January 2025


दोस्तपुर: बीते रविवार की शाम कस्बे से सटे दोस्तपुर देहात के गाटा संख्या 498 में जेसीबी टैक्टर से अबैध मिट्टी खनन का कार्य चल रहा था। यह जमीन एक काश्तकार की बताई जा रही है। काश्तकार के पुत्र प्रवीण तिवारी ने मौके पर पहुंचकर मिट्टी खोदने का विरोध किया और जेसीबी चालक से खनन का परमिशन मांगा। जब चालक ने कोई जवाब नहीं दिया और उसने जेसीबी गाड़ी लेकर भागने की कोशिश की।

मौके पर मौजूद लोगों ने चालक को रोकने का प्रयास किया और तत्काल थाने पर सूचना दी। इसके बाद, भाग रही जेसीबी को नेमपुर रोड पर कामतागंज बाजार मोड़ के पास पकड़ने की कोशिश की गई, लेकिन ड्राइवर गाड़ी खड़ी कर फरार हो गया।

पीड़ित की सूचना पर खनन विभाग सुल्तानपुर, नायब तहसीलदार कादीपुर और राजस्व निरीक्षक मय लेखपाल मौके पर पहुंचे। उन्होंने खोदी गई जमीन का माप लिया और जेसीबी गाड़ी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की। चालक द्वारा गाड़ी की चाभी लेकर फरार होने के कारण जेसीबी को वहीं छोड़ दिया गया। विभागीय कार्रवाई के बाद राजस्व विभाग और खनन अधिकारी वहां से रवाना हो गए।

इस दौरान मौजूद पुलिस कर्मियों द्वारा जे सी बी मशीन की सुपुर्दगी नहीं ली गयी, उनके द्वारा कहा गया कि जब जे सी बी को खनन अधिकारी थाने में लाकर सीज करेंगे तभी पुलिस सुपुर्दगी ले पाएगी।

 




प्रयागराज: महाकुंभ 2025 में जहां लाखों श्रद्धालु आस्था और भक्ति के लिए संगम नगरी पहुंचे हैं, वहीं सेक्टर छा में स्थित सच्चा डेरा आश्रम के महंत मनोज ब्रह्मचारी जी ने सेवा और करुणा की ऐसी मिसाल पेश की है, जो हर किसी के दिल को छू गई। कड़ाके की ठंड में बाहर सो रहे श्रद्धालुओं को देखकर ब्रह्मचारी जी का हृदय पिघल गया, और उन्होंने अपने निजी कक्ष को उनके ठहरने के लिए खोल दिया।


ब्रह्मचारी जी का कहना है, "सेवा ही सच्चा धर्म है। महाकुंभ में *आने वाले श्रद्धालु भगवान के रूप होते हैं। जब मैंने इन्हें ठंड में कांपते देखा, तो मेरा मन विचलित हो गया। उन्हें अपने कक्ष में जगह देना मेरा कर्तव्य था।"


सच्चा डेरा आश्रम में न केवल रहने की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है, बल्कि वहां आने वाले श्रद्धालुओं को गर्म कंबल, चाय और भोजन भी दिया जा रहा है। महाराज जी ने अपना कमरा त्यागकर खुद साधारण कुटिया में रहना शुरू कर दिया ताकि ठंड में परेशान लोगों को शरण दी जा सके।


श्रद्धालुओं ने महाराज जी के इस सेवा भाव की जमकर प्रशंसा की। एक श्रद्धालु ने भावुक होकर कहा,"जब ठंड में कांप रहे थे और कहीं भी रहने की जगह नहीं थी, तब महाराज जी ने हमें अपने कमरे में बुलाकर जगह दी। उनका यह कदम हमारे लिए किसी देवता के आशीर्वाद जैसा है।"


महाराज जी की इस पहल ने महाकुंभ में आए हजारों श्रद्धालुओं को प्रेरणा दी है। सच्चा डेरा आश्रम का यह कदम केवल आस्था का नहीं, बल्कि मानवता और सेवा का संदेश भी दे रहा है। ब्रह्मचारी जी के इस कार्य ने यह सिद्ध कर दिया कि एक सच्चा संत वही है, जो केवल उपदेश नहीं देता, बल्कि अपने कर्मों से दूसरों की मदद कर दुनिया को प्रेरणा देता है।


महाकुंभ के इस अद्भुत आयोजन में सच्चा डेरा आश्रम का नाम श्रद्धालुओं के बीच उनकी सेवा भावना के लिए गूंज रहा है। महाराज जी ने यह साबित कर दिया कि करुणा और सेवा ही सबसे बड़ी साधना है।

 



नई दिल्ली। विश्व हिंदू परिषद, दिल्ली प्रांत द्वारा मकर संक्रांति के अवसर पर सामाजिक समरसता अभियान का आयोजन किया गया। इस अभियान के अंतर्गत तेलंगाना के प्रख्यात संत शंकर स्वामी ने दिल्ली में विभिन्न समुदायों के लोगों से संपर्क कर सामाजिक समरसता और समानता के महत्व पर जोर दिया।

संत शंकर स्वामी ने बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर के दृष्टिकोण का उल्लेख करते हुए कहा कि जाति के आधार पर बनी सामाजिक संरचना से न तो देश का भला हो सकता है और न ही समाज का। उन्होंने एकजुट और समतामूलक समाज की आवश्यकता पर बल दिया।

उन्होंने अपने संदेश में कहा, "हिन्दव: सोदरा: सर्वे, न हिन्दू पतितो भवेत्। मम दीक्षा हिन्दू: रक्षा, मम मंत्र: समानता।" अर्थात, सभी हिंदू भाई-भाई हैं, और किसी भी हिंदू को पतित नहीं होना चाहिए। मेरी दीक्षा हिंदू रक्षा और मेरा मंत्र समानता है।

इस दौरान संत शंकर स्वामी ने समाज के हर वर्ग को आपसी भेदभाव छोड़कर एकजुट होकर कार्य करने का आह्वान किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया और सामाजिक समरसता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की।

विश्व हिंदू परिषद के इस प्रयास को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ रही है, और समाज में समानता और एकता की भावना को मजबूत करने की दिशा में यह एक सराहनीय कदम माना जा रहा है।

सुल्तानपुर। कुंभ जैसे विश्व के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन को स्वच्छ और पर्यावरण अनुकूल बनाने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने इस बार एक ऐतिहासिक पहल की है। संघ ने पूरे देश में एक अभियान चलाकर धातु की थालियां और कपड़े के थैले एकत्र किए और अब इन्हें कुंभ मेले में श्रद्धालुओं के बीच वितरित कर रहा है। यह प्रयास न केवल मां गंगा की स्वच्छता बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण का भी संदेश दे रहा है।

संघ का राष्ट्रीय अभियान: थाली और थैला संग्रहण

आरएसएस ने देशभर में अपने स्वयंसेवकों के माध्यम से "हरित कुंभ" के उद्देश्य को साकार करने के लिए एक अनूठा अभियान चलाया। इस अभियान में लाखों परिवारों ने अपनी थाली और थैले दान किए। कुंभ मेले में ये थालियां और थैले निःशुल्क वितरित किए जा रहे हैं ताकि श्रद्धालु प्लास्टिक और डिस्पोजेबल सामग्री का उपयोग न करें।

सुल्तानपुर के विभाग प्रचारक श्री प्रकाश जी ने बताया, "यह पहल केवल एक आयोजन तक सीमित नहीं है, बल्कि समाज में स्वच्छता और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी की भावना को जाग्रत करने का प्रयास है।"

हरित कुंभ का संदेश: प्लास्टिक मुक्त आयोजन

इस अभियान का उद्देश्य कुंभ को प्लास्टिक मुक्त बनाना है। श्रद्धालुओं को वितरित किए गए थालियां और थैले उन्हें पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार बनने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। संघ ने इस अभियान के जरिए यह भी सुनिश्चित किया है कि इस पवित्र आयोजन से कोई ऐसा कचरा न पैदा हो, जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए।

संघ के स्वयंसेवक न केवल थाली और थैले बांट रहे हैं, बल्कि मां गंगा की स्वच्छता बनाए रखने के महत्व पर भी जागरूकता फैला रहे हैं। श्रद्धालुओं को यह बताया जा रहा है कि गंगा केवल एक नदी नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर है। इसे स्वच्छ और पवित्र रखना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।

श्री प्रकाश जी ने कहा, "हम चाहते हैं कि हर व्यक्ति मां गंगा को स्वच्छ रखने और पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान दे। यह पहल भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक स्वच्छ और सुंदर पर्यावरण सुनिश्चित करने की दिशा में हमारा प्रयास है।"

इस पहल का प्रभाव न केवल कुंभ तक सीमित है, बल्कि यह पूरे देश में पर्यावरण और स्वच्छता के प्रति जागरूकता फैलाने का माध्यम बन रहा है। सुल्तानपुर से लेकर देश के हर कोने तक संघ के स्वयंसेवकों ने यह दिखाया है कि सामूहिक प्रयासों से बड़े बदलाव संभव हैं।

आरएसएस का थाली और थैला अभियान कुंभ मेले को स्वच्छ, हरित और पवित्र बनाने की दिशा में एक अनुकरणीय प्रयास है। यह पहल दिखाती है कि यदि हम सभी छोटी-छोटी आदतों में बदलाव करें, तो पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता के बड़े लक्ष्य हासिल किए जा सकते हैं। मां गंगा की स्वच्छता और कुंभ की पवित्रता बनाए रखने के इस प्रयास को हर व्यक्ति को अपनाना चाहिए, ताकि यह संदेश पूरे समाज में गहराई तक पहुंचे।

 

सुल्तानपुर, 11 जनवरी: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के 250 स्वयंसेवकों का दल आज प्रयागराज महाकुंभ 2025 में सेवा कार्यों के लिए सुल्तानपुर से रवाना हुआ। इस अवसर पर संघ के विभाग प्रचारक श्री प्रकाश जी और जिला प्रचारक आशीष जी ने स्वयंसेवकों को शुभकामनाएँ देकर रवाना किया। यह दल 18 जनवरी तक महाकुंभ में विभिन्न सेवा कार्यों में अपना योगदान देगा।

संघ की सेवा परंपरा को निभाएंगे स्वयंसेवक

महाकुंभ जैसे विशाल धार्मिक आयोजनों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सेवा परंपरा वर्षों से एक आदर्श रही है। इस बार भी सुल्तानपुर से 250 स्वयंसेवक स्वच्छता, भीड़ प्रबंधन, यातायात व्यवस्था और श्रद्धालुओं की सहायता के कार्यों में जुटेंगे।

प्रेरणा और अनुशासन का संदेश

इस अवसर पर विभाग प्रचारक श्री प्रकाश जी ने कहा, "महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि सेवा, समर्पण और अनुशासन का प्रतीक है। स्वयंसेवकों का यह योगदान राष्ट्र और समाज के लिए एक प्रेरणा बनेगा।"

जिला प्रचारक आशीष जी ने स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए कहा कि संघ के स्वयंसेवक अपने अनुशासन और सेवा भावना से महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं को हर संभव सहायता प्रदान करेंगे।

स्वयंसेवकों के रवाना होने से पहले एक विशेष विदाई समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में संघ के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने स्वयंसेवकों को महाकुंभ के महत्व और उनकी जिम्मेदारियों के बारे में बताया। इस दौरान स्वयंसेवकों ने संघ के गीत और घोष के माध्यम से अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की।

महाकुंभ में संघ की भूमिका

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक मेला क्षेत्र में अलग-अलग स्थानों पर अपनी सेवाएँ देंगे। वे न केवल श्रद्धालुओं को मार्गदर्शन करेंगे, बल्कि जरूरत पड़ने पर उन्हें चिकित्सा सहायता और अन्य सुविधाएँ भी उपलब्ध कराएँगे।


यह सेवा कार्य न केवल सुल्तानपुर जिले का गौरव है, बल्कि महाकुंभ में संघ की सेवा और समर्पण की मिसाल भी पेश करेगा।

 


सुल्तानपुर: आज प्रवासी भारतीय दिवस उन महान व्यक्तित्वों को सम्मानित करने का अवसर है, जिन्होंने विदेश में रहते हुए भी भारत का नाम रोशन किया। ऐसे ही एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व हैं डॉ. योगेश श्रीवास्तव, जिनकी कहानी मेहनत, लगन और भारतीय मूल्यों की मिसाल है।

        उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले के पंचरस्ता क्षेत्र में एक साधारण परिवार में जन्मे डॉ. योगेश के पिता, श्री ओम प्रकाश श्रीवास्तव, 400 केवी बिजली विभाग में कार्यरत थे और 2006 में सेवानिवृत्त हुए हैं। डॉ. योगेश की प्रारंभिक शिक्षा सरस्वती विद्या मंदिर, सुल्तानपुर में हुई। एक छोटे से शहर के स्कूल में पढ़ते हुए भी उनकी आंखों में बड़े सपने थे। विज्ञान के प्रति उनकी रुचि और पढ़ाई के प्रति समर्पण ने उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।

अपने सपनों को पूरा करने के लिए डॉ. योगेश ने बायोटेक्नोलॉजी में मास्टर डिग्री हासिल की और फिर चीन की प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी ऑफ चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज से पीएचडी पूरी की। उनकी कड़ी मेहनत और दृढ़ निश्चय ने उन्हें अमेरिका तक पहुंचाया, जहां वे आज एमडी एंडरसन कैंसर सेंटर, टेक्सास में पोस्टडॉक्टरल फेलो के रूप में कार्यरत हैं।

डॉ. योगेश का शोध मुख्य रूप से न्यूरोसाइंस और कैंसर अनुसंधान पर केंद्रित है। उन्होंने हेजहॉग सिग्नलिंग पाथवे पर गहन अध्ययन किया है, जो दर्द प्रबंधन और न्यूरॉन संरचना को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उनके शोध पत्र अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रकाशित हो चुके हैं और वैज्ञानिक समुदाय में सराहे गए हैं।

भारतीय संस्कृति के संवाहक

विदेश में रहकर भी डॉ. योगेश अपने भारतीय मूल्यों और संस्कृति को नहीं भूले। वे हमेशा भारतीय त्योहारों और सांस्कृतिक आयोजनों में सक्रिय रहते हैं। उनका कहना है, "भारत की मिट्टी से जो संस्कार हमें मिले हैं, वे हमारी पहचान को हमेशा जिंदा रखते हैं। जहां भी जाऊं, मैं भारत का गौरव बनाए रखने का प्रयास करता हूं।"

डॉ. योगेश को उनकी उपलब्धियों के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जिनमें 2023 का डोडी पी. हॉन अवार्ड और 2018 का ग्वांगझोउ इंस्टीट्यूट ऑफ बायोमेडिसिन एंड हेल्थ द्वारा उत्कृष्ट छात्र पुरस्कार शामिल हैं। उनकी मेहनत और लगन हर उस युवा के लिए प्रेरणा है, जो सीमित संसाधनों के बावजूद बड़े सपने देखने की हिम्मत करता है।

डॉ. योगेश का संदेश

डॉ. योगेश  हमें यह सिखाते है कि अगर इरादे मजबूत हों और मेहनत का साथ हो, तो किसी भी क्षेत्र में सफलता हासिल की जा सकती है। सुल्तानपुर के छोटे से कस्बे से शुरू होकर अंतरराष्ट्रीय मंच तक पहुंचने का उनका सफर हर भारतीय के लिए गर्व का विषय है।

प्रवासी भारतीय दिवस पर डॉ. योगेश जैसे व्यक्तित्वों को याद करना इस बात का प्रमाण है कि भारत के संस्कार और शिक्षा न केवल देश के भीतर, बल्कि विदेशों में भी अपनी छाप छोड़ रहे हैं। उनका जीवन हमें सिखाता है कि सपने सिर्फ देखे नहीं जाते, पूरे भी किए जाते हैं।

 


महाराष्ट् मुलुंड :विश्व हिंदू परिषद (VHP) के सामाजिक समरसता अभियान के तहत मुलुंड में एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में तेलंगाना संत परिषद के अध्यक्ष स्वामी शंकर जी ने 180 दलित समुदाय की महिलाओं का पाद पूजन कर उन्हें सम्मानित किया।

कार्यक्रम में दलित महिलाओं को साड़ी, लक्ष्मी जी की मूर्ति और तुलसी माला भेंट की गई। स्वामी जी ने स्वयं महिलाओं का पूजन कर समाज में समानता और समरसता का संदेश दिया।

समरसता और एकता का संदेश

इस अवसर पर स्वामी शंकर जी ने कहा, "हमारा उद्देश्य समाज में भेदभाव को समाप्त कर एक समरस और निष्पक्ष भारत का निर्माण करना है। यह आयोजन सभी वर्गों को एक मंच पर लाने का प्रयास है।"

सामाजिक सुधार की दिशा में कदम

VHP के इस आयोजन को समाज में समानता और समरसता के प्रचार-प्रसार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया गया। स्थानीय निवासियों और श्रद्धालुओं ने इस पहल की सराहना करते हुए इसे समाज सुधार के लिए प्रेरणादायक बताया।

कार्यक्रम में सैकड़ों की संख्या में लोग उपस्थित रहे और स्वामी शंकर जी के प्रेरणादायक संदेश को सुनकर भावविभोर हो गए।

 


मुलुंड, महाराष्ट्र। विश्व हिंदू परिषद, घाट कोपर प्रभाग, मुलुंड जिला, द्वारा सामाजिक समानता और भेदभाव मुक्त भारत के निर्माण के उद्देश्य से समरसता यात्रा का आयोजन किया जा रहा है। यह यात्रा समाज के सभी वर्गों के बीच समानता और सम्मान की भावना को प्रोत्साहित करने के लिए समर्पित है।

माँ शक्ति पूजा और दलित महिलाओं का सम्मान

कार्यक्रम  में, परम पूज्य श्री शंकर स्वामीजी के सान्निध्य में 151 दलित महिलाओं का पद पूजन एवं सम्मान किया जाएगा। यह आयोजन सामाजिक समरसता का प्रतीक बनकर समाज में सकारात्मक बदलाव का संदेश देगा।

कार्यक्रम का विवरण

  • तारीख: 8 जनवरी 2025
  • समय: सुबह 9 बजे
  • स्थान: साईं बाबा मंदिर, ओल्ड बर्क, जय भारत स्कूल के पीछे, मुलुंड कॉलोनी, मुलुंड जिला, महाराष्ट्र।

सामाजिक परिवर्तन की दिशा में एक कदम

विश्व हिंदू परिषद ने इस कार्यक्रम को समाज के सभी वर्गों को जोड़ने और उन्हें समान अधिकार और सम्मान दिलाने की दिशा में एक बड़ा कदम बताया है। संगठन का उद्देश्य सामाजिक भेदभाव को समाप्त कर एक निष्पक्ष और समरस भारत का निर्माण करना है।

कार्यक्रम में बड़ी संख्या में श्रद्धालु और गणमान्य व्यक्तियों के शामिल होने की उम्मीद है। यह आयोजन समाज में समानता और एकता का संदेश देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका

 निभाएगा।




वाराणसी। शिक्षा के क्षेत्र में समर्पण और उत्कृष्टता का प्रतीक माने जाने वाले  डॉ. अजय कुमार सिंह ने 7 जनवरी 2025 को अंतर विश्वविद्यालय शिक्षक शिक्षा केंद्र, वाराणसी में बतौर आचार्य (प्रोफेसर) पदभार ग्रहण किया। शिक्षा में अपने गहन अध्ययन, शोध और मार्गदर्शन के लिए पहचाने जाने वाले डॉ. सिंह ने इस अवसर पर कहा कि वे शिक्षा में नवाचार और शोध को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।


डॉ. अजय कुमार सिंह ने बीए, बीएड और एमएड जैसी प्रतिष्ठित डिग्रियां काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) से प्राप्त कीं। बीएचयू जैसे प्रतिष्ठित संस्थान से शिक्षा प्राप्त करना उनकी विद्वता और शिक्षा के प्रति समर्पण को दर्शाता है। उन्होंने अपनी पढ़ाई के दौरान उत्कृष्ट प्रदर्शन किया और शिक्षा के गहन अध्ययन एवं शोध में विशेष रुचि दिखाई।


अपने कैरियर की शुरुआत एक प्राथमिक शिक्षक के रूप में करते हुए, डॉ. सिंह ने शिक्षा के बुनियादी स्तर को समझा और बच्चों के समग्र विकास में योगदान दिया। 2010 में उन्होंने काशी हिंदू विश्वविद्यालय के शिक्षा शास्त्र विभाग में लेक्चरर के रूप में अपनी सेवाएं शुरू कीं। यहां उन्होंने शिक्षा के सिद्धांत और व्यवहारिक पहलुओं को छात्रों के सामने प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया और छात्रों के बीच एक प्रेरणादायक शिक्षक के रूप में पहचान बनाई।


डॉ. सिंह ने शिक्षक प्रशिक्षण, शिक्षण विधियों और शैक्षिक सुधारों पर कई महत्वपूर्ण शोध किए हैं। उनकी शिक्षण शैली और गहन दृष्टिकोण ने अनेक छात्रों और शोधार्थियों को प्रेरित किया है। उन्होंने शिक्षा शास्त्र पर कई महत्वपूर्ण पुस्तकें और शोध पत्र प्रकाशित किए हैं, जो शिक्षा जगत में सराहे गए हैं।


अंतर विश्वविद्यालय शिक्षक शिक्षा केंद्र में आचार्य पद ग्रहण करने के साथ ही डॉ. अजय कुमार सिंह ने शिक्षा के क्षेत्र में शोध, नवाचार और नई पहलों को प्रोत्साहित करने की योजना बनाई है। वे मानते हैं कि शिक्षा केवल ज्ञान प्राप्त करने का माध्यम नहीं, बल्कि समाज के समग्र विकास का आधार है।


डॉ. अजय कुमार सिंह का जीवन सादगी, विद्वता और समर्पण का प्रतीक है। उनकी नई जिम्मेदारी न केवल शिक्षा केंद्र के लिए, बल्कि पूरे शैक्षिक क्षेत्र के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी।

नीरज कुमार पांडेय, मो० अब्दुल अलीम, नीरज दूबे और चंदन झा की तरफ से सभी देशवासियों को नववर्ष की लोहड़ी एवं मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं..

प्रतिष्ठान:
बाला जी शक्ति एंटरप्राइज 
Koya's Agarbatti(Dhoop)
डिस्ट्रीब्यूटर और SS पॉइंट के लिए संपर्क करें
Neeraj Pandey 
 +91 7084610082
+91 7388822519

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