पौराणिक स्थल विजेथुआ धाम मे 26 अक्टूबर को मनाया जायेगा हनुमान जन्मोत्सव, इक्यावन हजार द्वीपो से होगी अंजनी लला की आरती :सर्वेश मिश्रा




सुल्तानपुर: नगर के कादीपुर तहसील मे स्थित पौराणिक स्थल विजेथुआ महावीरन मे दीपावली की पूर्व संध्या यानी 26 अक्टूबर को सायं 3:00 बजे से येतिहासिक हनुमान जन्मोत्सव का आयोजन किया जाना है। इस ऐतिहासिक कार्यक्रम मे अंजनी लला की आरती 51 हजार द्वीपो से काशी के तर्ज पर गंगा आरती के साथ-साथ भव्य भजन संध्या का आयोजन होना सुनिश्चित हुआ है।
BMS ग्रुप के डायरेक्टर और भा•ज•पा के प्रदेश महामंत्री (पूर्वान्चल प्रकोष्ट हरियाणा) और कर्यक्रम के आयोजक सर्वेश मिश्रा ने टेलीभोनिक वार्ता मे बताया की कार्यक्रम मे होने वाली हजारो की संख्या के लिए सारी तैयारी युद्ध स्तर पर है।

आइये जानते है विजेथुआ महावीरन के बारे मे

 सुल्तानपु: सुल्तानपुर में एक ऐसी जगह है जहां की मान्यता है कि इसी स्थान पर हनुमान जी ने राक्षस कालनेमि का वध किया था। यह जगह आज एक सिद्ध पीठ के रूप में मशहूर है। इस प्रसिद्ध मंदिर के बारे में ये भी मान्यता है कि यहां मांगी गई हर मुराद पूरी होती है। यहां वो तालाब भी है जहां हनुमान जी ने कालनेमि के वध से पहले स्नान किया था। यहां दूर-दूर से लोग दर्शन करने के लिए आते हैं। जिले की कादीपुर तहसील में विजेथुवा महावीरन नाम से हनुमान जी का मंदिर रामभक्ति और वीरता का प्रतीक है। पुराणों में उल्लेख है कि इसी स्थान पर हनुमान जी ने कालनेमि राक्षस का वध किया था।
  जमीन में धंसा मूर्ति का एक पैर
मंदिर प्रागण मे स्थित हनुमान जी की प्रतिमा

मंदिर में स्थित हनुमान जी की मूर्ती इस मंदिर की प्राचीनता का प्रमाण है। मूर्ति का एक पैर जमीन में धंसा हुआ है, जिसकी वजह से मूर्ति थोड़ी तिरछी है।
पुरातत्व विभाग ने मूर्ति की प्राचीनता जांचने और पुजारियों ने मूर्ति को सीधा करने के लिए उसकी खुदाई शुरू कराई। लेकिन 100 फिट से अधिक खुदाई कराने के बाद भी मूर्ति के पैर का दूसरा सिरा नही मिला। जिसके बाद इस मंदिर को चमत्कारी माना जाने लगा।

  कालनेमि ने यहीं रोका था हनुमानजी का रास्ता

रामायण में इस स्थान का जिक्र है कि जब श्रीराम और रावण के बीच चल रहे युद्ध में लक्ष्मण जी को बाण लगा और वो मूर्छित हो गए तो वैद्यराज सुषेण के कहने पर हनुमान जी संजीवनी बूटी लाने के लिए हिमालय की तरफ चले।
हनुमान जी संजीवनी बूटी लाने में असफल हो जाएं इसके लिए रावण ने अपने एक मायावी राक्षस कालनेमि को भेजा, ताकि वो रास्ते में ही हनुमान जी का वध कर दे।
कालनेमि मायावी था और उसने एक साधु का वेश धारण कर रास्ते में राम-राम का जाप करना शुरू कर दिया। थके-हारे हनुमान जी राम-राम धुन सुन कर वहीं रुक गए।।

यहां हनुमान जी ने किया था पोखर मे स्नान
                प्रागण मे स्थित पोखर मकडी कुड
रामायण के अनुसार साधू के वेश में कालनेमि ने हनुमान जी से उनके आश्रम में रुक कर आराम करने का आग्रह किया। हनुमान जी उसकी बात में आ गए और उसके आश्रम में चले गए।उसने हनुमान जी से आग्रह किया कि वह पहले स्नान कर लें उसके बाद भोजन की व्यवस्था की जाए। हनुमान जी स्नान के लिए तालाब में गए ।

यहां हनुमान जी ने किया था कालनेमि का वध...

 जब हनुमान जी इस मकरी कुंड में स्नान कर रहे थे तो कहते हैं कि कालनेमि मगरमच्छ का रूप धारण कर इस कुंड में घुस आया और हनुमान जी को खा जाना चाहा।
हनुमान जी से उसका भीषण युद्ध हुआ और हनुमान जी ने इसी कुंड में उसका वध कर दिया। कालनेमि के वध के बाद हनुमान जी सीधे संजीवनी लेने हिमालय की ओर चले गये ।

आज भी मौजूद है पोखर मकडी कुड



जिस तालाब में हनुमान जी ने स्नान किया था वो आज भी मौजूद है। आज इस तालाब का नाम मकरी कुंड है। लोग मंदिर में दर्शन करने के पूर्व इस कुंड में स्नान करते हैं।बताया जाता है कि इस कुंड में स्नान करने से लोगों के पाप कम हो जाते हैं।

Post a Comment

ज्योतिष

[ज्योतिष][carousel1 autoplay]

अपना सुलतानपुर

[अपना सुलतानपुर][carousel1 autoplay]

दि अन्नदाता

[दि अन्नदाता][carousel1 autoplay]

टेक्नोलॉजी

[टेक्नोलॉजी][carousel1 autoplay]

देश

[देश][carousel1 autoplay]

प्रदेश

[प्रदेश][carousel1 autoplay]

कारोबार

[कारोबार][carousel1 autoplay]

खेल समाचार

[खेल समाचार][carousel1 autoplay]
[blogger]

MKRdezign

Contact Form

Name

Email *

Message *

Powered by Blogger.
Javascript DisablePlease Enable Javascript To See All Widget