December 2024

 

सुल्तानपुर जैसे छोटे शहरों में अक्सर बड़े सपनों के लिए संघर्ष की कहानियां सुनाई देती हैं, लेकिन यहां के पाठशाला कोचिंग के डायरेक्टर सुधांशु तिवारी ने इसे गलत साबित कर दिखाया। IIT-JAM जैसी प्रतिष्ठित परीक्षा में सफलता प्राप्त करने वाले सुधांशु आज न केवल खुद का नाम रोशन कर रहे हैं, बल्कि अपने अनूठे तरीके से 11वीं और 12वीं के छात्रों के बीच फिजिक्स की लोकप्रियता बढ़ा रहे हैं। पाठशाला कोचिंग के डायरेक्टर सुधांशु तिवारी आज कल विद्यार्थियों के बीच में छाए हुए हैं।

कौन हैं सुधांशु तिवारी?

सुधांशु तिवारी, सुल्तानपुर के एक प्रतिभाशाली युवा, जिनकी कहानी संघर्ष, मेहनत और जुनून से भरी हुई है। सीमित संसाधनों के बावजूद उन्होंने IIT-JAM में सफलता पाई और आज जिले के छात्रों के लिए प्रेरणा बन गए हैं। सुधांशु का मानना है कि शिक्षा केवल अंक लाने तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि यह छात्रों में विषय के प्रति गहरी समझ और रुचि विकसित करनी चाहिए।

फिजिक्स पढ़ाने की अनूठी शैली

सुधांशु का पढ़ाने का तरीका अन्य शिक्षकों से बिल्कुल अलग है। वे कठिन से कठिन सिद्धांतों को भी इतनी सरलता और रोचकता से समझाते हैं कि छात्र तुरंत विषय के प्रति आकर्षित हो जाते हैं।

1. व्यावहारिक उदाहरण: सुधांशु रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़े उदाहरणों का उपयोग करते हैं, जिससे छात्रों को फिजिक्स के सिद्धांत समझने में आसानी होती है।

2. छात्रों पर व्यक्तिगत ध्यान: हर छात्र की समझ के स्तर को ध्यान में रखते हुए वे पढ़ाते हैं, जिससे सभी को समान रूप से लाभ मिलता है।

3. मोटिवेशनल दृष्टिकोण: सुधांशु सिर्फ पढ़ाई तक सीमित नहीं रहते, वे छात्रों को प्रेरित करते हैं कि जीवन में बड़ा सोचें और साहस के साथ अपने लक्ष्यों को प्राप्त करें।

छात्रों के लिए रोल मॉडल

सुधांशु की पढ़ाई का असर उनके छात्रों के प्रदर्शन में साफ झलकता है। जिन छात्रों को पहले फिजिक्स कठिन लगता था, वे अब न केवल इसे आसानी से समझते हैं, बल्कि इसमें रुचि भी दिखाते हैं। सुधांशु के पढ़ाए कई छात्रों ने बोर्ड परीक्षाओं और प्रतियोगी परीक्षाओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है।

सुल्तानपुर के गौरव

सुधांशु तिवारी की कहानी यह साबित करती है कि प्रतिभा और समर्पण के साथ कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है। उन्होंने न केवल खुद को स्थापित किया है, बल्कि सुल्तानपुर को शिक्षा के क्षेत्र में एक नई पहचान दिलाई है।

अभिभावकों और छात्रों की प्रतिक्रिया

सुधांशु के पढ़ाने के तरीके को लेकर अभिभावक और छात्र बेहद प्रभावित हैं। एक छात्र ने कहा, "सुधांशु सर ने फिजिक्स को आसान बना दिया है। पहले यह विषय डरावना लगता था, लेकिन अब मुझे इसमें मजा आता है।"

सुधांशु तिवारी जैसे शिक्षक समाज में बदलाव लाने की असली शक्ति हैं। उनका समर्पण और मेहनत न केवल छात्रों को शिक्षित कर रहा है, बल्कि उन्हें सपने देखने और उन्हें साकार करने का हौसला भी दे रहा है। सुल्तानपुर को सुधांशु तिवारी जैसे शिक्षकों पर गर्व है।

सुधांशु की सफलता उन सभी युवाओं के लिए एक संदेश है—बड़ा सोचें, मेहनत करें और खुद पर विश्वास रखें।


सुल्तानपुर जैसे छोटे शहरों में अक्सर बड़े सपनों के लिए संघर्ष की कहानियां सुनाई देती हैं, लेकिन यहां के पाठशाला कोचिंग के डायरेक्टर सुधांशु तिवारी ने इसे गलत साबित कर दिखाया। IIT-JAM जैसी प्रतिष्ठित परीक्षा में सफलता प्राप्त करने वाले सुधांशु आज न केवल खुद का नाम रोशन कर रहे हैं, बल्कि अपने अनूठे तरीके से 11वीं और 12वीं के छात्रों के बीच फिजिक्स की लोकप्रियता बढ़ा रहे हैं। पाठशाला कोचिंग के डायरेक्टर सुधांशु तिवारी आज कल विद्यार्थियों के बीच में छाए हुए हैं।

कौन हैं सुधांशु तिवारी?

सुधांशु तिवारी, सुल्तानपुर के एक प्रतिभाशाली युवा, जिनकी कहानी संघर्ष, मेहनत और जुनून से भरी हुई है। सीमित संसाधनों के बावजूद उन्होंने IIT-JAM में सफलता पाई और आज जिले के छात्रों के लिए प्रेरणा बन गए हैं। सुधांशु का मानना है कि शिक्षा केवल अंक लाने तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि यह छात्रों में विषय के प्रति गहरी समझ और रुचि विकसित करनी चाहिए।

फिजिक्स पढ़ाने की अनूठी शैली

सुधांशु का पढ़ाने का तरीका अन्य शिक्षकों से बिल्कुल अलग है। वे कठिन से कठिन सिद्धांतों को भी इतनी सरलता और रोचकता से समझाते हैं कि छात्र तुरंत विषय के प्रति आकर्षित हो जाते हैं।

1. व्यावहारिक उदाहरण: सुधांशु रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़े उदाहरणों का उपयोग करते हैं, जिससे छात्रों को फिजिक्स के सिद्धांत समझने में आसानी होती है।

2. छात्रों पर व्यक्तिगत ध्यान: हर छात्र की समझ के स्तर को ध्यान में रखते हुए वे पढ़ाते हैं, जिससे सभी को समान रूप से लाभ मिलता है।

3. मोटिवेशनल दृष्टिकोण: सुधांशु सिर्फ पढ़ाई तक सीमित नहीं रहते, वे छात्रों को प्रेरित करते हैं कि जीवन में बड़ा सोचें और साहस के साथ अपने लक्ष्यों को प्राप्त करें।

छात्रों के लिए रोल मॉडल

सुधांशु की पढ़ाई का असर उनके छात्रों के प्रदर्शन में साफ झलकता है। जिन छात्रों को पहले फिजिक्स कठिन लगता था, वे अब न केवल इसे आसानी से समझते हैं, बल्कि इसमें रुचि भी दिखाते हैं। सुधांशु के पढ़ाए कई छात्रों ने बोर्ड परीक्षाओं और प्रतियोगी परीक्षाओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है।

सुल्तानपुर के गौरव

सुधांशु तिवारी की कहानी यह साबित करती है कि प्रतिभा और समर्पण के साथ कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है। उन्होंने न केवल खुद को स्थापित किया है, बल्कि सुल्तानपुर को शिक्षा के क्षेत्र में एक नई पहचान दिलाई है।

अभिभावकों और छात्रों की प्रतिक्रिया

सुधांशु के पढ़ाने के तरीके को लेकर अभिभावक और छात्र बेहद प्रभावित हैं। एक छात्र ने कहा, "सुधांशु सर ने फिजिक्स को आसान बना दिया है। पहले यह विषय डरावना लगता था, लेकिन अब मुझे इसमें मजा आता है।"

सुधांशु तिवारी जैसे शिक्षक समाज में बदलाव लाने की असली शक्ति हैं। उनका समर्पण और मेहनत न केवल छात्रों को शिक्षित कर रहा है, बल्कि उन्हें सपने देखने और उन्हें साकार करने का हौसला भी दे रहा है। सुल्तानपुर को सुधांशु तिवारी जैसे शिक्षकों पर गर्व है।

सुधांशु की सफलता उन सभी युवाओं के लिए एक संदेश है—बड़ा सोचें, मेहनत करें और खुद पर विश्वास रखें।


 



उत्तराखंड। आयोध्या जिले के हलकरा के पुरवा निवासी मिंटू प्रधान के पुत्र ऋषभ दुबे का का उत्तराखंड राज्य की अंडर-19 क्रिकेट टीम से कूच विहार ट्रॉफी के लिए  चयन हुआ है। ऋषभ के इस उपलब्धि से उनके परिवार और शुभचिंतकों में खुशी की लहर दौड़ गई है। ऋषभ के पिता ने इस अवसर पर अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए कहा, "जब एक पुत्र पिता की आशाओं को पूरा करता है, तो यह प्रसन्नता पुत्र से अधिक पिता के लिए होती है। मैं आज इस पल को गर्व के साथ जी रहा हूं।"

ऋषभ दुबे के पिता ने अपने पुत्र को आशीर्वाद देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की। उन्होंने कहा कि हनुमान जी महाराज का आशीर्वाद ऋषभ के साथ है, और वह उम्मीद करते हैं कि ऋषभ न केवल राज्य का बल्कि देश का भी नाम रोशन करेंगे।

इस उपलब्धि पर परिवार, दोस्तों और क्रिकेट प्रशंसकों ने ऋषभ को बधाइयां दी हैं। उत्तराखंड क्रिकेट एसोसिएशन ने भी ऋषभ के चयन पर हर्ष व्यक्त किया और उनकी कड़ी मेहनत और लगन की सराहना की।

कूच विहार ट्रॉफी देश की प्रतिष्ठित क्रिकेट प्रतियोगिताओं में से एक है, और ऋषभ का चयन युवा प्रतिभाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है। क्रिकेट प्रेमियों को उम्मीद है कि ऋषभ अपनी टीम के लिए बेहतरीन प्रदर्शन करेंगे और उत्तराखंड का गौरव बढ़ाएंगे।


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