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Last Updated: Mon, 20 July 2020; 08:40:00 AM
भगवान शिव की अराधना को समर्पित सावन के पवित्र माह में सावन सोमवार व अमावस्या के जलाभिषेक का विशेष महत्व है। लेकिन अमावस्या यदि सोमवार को हो यानी सोमवती अमावस्या हो तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। इस बार दशकों बाद सावन के तीसरे सोमवार को विशेष मुहूर्त में 20 जुलाई को सोमवती अमावस्या पड़ रही है। कहा जाता है कि 20 साल पहले ऐसा शुभ संयोग बना था।
सोवमती अमावस्या के दिन भगवान शिव, पार्वती, गणेजी और कार्तिकेय की पूजा की जाती है। अमावस्या को महिलाएं तुलसी अथवा पीपल के पेड़ की 108 परिक्रमा भी करती हैं। कई इलाकों पर अमावस्या के दिन पितर देवताओं की पूजा करने और श्राद्ध करने की भी परंपरा है। मान्यता है कि इससे अज्ञात तिथि पर स्वर्गलोकवासी हुए पूर्वजों को मुक्ति मिलती है।
सोमवती अमावस्या पूजा विधि-
इस दिन गंगा जल से स्नान करें। सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद पितरों के निमित्त तर्पण करें। श्रावणी अमावस्या का उपवास करें एवं किसी गरीब को दान-दक्षिणा दें। श्रावणी अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा का विधान है। इस दिन पीपल, बरगद, केला, नींबू अथवा तुलसी का वृक्षारोपण जरूर करें। किसी नदी या तालाब में जाकर मछली को आटे की गोलियां खिलाएं। अपने घर के पास चींटियों को चीनी या सूखा आटा खिलाएं।
सोमवती अमावस्या तिथि मुहूर्त-
अमावस्या तिथि प्रारम्भ - 20 जुलाई 2020 को 12:10AM से
अमावस्या तिथि समाप्त - 20 जुलाई 2020 को 11:02PM तक
कोरोना संकट के बीच सामाजिक दूरी का पालन करें-
कोरोना संकट देखते हुए प्रकाश न्यूज़ ऑफ़ इंडिया अपने पाठकों को सलाह है कि आपके इलाके में मंदिर खुले हों तो वहां फेसमास्क लगाकर जाएं और सामाजिक दूरी का पालन पालन करें। अपने पास हैंड सैनिटाइजर रखें और किसी भी सतह को छूने से परहेज करें। मंदिर में भीड़भाड़ का माहौल हो तो घर में पूजा करें।
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