October 2019

26अक्टूबर2019







सुल्तानपुर/कादीपुर: के विजेथुआ महावीरन धाम पर 51 हजार दीपोत्सव का आयोजन किया गया। जिसमें बतौर मुख्य अतिथि के रूप में भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रेम शंकर शुक्ला शामिल होने पहुंचे। इस दौरान आरती और भजन का भी आयोजन किया गया। विदित हो अयोध्या में पांच लाख दीपोत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया गया था इसी कड़ी में सुल्तानपुर के सूरापुर स्थित बिजेथुआ महावीरन धाम में 51 हजार दीपोत्सव का आयोजन किया गया।जहां देर शाम मकरी कुंड में 51 हजार दीप प्रज्वलित किए गए ये आयोजन भाजपा के प्रदेश महामंत्री सर्वेश मिश्रा (पूर्वांचल प्रकोष्ठ हरियाणा)के नेतृत्व में किया गया।


कार्यक्रम का संचालन कर रहे भाजपा के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य शिवकांत मिश्रा ने आगंतुक विशिष्ट अतिथि एवम मुख्य अतिथियो का परिचय कराया। कार्यक्रम की सुरुआत अंजीनी लला हनुमानजी जी के पुष्पार्जन एवं द्विपार्जन से हुआ।
वही इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रेम शंकर शुक्ला शामिल होने पहुंचे। जहां राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रेम शंकर शुक्ला का माल्यार्पण कर उन्हें साल, स्मृति चिन्ह, और बजरंग बली हनुमान जी का गदा आयोजक सर्वेश मिश्रा द्वारा भेंट किया गया जिसके बाद काशी के ज्योतिषाचार्य आचार्य विनय शास्त्री एवम उनके शिष्यों के द्वारा काशी के गंगा आरती के तर्ज पर आरती की गई।

कार्यक्रम की तैयारी की झलक
 अपने उदबोधन में विशिष्ट अतिथि भाजपा राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रेम शुक्ला ने बताया कि अयोध्य वह स्थान है जहां कालिनेमि का वध किया गया था।कालिनेमि का उल्लेख रामचरित मानस के लंका कांड में है।लक्ष्मण जब मेघनाथ द्वारा मारे गए शक्तिबाण से मूर्च्छित हो जाते हैं तो हनुमानजी सुषेन वैद्य की सलाह पर धौलागिरी की ओर संजीवनी बूटी लाने के लिए प्रस्थान करते हैं। रावण द्वारा भेजा गया मुनि वेशधारी कालिनेमि राक्षस हनुमानजी का मार्ग अवरुद्ध करता है। कालिनेमि रचित सरोवर आश्रम को देख हनुमानजी की जल पीने की इच्छा हुई। हनुमानजी के सरोवर में प्रवेश करते ही अभिशापित अप्सरा मकरी के रूप में, ने उनका पैर पकड़ लिया। मकड़ी ने कालिनेमि का रहस्य बताते हुए हनुमानजी से कहा,  मुनि न होई यह निशिचर घोरा। मानहुं सत्य बचन कपि मोरा।।’  ऐसा कहकर मकड़ी लुप्त हो गई। और हनुमान जी मायावी राछस कालनेमि का वध कर संजीवनी बूटी लाने चले गए।यही कालिनेमि रचित सरोवर बिजेथुआ महाबीरन के रूप में प्रसिद्ध हुआ।
उन्होंने यह भी बताया कि जब हम लोग छोटे छोटे थे तो अपनी माता जी के साथ मानता पूरा करने के लिये यहाँ आते थे।विशिष्ट अतिथि प्रेम शुक्ला द्वारा बीच बीच मे अवधी भाषा का प्रयोग करना अये हुये हजारों भक्त जनों का मन मोह लिया।
हनुमान जी का दर्शन करते भाजपा राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रेम शुक्ला

       इनसेट 
क्या कहते है आयोजक सर्वेश मिश्रा?
कार्यक्रम के आयोजन के सापेक्ष मिडिया से बातचीत में आयोजक BMS ग्रुप के चेयरमैन,भाजपा के प्रदेश महामंत्री(पूर्वांचल प्रकोष्ठ हरियाणा) सर्वेश मिश्रा ने बताय कि जिस तरह पुत्र के पराक्रम से पिता आनंदित होता है, शिष्य से पराभूत होने में गुरु गौरव का अनुभव करते हैं, उसी तरह भक्त की महिमा वृद्धि में प्रभु प्रसन्नता का अनुभव करते हैं।रामचरित मानस का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि हनुमान जी माता सीता जी की शोध करके जब वापस आए तब श्री राम कहते हैं- 'हनुमान! तेरे मुझ पर अगणित उपकार हैं, इसके लिए मेरे एक-एक प्राण निकालकर दूँगा तो भी कम होगा क्योंकि तेरा प्रेम मेरे लिए पंचप्राणों से भी अधिक है, इसलिए मैं तुझे सिर्फ आलिंगन ही देता हूँ-  'एकैकस्योपकारस्य प्राणान्‌ दास्यामि ते कपे।'  राम कहते हैं कि हनुमान ने ऐसा दुष्कर कार्य किया है कि लोग जिसे स्वप्न में भी नहीं कर सकते।ऐसे में परम् भक्त अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता हनुमानजी के जन्मोत्सव के बीना अयोध्या में मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्री राम जी के आगमन का द्वीपोत्सव अधूरा है, इसीलिए इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। 

वहीं इस आयोजन में कादीपुर विधायक राजेश गौतम, सदर विधायक प्रतिनिधि रूपेश सिंह, जिला अध्यक्ष जगजीत सिंह छंगू, पूर्व जिला अध्यक्ष करुणा शंकर मिश्रा, वरिष्ठ सर्जन समाजसेवी डॉ ए के सिंह,संजय सिंह त्रिलोकचंदी, संदीप अग्रहरी,डॉक्टर अरुण कुमार सिंह,जीवन द्वीप राय,राजीव तिवारी, शिवकांत मिश्रा,सुनील श्रीवास्तव, अनिल पाण्डेय, शेषमणि मौर्य, शुभम सिंह,विनोद पांडेय, समेत हजारों की संख्या में संभ्रांत लोग मौजूद रहे।
इस पूरे कार्यक्रम में जहाँ हजारों की संख्या में हनुमानजी के भक्तों का जमावड़ा लगा था वही कादीपुर के कोतवाल द्वार बहुत ही सूझ बूझ से पूरे व्यवस्था को संभाला गया जिससे कार्यक्रम पूरी तरह से सफल रहा।



दीपावली:पर्व को मनाने से संबंधित वैसे तो अनेकों कथाएं मिलती हैं। जिनमें सबसे ज्यादा प्रचलित है भगवान राम की इस दिन घर वापसी होना। दिवाली के दिन राम दरबार के साथ माता लक्ष्मी और गणेश जी की भी पूजा की जाती है।

 दीपों का त्योहार दीपावली कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। जो इस बार 27 अक्टूबर को है। इस पर्व को मनाने से संबंधित वैसे तो अनेकों कथाएं मिलती हैं। जिनमें सबसे ज्यादा प्रचलित है भगवान राम की इस दिन घर वापसी होना। दिवाली के दिन राम दरबार के साथ माता लक्ष्मी और गणेश जी की भी पूजा की जाती है। दिवाली पूजन प्रदोषकाल में किया जाता है

           दिवाली पूजन मुहूर्त
दिवाली लक्ष्मी पूजा रविवार, अक्टूबर 27, 2019 पर
पूजा मुहूर्त – 06:43 पी एम से 08:15 पी एम

आवधि – 01 घण्टा 32 मिनट्सप्रदोष काल – 05:41 पी एम से 08:15 पी एम
वृषभ काल – 06:43 पी एम से 08:39 पी एम
अमावस्या तिथि प्रारम्भ – अक्टूबर 27, 2019 को 12:23 पी एम बजे
अमावस्या तिथि समाप्त – अक्टूबर 28, 2019 को 09:08 ए एम बजे
पूजन में सर्वप्रथम स्वस्तिवाचन, कलशपूजन, संकल्प लेकर श्रीगणेश, महालक्ष्मी, ऋद्धि-सिद्धि, इन्द्र, वरूण, कुबेरभण्डारी, शक्तियों सहित  ब्रह्मा, विष्णु, महेश, कुलदेवता, स्थानदेवता, सूर्यादि समस्त ग्रह नक्षत्र की पूजा अर्चना करें। लक्ष्मी तथा कुबेर के मंत्रों का यथा शक्ति जप करेें। पूजा के पश्चात् लक्ष्मी जी की आरती, मंत्र पुष्पांजली तथा क्षमा प्रार्थना करें। बड़़ों का आशीर्वाद लें। छोटों को भेंट-उपहार दें।




सुल्तानपुर: नगर के कादीपुर तहसील मे स्थित पौराणिक स्थल विजेथुआ महावीरन मे दीपावली की पूर्व संध्या यानी 26 अक्टूबर को सायं 3:00 बजे से येतिहासिक हनुमान जन्मोत्सव का आयोजन किया जाना है। इस ऐतिहासिक कार्यक्रम मे अंजनी लला की आरती 51 हजार द्वीपो से काशी के तर्ज पर गंगा आरती के साथ-साथ भव्य भजन संध्या का आयोजन होना सुनिश्चित हुआ है।
BMS ग्रुप के डायरेक्टर और भा•ज•पा के प्रदेश महामंत्री (पूर्वान्चल प्रकोष्ट हरियाणा) और कर्यक्रम के आयोजक सर्वेश मिश्रा ने टेलीभोनिक वार्ता मे बताया की कार्यक्रम मे होने वाली हजारो की संख्या के लिए सारी तैयारी युद्ध स्तर पर है।

आइये जानते है विजेथुआ महावीरन के बारे मे

 सुल्तानपु: सुल्तानपुर में एक ऐसी जगह है जहां की मान्यता है कि इसी स्थान पर हनुमान जी ने राक्षस कालनेमि का वध किया था। यह जगह आज एक सिद्ध पीठ के रूप में मशहूर है। इस प्रसिद्ध मंदिर के बारे में ये भी मान्यता है कि यहां मांगी गई हर मुराद पूरी होती है। यहां वो तालाब भी है जहां हनुमान जी ने कालनेमि के वध से पहले स्नान किया था। यहां दूर-दूर से लोग दर्शन करने के लिए आते हैं। जिले की कादीपुर तहसील में विजेथुवा महावीरन नाम से हनुमान जी का मंदिर रामभक्ति और वीरता का प्रतीक है। पुराणों में उल्लेख है कि इसी स्थान पर हनुमान जी ने कालनेमि राक्षस का वध किया था।
  जमीन में धंसा मूर्ति का एक पैर
मंदिर प्रागण मे स्थित हनुमान जी की प्रतिमा

मंदिर में स्थित हनुमान जी की मूर्ती इस मंदिर की प्राचीनता का प्रमाण है। मूर्ति का एक पैर जमीन में धंसा हुआ है, जिसकी वजह से मूर्ति थोड़ी तिरछी है।
पुरातत्व विभाग ने मूर्ति की प्राचीनता जांचने और पुजारियों ने मूर्ति को सीधा करने के लिए उसकी खुदाई शुरू कराई। लेकिन 100 फिट से अधिक खुदाई कराने के बाद भी मूर्ति के पैर का दूसरा सिरा नही मिला। जिसके बाद इस मंदिर को चमत्कारी माना जाने लगा।

  कालनेमि ने यहीं रोका था हनुमानजी का रास्ता

रामायण में इस स्थान का जिक्र है कि जब श्रीराम और रावण के बीच चल रहे युद्ध में लक्ष्मण जी को बाण लगा और वो मूर्छित हो गए तो वैद्यराज सुषेण के कहने पर हनुमान जी संजीवनी बूटी लाने के लिए हिमालय की तरफ चले।
हनुमान जी संजीवनी बूटी लाने में असफल हो जाएं इसके लिए रावण ने अपने एक मायावी राक्षस कालनेमि को भेजा, ताकि वो रास्ते में ही हनुमान जी का वध कर दे।
कालनेमि मायावी था और उसने एक साधु का वेश धारण कर रास्ते में राम-राम का जाप करना शुरू कर दिया। थके-हारे हनुमान जी राम-राम धुन सुन कर वहीं रुक गए।।

यहां हनुमान जी ने किया था पोखर मे स्नान
                प्रागण मे स्थित पोखर मकडी कुड
रामायण के अनुसार साधू के वेश में कालनेमि ने हनुमान जी से उनके आश्रम में रुक कर आराम करने का आग्रह किया। हनुमान जी उसकी बात में आ गए और उसके आश्रम में चले गए।उसने हनुमान जी से आग्रह किया कि वह पहले स्नान कर लें उसके बाद भोजन की व्यवस्था की जाए। हनुमान जी स्नान के लिए तालाब में गए ।

यहां हनुमान जी ने किया था कालनेमि का वध...

 जब हनुमान जी इस मकरी कुंड में स्नान कर रहे थे तो कहते हैं कि कालनेमि मगरमच्छ का रूप धारण कर इस कुंड में घुस आया और हनुमान जी को खा जाना चाहा।
हनुमान जी से उसका भीषण युद्ध हुआ और हनुमान जी ने इसी कुंड में उसका वध कर दिया। कालनेमि के वध के बाद हनुमान जी सीधे संजीवनी लेने हिमालय की ओर चले गये ।

आज भी मौजूद है पोखर मकडी कुड



जिस तालाब में हनुमान जी ने स्नान किया था वो आज भी मौजूद है। आज इस तालाब का नाम मकरी कुंड है। लोग मंदिर में दर्शन करने के पूर्व इस कुंड में स्नान करते हैं।बताया जाता है कि इस कुंड में स्नान करने से लोगों के पाप कम हो जाते हैं।

शोभा यात्रा का दृश्य
सुल्तानपुर: रविवार 6अक्टूबर2019
विश्वहिंदू परिषद के बैनर तले रविवार को रमलीला मैदान विद्यालय से दुर्गा वाहिनी की शाेभा यात्रा निकाली गई।   शोभायात्रा शहर के विभिन्न मार्गो जैसे ठठेरी बाजार, सब्जी मंडी,बसस्टैण्ड,पंचमौखी चौराहा शाहगंजचौराहे का परिभ्रण कर वापस विद्यालय पहुंची । शोभायात्रा का नगर के लोगों ने स्वागत किया। इस दौरान दुर्गा वाहिनी की सदस्यों ने शस्त्र पूजन दुर्गा चालिसा का पाठ किया।

आदि शक्ति मा दुर्गा का पूजन करती दुर्गा वाहिनी की मातृ शक्ति
कार्यक्रम का प्रारम्भ आदि शक्ति मा दुर्गा जी के पूजन एवम् दुर्गा चालिसा पाठ से प्रारम्भ हुआ। इस मौके पर जिला संयोजिका प्रीती उपाध्याय ने बताया कि दुर्गा वाहिनी की स्थापना 1984 में हुई था। यह विश्व हिंदू परिषद का एक विंग है। इसके माध्यम से हिंदू बहनों को एकत्रित किया जाता है।  सभी बहनें और माताएं मां दुर्गा का रूप होती हैं। किसी भी कार्य को करने से पहले मां का आशीर्वाद अवश्य लेना चाहिए। इस यात्रा से लोगों को यह संदेश दिया गया है कि महिलाएं भी आज पुरूषों की अपेक्षा कहीं आगे है। दुर्गा का दूसरा रूप माताएं होती है। नवरात्र के अवसर पर नौ दिनों का अखंड पाठ किया जाता है और नवमी के दिन 11 महिलाओं को मां दुर्गा समझ कर पांव धोकर प्रसाद दिया जाता है और आशीर्वाद लिया जाता है। 


  शोभा यात्रा का स्वागत करते प्रान्तीय सुरक्षा प्रमुख
कार्यक्रम की इस मधुरिम बेला मे शुभनारायन वीएचपी प्रान्त अध्यक्ष काशी प्रान्त, एडवोकेट नागेन्द्र सिह वीएचपी जिला अध्यक्ष, उमाकान्त वीएचपी विभाग संगठन मंन्त्री,आन्नद प्रकाश शुक्ला वीएचपी प्रान्त सुरक्षा प्रमुख,दुर्गा वाहिनी जिला संयोजिका प्रीती उपाध्याय संजय तिवारी, सौरभ पाण्डेय 'मुनी',सुशील सिह ,रमेश दूबे, गोपाल,डा शिव जी,अनुराग उपाध्याय,प्राशान्त गौरव,नरेन्द्र जायसवाल,राजेश्वर सिह समेत सैकडो की संख्या मे मातृ शक्ति समेत हिन्दू जनमानस उपस्थित रहा । उक्त जानकारी विहीप मीडिया प्रभारी शुभम तिवारी ने दी।

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