किसान अब प्रयागराज में ही लीची का उत्पादन कर अच्छे दामों में इसे बेचकर अपनी आय को दुगनी करेंगे ।


प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश आया है कि कोरोना के दौरान की 15% फीस माफ होगी। हाईकोर्ट ने प्रदेश भर के स्कूलों को लेकर निर्देश जारी किया है 

कोरोना काल के दौरान यानी सत्र 2020- 21 के लिए हाईकोर्ट ने आदेश जारी किया है।

कोर्ट का कहना है कि सत्र 2020- 21 में ली गई पूरी फीस में 15 फीसदी फीस अगले सत्र में एडजस्ट करना होगा तो वहीं स्कूल छोड़ चुके छात्रों को 15 फीसदी फीस वापस करनी होगी। इसके लिए 2 महीने का समय दिया गया है।

आपको बता दें कि दर्जनों याचिकाकर्ताओं ने कोविड काल की फीस माफ करने की मांग की थी।

हाईकोर्ट ने साफ कर दिया कि 2020-21 में जब सुविधाएं नहीं दी गईं, तो फिर 2019-20 के स्तर की फीस नहीं ली जा सकती।


ये फैसला चीफ जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस जेजे मुनीर की बेंच ने दिया है. माता-पिता ने स्कूलों में जमा फीस को माफ कराने की मांग को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. इन सभी याचिकाओं पर 6 जनवरी को सुनवाई हुई थी और सोमवार को फैसला आया है।

 

 

वाराणसी ।राष्ट्रीय बागवानी मिशन के अंतर्गत प्याज और लहसुन की खेती पर प्रशिक्षण का शुभारंभ IIVR वाराणसी पर राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान देवरिया के तत्वधान में राष्ट्रीय बागवानी मिशन के अंतर्गत दिनांक 9 January 2023 से 12 January 2023  तक चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए निर्देशक डॉ तुषार क्रांति मेहरा IIVR वाराणसी ने किसानों को प्याज और लहसुन के पोषण एवं औषधीय महत्व के बारे में चर्चा करते हुए बताया कि यह एक नकदी फसल है, जिसमें किसानों को खेती प्राची आय प्राप्त कर सकते हैं, कार्यक्रम के दौरान IIVR वाराणसी डॉ डी . आर भर्द्वाज  के प्रधान वैज्ञानिक ने किसानों को कृषि IIVR वाराणसी गतिविधियों के बारे में बताते हुए प्रशिक्षण के महत्व पर चर्चा किया, कार्यक्रम के राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान प्रतिष्ठान के सहायक निदेशक मदन मोहन द्विवेदी ने प्याज की गुणवत्ता बीज उत्पादन और कटाई उपरांत प्रबंधन के बारे में चर्चा की, तकनीकी अधिकारी विनोद कुमार सिंह ने किसानों को राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान प्रतिष्ठान के गतिविधियों के बारे में अवगत कराया, IIVR वाराणसी के वैज्ञानिक डॉ नीरज कुमार सिंह प्रधान वैज्ञानिक, डॉ. एस एन चौरसिया प्रधान वैज्ञानिक, विद्या सागर यादव प्रधान वैज्ञानिक ने प्याज की नर्सरी कैसे तैयार करें उस पर प्रकाश डाला, व समस्त वैज्ञानिक का व्याख्यान दिया। 

 



प्रयागराज : प्रयागराज की सुप्रसिद्ध त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉक्टर रेनू बोनाल को देश की राजधानी दिल्ली में ट्रेड  मीडिया के द्वाराआयोजित अवार्ड वितरण कार्यक्रम में नेशनल हेल्थ आइकॉन अवार्ड से नवाजा गया।

आप को बताते चले कि डॉक्टर बोनाल को त्वचा रोग के इलाज में महारथ हासिल है, उनके द्वारा सैकड़ों मरीजों का त्वचा से संबंधित असाध्य रोगों का भी इलाज किया जा चुका है।

डॉ रेनू बोनाल के इस अवार्ड से सम्मानित होने पर सभी क्षेत्रवासियों एवं चिकित्सको में खुशी का माहौल है ।


 Department of Horticulture, Sam Higginbottom University of Agriculture,Technology and Sciences in collaboration with Department of Horticulture and Food Processing, Govt of Uttar Pradesh invites applications for 10 days training programme on Upgradation of knowledge, skill in value-addition of Horticultural crops.


Programme Objective


The training is aimed to impart knowledge to the students, research scholars and farmers on important aspects of Upgradation of knowledge, skill in value-addition and export management of Horticultural crops.

         Course outline

• Maturity indices, Maturity and ripening process, harvesting and post-harvest handling of horti crops.


• Pre and post-harvest treatment, pre-cooling, method of different storage, irradiation and vapour heat treatment.


• Various methods of packaging- packaging materials and transport, Packaging technology.


• Processing Technology of Fruits and Vegetables- Dehydrated and osmo dehydrated products , 


beverages( fermented and non-fermented), frozen products, minimally processed products.


• Good manufacturing practices, hazard analysis and critical control points and sanitary measures.


• Microbial quality assurance of processed products.


• Value addition of fruits processing industry waste.


• Preservatives, colours permitted and prohibited in India.


• Cold chain management for fresh fruits and vegetables


• Export Technology and Packaging of fresh horticultural produce 

• E-Marketing for Horticultural produce 

• Project report writing and economic feasibility estimations for setting up of a processing industry.

           Eligibility

  • Final Year student of B. Sc. Ag, Hort. and Home Science: M.Sc. and Ph.D. students of ICAR recognised State Agricultural Universities (SAUs) and UGC recognised Universities and farmers and Exporters are eligible to apply. The number of participants will be limited to 30.

Scanned copies of application forms may be sent to:
e-mail: atul.yadav@shiats.edu.in
Application form can be downloaded from:
www.shuats.edu.in


                Course Director 

                 Dr. Atul Yadav

Assistant Professor (Fruit Science)

Department of Horticulture, NAI, SHUATS. Mob No.: 9795973121

            Dr. Vijay Bahadur 

Head, Department of Horticulture

Naini Agricultural Institute

Department of Horticulture, NAI, SHUATS.

Sam Higginbottom University of Agriculture, Technology and Sciences, 

Prayagraj-211007


Registration Fee

Registration fee is to be paid by the candidates Rs. 1500 /-

Travel

No Travelling allowance will be provided by the organizers

Food and Accommodation

Food and accommodation for the participants will be arranged by Self.

Scanned copies of application forms may be sent to:

e-mail: atul.yadav@shiats.edu.in

Application form can be downloaded from:

www.shuats.edu.in


        Format of application form




      



लेखक: शुभम तिवारी

1967 में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में तैराकी प्रतियोगिता हो रही थी। पहले की तरह अंग्रेजी में अनाउसमेंट शुरू हुआ तो एक लड़का पानी में कूद गया। जब तक उसे पकड़ने के लिए लोग पहुंचते उसने पानी से बाहर निकलकर अंग्रेजी के खिलाफ भाषण देना शुरू कर दिया। तैराकी प्रतियोगिता रुक गई। दोबारा जब शुरू हुई तो हिन्दी में अनाउसमेंट हो रहा था। समाजवादी छात्र खुश थे। कूदने वाला छात्र फूलचंद्र था। उसने जनेश्वर मिश्र के कहने पर ऐसा किया था।

सबसे पहले बात आंदोलन के शुरुआत की


अंग्रेजी की वजह से छात्र हो रहे थे फेल

1962 में हिन्दी भाषी राज्यों में अंग्रेजी को लेकर नाराजगी पैदा हुई। प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के राम मनोहर लोहिया और जनेश्वर मिश्र ने इस नाराजगी को हवा दी तो यह विद्रोह में बदल गई। लोग कॉलेज कैंपसों से निकलकर सड़कों पर प्रदर्शन करने तक उतर गए थे। इसकी दो प्रमुख वजह थी।

  • ग्रेजुएशन में एक पेपर अंग्रेजी का अनिवार्य होता था। इसमें पास होना जरूरी होता था। हिन्दी भाषा का छात्र अंग्रेजी में फेल हो जाता था।
  • हिन्दी से पीएचडी करने वाले छात्रों को अपनी रिपोर्ट अंग्रेजी में टाइप करके जमा करनी होती थी, जो छात्रों के लिए चुनौती थी।

राष्ट्रपति को अंग्रेजी में बोलने से रोकते हुए कहा- आप हिन्दी में बोलें या तमिल में

1962 में राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को संयुक्त सदन में भाषण देना था। भाषण अंग्रेजी में होना तय था। उनका भाषण जैसे ही शुरू हुआ सोशलिस्ट पार्टी के 6 सांसदों ने राम मनोहर लोहिया के नेतृत्व में नारेबाजी शुरू कर दी। लोहिया का कहना था, "या तो आप हिन्दी में भाषण दीजिए या फिर अपनी मातृभाषा तमिल में। अंग्रेजी में नहीं चलेगा।"

अंग्रेजी के समर्थन में केंद्रीय मंत्री सी. सुब्रमण्यम ने इस्तीफा दे दिया

राष्ट्रपति डॉ. राधाकृष्णन पर इसका कोई असर नहीं पड़ा और अंग्रेजी में भाषण जारी रखा। सोशलिस्ट सांसदों ने सदन का बहिष्कार कर दिया। सदन के बाहर लोहिया ने कहा, "अंग्रेजी हटाओ का मतलब हिन्दी लाना नहीं, बल्कि अंग्रेजी का वर्चस्व हटाकर भारतीय भाषाओं को लाना है।" इस बात से केंद्रीय मंत्री सी. सुब्रमण्यम खफा थे। उन्होंने सरकार से इस्तीफा दे दिया।


आखिर अंग्रेजी के खिलाफ आंदोलन की वजह क्या थी, आइए इसे जानते हैं...


‘अंग्रेजी जाए, हिन्दी आए’

26 जनवरी 1950 को जब संविधान लागू हुआ था उस वक्त संविधान में प्रावधान था कि हिन्दी भारत सरकार के कामकाज की भाषा होगी। साथ ही अगले 15 साल तक अंग्रेजी भी साथ चलेगी। 1965 में जवाहर लाल नेहरू ने संविधान में संशोधन करके अंग्रेजी का काल 15 साल से बढ़ाकर अनिश्चितकालीन कर द्विभाषी फाॅर्मूला दिया। इसी के विरोध में समाजवादियों ने नारा दिया, 'अंग्रेजी जाए, हिन्दी आए।'

जनेश्वर की कद काठी अच्छी थी इसलिए हर बार गिरफ्तार कर लिए जाते

अंग्रेजी हटाओ अभियान की शुरुआत इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से हुई थी। जनेश्वर मिश्र के अलावा जार्ज फर्नार्डिंस, मधु लिमये, कर्पूरी ठाकुर, रामानंद तिवारी और प्रभुनारायण सिंह शामिल थे। मुलायम सिंह भी शामिल थे लेकिन बतौर शिक्षक। एक बार सबकी गिरफ्तारी हुई तो प्रभुनारायण को भी गिरफ्तार कर लिया गया। जब पुलिस को पता चला कि प्रभु नारायण यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं तब जाकर सभी को छोड़ा।


जनेश्वर मिश्र आंदोलनों में सबसे आगे रहते थे। पुलिस की लाठियां जब भी चलनी शुरू हुई सबसे आगे जनेश्वर मिश्र मिले।

बिहार के गया में 31 दिसंबर 1967 को अंग्रेजी हटाओ आंदोलन को लेकर एक बैठक हुई थी। इस बैठक में जनेश्वर मिश्र के साथ राज नारायण भी थे। पुलिस को आशंका थी कि समाजवादी युवजन सभा के ये छात्र तोड़फोड़ कर सकते हैं। इसलिए वहां से लौटते वक्त वाराणसी के कैंट थाने की पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। यहां से छूटने पर जनेश्वर मिश्र इलाहाबाद पहुंचे।

इलाहाबाद में आंदोलन किया तो पुलिस आ गई। बाकी साथी तो भाग गए लेकिन भारी शरीर होने के चलते जनेश्वर पकड़ लिए गए। पुलिस ने पहले लाठियों से पीटा उसके बाद गिरफ्तार कर लिया। जनेश्वर बनारस, पटना, इलाहाबाद, दिल्ली में कम से कम 6 बार गिरफ्तार किए गए थे।

कॉलेज के टाइपराइटर को उठा ले गए छात्र

1967 में अंग्रेजी का प्रभाव कुछ इस तरह था कि दिल्ली यूनिवर्सिटी में हिन्दी साहित्य से PhD की रिपोर्ट अंग्रेजी में बनाकर जमा करनी होती थी। अंग्रेजी हटाओ आंदोलन चला तो यह खत्म हो गया।

बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी में भी ऐसा ही कुछ था। सारे टाइपराइटर अंग्रेजी में थे। समाज समाजवादी युवाजन सभा के विद्यार्थी सारे टाइपराइटर उठाकर आर्ट फैकल्टी के ऑडिटोरियम में रख आए। उसे इस शर्त पर वापस किया गया अब कॉलेज में हिन्दी के भी टाइपराइटर लाए जाएंगे।

इलाहाबाद के बाद बनारस यूनिवर्सिटी अंग्रेजी हटाओ आंदोलन की स्थली बनी। यहां प्रदर्शन के दौरान सबसे अधिक गिरफ्तारी हुईं।

आंदोलन को लेकर जनेश्वर का ‘उपद्रवी’ रूप भी नजर आया।

गुजरात गए तो जार्ज पंचम की मूर्ति तोड़ दी

राम मनोहर लोहिया के निधन के बाद जनेश्वर सबसे बड़े समाजवादी नेता थे। लोग छोटे लोहिया कहने लगे थे। 1967 में गुजरात के अहमदाबाद पहुंचे। रात में चार लोगों के साथ घूम रहे थे। नजर एक मूर्ति पर पड़ी। साथ के एक व्यक्ति ने बताया कि यह ब्रिटेन के किंग जार्ज पंचम की मूर्ति है। जनेश्वर बोले, "हमारे देश में इसका क्या काम।" इतना कहकर उसे तोड़ दिया। सुबह लोगों ने देखा तो हंगामा मच गया। गुजरात में समाजवादी नेताओं को लेकर लोगों का नजरिया बदल गया।

लखनऊ के हजरतगंज चौराहे पर पहले रानी विक्टोरिया की मूर्ति लगी थी। अंग्रेजी हटाओ आंदोलन के दौरान जनेश्वर मिश्र ने साथियों के साथ मिलकर उस मूर्ति को तोड़ दिया। आज वहां महात्मा गांधी की मूर्ति लगी है।


सारे अंग्रेजी पोस्टरों पर कालिख पोत दी

बनारस यूनिवर्सिटी में अंग्रेजी हटाओ आंदोलन के दौरान वहां के समाजवादी छात्रों ने मीटिंग की और तय किया कि जिले के उन सभी पोस्टरों को पोत दिया जाए जो अंग्रेजी में हैं। उत्साही छात्रों ने जिले के सभी पोस्टरों पर कालिख पोत दी। यह खबर अगले दिन इलाहाबाद, गोरखपुर, लखनऊ पहुंची। यहां के भी समाजवादी छात्रों ने रात में सभी पोस्टरों पर कालिख पोत दी।

समाजवादी छात्रों का यह आंदोलन सफल रहा। ग्रेजुएशन में अंग्रेजी के पेपर की बाध्यता खत्म हुई। हिन्दी पीएचडी की रिपोर्ट हिन्दी में जमा करने की अनुमति मिली। उन सभी जगहों पर हिन्दी मौजूद हो गई, जहां पर पहले सिर्फ अंग्रेजी हुआ करती थी।

 


कथासार

‘लोग उदासी' एक असंगत या अब्सर्ड नाटक है, जिसमें समाज में बेमेल विवाह की समस्या को उठाया गया है पर कोई क्रमवार कथा या किस्सा नहीं है। चूंकि नाटक बेमेल विवाह की समस्या को उठाता तो है, बार-बार दोहराता है पर समस्या का कोई समाधान नहीं निकलता, बात जहाँ से शुरू हुई थी फिर वहीं पर पहुँच जाती है। और फिर पुनः किस्सा कहा जाता है। यह नाटक एक खेल की अवधारणा पर आधारित है। नाटक की भाषा काव्यात्मक है। नाटक एक खास लय (रिम्) में चलता है। नाटक का कथ्य यर्थाथवादी है पर शैली या फार्म का ट्रीटमेन्ट यर्थाथवादी नहीं है। चूंकि लोग-उदासी में बेमेल विवाह की परिणति एक खेल के रूप में होती है, जहाँ कोई नतीजा नहीं निकलता। अतः समाज इसे उदासीन भाव से यन्त्रवत् बस बार-बार खेलता रहता है। यह पूरा नाटक एक विवाह के अगल-अगल दृश्यों के कोलाज के रूप में उभर कर आता है।


निर्देशकीय


हर्ष का विषय है कि समन्वय संस्था अपने रजत जयंती वर्ष पर पहली बार एक असंगत (एब्सर्ड) नाटक 'लोग उदासी' का मंचन करने जा रही है। जैसा कि असंगत नाटकों में एक समस्या होती है और उसके भिन्न-भिन्न रूप होते हैं। पर ऐसे नाटक कथा और रंग निर्देशों द्वारा बंधे नहीं होते। इनका स्वरुप एक लम्बी कविता की तरह होता है, जहाँ दृश्यों की शुरुआत या समाप्ति प्रकाश के होने या न होने से निर्धारित होती है। अतः ये नाटक एक निर्देशक के लिये चुनौतीपूर्ण होते हैं। इनमें प्रयोगों की असीम संभावना छिपी रहती है। इस नाटक के पूर्वाभ्यास के दौरान मैंने भी ऐसा ही अनुभव किया। हमने इसे बोझिलता से बचाने की पूरी कोशिश की है। गीत-संगीत का यथा संभव प्रयोग किया है। आपकी उपस्थिति हमारा मनोबल बढ़ायेगी, आपके सुझाव हमारे प्रयास को और बेहतरीन बनायेंगे ।


हम संगीत नाटक अकादमी नयी दिल्ली और श्री सुमन कुमार के आभारी है जिन्होंने संस्था को इस नाटक के मंचन का अवसर प्रदान किया।

 संगीत नाटक अकादमी, नयी दिल्ल की अनुदान योजना (2021-22 ) के अन्तर्गत।

समन्वय रंगमण्डल प्रयागराज की नवीन प्रस्तुति, लोग उदासी (असंगत नाटक) की प्रतुति 20 मई को ।

                कार्यक्रम विवरण

दिनांक - 20 मई, 2022 

समय - 6:30 सायं अवधि : 1 घंटा 10 मिनट

 नाटककार - बलराज पंडित परिकल्पना एवं निर्देशन - सुषमा शर्मा 

मुख्य अतिथि - माननीय डॉ. के.पी. श्रीवास्तव (सदस्य, वि.प.)

अतिथि - श्री अतुल द्विवेदी (सदस्य भारतेन्दु नाट्य अकादमी, उ.प्र.) विशिष्ट लखनऊ) )

स्थान उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र प्रेक्षागृह, प्रयागराज (निकट सर्किट हाउस)

ज्योतिष

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