Articles by "शिक्षा"

 

 

वाराणसी ।राष्ट्रीय बागवानी मिशन के अंतर्गत प्याज और लहसुन की खेती पर प्रशिक्षण का शुभारंभ IIVR वाराणसी पर राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान देवरिया के तत्वधान में राष्ट्रीय बागवानी मिशन के अंतर्गत दिनांक 9 January 2023 से 12 January 2023  तक चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए निर्देशक डॉ तुषार क्रांति मेहरा IIVR वाराणसी ने किसानों को प्याज और लहसुन के पोषण एवं औषधीय महत्व के बारे में चर्चा करते हुए बताया कि यह एक नकदी फसल है, जिसमें किसानों को खेती प्राची आय प्राप्त कर सकते हैं, कार्यक्रम के दौरान IIVR वाराणसी डॉ डी . आर भर्द्वाज  के प्रधान वैज्ञानिक ने किसानों को कृषि IIVR वाराणसी गतिविधियों के बारे में बताते हुए प्रशिक्षण के महत्व पर चर्चा किया, कार्यक्रम के राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान प्रतिष्ठान के सहायक निदेशक मदन मोहन द्विवेदी ने प्याज की गुणवत्ता बीज उत्पादन और कटाई उपरांत प्रबंधन के बारे में चर्चा की, तकनीकी अधिकारी विनोद कुमार सिंह ने किसानों को राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान प्रतिष्ठान के गतिविधियों के बारे में अवगत कराया, IIVR वाराणसी के वैज्ञानिक डॉ नीरज कुमार सिंह प्रधान वैज्ञानिक, डॉ. एस एन चौरसिया प्रधान वैज्ञानिक, विद्या सागर यादव प्रधान वैज्ञानिक ने प्याज की नर्सरी कैसे तैयार करें उस पर प्रकाश डाला, व समस्त वैज्ञानिक का व्याख्यान दिया। 

 




बीएचयू में चल रहे १०२वें दीक्षांत समारो में छात्रनेता चक्रपाणि ओझा को मिली डॉक्ट्रेट की उपाधी मिली 


चक्रपाणि ओझा का शोध संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में पंजीकृत है। चक्रपाणि ओझा ने कक्षा छः से शोध छात्र तक का सफर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से ही तय किया है। 


चक्रपाणि ओझा मृदुभाषी हैं , व्यवहारिक है , विश्वविद्यालय में सबके लिए सहज उपलब्ध रहते है। चक्रपाणि ओझा एक आदर्श छात्र नेता के रूप में बीएचयू में लोकप्रिय है।


अटल जैसी सशक्त विचारधारा और चन्द्रशेखर जैसी तेवर वाले चक्रपाणि ओझा छात्र राजनीति में सन 2013 से सक्रिय है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से लंबे अरसे से जुड़े हुए है। इकाई मंत्री से लेकर राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य के सफर में आपने तमाम वैचारिकी के बीच विश्वविद्यालय में राष्ट्रवाद की बीज बोकर उसे एक बड़ा पेड़ बनाया है। 


'राजनीति तेल से नही, तेवर से चलती है' कहने वाले चक्रपाणि ओझा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में छात्र हितों की तमाम लड़ाइयां लड़ चुके है। फीस वृद्धि आंदोलन, कुलपति के खिलाफ 2016 का आंदोलन , चीफ प्रॉक्टर रॉयना सिंह के तानाशाह रवैये के खिलाफ उनके बर्खास्तगी तक कि एक लंबी लड़ाई और अभी हाल में ही फिरोज खान के नियुक्ति खिलाफ  उनके कई सफल आंदोलनों में से कुछ हैं।चक्रपाणि ओझा सदैव ही महामना के मूल्यों एवं आदर्शो के प्रति समर्पित रहें है।


नई दिल्ली - डॉ चौधरी का जन्म बेनई खुर्द, आगरा, उत्तर प्रदेश में एक किसान परिवार में हुआ प्रारंभिक शिक्षा घर पर ही संपन्न हुई। बी एस सी, एम एस सी एवं पीएचडी की शिक्षा प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण की, आज से लगभग 10 साल पहले लेखन का कार्य किया लेकिन कई बार असफल रहे लेकिन हिम्मत नहीं हारी लेखन का कार्य निरंतर जारी रखा और निरंतर प्रयास के बाद कुछ पुस्तकों ने प्रोफेसर चौधरी को प्रदेश ही नहीं बल्कि देश में ख्याति प्रदान की और डॉ चौधरी को अपार सफलता प्राप्त हुई जिसमें प्रोफेसर चौधरी की प्रमुख एवं प्रख्यात पुस्तकें अनुवांशिकी के मूलभूत सिद्धांत, मौलिक अनुवांशिकी, मौलिक पादप प्रजनन, पादप प्रजनन के आधार, मौलिक जीव विज्ञान, हैंडबुक ऑफ़ जनरल एग्रीकल्चर, बायोटेक्नोलॉजी एंड बायोकेमेस्ट्री, सामान्य कृषि भाग-1, सामान्य कृषि भाग-2, एवं फसल कार्यकी आदि है। डॉ चौधरी अब तक कृषि विषयों पर 30 पुस्तकें लिख चुके हैं। साल 2022 में नासो, नई दिल्ली के सर्वे के अनुसार चौधरी भारत में अनुवांशिकी विषय में सबसे अधिक पुस्तक लिखने वाले लेखक बन चुके हैं तथा पुस्तकों की गुणवत्ता विश्व स्तर पर काफी सराहनीय है। डॉ चौधरी की पुस्तकें भारत ही नहीं भारत के अलावा दुनिया के कई अन्य देशों में छात्रों द्वारा काफी पसंद की जाती है और प्रोफ़ेसर चौधरी का लेखन का कार्य अभी भी निरंतर जारी है। डॉक्टर चौधरी लेखन के साथ-साथ गेहूं और सरसों के अनुसंधान में भी अत्यंत रुचि रखते हैं।

डॉ. अनिल कुमार चौधरी, आनुवंशिकी एवं पादप प्रजनन विभाग, कृषि विज्ञान महाविद्यालय, तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय, मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश में प्रोफेसर (सहा.) के पद पर कार्यरत हैं । डॉ अनिल राजा बलवंत सिंह कॉलेज बिचपुरी आगरा के पुरातन छात्र भी हैं । जेनेटिक्स और प्लांट ब्रीडिंग में मास्टर और पीएचडी डिग्री धारक हैं इन्होंने अब तक आनुवंशिकी, पादप प्रजनन और अन्य कृषि विषयों से संबंधित विभिन्न शीर्षकों पर 25 से अधिक पुस्तकें लिखी हैं। प्रो चौधरी हिंदुस्तान एग्रीकल्चरल रिसर्च एंड वेलफेयर सोसाइटी (HARWS), आगरा के महासचिव, याशी  रिसर्च फाउंडेशन, नई दिल्ली के उप सचिव और एग्री-मीट फाउंडेशन, भारत के प्रबंध निदेशक व राष्ट्रीय कृषि छात्र संघ के केन्द्रीय कमेटी में राष्ट्रीय सलाहकार सदस्य भी हैं। डॉक्टर चौधरी कई सरकारी और गैर-सरकारी संस्थानों द्वारा जैसे- भारतीय कृषि गौरव पुरस्कार, FISGBRD पुरस्कार, FYRF पुरस्कार, FHARWS पुरस्कार, FBMR पुरस्कार, अभिनव वैज्ञानिक पुरस्कार, युवा वैज्ञानिक पुरस्कार, सर्वश्रेष्ठ प्लांट ब्रीडर अवार्ड एवं कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है इन्होंने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर 24 से अधिक शोध पत्र और कई पेटेंट प्रकाशित किए हैं, 6 राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों और कार्यशालाओं का आयोजन भी करा चुके हैं। डॉ चौधरी हमेशा किसानों और कृषि छात्रों की मदद के लिए तत्पर रहते हैं और विभिन्न विषयों पर विशेष व्याख्यान देकर डीडी किसान, डीडी नेशनल, न्यूज 24, ज़ी न्यूज और ऑल इंडिया रेडियो चैनलों के माध्यम से भारतीय किसानों को मार्गदर्शन प्रदान करते रहते हैं। डॉक्टर साहब सरसों के अनुसंधान में विशेषज्ञ और अनुभवी हैं और सरसों और गेहूं की कई प्रजनन लाइनों/किस्मों के विकास में महत्वपूर्ण योगदान भी दिया है।

 

☝️ CTETपरीक्षार्थियों के लिए जरूरी सूचना.....


● 17 दिसंबर 2021 को होने वाले CTET  पेपर 1 और 2 को स्थगित कर दिया गया है। 


●CTET पेपर 1 और 2 के इन उम्मीदवारों के लिए परीक्षाओं की अगली तिथियों की घोषणा जल्द होगी।।


क्या कहा cbse ने आइए जानते हैं...

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने मेसर्स टीसीएस लिमिटेड को इसकी जिम्मेदारी सौंपी है

 के दौरान कंप्यूटर आधारित मोड (ऑनलाइन) में केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (सीटीईटी) आयोजित करना

 16 दिसंबर 2021 - 13 जनवरी 2022 देश भर के विभिन्न शहरों में।

 मेसर्स टीसीएस लिमिटेड ने बताया है कि पहली पाली में पेपर की परीक्षा 16 दिसंबर को है

 2021 को देश भर में सफलतापूर्वक आयोजित किया गया है।  अनुसूचित दूसरी पाली (पेपर 2),

 अप्रत्याशित तकनीकी आवश्यकताओं के कारण परीक्षा पूरी नहीं हो सकी।  

 उपरोक्त को ध्यान में रखते हुए 16 दिसंबर 2021 की पाली 2 (पेपर 2) की परीक्षा और दोनों पालियों की परीक्षा एवम 17 दिसंबर 2021 को होने वाले पेपर 1 और 2 को स्थगित कर दिया गया है।  परीक्षा की अगली तिथियाँ इन उम्मीदवारों के लिए परीक्षाओं को मेसर्स टीसीएस लिमिटेड के परामर्श से अधिसूचित किया जाएगा ।

 

 सोमवार, 20 दिसंबर, 2021 से शुरू होने वाली परीक्षा की पाली के अनुसार आयोजित की जाएगी

 अनुसूची।  उम्मीदवारों को पूर्व में उपस्थित होने के लिए सूचित किया जाता है ।



लखनऊ :प्रदेश में कक्षा ग्यारह-बारह, स्नातक, सनातकोत्तर व मेडिकल, इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट आदि व्यासायिक पाठ्यक्रमों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति व फीस भरपाई के लिए ऑनलाइन आवेदन करने को और मोहलत मिलेगी। प्रदेश सरकार ने अब 29 अक्तूबर से 30 नवम्बर तक छात्रवृत्ति व फीस भरपाई के लिए ऑनलाइन आवेदन करने की समय सीमा बढ़ाने का फैसला किया है।


अभी तक ऑनलाइन आवेदन करने की समय सीमा 25 अक्तूबर तक थी। अब तक अनुसूचित जाति, जनजाति, सामान्य वर्ग, अल्पसंख्यक और ओबीसीसब वर्गों का मिलाकर 35 लाख आवेदन जमा हुए हैं और 14 लाख 18 हजार आवेदनों को शिक्षण संस्थानों ने अग्रसारित किये हैं। वैसे अभी आवेदनों को अग्रसारित करने के लिए 28 अक्तूबर आखिरी तारीख है। पिछले साल 38 लाख 68 हजार आवेदकों को छात्रवृत्ति व फीस भरपाई की राशि का वितरण किया गया था। 


अब तक आनलाइन आवेदन कर चुके और अग्रसारित हो रहे आवेदनों की छात्रवृत्ति व फीस भरपाई की राशि का वितरण 30 नवम्बर तक किया जाएगा। क्योंकि मुख्यमंत्री ने इस बाबत 30 नवम्बर तक की समय सीमा तय कर रखी है। अब विभिन्न कारणों से अब तक ऑनलाइन आवेदन नहीं कर पाए छात्र-छात्राओं के लिए समय सीमा बढ़ाई गई है।


यह जानकारी समाज कल्याण विभाग के संयुकत निदेशक पी.के.त्रिपाठी ने दी है। उन्होंने बताया कि 29 अक्तूबर से 30 नवम्बर तक वंचित रह गये छात्र-छात्राएं ऑनलाइन आवेदन कर सकेंगे। लखनऊ वि.वि. में रिजल्ट नहीं निकला, प्रयागराज वि.वि. में प्रवेश परीक्षा चल रही है, बरेली वि.वि. में रिजल्ट नहीं निकला। प्रदेश की ऐसी कई शिक्षण संस्थाओं में ऐसी ही कई दिक्कतों की वजह से छात्र-छात्राएं अभी तक छात्रवृत्ति व फीस भरपाई के लिए आनलाइन आवेदन नहीं कर पाए हैं।





इंजीनियरिंग की पढ़ाई अब हिंदी सहित सभी दूसरी भारतीय भाषाओं में भी होगी। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआइसीटीई) ने फिलहाल नए शैक्षणिक सत्र से हिंदी सहित आठ भारतीय भाषाओं में इसे पढ़ाने की मंजूरी दे दी है। आने वाले दिनों में एआइसीटीई की योजना करीब 11 भारतीय भाषाओं में इसे पढ़ाने की है। इस बीच हिंदी के साथ इसे जिन अन्य सात भारतीय भाषाओं में पढ़ाने की मंजूरी दी गई है, उनमें मराठी, बंगाली, तेलुगु, तमिल, गुजराती, कन्नड़ और मलयालम शामिल हैं।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी स्‍थानीय भाषा पर जोर
एआइसीटीई ने यह पहल उस समय की है, जब जर्मनी, रूस, फ्रांस, जापान और चीन सहित दुनिया के दर्जनों देशों में पूरी शिक्षा ही स्थानीय भाषाओं में दी जा रही है। हाल ही में देश में आई नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी स्थानीय भारतीय भाषाओं में पढ़ाई पर जोर दिया है।

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