संगीत नाटक अकादमी, नयी दिल्ल की अनुदान योजना (2021-22 ) के अन्तर्गत।
समन्वय रंगमण्डल प्रयागराज की नवीन प्रस्तुति, लोग उदासी (असंगत नाटक) की प्रतुति 20 मई को ।
कार्यक्रम विवरण
दिनांक - 20 मई, 2022
समय - 6:30 सायं अवधि : 1 घंटा 10 मिनट
नाटककार - बलराज पंडित परिकल्पना एवं निर्देशन - सुषमा शर्मा
मुख्य अतिथि - माननीय डॉ. के.पी. श्रीवास्तव (सदस्य, वि.प.)
अतिथि - श्री अतुल द्विवेदी (सदस्य भारतेन्दु नाट्य अकादमी, उ.प्र.) विशिष्ट लखनऊ) )
स्थान उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र प्रेक्षागृह, प्रयागराज (निकट सर्किट हाउस)
मिलिए कन्नौज के हैवत पुर कटरा कक्षा 7 के मास्टर अंकुश से जिन्होंने इतने सुंदर नृत्य से मातृत्व की अभिव्यक्ति की है।
बचपन में.....
जब हम शादी विवाह के
कार्यक्रम में कहीं जाते
विशेषकर लड़के की शादी में...
तमाम नातेदारी रिश्तेदारी से
आए हुए बच्चों में,
एक विशेष प्रतिद्वंदता दिखती
सहबाला/बलहा बनने की.....!
हर बालक सहबाला बनने को
सोचा करता था...
अपने-अपने तर्क दिया करता था
उपयुक्तता पुष्ट करने को...!
इसी बीच बाजार से खरीद के बाद
दूल्हे की शेरवानी के साथ-साथ
सहबाला की शेरवानी-टोपी
घर आने के बाद तो
उनमें अतिरिक्त उत्साह का
सृजन होता था....
मित्रों परोजन की इस जुटान में
आए लोग अपने-अपने बच्चों में
सहबाला बनने की आस जगाकर
सभी हिदायतें अच्छे से
मनवा भी लेते थे....
उन दिनों सहबाला बनने के,
अपने फायदे भी होते थे
डोली-पालकी में दूल्हे के ही साथ
लगभग दूल्हे वाला ही श्रृंगार
दूल्हे की गाड़ी में ही
बैठ कर जाना...
(भले किसी की गोद में जाना हो)
पूरी बारात में अतिरिक्त खयाल
और ससुराल पक्ष में...
विशिष्टता का अनुभव मिलता था
पूर्व की शादियों में...!
बच्चों द्वारा देखा गया यह सच
उन्हें सहबाला बनने के लिए
सदा ही प्रेरित करता था
पर बंधुओं.....!
अफसोस इस बात का है कि
हम जैसे कई बच्चे
अनायास ही ऐन वक्त पर
इस दौड़ से बाहर हो जाते थे औऱ
ननिहाल आया भगिना/भांजा
अक्सर बाजी मार ले जाता था...
इतना ही नहीं सहबाला तो दूर
कभी-कभी हमारा नाम...!
बारात से भी निकाल दिया जाता
और हमारी नाराजगी
कसम से अगली बार....
सहबाला बनाए जाने के
आश्वासन पर दूर कर दी जाती थी
ऐसी दशा में लुटा-पिटा सा मैं
बाद परोजन....
तमाम शिकवा-शिकायत लिए
वापस अपने घर आ जाता था
पर,क्या कहूँ मित्रों ...
उन दिनों मन में
सहबाला बनने की लालसा
ऐसी होती थी कि,
निमंत्रण मिलने पर
हम अक्सर जिद करते हुए
परिजनों के साथ
सहबाला बनने की आस में
हर रिश्तेदारी में चले जाते थे
बंधुओं यद्यपि आज भी
बचपन की यह लालसा
बहुत याद आती है
किन्तु अब यह भी सोचता हूँ कि
सहबाला बनने की
उपयोगिता क्या है....?
शादी-विवाह कार्यक्रम में
इसकी जरूरत क्या है....?
और हम इसके लिए
इतने परेशान क्यों रहा करते थे..?
यह सोचने पर अब...
खुद पर ही हँसी आती है.....!
खुद पर ही हँसी आती है......!
रचनाकार...जितेन्द्र कुमार दुबे
क्षेत्राधिकारी नगर
जनपद..जौनपुर
बचपन में.....
मुझे पढ़ने में,
होशियार माना जाता था
मुझे भी...
इसका एहसास होता था
क्योंकि मोहल्ले भर की भौजाइयाँ
मुझसे ही लव-लेटर लिखवाती थीं
और प्रियतम के आए हुए
जवाबी लव-लेटर को
अपने कमरे में ले जाकर
चुपके से पढ़वाती थीं..
मुझे इस बात का गुमान भी था
हो भी क्यों न...?
जो भौजाइयाँ औरों से
दिखाती थी नखरे,
रहती थी ताव में....
वे भी सभी मिलती थी,
मुझसे मेरे ही भाव में....
अब प्रेम की भाषा हो
या कि विरह की....!
भला कौन नहीं समझता
बालक, बूढा या फिर हो जवान
मैं बालक था पर था तो मानव...
धीरे-धीरे लेटर लिखते-पढ़ते
मैं भी संकेत-संबोधन एवं संबंध
सब समझने लगा था,
प्रेम की भाषा में....
मगन होने लगा था
स्त्रैण भाव मुझमें बढ़ने लगा था
खबर घर-घर की मैं रखने लगा था
पर उम्र बढ़ने के साथ
एक नाजुक दौर आया
मुझे गाँव वाले
"घरघुसरा" घोषित कर दिए
बुढ़वे भी मजा मेरा लेने लगे
बात-बात में "मौगड़ा" भी....!
मुझे लोग कहने लगे
इन तानों पर भी प्रेम भारी रहा
मैं अपनी भौजाइयों के
इस स्नेह का सदा आभारी रहा
भौजाइयों से नादान बचपन में ही
मैंने सीखा बहुत कुछ....
जमाने के बारे में ,
जाना भी बहुत कुछ।
मित्रों ,यदि सही मैं कहूँ....!
आज के दौर में,
इसी सीख का ही नतीजा है
आपका मित्र "मी-टू" से
अभी तक बचा है......
आपका मित्र "मी-टू" से
अभी तक बचा है......
रचनाकार....
जितेन्द्र कुमार दुबे
क्षेत्राधिकारी नगर
जनपद-जौनपुर
मल्लिका ने हाल ही में अपने माता- पिता की हेल्थ अपडेट शेयर करते हुए एक पोस्ट लिखा था। मल्लिका ने लिखा, 'मां को एक्मो प्लस वेंटिलेटर पर रखा गया है। वह बेहोश हैं और हर शाम हम उन्हें फोन करके गाना सुनते हैं। वह पलक झपकार अपना रिएक्शन देती हैं। अभी उनके फेफड़ों को पूरी तरह से आराम की जरूरत है। आप सभी लोग उनके लिए प्रेयर करें ताकि वह जल्द से जल्द ठीक हो जाए। यह एक धीमी प्रक्रिया है, लेकिन सफलता जरूर मिलेगी।'
सुल्तानपुर।कोरोना वायरस महामारी के चलते लोग जहां शारीरिक तौर पर परेशान हो रहे हैं।वहीं मानसिक तौर पर भी लोग संतुलन खो दे रहे हैं। ऐसे मौकों पर सावधानी की जररूत है।जाने अनजाने में लोग कोरोना के खौफ से अप्रिय कदम तक उठा ले रहे हैं।कोरोना की दूसरी लहर में दवा, इलाज और सांस के लिए संघर्ष कर रहे मरीजों की मदद के लिए जिले के युवा व समाजसेवी संस्थाओं के सदस्यों ने एक सराहनीय पहल की शुरुआत की है।तकनीक का बेहतर इस्तेमाल कर सुल्तानपुर कोविड लीडस् व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर जरूरतमंदों को न केवल रेमडेसिविर इंजेक्शन,अस्पतालों में बेड बल्कि ऑक्सीजन भी मुहैया कराने के प्रयास में लगी हैं।इस ग्रुप में अलग-अलग जगहों से छात्र-छात्राएं जुड़े हैं।वह जरूरतमंद की तलाश करते हैं और उनके बारे में जानकारी ग्रुप में साझा करते हैं।
इनसेट:-तैयार की ट्विटर व व्हाट्सएप पर एक्टिव लोगो की टीम
जिले के युवाओ व कुछ प्रबुद्ध लोगो ने इंटरनेट मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्मों पर जरूरतमंदों की गुहार जैसे ही इस ग्रुप पर साझा करते है वैसे सभी अपने अपने हिसाब मदद के लिए प्रयास करने में जुट जाते है।संबंधित अधिकारी से संपर्क करते है। कई बार असफलता भी हाथ लगती है, लेकिन हौसले नहीं टूटते ग्रुप के संचालक अभिषेक सिंह व निशांत द्विवेदी कहते है कि हमारी टीम केवल प्रयास करती है। अफसरों और दानदाताओं से सीधा संवाद कर मरीजों के बारे में सही सूचना देती है और मदद के लिए प्रयास करती है।अंकुरण फाउंडेशन के सदस्य व जनसेवा की मिसाल अभिषेक का कहना है कि अभी तक अधिकांश लोगों की मदद हो गयी है।वही इस मुहिम की शुरूआत करने वाले निशांत द्विवेदी का कहना है हम केवल अकेले ही नही प्रयास करते है बल्कि इस ग्रुप के एक एक सदस्य का प्रयास सराहनीय है।
तकनीकी के सहारे सुल्तानपुर से असम में हुई मदद
कोविड लीडस् ग्रुप में सूचना मिली कि असम के गुवाहाटी जिले में प्लाज्मा की जरूरत है तो केएनआई पीएसएस से एमबीए कर रहे छात्र
सुशांत द्विवेदी ने ट्विटर पर मदद की गुहार की तो डीजीपी असम व भारत की उड़नपरी हिमा दास ने ट्वीट को संज्ञान में लेते हुए मदद दिलाई वही कुल्दीप शुक्ला ने दिल्ली में जरूरतमंद को प्लाज्मा दिलाने का कार्य किया।इस मुहिम में अभिषेक तिवारी,स्वास्तिक श्रीवास्तव का योगदान बड़ा है।
इनसेट:-ग्रुप में प्रबुद्ध जनों के साथ युवाओ की लंबी टीम
इस मुहिम डॉ डीएस मिश्र, व डॉ आस्था त्रिपाठी जो कि पूर्व सीएमओ डॉ सीबीएन त्रिपाठी की सुपुत्री है। डॉ अमित कौशिक महत्वपूर्ण योगदान दे रहे है।इनके अलावा दिन रात एक कर मदद के लिए ग्रुप में केएनआईपीएसएस एमबीए फैकल्टी के शिक्षक रीतू बरनवाल, माधवेन्द्र प्रताप सिंह,इंद्र जीत कौर, व एयू फैमिली के संस्थापक अंकित द्विवेदी,घर सुल्तानपुर के सदस्य शिवाकांत पांडेय,अभय सिंह,जय प्रकाश मिश्र,डॉ पंकज त्रिपाठी,पूर्व छात्र परिषद अध्यक्ष सुमित श्रीवास्तव,सुभांशु रघुवंशी,अभिषेक शुक्ला सिंगर, कुलदीप तिवारी जो तिलोई और गौरीगंज व लखनऊ में भी बेड दिलवा चुके है।वही फार्मासिस्ट का डिप्लोमा ले चुके मयंक द्विवेदी जिला अस्पताल की इमरजेंसी में मदद कर रहे है।कृष्णा विश्वकर्मा,उत्कर्ष शुक्ला लवकुश गुप्ता व पत्रकार अंजनी तिवारी,शुभम तिवारी अश्विनी मिश्रा,प्रतीक मिश्र,विपुल शर्मा,आशुतोष त्रिपाठी,शिवम मिश्र,विवेक सिंह ,प्रभु मिश्रा,सचिन पांडेय,सुमित पांडे,आकांक्षा सिंह,सुधांशु सिंह,जीतू तिवारी,उत्कर्ष द्विवेदी,सौम्य पांडेय,निखिल,आलोक मिश्र,पीयूष सिंह,हर्षित सिंह,उत्कर्ष मिश्र,आदि सैकड़ो युवा पूरी लगन से सेवाभाव कर रहे है।
👉 नोट- सूची गणना केंद्रों से मिली सूचना के आधार पर है।
सुल्तानपुर के कार्तिकेय सिंह का अभिनय रहेगा दिलचस्प।
फिल्मी दुनिया:हम सभी जानते हैं कि भारत में ग्लैमर और सम्मान IIT की पहचान है। लेकिन शायद ही लोगों को उसके अंदर अध्ययन कर रहे छात्रों के कैरियर को लेकर संघर्षों का वास्तविकता का पता चलता है । इन बड़े संस्थानों में हजारों इंजीनियरिंग स्नातक दिन प्रतिदिन कैरियर की चिंता में डूबे रहते हैं उनके मन में इसी के प्रति एक संघर्ष चलता है । कभी कॉलेज की समस्या तो कभी व्यक्तिगत समस्या तो कभी कैरियर की चिंताओं के बीच उनका रोज का जीवन कटता है।
इन्हीं विषयों पर आधारित नेटफ्लिक्स की आगामी श्रृंखला अल्मा मैटर्स: इनसाइड द आईआईटी ड्रीम बनाई गई । यह वेब सीरीज हमें आईआईटी खड़गपुर में छात्रों के जीवन और हर एक दिन के संघर्षों से रूबरू कराती है।
शनिवार को डॉक्युमेंट्री ट्रेलर रिलीज हुआ और लगभग तीन मिनट की क्लिप में इसके कॉलेज के छात्रों को एक तरीका दिया गया है, जिसका अर्थ है कि यह आईआईटीयन है। प्रतीक पात्रा और प्रशांत राज द्वारा निर्देशित और डोपामाइन मीडिया एंड लीजर प्राइवेट लिमिटेड द्वारा निर्मित, अल्मा इश्यूज भारत के इंजीनियरिंग जुनून पर यह तीन एपिसोड की श्रृंखला, को पूरी तरह 14 मई को देख पाएंगे।यह व्यावहारिक रूप से हमारे बीच सभी युवाओं से संबंधित है।
आमिर खान की बेटी ने वीडियो शेयर किया. इस वीडियो में वह कहती हैं, ''आज मैं लाइव गई थी और अब मेरे दोस्त मुझे यह कहकर चिढ़ा रहे हैं कि सभी मुझे इरा कहते हैं. अब मैंने फैसला किया है कि मैं एक स्वेअर जार बना रही हूं. मेरा नाम आयरा है.''
आमिर खान की बेटी इरा खान बड़े पर्दे से दूर हैं लेकिन सोशल मीडिया पर वह काफी एक्टिव रहती हैं. इंस्टाग्राम पर उनकी बड़ी फैन फॉलोइंग है, जिनसे वह अक्सर रूबरू होती रहती हैं. अब उन्होंने एक दिलचस्प वीडियो पोस्ट कर बताया कि उनका नाम इरा नहीं है. उन्होंने कहा कि वह थक चुकी हैं लोगों के उनका ना गलत तरीके से लेने से. उन्होंने अपने नाम का सही उच्चारण बताते हुए कहा है कि अबसे जो भी उनका नाम गात लेगा उसे जुर्माना देना होगा.
''इरा नहीं है मेरा नाम''
आमिर खान की बेटी ने वीडियो शेयर किया. इस वीडियो में वह कहती हैं, ''आज मैं लाइव गई थी और अब मेरे दोस्त मुझे यह कहकर चिढ़ा रहे हैं कि सभी मुझे इरा कहते हैं. अब मैंने फैसला किया है कि मैं एक स्वेअर जार बना रही हूं. मेरा नाम आयरा है. जैसे आय (आंख) और रा. आज के बाद अगर किसी ने मुझे इरा बुलाया तो उसे पांच हजार रुपये स्वेअर जार में जमा करने होंगे, जो मैं महीने के अंत में दान करूंगी. प्रेस, मीडिया और आप सभी लोगों के लिए ये नियम लागू होता है, मेरा नाम आयरा है.'
वीडियो कैप्शन में उन्होंने लिखा, ''इरा. आय-रा. बस और कुछ नहीं.'' बता दें कि आयरा मूलत: हिब्रू शब्द है जिसका मतलब है पूरी तरह से विकसित और जागरूक. बाइबिल के मुताबिक यह राजा डेविड के पुजारी या मुख्यमंत्री का नाम भी था.
बता दें कि आयरा खान अपनी निजी जिंदगी को लेकर चर्चा में रहती हैं. उन्होंने कुछ समय पहले अपने डिप्रेशन के बारे में बात की थी. आयरा की डेटिंग लाइफ को लेकर भी काफी बातें होती है. वे फिटनेस ट्रेनर नुपूर शिखरे को डेट कर रही हैं. वैलेंटाइंस वीक में प्रॉमिस डे के दिन उन्होंने इंस्टाग्राम पर अपने प्यार का इजहार नूपुर से किया था.
एक बेटी का अपने देश के लिए सपना
अगर CRPF की OFFICER मै हो जाती, भारत माँ की सेवा करती ।
गुरुओ के आशीष को लेके, पापा की ख्वाइस को लेके, मैं अपने कर्तव्य मे जुट जाती ।
अगर CRPF की OFFICER मै हो जाती, भारत माँ की सेवा करती ।
बहू बेटियों की इज्जत करना है , सड़को के दुशाशन को दूर भगाना है।।
माता पिता की सेवा करके उज्ज्वल भविष्य बनाना है
अगर CRPF की OFFICER मै हो जाती, भारत माँ की सेवा करती ।
दहेज प्रथा पर रोक लगाकर, भारत माँ की शान बढ़ाकर।
अरे- अपने हौसले को बुलंद करके, अपने कर्तव्यो के प्रति उड़ान भरके, भारत माँ की सेवा करती ।
अगर CRPF की OFFICER मै हो जाती, भारत माँ की सेवा करती ।
छल - कपट से रहती कोसो दूर, सीख देती जो रहते हमेसा खुद से क्रूर।
बेटियों को आगे बढ़ना है , अंधेरे मे रोशनी लाना है
अगर CRPF की OFFICER मै हो जाती, भारत माँ की सेवा करती ।
आतंकवाद का नाम मिटाकर , पाक को मानौता के पाठ पढ़ाकर ।
पुलवामा जैसे हमले को ध्यान मे लेकर मैं अपने कर्तव्य को जुट जाती ।
भारत माँ की बेटी तब कहलाती, जब खुद को देश के प्रति समर्पित करती की ।
अगर CRPF की OFFICER मै हो जाती, भारत माँ की सेवा करती ।
भारत माँ की बेटी होने का फर्ज निभाती।।