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  अद्भुत होगी इस बार कुशभवनपुर की होली: स्वदेशी अपनाने और पर्यावरण बचाने का दिया जाएगा अनूठा संदेश

सुलतानपुर, कुशभवनपुर: इस बार कुशभवनपुर की होली न सिर्फ उल्लास और भक्ति का संगम होगी, बल्कि स्वदेशी अपनाने और पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी देगी। भगवान नरसिंह की भव्य शोभायात्रा के साथ स्वदेशी प्राकृतिक होली का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें केवल प्राकृतिक रंग, गुलाल और फूलों की पंखुड़ियों का प्रयोग किया जाएगा। होलिकोत्सव समिति, कुशभवनपुर ने सभी नगरवासियों से परंपरागत और स्वदेशी तरीकों से होली खेलने की अपील की है।

पर्यावरण को बचाने और भारतीय परंपराओं को सहेजने की पहल

इस वर्ष की होली विशेष होगी, क्योंकि इसमें रासायनिक रंगों की जगह पूरी तरह से प्राकृतिक गुलाल और फूलों का उपयोग किया जाएगा। यह पहल स्वास्थ्य के साथ-साथ पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए की गई है। आयोजन समिति ने बताया कि इस प्रयास से न केवल भारतीय संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि लोगों को शुद्ध और सुरक्षित होली का अनुभव भी मिलेगा।

धार्मिक आस्था और संस्कृति का संगम

भगवान नरसिंह की शोभायात्रा इस भव्य आयोजन का प्रमुख आकर्षण होगी। शोभायात्रा में धार्मिक झांकियां, भजन-कीर्तन, पारंपरिक वाद्ययंत्रों की ध्वनि और भक्तों का विशाल समूह नगर में दिव्यता का संचार करेगा। नगरवासी पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ होली खेलकर अपनी आस्था प्रकट करेंगे।

नगरवासियों से अपील

होलिकोत्सव समिति ने सभी नगरवासियों से आग्रह किया है कि वे इस बार रासायनिक रंगों का त्याग कर स्वदेशी और प्राकृतिक विकल्प अपनाएं। यह आयोजन भारतीय संस्कृति, परंपरा और सामाजिक समरसता को मजबूत करने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी देगा।

कार्यक्रम का विवरण:

📅 तिथि: 14 मार्च 2025 (शुक्रवार)
समय: सुबह 8:00 बजे
📍 स्थान: चौक घंटाघर, सुलतानपुर

नगर में इस अनोखे आयोजन को लेकर भक्तों और श्रद्धालुओं में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है। आयोजकों का कहना है कि यह केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और भारतीय परंपराओं को पुनर्जीवित करने की एक पहल भी है।

आयोजक: होलिकोत्सव समिति, कुशभवनपुर



जगदीशपुर/अमेठी:

बीते 22 दिसंबर को जगदीशपुर थाना क्षेत्र के महमूदपुर गांव में प्रॉपर्टी डीलिंग के विवाद को लेकर लगभग आधा दर्जन बदमाशों ने अंधाधुंध फायरिंग कर दी थी, जिसमें अनीत सिंह को छह गोलियां लगीं और वह गंभीर रूप से घायल हो गया था। इस घटना के बाद पीड़ित के पिता की तहरीर पर पुलिस ने जानलेवा हमले की धाराओं में मुकदमा पंजीकृत कर रवि उर्फ रवि शंकर पासी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।


आरोपी की ओर से अधिवक्ता हर्ष सिंह ने कोर्ट में दलील पेश करते हुए कहा कि उनके मुवक्किल को रंजिशन फंसाया गया है और उसके खिलाफ कोई ठोस साक्ष्य नहीं हैं। वहीं, अभियोजन पक्ष ने जमानत का कड़ा विरोध करते हुए कोर्ट से आरोपी की जमानत याचिका खारिज करने का अनुरोध किया।


अपर जिला जज कक्ष संख्या 12 ने दोनों पक्षों के विद्वान अधिवक्ताओं की दलीलें सुनने के बाद, विशेष रूप से अधिवक्ता हर्ष सिंह द्वारा प्रस्तुत तर्कों के आधार पर, आरोपी रवि उर्फ रवि शंकर पासी की जमानत याचिका स्वीकार कर उसकी रिहाई का आदेश दे दिया।

 


शुभम तिवारी 

सुल्तानपुर, 12 फरवरी 2025: महान समाज सुधारक एवं धर्मपरायण शासिका अहिल्याबाई होल्कर की जन्म त्रिशताब्दी वर्ष के अवसर पर नगर में भव्य समारोह आयोजित किया गया। सरस्वती शिशु मंदिर, विवेकानंद नगर में हुए इस कार्यक्रम में सांस्कृतिक झांकियों और विचार गोष्ठी के माध्यम से अहिल्याबाई के जीवन और उनके योगदान को याद किया गया।

सीएमपी डिग्री कॉलेज, प्रयागराज के एसोसिएट प्रोफेसर एवं काशी प्रांत के सह प्रांत कार्यवाह डॉ. बिहारी ने कहा कि शासक की नियति साफ और नीति स्पष्ट होनी चाहिए। अहिल्याबाई का सुशासन आज भी प्रेरणास्रोत है। उन्होंने बताया कि अहिल्याबाई के जीवन में सूचना तंत्र और संपर्क मजबूत थे, जिससे वह एक सफल शासक बनीं।

कार्यक्रम में   डॉ. निशा प्रकाश सिंह ने अहिल्याबाई होल्कर के प्रशासनिक, सामाजिक और धार्मिक योगदान पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इतिहास में उन्हें वह स्थान नहीं मिला, जिसकी वह हकदार थीं। उन्होंने अहिल्याबाई को एक कर्तव्यनिष्ठ, दूरदर्शी और नारी सशक्तिकरण की प्रतीक बताया।

कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में संगीता पाल उपस्थित रहीं। इस दौरान रामराजी सरस्वती बालिका इंटर कॉलेज की छात्राओं द्वारा अहिल्याबाई होल्कर के जीवन पर आधारित भव्य झांकी प्रस्तुत की गई, जिसने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। झांकी में अहिल्याबाई के शासनकाल, धर्मपरायणता और समाज सुधार कार्यों को प्रभावी रूप से प्रदर्शित किया गया।

इसके अलावा, समारोह में आयोजित प्रतियोगिताओं में स्थान प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को मेडल और प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर संगीता पाल ने विजेताओं को सम्मानित करते हुए कहा कि युवा पीढ़ी को ऐसे महान व्यक्तित्वों से प्रेरणा लेकर समाज कल्याण के कार्य करने चाहिए।

कार्यक्रम का संचालन अजय कुमार तिवारी ने किया। इस अवसर पर विभाग प्रचारक श्रीप्रकाश जी, जिला प्रचारक आशीष जी, विभाग संघ चालक अरुण कुमार सिंह, अमर पाल सिंह, डॉ. रमाशंकर मिश्रा, डॉ. तारा सिंह, डॉ. विनोद कुमार सिंह, डॉ. तूलिका गुप्ता, आलोक कुमार आर्य सहित सैकड़ों गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

समारोह समिति ने नगरवासियों से आह्वान किया कि वे अहिल्याबाई होल्कर के जीवन मूल्यों को अपनाते हुए समाज में समरसता और सेवा की भावना को बढ़ावा दें। नगरवासियों ने इस आयोजन को ऐतिहासिक बताते हुए भविष्य में भी ऐसे प्रेरणादायक कार्यक्रमों के आयोजन की मांग की।


दोस्तपुर: बीते रविवार की शाम कस्बे से सटे दोस्तपुर देहात के गाटा संख्या 498 में जेसीबी टैक्टर से अबैध मिट्टी खनन का कार्य चल रहा था। यह जमीन एक काश्तकार की बताई जा रही है। काश्तकार के पुत्र प्रवीण तिवारी ने मौके पर पहुंचकर मिट्टी खोदने का विरोध किया और जेसीबी चालक से खनन का परमिशन मांगा। जब चालक ने कोई जवाब नहीं दिया और उसने जेसीबी गाड़ी लेकर भागने की कोशिश की।

मौके पर मौजूद लोगों ने चालक को रोकने का प्रयास किया और तत्काल थाने पर सूचना दी। इसके बाद, भाग रही जेसीबी को नेमपुर रोड पर कामतागंज बाजार मोड़ के पास पकड़ने की कोशिश की गई, लेकिन ड्राइवर गाड़ी खड़ी कर फरार हो गया।

पीड़ित की सूचना पर खनन विभाग सुल्तानपुर, नायब तहसीलदार कादीपुर और राजस्व निरीक्षक मय लेखपाल मौके पर पहुंचे। उन्होंने खोदी गई जमीन का माप लिया और जेसीबी गाड़ी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की। चालक द्वारा गाड़ी की चाभी लेकर फरार होने के कारण जेसीबी को वहीं छोड़ दिया गया। विभागीय कार्रवाई के बाद राजस्व विभाग और खनन अधिकारी वहां से रवाना हो गए।

इस दौरान मौजूद पुलिस कर्मियों द्वारा जे सी बी मशीन की सुपुर्दगी नहीं ली गयी, उनके द्वारा कहा गया कि जब जे सी बी को खनन अधिकारी थाने में लाकर सीज करेंगे तभी पुलिस सुपुर्दगी ले पाएगी।

 




प्रयागराज: महाकुंभ 2025 में जहां लाखों श्रद्धालु आस्था और भक्ति के लिए संगम नगरी पहुंचे हैं, वहीं सेक्टर छा में स्थित सच्चा डेरा आश्रम के महंत मनोज ब्रह्मचारी जी ने सेवा और करुणा की ऐसी मिसाल पेश की है, जो हर किसी के दिल को छू गई। कड़ाके की ठंड में बाहर सो रहे श्रद्धालुओं को देखकर ब्रह्मचारी जी का हृदय पिघल गया, और उन्होंने अपने निजी कक्ष को उनके ठहरने के लिए खोल दिया।


ब्रह्मचारी जी का कहना है, "सेवा ही सच्चा धर्म है। महाकुंभ में *आने वाले श्रद्धालु भगवान के रूप होते हैं। जब मैंने इन्हें ठंड में कांपते देखा, तो मेरा मन विचलित हो गया। उन्हें अपने कक्ष में जगह देना मेरा कर्तव्य था।"


सच्चा डेरा आश्रम में न केवल रहने की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है, बल्कि वहां आने वाले श्रद्धालुओं को गर्म कंबल, चाय और भोजन भी दिया जा रहा है। महाराज जी ने अपना कमरा त्यागकर खुद साधारण कुटिया में रहना शुरू कर दिया ताकि ठंड में परेशान लोगों को शरण दी जा सके।


श्रद्धालुओं ने महाराज जी के इस सेवा भाव की जमकर प्रशंसा की। एक श्रद्धालु ने भावुक होकर कहा,"जब ठंड में कांप रहे थे और कहीं भी रहने की जगह नहीं थी, तब महाराज जी ने हमें अपने कमरे में बुलाकर जगह दी। उनका यह कदम हमारे लिए किसी देवता के आशीर्वाद जैसा है।"


महाराज जी की इस पहल ने महाकुंभ में आए हजारों श्रद्धालुओं को प्रेरणा दी है। सच्चा डेरा आश्रम का यह कदम केवल आस्था का नहीं, बल्कि मानवता और सेवा का संदेश भी दे रहा है। ब्रह्मचारी जी के इस कार्य ने यह सिद्ध कर दिया कि एक सच्चा संत वही है, जो केवल उपदेश नहीं देता, बल्कि अपने कर्मों से दूसरों की मदद कर दुनिया को प्रेरणा देता है।


महाकुंभ के इस अद्भुत आयोजन में सच्चा डेरा आश्रम का नाम श्रद्धालुओं के बीच उनकी सेवा भावना के लिए गूंज रहा है। महाराज जी ने यह साबित कर दिया कि करुणा और सेवा ही सबसे बड़ी साधना है।

 



नई दिल्ली। विश्व हिंदू परिषद, दिल्ली प्रांत द्वारा मकर संक्रांति के अवसर पर सामाजिक समरसता अभियान का आयोजन किया गया। इस अभियान के अंतर्गत तेलंगाना के प्रख्यात संत शंकर स्वामी ने दिल्ली में विभिन्न समुदायों के लोगों से संपर्क कर सामाजिक समरसता और समानता के महत्व पर जोर दिया।

संत शंकर स्वामी ने बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर के दृष्टिकोण का उल्लेख करते हुए कहा कि जाति के आधार पर बनी सामाजिक संरचना से न तो देश का भला हो सकता है और न ही समाज का। उन्होंने एकजुट और समतामूलक समाज की आवश्यकता पर बल दिया।

उन्होंने अपने संदेश में कहा, "हिन्दव: सोदरा: सर्वे, न हिन्दू पतितो भवेत्। मम दीक्षा हिन्दू: रक्षा, मम मंत्र: समानता।" अर्थात, सभी हिंदू भाई-भाई हैं, और किसी भी हिंदू को पतित नहीं होना चाहिए। मेरी दीक्षा हिंदू रक्षा और मेरा मंत्र समानता है।

इस दौरान संत शंकर स्वामी ने समाज के हर वर्ग को आपसी भेदभाव छोड़कर एकजुट होकर कार्य करने का आह्वान किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया और सामाजिक समरसता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की।

विश्व हिंदू परिषद के इस प्रयास को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ रही है, और समाज में समानता और एकता की भावना को मजबूत करने की दिशा में यह एक सराहनीय कदम माना जा रहा है।

सुल्तानपुर। कुंभ जैसे विश्व के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन को स्वच्छ और पर्यावरण अनुकूल बनाने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने इस बार एक ऐतिहासिक पहल की है। संघ ने पूरे देश में एक अभियान चलाकर धातु की थालियां और कपड़े के थैले एकत्र किए और अब इन्हें कुंभ मेले में श्रद्धालुओं के बीच वितरित कर रहा है। यह प्रयास न केवल मां गंगा की स्वच्छता बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण का भी संदेश दे रहा है।

संघ का राष्ट्रीय अभियान: थाली और थैला संग्रहण

आरएसएस ने देशभर में अपने स्वयंसेवकों के माध्यम से "हरित कुंभ" के उद्देश्य को साकार करने के लिए एक अनूठा अभियान चलाया। इस अभियान में लाखों परिवारों ने अपनी थाली और थैले दान किए। कुंभ मेले में ये थालियां और थैले निःशुल्क वितरित किए जा रहे हैं ताकि श्रद्धालु प्लास्टिक और डिस्पोजेबल सामग्री का उपयोग न करें।

सुल्तानपुर के विभाग प्रचारक श्री प्रकाश जी ने बताया, "यह पहल केवल एक आयोजन तक सीमित नहीं है, बल्कि समाज में स्वच्छता और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी की भावना को जाग्रत करने का प्रयास है।"

हरित कुंभ का संदेश: प्लास्टिक मुक्त आयोजन

इस अभियान का उद्देश्य कुंभ को प्लास्टिक मुक्त बनाना है। श्रद्धालुओं को वितरित किए गए थालियां और थैले उन्हें पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार बनने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। संघ ने इस अभियान के जरिए यह भी सुनिश्चित किया है कि इस पवित्र आयोजन से कोई ऐसा कचरा न पैदा हो, जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए।

संघ के स्वयंसेवक न केवल थाली और थैले बांट रहे हैं, बल्कि मां गंगा की स्वच्छता बनाए रखने के महत्व पर भी जागरूकता फैला रहे हैं। श्रद्धालुओं को यह बताया जा रहा है कि गंगा केवल एक नदी नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर है। इसे स्वच्छ और पवित्र रखना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।

श्री प्रकाश जी ने कहा, "हम चाहते हैं कि हर व्यक्ति मां गंगा को स्वच्छ रखने और पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान दे। यह पहल भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक स्वच्छ और सुंदर पर्यावरण सुनिश्चित करने की दिशा में हमारा प्रयास है।"

इस पहल का प्रभाव न केवल कुंभ तक सीमित है, बल्कि यह पूरे देश में पर्यावरण और स्वच्छता के प्रति जागरूकता फैलाने का माध्यम बन रहा है। सुल्तानपुर से लेकर देश के हर कोने तक संघ के स्वयंसेवकों ने यह दिखाया है कि सामूहिक प्रयासों से बड़े बदलाव संभव हैं।

आरएसएस का थाली और थैला अभियान कुंभ मेले को स्वच्छ, हरित और पवित्र बनाने की दिशा में एक अनुकरणीय प्रयास है। यह पहल दिखाती है कि यदि हम सभी छोटी-छोटी आदतों में बदलाव करें, तो पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता के बड़े लक्ष्य हासिल किए जा सकते हैं। मां गंगा की स्वच्छता और कुंभ की पवित्रता बनाए रखने के इस प्रयास को हर व्यक्ति को अपनाना चाहिए, ताकि यह संदेश पूरे समाज में गहराई तक पहुंचे।

 

सुल्तानपुर, 11 जनवरी: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के 250 स्वयंसेवकों का दल आज प्रयागराज महाकुंभ 2025 में सेवा कार्यों के लिए सुल्तानपुर से रवाना हुआ। इस अवसर पर संघ के विभाग प्रचारक श्री प्रकाश जी और जिला प्रचारक आशीष जी ने स्वयंसेवकों को शुभकामनाएँ देकर रवाना किया। यह दल 18 जनवरी तक महाकुंभ में विभिन्न सेवा कार्यों में अपना योगदान देगा।

संघ की सेवा परंपरा को निभाएंगे स्वयंसेवक

महाकुंभ जैसे विशाल धार्मिक आयोजनों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सेवा परंपरा वर्षों से एक आदर्श रही है। इस बार भी सुल्तानपुर से 250 स्वयंसेवक स्वच्छता, भीड़ प्रबंधन, यातायात व्यवस्था और श्रद्धालुओं की सहायता के कार्यों में जुटेंगे।

प्रेरणा और अनुशासन का संदेश

इस अवसर पर विभाग प्रचारक श्री प्रकाश जी ने कहा, "महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि सेवा, समर्पण और अनुशासन का प्रतीक है। स्वयंसेवकों का यह योगदान राष्ट्र और समाज के लिए एक प्रेरणा बनेगा।"

जिला प्रचारक आशीष जी ने स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए कहा कि संघ के स्वयंसेवक अपने अनुशासन और सेवा भावना से महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं को हर संभव सहायता प्रदान करेंगे।

स्वयंसेवकों के रवाना होने से पहले एक विशेष विदाई समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में संघ के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने स्वयंसेवकों को महाकुंभ के महत्व और उनकी जिम्मेदारियों के बारे में बताया। इस दौरान स्वयंसेवकों ने संघ के गीत और घोष के माध्यम से अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की।

महाकुंभ में संघ की भूमिका

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक मेला क्षेत्र में अलग-अलग स्थानों पर अपनी सेवाएँ देंगे। वे न केवल श्रद्धालुओं को मार्गदर्शन करेंगे, बल्कि जरूरत पड़ने पर उन्हें चिकित्सा सहायता और अन्य सुविधाएँ भी उपलब्ध कराएँगे।


यह सेवा कार्य न केवल सुल्तानपुर जिले का गौरव है, बल्कि महाकुंभ में संघ की सेवा और समर्पण की मिसाल भी पेश करेगा।

 


सुल्तानपुर: आज प्रवासी भारतीय दिवस उन महान व्यक्तित्वों को सम्मानित करने का अवसर है, जिन्होंने विदेश में रहते हुए भी भारत का नाम रोशन किया। ऐसे ही एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व हैं डॉ. योगेश श्रीवास्तव, जिनकी कहानी मेहनत, लगन और भारतीय मूल्यों की मिसाल है।

        उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले के पंचरस्ता क्षेत्र में एक साधारण परिवार में जन्मे डॉ. योगेश के पिता, श्री ओम प्रकाश श्रीवास्तव, 400 केवी बिजली विभाग में कार्यरत थे और 2006 में सेवानिवृत्त हुए हैं। डॉ. योगेश की प्रारंभिक शिक्षा सरस्वती विद्या मंदिर, सुल्तानपुर में हुई। एक छोटे से शहर के स्कूल में पढ़ते हुए भी उनकी आंखों में बड़े सपने थे। विज्ञान के प्रति उनकी रुचि और पढ़ाई के प्रति समर्पण ने उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।

अपने सपनों को पूरा करने के लिए डॉ. योगेश ने बायोटेक्नोलॉजी में मास्टर डिग्री हासिल की और फिर चीन की प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी ऑफ चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज से पीएचडी पूरी की। उनकी कड़ी मेहनत और दृढ़ निश्चय ने उन्हें अमेरिका तक पहुंचाया, जहां वे आज एमडी एंडरसन कैंसर सेंटर, टेक्सास में पोस्टडॉक्टरल फेलो के रूप में कार्यरत हैं।

डॉ. योगेश का शोध मुख्य रूप से न्यूरोसाइंस और कैंसर अनुसंधान पर केंद्रित है। उन्होंने हेजहॉग सिग्नलिंग पाथवे पर गहन अध्ययन किया है, जो दर्द प्रबंधन और न्यूरॉन संरचना को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उनके शोध पत्र अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रकाशित हो चुके हैं और वैज्ञानिक समुदाय में सराहे गए हैं।

भारतीय संस्कृति के संवाहक

विदेश में रहकर भी डॉ. योगेश अपने भारतीय मूल्यों और संस्कृति को नहीं भूले। वे हमेशा भारतीय त्योहारों और सांस्कृतिक आयोजनों में सक्रिय रहते हैं। उनका कहना है, "भारत की मिट्टी से जो संस्कार हमें मिले हैं, वे हमारी पहचान को हमेशा जिंदा रखते हैं। जहां भी जाऊं, मैं भारत का गौरव बनाए रखने का प्रयास करता हूं।"

डॉ. योगेश को उनकी उपलब्धियों के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जिनमें 2023 का डोडी पी. हॉन अवार्ड और 2018 का ग्वांगझोउ इंस्टीट्यूट ऑफ बायोमेडिसिन एंड हेल्थ द्वारा उत्कृष्ट छात्र पुरस्कार शामिल हैं। उनकी मेहनत और लगन हर उस युवा के लिए प्रेरणा है, जो सीमित संसाधनों के बावजूद बड़े सपने देखने की हिम्मत करता है।

डॉ. योगेश का संदेश

डॉ. योगेश  हमें यह सिखाते है कि अगर इरादे मजबूत हों और मेहनत का साथ हो, तो किसी भी क्षेत्र में सफलता हासिल की जा सकती है। सुल्तानपुर के छोटे से कस्बे से शुरू होकर अंतरराष्ट्रीय मंच तक पहुंचने का उनका सफर हर भारतीय के लिए गर्व का विषय है।

प्रवासी भारतीय दिवस पर डॉ. योगेश जैसे व्यक्तित्वों को याद करना इस बात का प्रमाण है कि भारत के संस्कार और शिक्षा न केवल देश के भीतर, बल्कि विदेशों में भी अपनी छाप छोड़ रहे हैं। उनका जीवन हमें सिखाता है कि सपने सिर्फ देखे नहीं जाते, पूरे भी किए जाते हैं।

 


महाराष्ट् मुलुंड :विश्व हिंदू परिषद (VHP) के सामाजिक समरसता अभियान के तहत मुलुंड में एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में तेलंगाना संत परिषद के अध्यक्ष स्वामी शंकर जी ने 180 दलित समुदाय की महिलाओं का पाद पूजन कर उन्हें सम्मानित किया।

कार्यक्रम में दलित महिलाओं को साड़ी, लक्ष्मी जी की मूर्ति और तुलसी माला भेंट की गई। स्वामी जी ने स्वयं महिलाओं का पूजन कर समाज में समानता और समरसता का संदेश दिया।

समरसता और एकता का संदेश

इस अवसर पर स्वामी शंकर जी ने कहा, "हमारा उद्देश्य समाज में भेदभाव को समाप्त कर एक समरस और निष्पक्ष भारत का निर्माण करना है। यह आयोजन सभी वर्गों को एक मंच पर लाने का प्रयास है।"

सामाजिक सुधार की दिशा में कदम

VHP के इस आयोजन को समाज में समानता और समरसता के प्रचार-प्रसार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया गया। स्थानीय निवासियों और श्रद्धालुओं ने इस पहल की सराहना करते हुए इसे समाज सुधार के लिए प्रेरणादायक बताया।

कार्यक्रम में सैकड़ों की संख्या में लोग उपस्थित रहे और स्वामी शंकर जी के प्रेरणादायक संदेश को सुनकर भावविभोर हो गए।

 


मुलुंड, महाराष्ट्र। विश्व हिंदू परिषद, घाट कोपर प्रभाग, मुलुंड जिला, द्वारा सामाजिक समानता और भेदभाव मुक्त भारत के निर्माण के उद्देश्य से समरसता यात्रा का आयोजन किया जा रहा है। यह यात्रा समाज के सभी वर्गों के बीच समानता और सम्मान की भावना को प्रोत्साहित करने के लिए समर्पित है।

माँ शक्ति पूजा और दलित महिलाओं का सम्मान

कार्यक्रम  में, परम पूज्य श्री शंकर स्वामीजी के सान्निध्य में 151 दलित महिलाओं का पद पूजन एवं सम्मान किया जाएगा। यह आयोजन सामाजिक समरसता का प्रतीक बनकर समाज में सकारात्मक बदलाव का संदेश देगा।

कार्यक्रम का विवरण

  • तारीख: 8 जनवरी 2025
  • समय: सुबह 9 बजे
  • स्थान: साईं बाबा मंदिर, ओल्ड बर्क, जय भारत स्कूल के पीछे, मुलुंड कॉलोनी, मुलुंड जिला, महाराष्ट्र।

सामाजिक परिवर्तन की दिशा में एक कदम

विश्व हिंदू परिषद ने इस कार्यक्रम को समाज के सभी वर्गों को जोड़ने और उन्हें समान अधिकार और सम्मान दिलाने की दिशा में एक बड़ा कदम बताया है। संगठन का उद्देश्य सामाजिक भेदभाव को समाप्त कर एक निष्पक्ष और समरस भारत का निर्माण करना है।

कार्यक्रम में बड़ी संख्या में श्रद्धालु और गणमान्य व्यक्तियों के शामिल होने की उम्मीद है। यह आयोजन समाज में समानता और एकता का संदेश देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका

 निभाएगा।




वाराणसी। शिक्षा के क्षेत्र में समर्पण और उत्कृष्टता का प्रतीक माने जाने वाले  डॉ. अजय कुमार सिंह ने 7 जनवरी 2025 को अंतर विश्वविद्यालय शिक्षक शिक्षा केंद्र, वाराणसी में बतौर आचार्य (प्रोफेसर) पदभार ग्रहण किया। शिक्षा में अपने गहन अध्ययन, शोध और मार्गदर्शन के लिए पहचाने जाने वाले डॉ. सिंह ने इस अवसर पर कहा कि वे शिक्षा में नवाचार और शोध को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।


डॉ. अजय कुमार सिंह ने बीए, बीएड और एमएड जैसी प्रतिष्ठित डिग्रियां काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) से प्राप्त कीं। बीएचयू जैसे प्रतिष्ठित संस्थान से शिक्षा प्राप्त करना उनकी विद्वता और शिक्षा के प्रति समर्पण को दर्शाता है। उन्होंने अपनी पढ़ाई के दौरान उत्कृष्ट प्रदर्शन किया और शिक्षा के गहन अध्ययन एवं शोध में विशेष रुचि दिखाई।


अपने कैरियर की शुरुआत एक प्राथमिक शिक्षक के रूप में करते हुए, डॉ. सिंह ने शिक्षा के बुनियादी स्तर को समझा और बच्चों के समग्र विकास में योगदान दिया। 2010 में उन्होंने काशी हिंदू विश्वविद्यालय के शिक्षा शास्त्र विभाग में लेक्चरर के रूप में अपनी सेवाएं शुरू कीं। यहां उन्होंने शिक्षा के सिद्धांत और व्यवहारिक पहलुओं को छात्रों के सामने प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया और छात्रों के बीच एक प्रेरणादायक शिक्षक के रूप में पहचान बनाई।


डॉ. सिंह ने शिक्षक प्रशिक्षण, शिक्षण विधियों और शैक्षिक सुधारों पर कई महत्वपूर्ण शोध किए हैं। उनकी शिक्षण शैली और गहन दृष्टिकोण ने अनेक छात्रों और शोधार्थियों को प्रेरित किया है। उन्होंने शिक्षा शास्त्र पर कई महत्वपूर्ण पुस्तकें और शोध पत्र प्रकाशित किए हैं, जो शिक्षा जगत में सराहे गए हैं।


अंतर विश्वविद्यालय शिक्षक शिक्षा केंद्र में आचार्य पद ग्रहण करने के साथ ही डॉ. अजय कुमार सिंह ने शिक्षा के क्षेत्र में शोध, नवाचार और नई पहलों को प्रोत्साहित करने की योजना बनाई है। वे मानते हैं कि शिक्षा केवल ज्ञान प्राप्त करने का माध्यम नहीं, बल्कि समाज के समग्र विकास का आधार है।


डॉ. अजय कुमार सिंह का जीवन सादगी, विद्वता और समर्पण का प्रतीक है। उनकी नई जिम्मेदारी न केवल शिक्षा केंद्र के लिए, बल्कि पूरे शैक्षिक क्षेत्र के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी।

नीरज कुमार पांडेय, मो० अब्दुल अलीम, नीरज दूबे और चंदन झा की तरफ से सभी देशवासियों को नववर्ष की लोहड़ी एवं मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं..

प्रतिष्ठान:
बाला जी शक्ति एंटरप्राइज 
Koya's Agarbatti(Dhoop)
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Neeraj Pandey 
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सुल्तानपुर जैसे छोटे शहरों में अक्सर बड़े सपनों के लिए संघर्ष की कहानियां सुनाई देती हैं, लेकिन यहां के पाठशाला कोचिंग के डायरेक्टर सुधांशु तिवारी ने इसे गलत साबित कर दिखाया। IIT-JAM जैसी प्रतिष्ठित परीक्षा में सफलता प्राप्त करने वाले सुधांशु आज न केवल खुद का नाम रोशन कर रहे हैं, बल्कि अपने अनूठे तरीके से 11वीं और 12वीं के छात्रों के बीच फिजिक्स की लोकप्रियता बढ़ा रहे हैं। पाठशाला कोचिंग के डायरेक्टर सुधांशु तिवारी आज कल विद्यार्थियों के बीच में छाए हुए हैं।

कौन हैं सुधांशु तिवारी?

सुधांशु तिवारी, सुल्तानपुर के एक प्रतिभाशाली युवा, जिनकी कहानी संघर्ष, मेहनत और जुनून से भरी हुई है। सीमित संसाधनों के बावजूद उन्होंने IIT-JAM में सफलता पाई और आज जिले के छात्रों के लिए प्रेरणा बन गए हैं। सुधांशु का मानना है कि शिक्षा केवल अंक लाने तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि यह छात्रों में विषय के प्रति गहरी समझ और रुचि विकसित करनी चाहिए।

फिजिक्स पढ़ाने की अनूठी शैली

सुधांशु का पढ़ाने का तरीका अन्य शिक्षकों से बिल्कुल अलग है। वे कठिन से कठिन सिद्धांतों को भी इतनी सरलता और रोचकता से समझाते हैं कि छात्र तुरंत विषय के प्रति आकर्षित हो जाते हैं।

1. व्यावहारिक उदाहरण: सुधांशु रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़े उदाहरणों का उपयोग करते हैं, जिससे छात्रों को फिजिक्स के सिद्धांत समझने में आसानी होती है।

2. छात्रों पर व्यक्तिगत ध्यान: हर छात्र की समझ के स्तर को ध्यान में रखते हुए वे पढ़ाते हैं, जिससे सभी को समान रूप से लाभ मिलता है।

3. मोटिवेशनल दृष्टिकोण: सुधांशु सिर्फ पढ़ाई तक सीमित नहीं रहते, वे छात्रों को प्रेरित करते हैं कि जीवन में बड़ा सोचें और साहस के साथ अपने लक्ष्यों को प्राप्त करें।

छात्रों के लिए रोल मॉडल

सुधांशु की पढ़ाई का असर उनके छात्रों के प्रदर्शन में साफ झलकता है। जिन छात्रों को पहले फिजिक्स कठिन लगता था, वे अब न केवल इसे आसानी से समझते हैं, बल्कि इसमें रुचि भी दिखाते हैं। सुधांशु के पढ़ाए कई छात्रों ने बोर्ड परीक्षाओं और प्रतियोगी परीक्षाओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है।

सुल्तानपुर के गौरव

सुधांशु तिवारी की कहानी यह साबित करती है कि प्रतिभा और समर्पण के साथ कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है। उन्होंने न केवल खुद को स्थापित किया है, बल्कि सुल्तानपुर को शिक्षा के क्षेत्र में एक नई पहचान दिलाई है।

अभिभावकों और छात्रों की प्रतिक्रिया

सुधांशु के पढ़ाने के तरीके को लेकर अभिभावक और छात्र बेहद प्रभावित हैं। एक छात्र ने कहा, "सुधांशु सर ने फिजिक्स को आसान बना दिया है। पहले यह विषय डरावना लगता था, लेकिन अब मुझे इसमें मजा आता है।"

सुधांशु तिवारी जैसे शिक्षक समाज में बदलाव लाने की असली शक्ति हैं। उनका समर्पण और मेहनत न केवल छात्रों को शिक्षित कर रहा है, बल्कि उन्हें सपने देखने और उन्हें साकार करने का हौसला भी दे रहा है। सुल्तानपुर को सुधांशु तिवारी जैसे शिक्षकों पर गर्व है।

सुधांशु की सफलता उन सभी युवाओं के लिए एक संदेश है—बड़ा सोचें, मेहनत करें और खुद पर विश्वास रखें।


सुल्तानपुर जैसे छोटे शहरों में अक्सर बड़े सपनों के लिए संघर्ष की कहानियां सुनाई देती हैं, लेकिन यहां के पाठशाला कोचिंग के डायरेक्टर सुधांशु तिवारी ने इसे गलत साबित कर दिखाया। IIT-JAM जैसी प्रतिष्ठित परीक्षा में सफलता प्राप्त करने वाले सुधांशु आज न केवल खुद का नाम रोशन कर रहे हैं, बल्कि अपने अनूठे तरीके से 11वीं और 12वीं के छात्रों के बीच फिजिक्स की लोकप्रियता बढ़ा रहे हैं। पाठशाला कोचिंग के डायरेक्टर सुधांशु तिवारी आज कल विद्यार्थियों के बीच में छाए हुए हैं।

कौन हैं सुधांशु तिवारी?

सुधांशु तिवारी, सुल्तानपुर के एक प्रतिभाशाली युवा, जिनकी कहानी संघर्ष, मेहनत और जुनून से भरी हुई है। सीमित संसाधनों के बावजूद उन्होंने IIT-JAM में सफलता पाई और आज जिले के छात्रों के लिए प्रेरणा बन गए हैं। सुधांशु का मानना है कि शिक्षा केवल अंक लाने तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि यह छात्रों में विषय के प्रति गहरी समझ और रुचि विकसित करनी चाहिए।

फिजिक्स पढ़ाने की अनूठी शैली

सुधांशु का पढ़ाने का तरीका अन्य शिक्षकों से बिल्कुल अलग है। वे कठिन से कठिन सिद्धांतों को भी इतनी सरलता और रोचकता से समझाते हैं कि छात्र तुरंत विषय के प्रति आकर्षित हो जाते हैं।

1. व्यावहारिक उदाहरण: सुधांशु रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़े उदाहरणों का उपयोग करते हैं, जिससे छात्रों को फिजिक्स के सिद्धांत समझने में आसानी होती है।

2. छात्रों पर व्यक्तिगत ध्यान: हर छात्र की समझ के स्तर को ध्यान में रखते हुए वे पढ़ाते हैं, जिससे सभी को समान रूप से लाभ मिलता है।

3. मोटिवेशनल दृष्टिकोण: सुधांशु सिर्फ पढ़ाई तक सीमित नहीं रहते, वे छात्रों को प्रेरित करते हैं कि जीवन में बड़ा सोचें और साहस के साथ अपने लक्ष्यों को प्राप्त करें।

छात्रों के लिए रोल मॉडल

सुधांशु की पढ़ाई का असर उनके छात्रों के प्रदर्शन में साफ झलकता है। जिन छात्रों को पहले फिजिक्स कठिन लगता था, वे अब न केवल इसे आसानी से समझते हैं, बल्कि इसमें रुचि भी दिखाते हैं। सुधांशु के पढ़ाए कई छात्रों ने बोर्ड परीक्षाओं और प्रतियोगी परीक्षाओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है।

सुल्तानपुर के गौरव

सुधांशु तिवारी की कहानी यह साबित करती है कि प्रतिभा और समर्पण के साथ कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है। उन्होंने न केवल खुद को स्थापित किया है, बल्कि सुल्तानपुर को शिक्षा के क्षेत्र में एक नई पहचान दिलाई है।

अभिभावकों और छात्रों की प्रतिक्रिया

सुधांशु के पढ़ाने के तरीके को लेकर अभिभावक और छात्र बेहद प्रभावित हैं। एक छात्र ने कहा, "सुधांशु सर ने फिजिक्स को आसान बना दिया है। पहले यह विषय डरावना लगता था, लेकिन अब मुझे इसमें मजा आता है।"

सुधांशु तिवारी जैसे शिक्षक समाज में बदलाव लाने की असली शक्ति हैं। उनका समर्पण और मेहनत न केवल छात्रों को शिक्षित कर रहा है, बल्कि उन्हें सपने देखने और उन्हें साकार करने का हौसला भी दे रहा है। सुल्तानपुर को सुधांशु तिवारी जैसे शिक्षकों पर गर्व है।

सुधांशु की सफलता उन सभी युवाओं के लिए एक संदेश है—बड़ा सोचें, मेहनत करें और खुद पर विश्वास रखें।


 



उत्तराखंड। आयोध्या जिले के हलकरा के पुरवा निवासी मिंटू प्रधान के पुत्र ऋषभ दुबे का का उत्तराखंड राज्य की अंडर-19 क्रिकेट टीम से कूच विहार ट्रॉफी के लिए  चयन हुआ है। ऋषभ के इस उपलब्धि से उनके परिवार और शुभचिंतकों में खुशी की लहर दौड़ गई है। ऋषभ के पिता ने इस अवसर पर अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए कहा, "जब एक पुत्र पिता की आशाओं को पूरा करता है, तो यह प्रसन्नता पुत्र से अधिक पिता के लिए होती है। मैं आज इस पल को गर्व के साथ जी रहा हूं।"

ऋषभ दुबे के पिता ने अपने पुत्र को आशीर्वाद देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की। उन्होंने कहा कि हनुमान जी महाराज का आशीर्वाद ऋषभ के साथ है, और वह उम्मीद करते हैं कि ऋषभ न केवल राज्य का बल्कि देश का भी नाम रोशन करेंगे।

इस उपलब्धि पर परिवार, दोस्तों और क्रिकेट प्रशंसकों ने ऋषभ को बधाइयां दी हैं। उत्तराखंड क्रिकेट एसोसिएशन ने भी ऋषभ के चयन पर हर्ष व्यक्त किया और उनकी कड़ी मेहनत और लगन की सराहना की।

कूच विहार ट्रॉफी देश की प्रतिष्ठित क्रिकेट प्रतियोगिताओं में से एक है, और ऋषभ का चयन युवा प्रतिभाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है। क्रिकेट प्रेमियों को उम्मीद है कि ऋषभ अपनी टीम के लिए बेहतरीन प्रदर्शन करेंगे और उत्तराखंड का गौरव बढ़ाएंगे।


 


सुल्तानपुर : गुरुवार : शहर के डाकखाना चौराहे के पास खत्री पैथोलॉजी के सामने स्थित अतुल कॉम्प्लेक्स में डॉक्टर आयुष द्विवेदी की होम्योपैथिक क्लीनिक का भव्य शुभारंभ हुआ। वरिष्ठ अधिवक्ता राम प्रकाश द्विवेदी के ज्येष्ठ पुत्र डॉक्टर आयुष ने इस क्लीनिक के माध्यम से सुल्तानपुरवासियों को स्वास्थ्य सेवाओं की नई सुविधा उपलब्ध कराने का संकल्प लिया है।


इस अवसर पर डॉक्टर आयुष ने बताया कि होम्योपैथिक दवाएं न केवल बीमारी को जड़ से खत्म करती हैं, बल्कि शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को भी मजबूत बनाती हैं। उन्होंने कहा कि यह चिकित्सा पद्धति बिना किसी दुष्प्रभाव के रोगियों को स्वस्थ करती है और लंबे समय तक प्रभावी रहती है।


कार्यक्रम में डॉक्टर चंद्रशेखर पांडेय, डॉक्टर शशिधर त्रिपाठी, डॉक्टर धर्मेंद्र शुक्ल, सुनील श्रीवास्तव, राजेंद्र कुमार तिवारी जिला उपाध्यक्ष भाजपा (कि. मो.), मनोज ओझा, दीपक ओझा, अधिवक्ता हीरालाल गुप्ता और दरगाही सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे। इस दौरान वक्ताओं ने होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति की उपयोगिता पर प्रकाश डाला और डॉक्टर आयुष को शुभकामनाएं दीं।


शहरवासियों ने इस क्लीनिक को सुल्तानपुर के चिकित्सा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया। आयोजकों ने कहा कि क्लीनिक में आधुनिक सुविधाओं के साथ रोगियों को परामर्श और उपचार उपलब्ध कराया जाएगा।


डॉक्टर आयुष ने क्लीनिक के माध्यम से सुल्तानपुर में होम्योपैथिक चिकित्सा को बढ़ावा देने और लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने की प्रतिबद्धता जताई।


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अयोध्या:  अयोध्या के पावन धरा पर चल रही श्रीमद्भगवद कथा में जगतगुरु बाल योगी स्वामी राम प्रपन्नाचार्य जी महाराज ने श्रद्धालुओं के हृदय में भक्ति का दीप जलाया और उन्हें जीवन की सच्ची साधना की दिशा में प्रेरित किया। कथा के दौरान स्वामी जी ने अपने अमृतमय वचनों में यह महत्वपूर्ण संदेश दिया कि भगवान की सच्ची उपासना बाहरी कर्मकांडों से नहीं, बल्कि हमारे अपने जीवन में बुरी आदतों के त्याग और सदाचार के पालन से होती है। 

स्वामी जी ने कहा, "भजन का अर्थ केवल गाना गाने से नहीं है; भजन का सच्चा अर्थ तब है, जब हमारे कर्म और आचरण में शुद्धता आए। जो व्यक्ति अपनी बुरी आदतों का त्याग कर जीवन में पवित्रता लाता है, वही सच्चे भक्ति मार्ग पर होता है। यह भक्ति मार्ग हमें परमात्मा से जोड़ता है और आत्मिक संतोष प्रदान करता है।"

भक्ति और आचरण का संबंध

स्वामी राम प्रपन्नाचार्य जी महाराज ने अपने प्रवचनों में भक्ति और आचरण के संबंध को विस्तार से समझाया। उन्होंने कहा कि केवल मंदिरों में जाकर पूजा करना, भजन-कीर्तन करना या धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन करना तभी सार्थक है जब हम अपने भीतर व्याप्त दोषों, क्रोध, लोभ, और ईर्ष्या जैसे विकारों से स्वयं को मुक्त कर सकें। यह तभी संभव है जब हम अपनी बुरी आदतों को सुधारने की पहल करें और जीवन में सकारात्मकता का संचार करें।

बुरी आदतों को त्यागने का आह्वान

स्वामी जी ने बुरी आदतों को छोड़ने पर बल देते हुए बताया कि आज के समाज में भटकाव और नकारात्मकता का कारण व्यक्ति की अपने आचरण और आदतों में गिरावट है। उन्होंने कहा कि यदि हम अपने भीतर की नकारात्मकता, बुरी आदतें और विकारों को दूर कर सकें, तो ईश्वर से निकटता अपने आप प्राप्त हो जाएगी। स्वामी जी ने कहा, "ईश्वर किसी बाहरी साधना में नहीं, बल्कि हमारे अंतर्मन की पवित्रता में विराजमान हैं। इसलिए, अपने जीवन को सुधारना ही सच्ची भक्ति का मार्ग है।"

युवाओं को आत्म-सुधार का संदेश

इस अवसर पर स्वामी जी ने युवाओं को विशेष रूप से अपने आचरण को सुधारने और सत्कर्मों की ओर प्रवृत्त होने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी को अपनी आदतों और व्यवहार में सुधार लाना चाहिए ताकि वे समाज और राष्ट्र के निर्माण में सकारात्मक योगदान दे सकें। स्वामी जी ने युवाओं से आह्वान किया कि वे जीवन में आत्म-संयम का पालन करें, अपने कार्यों में सत्य और ईमानदारी को महत्व दें, और अपने आसपास के लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत बनें।

साधना और सच्ची भक्ति का महत्व

स्वामी राम प्रपन्नाचार्य जी ने भक्तों को साधना और सच्ची भक्ति का महत्व समझाते हुए कहा कि ईश्वर के प्रति प्रेम और भक्ति किसी बाहरी आडंबर से नहीं, बल्कि हमारे भीतर की पवित्रता और समर्पण से होती है। उन्होंने कहा, "साधना का अर्थ केवल जप, तप या तीर्थ यात्रा नहीं है; साधना का वास्तविक अर्थ है, अपने हृदय को शुद्ध रखना, अपने विचारों को निर्मल बनाना और सच्चाई के मार्ग पर चलना।"

श्रद्धालुओं पर गहरी छाप

कथा में उपस्थित हजारों श्रद्धालुओं ने स्वामी जी के इस अनमोल संदेश को अपने जीवन में उतारने का संकल्प लिया। उनकी वाणी ने श्रोताओं के हृदय को गहरे तक प्रभावित किया और उन्हें आत्म-संयम एवं सुधार की प्रेरणा दी। इस प्रेरणादायी प्रवचन के बाद, भक्तों में एक नई ऊर्जा और उत्साह का संचार हुआ, और वे भगवान के प्रति अपनी आस्था को और भी दृढ़ महसूस कर रहे थे।

इस प्रकार, अयोध्या में श्रीमद्भगवद कथा का यह पावन आयोजन श्रद्धालुओं के लिए न केवल एक धार्मिक अनुभव था, बल्कि एक आत्म-सुधार और आध्यात्मिक जागरण का मार्गदर्शक अवसर बन गया। स्वामी राम प्रपन्नाचार्य जी महाराज ने अपने वचनों से यह स्पष्ट किया कि सच्ची भक्ति बाहरी आडंबरों में नहीं, बल्कि हमारे अंदर के शुद्ध भावों और पवित्र आचरण में बसती है।

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दोस्तपुर: क़स्बा दोस्तपुर में मोतिगरपुर रोड पर जलजीवन मिशन की पाइप का गोदाम है, जिसमें शनिवार की शाम आग लग गयी| आग की लपटें इतनी भयावह और तेज थी कि हलियापुर बेलवाई मार्ग पर यातायात घंटों ठप हो गया|  इस हादसे में जलजीवन मिशन की 7-8 बंडल पाइप जलकर ख़ाक हो गयी| दोस्तपुर थाना की पुलिस फ़ोर्स,  नगर पंचायत के टैंकरों एवं स्थानीय लोगों की मदद से आग पर काबू पाया गया, वहीँ फायर ब्रिगेड सूचना के बावजूद देर से पहुंचा|

जलजीवन मिशन के एजीएम आशीष तिवारी ने बताया कि जिन पाइपों का नुकसान हुआ है उनकी कीमत लगभग एक लाख रुपये हैं इनसे लगभग दो किलोमीटर लम्बी पाइप लाइन डाली जा सकती थी| उन्होंने यह भी बताया कि घटना आस-पास के खेतों में पराली जलाने के कारण हुई हैं, इसके लिए वे एफआईआर भी दर्ज कार्यवायेगे|





सुल्तानपुर: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के कार्यालय में हाल ही में दीवाली की पूर्व संध्या पर पंच परिवर्तन पर आधारित एक आकर्षक रांगोली बनाई गई है, जो इस समय लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। सहायक अध्यापक हरीश द्वारा बनाई गई यह रांगोली अपने सुंदर रंगों और डिज़ाइन के कारण सभी को आकर्षित कर रही है।

इस रंगोली में पंच परिवर्तन के पाँचों सिद्धांतों को रंग-बिरंगे फूलों और प्रतीकों के माध्यम से दर्शाया गया है, जिसमें स्व का बोध, नागरिक कर्तव्य, पर्यावरण, सामाजिक समरसता, और कुटुम्ब प्रबोधन शामिल हैं। हरीश की कलाकारी ने इस रांगोली को और भी आकर्षक बना दिया है, जिससे यह स्थानीय निवासियों के बीच चर्चा का विषय बन गई है।

इसके अलावा, दूसरी रांगोली में लोकमाता अहिल्या बाई होलकर की 300वीं जयंती के अवसर पर भी एक विशेष स्थान दिया गया है। अहिल्या बाई ने अपने शासनकाल में कई मंदिरों का जीर्णोद्धार किया और समाज में महिला सशक्तिकरण का प्रतीक बनीं। उनकी महिमा को दर्शाने के लिए इस रांगोली में उनके चित्र और प्रतीक शामिल किए गए हैं, जो उनकी योगदान को सम्मानित करते हैं।

स्थानीय लोगों ने इस रांगोली की भरपूर सराहना की है और इसे देखकर रुककर इसकी प्रशंसा कर रहे हैं। एक स्थानीय निवासी ने कहा, "यह रांगोली न केवल सुंदर है, बल्कि यह हमारे समाज में संघ के विचारों और लोकमाता अहिल्या बाई के योगदान के प्रति जागरूकता भी फैला रही है।"

हरीश ने अपनी इस रांगोली के माध्यम से संघ के विचारों को जन-जन तक पहुँचाने का एक सुंदर प्रयास किया है। दीवाली के अवसर पर संघ कार्यालय में इस विशेष रांगोली ने सभी को आकर्षित किया है और सकारात्मकता का संदेश फैलाने में सफल रही है। यह रांगोली न केवल पर्व की खुशियों को बढ़ाती है, बल्कि समाज में एकता और सद्भावना का भी प्रतीक है।

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