देश का बल बजरंगदल : उमाकांत (विभाग संगठन मंत्री)

News Sultanpur

 

फ़ाइल फोटो

सुल्तानपुर : बजरंग दल की स्थापना 8 दिवस के अवसर पर विभाग संगठन मंत्री उमाकांत विहिप/बजरंग दल ने बजरंगियों को संबोधित करते हुए कहा कि बजरंग दल की स्थापना 8 अक्टुबर 1984 को अयोध्या में हुई। ‘‘श्रीराम जानकी रथ यात्रा’’ अयोध्या से प्रस्थान के समय तत्कालीन सरकार ने सुरक्षा देने से मना कर दिया उस समय संतो के आवाहन पर विश्व हिन्दू परिषद द्वारा वहां उपस्थिति युवाओं को यात्रा की सुरक्षा का दायित्व दिया। श्रीराम के कार्य के लिए हनुमान सदा उपस्थित रहे है। उसी प्रकार आज के युग में श्रीराम के कार्य के लिए यह बजरंगियों की टोली ‘‘बजरंग दल’’ के रूप में कार्य करेगी ऎसा तय हुआ।देश भर के युवा राष्ट्र और धर्म के कार्य के लिये आतुर थे माने वह प्रतीक्षा ही कर रहे थे, जैसे ही अवसर आया सम्पूर्ण देश की राष्ट्रभक्ति तरूणाई बजरंगदल के रूप में प्रकट हो गयी।

बजरंगदल के कार्य के विषय में बताते हुए संगठन मंत्री उमाकांत ने बताया कि बजरंगदल का संगठन किसी के विरोध में नही बल्कि हिन्दूओं को चुनोती देने वाले असमाजिक तत्वों से रक्षा के लिये हुआ। श्रीराम जन्मभूमि आन्दोलन के विभिन्न चरणों की घोषणा होती रही और बजरंगदल उस अभियान को सफलता पूर्वक करता गया। रामशिला पूजन, चरण पादुका पूजन, राम ज्योति यात्रा, कारसेवा, शिलान्यास आदि।

 राष्ट्र विरोधी एवम् हिंदू विरोधी ताकतों को सचेत करते हुए संगठन मंत्री उमाकांत ने तीखे शब्दों में कहा कि 30 अक्टूबर, 02 नवम्बर 1990 की कारसेवा का दृश्य यह प्रकट करता है कि हिन्दू युवा हिन्दूमान विन्दुओं का अपमान नही सह सकता चाहे कितना भी बलिदान देना पड़े। अनेक बजरंगदल के कार्यकर्ताओं का बलिदान 1990 की कारसेवा में हुआ। लेकिन बजरंगदल अधिक प्रभावी और सक्रियता से आन्दोलन में भूमिका निर्वाह करने लगा। अपने देश में हिन्दुओं की इस दशा पर सम्पूर्ण देश आक्रोशित हुआ।परिणाम स्वरूप शौर्य का 1992 की कारसेवा में सम्पूर्ण हिन्दू समाज का आक्रोश प्रकट हुआ, और इतिहास बन गया। आज देश भर में बजरंगदल सक्रिय है।


हिन्दू धर्म, हिन्दू मानबिन्दुओं की रक्षा, शाश्वत हिन्दू जीवन मूल्यों का संरक्षण राष्ट्रीय सुरक्षा के उद्देश्य को लेकर एक सशक्त युवाओं की टोली बजरंगदल के रूप में कार्य कर रही है।

श्रीराम के कार्य के लिए जन्मे श्रीराम के कार्य में अवरत प्रयास रत है। ‘‘सेवा सुरक्षा संस्कार’’ के कार्य का आधार बना कर ‘‘जयकारा वीर बजरंगे-हर हर महादेव’’ उद्बोध के साथ बढ़ते जा रहे हैं।

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