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बांदा। बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, बांदा में आयोजित 11वें दीक्षांत समारोह में जनपद रामपुर के ग्राम अनवा, तहसील शाहाबाद निवासी अजय कुमार शर्मा, पुत्र श्री रविन्द्र कुमार शर्मा को सब्जी विज्ञान (Vegetable Science) विषय में डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी (Ph.D.) की उपाधि प्रदान की गई।

समारोह की अध्यक्षता उत्तर प्रदेश की माननीय राज्यपाल एवं विश्वविद्यालय की कुलाधिपति श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने की। मुख्य अतिथि के रूप में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI), नई दिल्ली के निदेशक डॉ. चेरूकुमल्ली श्रीनिवास राव उपस्थित रहे, जिन्होंने अपने करकमलों से अजय शर्मा को उपाधि प्रदान की।

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि “शिक्षा और अनुसंधान ही देश की प्रगति की कुंजी हैं। युवा शोधकर्ताओं को अपने ज्ञान को समाज और किसानों के हित में उपयोग करना चाहिए।”

मुख्य अतिथि डॉ. राव ने कहा कि “कृषि अनुसंधान तभी सफल होता है जब उसका लाभ सीधे किसानों तक पहुंचे। नवाचार और व्यावहारिक अनुसंधान से ही कृषि क्षेत्र में स्थायित्व लाया जा सकता है।”

कृषि अनुसंधान में विशेष योगदान
अजय कुमार शर्मा वर्तमान में भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (IIVR), वाराणसी में कार्यरत हैं। वे चौलाई (Amaranthus) की आयरन-समृद्ध किस्मों तथा गर्मी में अधिक उपज देने वाले टमाटर की प्रजातियों पर शोध कर रहे हैं। उनका यह कार्य पोषण सुरक्षा के साथ-साथ किसानों की आय में वृद्धि के लिए भी महत्वपूर्ण साबित हो रहा है।

अजय शर्मा का वक्तव्य
अजय शर्मा ने कहा, “यह सम्मान मेरे जीवन का गर्वपूर्ण क्षण है। मैं इस उपलब्धि का श्रेय अपने स्वर्गीय दादा श्री अवतारी लाल शर्मा, अपने माता-पिता, गुरुजनों और मित्रों को देता हूँ, जिनके आशीर्वाद से यह संभव हो पाया।”

विश्वविद्यालय की गौरवपूर्ण परंपरा
बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने स्थापना के बाद से ही कृषि शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान दिया है। समारोह में कुलपति और संकाय सदस्यों ने विद्यार्थियों को बधाई दी और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।

स्थानीय गर्व का अवसर
अजय शर्मा की इस सफलता से न केवल उनके परिवार में हर्ष का वातावरण है, बल्कि पूरा रामपुर जनपद गर्व महसूस कर रहा है। उनकी उपलब्धि युवा शोधार्थियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी है।


 

फाइल फोटो, डॉ योगेश श्रीवास्तव 

MD Anderson से नई ऊँचाई की ओर भारतीय मूल के वैज्ञानिक की उड़ान

भारतीय मूल के प्रतिभाशाली वैज्ञानिक डॉ. योगेश श्रीवास्तव को अमेरिका के प्रतिष्ठित University of Texas Health Science Center at Houston (UTHealth Houston) के McWilliams School of Biomedical Informatics में सीनियर रिसर्च साइंटिस्ट नियुक्त किया गया है। यह उपलब्धि उनके करियर का महत्वपूर्ण पड़ाव है, जिसे उन्होंने MD Anderson Cancer Center में पोस्टडॉक्टोरल फेलो के रूप में सफल अनुसंधान कार्य के बाद प्राप्त किया है।

शिक्षा और शोध की गौरवशाली यात्रा

फैजाबाद (उत्तर प्रदेश) से निकलकर डॉ. श्रीवास्तव ने जीव विज्ञान में स्नातक (2006, डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय), जैव प्रौद्योगिकी में स्नातकोत्तर (2009, HNB गढ़वाल विश्वविद्यालय) और फिर चीनी सरकार की छात्रवृत्ति पर University of Chinese Academy of Sciences से पीएचडी (बायोकेमिस्ट्री एवं आणविक जीव विज्ञान, 2020) की। इसके बाद उन्होंने MD Anderson Cancer Center, ह्यूस्टन में प्रो. गाल्को के मार्गदर्शन में Hedgehog (Hh) signaling pathway पर शोध किया, जो दर्द संवेदना और न्यूरोडेवलपमेंट के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

पुरस्कार और उपलब्धियाँ

  • Dodie P. Hawn Award (2023) : पोस्टडॉक्टोरल फेलो के रूप में उत्कृष्ट योगदान के लिए।
  • GIBH Outstanding Students Award (2018, चीन)।
  • अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 25+ शोध पत्र प्रकाशित।
  • न्यूरोसाइंस, कैंसर अनुसंधान, सेल बायोलॉजी और बायोइंफॉर्मेटिक्स में विशेषज्ञता।

भारत और विदेश में योगदान

अमेरिका जाने से पूर्व डॉ. श्रीवास्तव ने भारत के प्रतिष्ठित संस्थानों —AIIMS नई दिल्ली, NICPR नोएडा और ICAR-IIVR वाराणसी  में सीनियर रिसर्च फेलो के रूप में कार्य किया। वे जर्मनी के सारलैंड विश्वविद्यालय में विजिटिंग साइंटिस्ट भी रहे। साथ ही उन्होंने ICMR-INSERM बायोबैंक की स्थापना में योगदान दिया और 50+ छात्रों को बायोइंफॉर्मेटिक्स की शिक्षा दी।

UTHealth Houston में सीनियर रिसर्च साइंटिस्ट के रूप में डॉ. श्रीवास्तव अब बायोमेडिकल इंफॉर्मेटिक्स और स्वास्थ्य तकनीक अनुसंधान में अग्रणी परियोजनाओं का नेतृत्व करेंगे।फैजाबाद से शुरू हुई शैक्षणिक यात्रा का ह्यूस्टन तक पहुँचना भारतीय वैज्ञानिक क्षमता और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है। डॉ. योगेश श्रीवास्तव की यह उपलब्धि न केवल उनके व्यक्तिगत करियर की बड़ी छलांग है, बल्कि विश्व मंच पर भारतीय वैज्ञानिक समुदाय की साख को और मजबूत करती है।


 


सुल्तानपुर। शिक्षा के क्षेत्र में सुल्तानपुर जनपद ने एक बार फिर उपलब्धि हासिल की है। अवध विश्वविद्यालय की बीएड फाइनल परीक्षा 2025 में जिले के अखिल दुबे ने टॉप कर पूरे क्षेत्र का मान बढ़ाया है।

अखिल दुबे, जो कि प्रख्यात अध्यापक राघवराम दुबे के पुत्र हैं, ने अपनी लगन और मेहनत से यह सफलता अर्जित की। उन्होंने सत्र 2023-24 में आंबेडकर नगर स्थित कल्पना शिक्षण प्रशिक्षण संस्थान में बीएड की पढ़ाई प्रारंभ की थी।

26 अगस्त को जारी परिणाम में अखिल ने कुल 500 में से 443 अंक प्राप्त कर विश्वविद्यालय में प्रथम स्थान हासिल किया।

उनकी इस उपलब्धि से परिवार, गुरुजन और संस्थान में हर्ष की लहर है। संस्थान के प्राचार्य व शिक्षकों ने कहा कि अखिल की यह सफलता अनुशासन और परिश्रम का परिणाम है, जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देगी।



प्रयागराज: अधिवक्ता विजय कुमार द्विवेदी और जल योद्धा आर्य शेखर की अगुवाई में आज गोविंदपुर, प्रयागराज में “जान चौपाल” का आयोजन किया गया। चौपाल का प्रमुख मुद्दा था – प्रयागराज में एम्स (AIIMS) की स्थापना।


इस अवसर पर बड़ी संख्या में वरिष्ठ नागरिकों और युवाओं ने भागीदारी की और एम्स की स्थापना को जनहित में आवश्यक बताते हुए समर्थन में जोरदार हुंकार भरी।


चौपाल में वक्ताओं ने कहा कि प्रयागराज जैसे ऐतिहासिक, धार्मिक और शैक्षणिक महत्व के नगर को उच्चस्तरीय स्वास्थ्य सेवाओं की सख्त आवश्यकता है। एम्स की स्थापना से न केवल प्रयागराज बल्कि पूरे पूर्वांचल के लाखों लोग लाभान्वित होंगे।


युवाओं ने इसे जनता का अधिकार बताते हुए आंदोलन को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया, वहीं वरिष्ठ नागरिकों ने इसे स्वास्थ्य सुरक्षा का सबसे बड़ा कदम बताया।


चौपाल के अंत में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि एम्स की मांग को लेकर जनजागरण अभियान और तेज किया जाएगा।

इस कार्यक्रम में अधिवक्ता ऋषभ उपाध्याय, हर्षित तिवारी, मयंक द्विवेदी, शिवम् सिंह, समेत दर्जनों स्थानीय नागरिक मौजूद रहे।

 शैक्षणिक उत्कृष्टता और नेतृत्व क्षमता का राष्ट्रीय सम्मान

शुभम तिवारी 

 
वाराणसी। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के शिक्षा संकाय में अपनी विद्वत्ता, नेतृत्व और समर्पण से शिक्षा जगत में अद्वितीय पहचान बना चुके प्रो. सान्तनु कुमार स्वाई को सिक्किम विश्वविद्यालय के नव नियुक्त कुलपति के रूप में प्रतिष्ठित किया गया है। यह नियुक्ति न केवल उनके शैक्षणिक जीवन का मील का पत्थर है, बल्कि बीएचयू की अकादमिक परंपरा के लिए भी एक गौरवपूर्ण क्षण है।

प्रो. स्वाई का शिक्षा के क्षेत्र में योगदान चार दशकों से भी अधिक का रहा है। वर्ष 2007 में उन्होंने बीएचयू में प्रोफेसर के रूप में कार्यभार ग्रहण किया और तब से शिक्षा संकाय में उन्होंने ज्ञान, अनुसंधान और नैतिक मूल्यों के समन्वय को सशक्त बनाया। जून 2020 से मई 2023 तक संकाय प्रमुख (डीन) के रूप में उन्होंने संकाय को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय मंचों पर विशिष्ट पहचान दिलाई।

उनके कार्यकाल में न केवल शोध की गुणवत्ता में वृद्धि हुई, बल्कि अकादमिक अनुशासन, नवाचार और समावेशी शिक्षा की अवधारणाओं को भी नई दिशा मिली। उनके नेतृत्व में शिक्षा संकाय शैक्षणिक उत्कृष्टता का आदर्श बन गया, जिससे छात्र, शोधार्थी और संकाय सदस्य सभी प्रेरित हुए।

ओड़िशा से आने वाले प्रो. स्वाई ने सदैव भारतीय ज्ञान परंपरा को आधुनिक शैक्षणिक दृष्टिकोण से जोड़ा है। उनकी यह नियुक्ति यह संकेत देती है कि देश की केंद्रीय विश्वविद्यालय प्रणाली अब अनुभवी शिक्षकों को नेतृत्व सौंप कर नई दिशा की ओर अग्रसर है।

 सिक्किम विश्वविद्यालय को मिलेगा मजबूत नेतृत्व:

प्रो. स्वाई जैसे दूरदर्शी कुलपति के नेतृत्व में सिक्किम विश्वविद्यालय में गुणवत्ता आधारित शैक्षणिक सुधार, अनुसंधान में नवाचार, और विद्यार्थियों की समग्र उन्नति सुनिश्चित होगी।

बीएचयू परिवार के लिए यह नियुक्ति एक प्रेरणा है, जो यह सिद्ध करती है कि यहां का शिक्षण वातावरण, नेतृत्व विकास और अनुसंधान की संस्कृति देश के उच्च शैक्षणिक पदों तक पहुंचने का मार्ग प्रशस्त करती है।



जन-जागरण हेतु काव्य प्रस्तुति

रचयिता – विजय तिवारी

(समाजसेवी, समालोचक, पूर्वांचल न्याय मंच)


।।पुर्वांचल और पलायन ।।

  (अविकसित पिछड़ा  पुर्वांचल का दर्द)

                           

 विकास से अछूता जब-तक पुर्वांचल रहेगा,

विकास का हर वादा अधूरा रहेगा ।

हर घर से पलायन  जब-तक  न रुकेगा,

विकास का बाजा झूठा बजेगा ।

विकास का हर स्वप्न अधूरा रहेगा ,

नौकरी युवाओं को जब-जक न मिलेगा।

शिक्षा का हर उद्देश्य अधूरा रहेगा,

युवा जब-तलक बेरोज़गार रहेगा  ।

नोएडा जैसे विकास पुर्वांचल को कब मिलेगा,

सौतेले का डंस हम और  न सहेगा।

हर घर को रोशनी तभी मिलेगी ,

जब विकास की गाड़ी पुर्वांचल में चलेगी।

बेरोज़गारी जब- तक हर घर में रहेगी,

हर घर से मैयत उठतीं रहेंगी।

पुर्वांचल जब तक न  सुधरेगा,

मानवता का हर चेहरा कलंकित रहेगा।

न्याय जब तक न हमको मिलेगा,

स्वतंत्रता का अर्थ अधूरा रहेगा।

विकास से अधूरा जब-तक पूर्वांचल रहेगा,

हर श्राप सत्ता को लगता रहेगा।

हर पार्टी का सर शर्म से झुकता रहेगा,

दौरा जब- जब वह पुर्वांचल का करेगा।

विकास से अछूता जब-तक पुर्वांचल रहेगा,

विकास का हर वादा अधूरा रहेगा।।


पूर्वांचल न्याय मंच का संदेश स्पष्ट है:

“हमें भी चाहिए शिक्षा, रोज़गार और न्याय –

वरना हर बार चुनाव में केवल मौन नहीं, प्रतिकार होगा!”

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