April 2022


सुलतानपुर।उत्तर प्रदेश उच्चतर सेवा आयोग प्रयागराज में गुरूवार को कृषि अभियांत्रिकी विषय के साक्षात्कार का परिणाम घोषित किया गया।जिसमे 8 अभ्यार्थियों का चयन हुआ है।सुल्तानपुर जिले के नौगवांतीर निवासी वरिष्ठ समाजसेवी वेद प्रकाश सिंह के सुपुत्र प्रशांत सिंह ने असिस्टेंट प्रोफेसर कृषि अभियांत्रिकी के पद पर चयनित होकर जिले व क्षेत्र का नाम रोशन किया है। प्रशांत ने कहा कि उनकी इस सफलता में कड़ी मेहनत तथा माता पिता, भाई-बहन गुरुजनों का सहयोग व योगदान रहा है।प्रशांत ने दसवीं एवं बारहवीं की शिक्षा केंद्रीय विद्यालय सुल्तानपुर से ग्रहण किया। इसके पश्चात उन्होंने कृषि अभियांत्रिकी विषय में इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय, छत्तीसगढ़ से स्नातक की डिग्री प्राप्त किया।प्रशांत ने भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद द्वारा आयोजित जेआरएफ की परीक्षा में पूरे देश में दूसरा स्थान प्राप्त किया।प्रशांत ने भारतीय कृषि अनुसन्धान संस्थान, नई दिल्ली  में मृदा एवं जल संरक्षण विषय से पोस्ट ग्रेजुएशन किया। इसके बाद  भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद द्वारा आयोजित एसआरएफ की परीक्षा में पूरे देश में पहला स्थान प्राप्त किया।इस समय वह भारतीय कृषि अनुसन्धान संस्थान, नई दिल्ली से पीएचडी के शोध छात्र रूप में अध्ययनरत है। शिक्षा के क्षेत्र में मेधावी होने के साथ ही सामाजिक कार्यों में भी उनकी काफी रूचि रही है । इसके पूर्व प्रशांत ने भारतीय कृषि अनुसन्धान संस्थान, नई दिल्ली में छात्र संघ के महासचिव के रूप में दायित्व का निर्वहन किया था। वर्तमान में वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के कृषि आयाम-एग्रीविजन के दिल्ली प्रान्त के प्रान्त संयोजक है।प्रशांत के असिस्टेंट प्रोफेसर कृषि अभियांत्रिकी बनने पर एमएलसी शैलेन्द्र प्रताप सिंह, सांसद प्रतिनिधि रणजीत कुमार, जिला उपाध्यक्ष ज्ञान प्रकाश जयसवाल,भाजपा प्रवक्ता विजय सिंह रघुवंशी,अरुण द्विवेदी, रिंकू शुक्ला, गांधी सिंह,उमेश सिंह बाबी, ब्लाक प्रमुख अखिलेश प्रताप सिंह डिंपल, ब्लाक प्रमुख राहुल शुक्ला, विनोद सिंह, विजय अग्रहरी, रामचन्द्र दुबे, सुरेश सिंह विसेन, प्रदीप यादव,अजय पाण्डे,मुन्ना चौबे आदि ने बधाई देते हुए खुशी जाहिर की है। और प्रशांत के उज्जवल भविष्य की कामना की है।

 

  • रिकाउंटिंग का मामला उच्च न्यायालय पहुंचा, 
  • उच्च न्यायालय ने सब को दिया नोटिस
  • न्यायालय का निर्देश तय  समय सीमा तक सब लिखित जवाब सारे साक्ष्य के साथ

सुल्तानपुर(ब्यूरो)। इसौली विधानसभा क्षेत्र के भाजपा प्रत्याशी ओमप्रकाश पांडेय "बजरंगी" ने संपन्न हुए विधानसभा चुनाव के रिकाउंटिंग की मांग उच्च न्यायालय में उठाई है। ओमप्रकाश पांडेय "बजरंगी" की ओर से दायर याचिका पर उच्च न्यायालय ने प्रतिवादियों को अपना पक्ष रखने के लिए समय सीमा निर्धारित कर दी है। हाईकोर्ट ने आदेश पारित किया है कि 20 मई को 10.15 Am तक लिखित जवाब के सारे साक्ष्य के साथ उपस्थित हों। उच्च न्यायालय का आदेश पारित होने के बाद इसौली विधानसभा की राजनीति का "पारा" इस "तपश" भरी गर्मी में और बढ़ गया है, चर्चाओं का बाजार गर्म है।

गौरतलब हो कि 10 मार्च को संपन्न हुए विधानसभा चुनाव की मतगणना हुई। इसौली विधानसभा की हुई मतगणना राउंड प्रति राउंड रोमांचक रही। बहुतेरे चक्र में भाजपा के ओम प्रकाश पांडेय बजरंगी आगे रहे। इसी दौरान ओमप्रकाश पांडेय बजरंगी रिटर्निंग ऑफिसर को तीन बार लिखित रूप से ईवीएम के 29-30 राउंड की मतगणना के साथ वैलेट पेपर की रिकाउंटिंग की मांग की, लेकिन रिटर्निंग ऑफिसर ने भाजपा प्रत्याशी ओमप्रकाश पांडेय के तीनों शिकायती पत्रों को खारिज कर दिया। काफी हो-हल्ला के बीच जिला निर्वाचन अधिकारी ने 10 मार्च की देर रात 269 वोटों से सपा के मोहम्मद ताहिर खान को जीत का प्रमाणपत्र दे दिया। मतगणना से असंतुष्ट भाजपा प्रत्याशी ओमप्रकाश पांडेय "बजरंगी" ने न्यायालय की शरण ली। उच्च न्यायालय ने संबंधित प्रतिवादियों को 04 अप्रैल 2022 को नोटिस जारी करने का आदेश पारित किया। उच्च न्यायालय ने हिदायत दी की 7 रनिंग डे में नोटिस को तामिल कराया जाए। साथ ही लीडिंग अखबार में विज्ञापन भी प्रकाशित कराया जाए। जिससे कि सभी पार्टियों को सूचना समय से मिल सके। नोटिस शामिल होने के बाद 13 अप्रैल 2022 को उच्च न्यायालय ने एक आदेश फिर जारी किया है। जारी आदेश में कहा है कि 20 मई को 10.15Am तक सब लिखित जवाब सारे साक्ष्य के साथ। उच्च न्यायालय के आदेश के बाद इसौली विधानसभा क्षेत्र की राजनीति में "गर्माहट" आ गई है। तरह-तरह की चर्चाएं चल रही है। चर्चा चलना भी लाज़मी के

है।


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इसौली विधानसभा क्षेत्र के भाजपा उम्मीदवार ओम प्रकाश पांडेय "बजरंगी" ऐसे ही उच्च न्यायालय की शरण नहीं लिए हैं। जन सूचना अधिकार अधिनियम के तहत 25 मार्च को मांगी गई सूचना पर रिटर्निंग ऑफिसर तहसील बल्दीराय  द्वारा उपलब्ध कराए गए मतगणना से संबंधित मिले साक्ष्य  के आधार पर उच्च न्यायालय में पूरे मतगणना की रिकाउंटिंग की मांग की है।


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तहसील बल्दीराय के रिटर्निंग ऑफिसर से मांगी गई सूचना के मिले जवाब के साक्ष्य में वोट पड़ने के बाद रिटर्निंग ऑफिसर फार्म 17 (A) जारी करता है। काउंटिंग के बाद रिटर्निंग ऑफिसर फार्म 20 जारी करता है। दोनों के मिलान में अंतर है।


इनसेट


इसौली विधानसभा क्षेत्र के चार बूथ ऐसे हैं, जहां पर पड़े मतों से ज्यादा वोटों की मतगणना हुई है। जो निम्नवत हैं।

बूथ न.315 पड़ा मत452, काउंट मत 537,

बूथ न.329 पड़ा मत-537, काउंट मत 452,

बूथ न.339,पड़ा मत 534 काउंट मत540,

बूथ न.376,पड़ा मत421-काउंटिंग मत 501,

चुनाव में पड़े मतों और काउंटिंग के मतों में आए अंतर का खुलासा रिटर्निंग ऑफिसर की ओर से जारी फार्म 17a और फार्म 20 से हुआ है। यही नहीं पोस्टल बैलट में कुल 898 मत पड़ा। काउंटिंग 8 27 मतों की हुई। जिसमें 650 वैध मत मिले। 177 अवैध मत पाए गए। यहां पर 71 मत का अंतर आ रहा है,पडा 71 मत कहां गया?इसका जिक्र भी कहीं नहीं किया गया है। इन्हीं साक्ष्यों के आधार पर भाजपा प्रत्याशी   ओमप्रकाश पांडेय "बजरंगी" उच्च न्यायालय की शरण में गए हैं।मतगणना के समय हुई गणितीय त्रुटि को आधार मानकर उच्च न्यायालय पुनः मतगणना का आदेश जारी कर सकता है? गौरतलब हो कि इसौली विधानसभा क्षेत्र में कुल  202007 मत पड़े, जबकि काउंटिंग 202093 मतों की हुई।


  • सांसद मेनका गांधी की अध्यक्षता में हुआ कार्यक्रम।
  • सुलतानपुर विधायक विनोद सिंह मुख्य अतिथि के रूप में हुये शामिल।
  • डीएम, सीडीओ,डीपीआरओ, बीडीओ सहित कूरेभार प्रमुख प्रतिनिधि नवनीत सिंह सोनू भी रहे मौजूद।
  • कूरेभार ब्लॉक के गुप्तारगंज में हुआ कार्यक्रम का आयोजन।

सुल्तानपुर में आज राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस पर पंचायती राज विभाग द्वारा कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कूरेभार ब्लाक के गुप्तारगंज में आयोजित इस कार्यक्रम की अध्यक्षता सांसद मेनका गांधी ने की। वहीं मुख्य अतिथि के रूप में विनोद सिंह भी कार्यक्रम में शामिल हुये। इस दौरान अतिथियों के सरस्वती प्रतिमा पर माल्यार्पण पर कर कार्यक्रम की शुरुवात की। वहीं प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा पुष्प देकर उनका स्वागत किया गया। अपने संबोधन के दौरान ग्रामीणों को संबोधित करते हुये सांसद मेनका गांधी ने कहा कि पंचायती राज दिवस इसी लिये मनाया जाता है क्योंकि हमारे देश की ज्यादातर आबादी गांव में निवास करती है। लिहाजा गांव को प्राथमिकता देते हुये वहां  विकास के कार्यो को गति प्रदान की जाय। विभिन्न योजनाओं के जरिये लोगों को इसका लाभ दिया जाय। वहीं पूर्व मंत्री एवं सुल्तानपुर विधायक विनोद सिंह ने कहा पंचायतों की विकास ही हमारी प्राथमिकता है। केंद्र और प्रदेश सरकार द्वारा ज्यादातर योजनाएं पंचायतों के लिये ही बनाई गई है। हमारा दायित्व है कि उन योजनाओं को गांव गांव में लागू करें और ग्रामीणों को इसका लाभ देकर उन्हें सम्मानित करें। उन्होंने साफ कहा कि सड़कें, शौचालय, बारात घर, शिक्षा स्वास्थ्य जैसी सुविधाएं अगर गांव में सुचारू रूप से मिल सकें तो गांव से बेहतर कुछ नही है। लिहाजा उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया कि ग्रामीण स्तर पर आने वाले योजनाओं का सही से क्रियान्वय  होना जरूरी है।

 वही कार्यक्रम में डीएम रवीश गुप्ता, सीडीओ अतुल वत्स, डीपीआरओ आर के भारती, बीडीओ, कूरेभार ब्लाक प्रमुख प्रतिनिधि नवनीत सिंह सोनू, श्याम बहादुर पाण्डेय, विजय त्रिपाठी सहित भाजपा नेता कार्यकर्ता एवं सैकड़ों ग्रामीण मौजूद रहे।


                     फाइल फोटो प्रो.अतुल यादव

प्रयागराज:(नैनी) विगत दिनों सैम हिगिनबॉटम कृषि, प्रौद्योगिकी और विज्ञान विश्वविद्यालय में व्यक्तिगत कार्य हेतु जाना हुआ ।कृषि विश्वविद्यालय में कृषि तकनीक को करीब से देखा और छात्रों के माध्यम से भी नई तकनीकों के बारे में जानकारी प्राप्त हुई।इसी क्रम में जब उद्यान विज्ञान विभाग में पहुँचा तो वहां पर सब्जी एवम फल उत्पादन की नई-नई तकनीक देखने को मिली।


छात्रों के साथ वार्ता के दौरान जानकारी मिली कि सैम हिगिनबॉटम कृषि, प्रौद्योगिकी और विज्ञान विश्वविद्यालय में उद्यान विभाग में प्रो अतुल यादव के द्वारा उद्यान विज्ञान में अनेक शोध किये गए हैं। विश्वविद्यालय परिसर में देखने को मिला की प्रोफ़ेसर अतुल यादव के द्वारा बच्चों को विभिन्न प्रकार की फसलों के उत्पादन संरक्षण एवं संवर्धन के अंतर्गत शिक्षित किया जा रहा है ।उनके द्वारा प्रयोगशाला में किये प्रयोग के उपरांत प्राप्त शोधों को खेतों में लागू किया जाता है, जहां पर किसानों द्वारा कम लागत में अधिक लाभ प्राप्त किया जाता है।


खेती या कृषि कुल सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 16%I योगदान देती है और भारत में कुल कार्यबल का लगभग 50% रोजगार प्रदान करती है।भारत की बढ़ती जनसंख्या में पोषण संबंधी कमियों को देखते हुए आज एक बढ़ती मान्यता है कि पोषण संबंधी सुरक्षा प्राप्त करने के लिए खाद्य उत्पादन को बढ़ाते हुए गुडवत्ता युक्त खाद्य पदार्थों के उत्पादन पर जोर दिया जाना चाहिए ।वर्तमान की कृषि चुनौतियों के लिए प्रो अतुल यादव के द्वारा प्रशिक्षित विद्यार्थी कृषि उत्पादन के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन ला रहे है।

 


Tuesday, April 5, 2022

हमें परिस्थिति को पार करके विजय पाने का संकल्प लेना है – डॉ. मोहन भागवत जी

जम्मू. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने रविवार को नवरेह महोत्सव-2022 के अंतर्गत शौर्य दिवस पर कश्मीरी हिन्दू समाज को ऑनलाइन माध्यम से संबोधित किया. उन्होंने संबोधन में विस्थापितों की कश्मीर में वापसी के संकल्प को दोहराया. जम्मू कश्मीरदेश और विदेश में बसे हजारों विस्थापित कश्मीरी हिन्दुओं ने संजीवनी शारदा केंद्र के फेसबुक पेज पर सुना. नवरेह-महोत्सव 2022 के अंतर्गत अप्रैल को शिर्यभट्ट स्मृति दिवस, 2 अप्रैल को नवरेह संकल्प दिवस मनाया गया था. नवरेह-महोत्सव 2022 का आयोजन संजीवनी शारदा केंद्र द्वारा किया गया था.

सरसंघचालक जी ने शिर्यभट्टराजा ललितादित्य और गुरुतेग बहादुर जी के इतिहास पर भी चर्चा की. उन्होंने बताया कि किस प्रकार शिर्यभट्ट जी ने धैर्य के साथ अपनी शक्ति से परिस्थतियों का सामना करते हुए कश्मीर में समाज को दिशा दे कर एकजुट रखा था. राजा ललितादित्य की जीवनी का उल्लेख करते हुए कहा कि वह महाराणा प्रताप और वीर शिवाजी की परंपरा के पूर्वज थे. हमें इसे सोचना और समझना चाहिए. उन्होंने बताया कि किस प्रकार अरबों के आक्रमण के संकट का सामना संगठन कुशलता के साथ राजा ललितादित्य ने करते हुए शत्रुओं को सीमाओं के पार भगाया था. राजा ललितादित्य ने उस समय भारत के राजाओं का एक संघ तैयार कर राष्ट्र हितों को जगाया था. राजा ललितादित्य का भारत के इतिहास में पराक्रम का यह योगदान अति महत्वपूर्ण है.

गुरु तेग बहादुर जी का उल्लेख करते हुए कहा कि वह देश हित और हिन्दू हित के लिए परम त्याग के आदर्श हैं. उनकी केवल दयाकरुणा ही नहीं थीगुरु महाराज की असीम कृपा हिंद की चादर थी. उसके पीछे एक विचार भी था कि कट्टरपन नहींसबके प्रति अपनापन. यही धर्म है.

सरसंघचालक जी ने कहा कि गुरु तेग बहादुर जी ने अपना सिर दे दियालेकिन सार नहीं दिया. गुरु तेगबहादुर जी ने स्वयं का बलिदान देकर भारत के प्राणों की रक्षा की. गुरु तेगबहादुर जी ने जो त्यागधैर्यसाहस और पराक्रम दिखाया था इसके साथ हमारी बुद्धिशक्ति का संयोग हो और हम निरंतर प्रयासों में लगे रहेंइसकी आवश्यकता है.

आज का नवरेह महोत्सव एक नए पर्व और वर्ष के प्रारंभ के संकल्प का भी दिवस है. अब संकल्प पूर्ति का समय निकट है. 370 के हटने के बाद घाटी वापसी का मार्ग प्रशस्त हो गया है.

सरसंघचालक जी ने उदाहरण दिया कि इजरायल के लोग भी बिखर गए थे. उन्होंने भी अपने त्यौहार में संकल्प और इस संकल्प को 1800 वर्ष तक जागृत रखा और फिर संकल्प के आधार पर एक स्वतंत्र इजरायल को स्थापित किया और पिछले 30 वर्षों में इजरायल सब बाधाओं को पार करके दुनिया में एक अग्रणी राष्ट्र बना है. उन्होंने कहा कि कश्मीरी हिन्दू विस्थापित होकर दुनिया भर में बिखरे तो हैंपरंतु उनके पास एक भूमि हैवह है उनका और हमारा कश्मीरजो भारत का अंग है. पूरा भारत वर्ष कश्मीरी विस्थापित हिन्दुओं के साथ है. एक चित्रपट आया द कश्मीर फाइल्स’. भारतवर्ष का जनमानस यह कह रहा है कि यह चित्रपट सही है. विस्थापन की विभीषिका का सत्य सामने लाने वाले इस चित्र की चर्चा चल रही है.

अबकी बार विस्थापितों को कश्मीर में ऐसा बसना है कि दोबारा उजड़ना न पड़े. अब ऐसा जाएंगे कि कश्मीर में जाकर बसने के बाद वहां पर फिर से उनके नसीब में विभीषिका न आए. परिस्थितियां सब प्रकार की जीवन में आती हैं. परिस्थितियों में हमारी कसौटी होती है. उन्होंने कहा कि हम अपने धैर्य और साहस के माध्यम से ही उस परिस्थिति को पार सकते हैं. कश्मीरी हिन्दू अपने ही देश मेंअपने घर में विस्थापित होने का दंश झेल रहे हैं और यह परिस्थिति तीन-चार दशकों से लगातार चल रही है. हमने इस परिस्थिति को पार करके विजय पाने का संकल्प लेना है.




  


सुल्तानपुर

 लंभुआ विधान सभा 

 आज दिनांक 18 - 4 - 2022 को लंभुआ नगर पंचायत में भारतीय जनता पार्टी किसान मोर्चा के जिला अध्यक्ष गोविंद तिवारी जी ने भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नक्शे कदम पर चलते हुए लंभुआ में तैनात सफाई कर्मी राम तीरथ कोरी का पैर धोकर और अंग वस्त्र पहनाकर मुंह मीठा कराया इस मौके पर गोविंद तिवारी जी के अलावा भा ज पा नेता इंद्र देव मिश्रा डाॅ के पी सिंह सहित कई नेता मौजूद रहे तिवारी जी की इस पहल का नगर वासियों ने भूरि - भूरि सराहना की ।

 


 


  चिकन पॉक्स छोटी माता या बड़ी माता का रूप नहीं, बल्कि यह वायरस से होने वाली बीमारी है।चिकन पॉक्स छोटी माता या बड़ी माता का रूप नहीं, बल्कि यह वायरस से होने वाली एक संक्रामक बीमारी है। वेरीसेला जोस्टर नामक वायरस इस संक्रमण का कारण है, जो कि खांसने, छींकने या रोगी के सीधे संपर्क में आने से फैलता है। होम्योपैथी चिकित्सा में इस बीमारी का कारगर इलाज है।


डॉ नवनीत तिवारी

असिस्टेंट प्रोफेसर 

मुरादाबाद मेडिकल कॉलेज  के अनुसार लोगों को चिकन पॉक्स से घबराना नहीं चाहिए और न ही दवा लेने से परहेज करना चाहिए। होम्योपैथी में इस बीमारी का इलाज संभव है। इस दवा को लेने से कोई साइड इफेक्ट भी मरीज पर नहीं होता। इस बीमारी में यह इलाज पूरी तरह से सुरक्षित है। इसलिए इलाज न कराने की भ्रांति से लोगों को दूर रहना चाहिए।

डॉ नवनीत तिवारी अनुसार चिकन पॉक्स न होने देने के लिए बचाव के तौर पर भी यहां दवा दी जाती है, जिससे कि यह बीमारी होने का खतरा कम हो जाता है। यदि परिवार में किसी एक व्यक्ति को चिकन पॉक्स हो जाए तो अन्य व्यक्ति यदि संक्रमण होने से पहले बचाव के तौर पर दी जाने वाली होम्योपैथी खुराक को इस्तेमाल करें तो उनमें चिकन पॉक्स के विरोध में प्रतिरोधक क्षमता विकसित होने लगती है, जिससे यह बीमारी अन्य लोगों में नहीं फैलती। जिस परिवार में कोई व्यक्ति पीड़ित नहीं है, वह लोग भी यह खुराक ले सकते हैं। इससे उन्हें बीमारी होने की संभावना कम हो जाती है।

होम्योपैथी दवाइयां: चिकन पॉक्स से निजात दिलाने के लिए कई तरह की होम्योपैथी दवाइयां मौजूद हैं। इसमें वेरीयूलिनम, मेलेनड्रिनम, रसटॉक्स, एंचिमटार्ट व ऑर्सेनिक एलबी आदि हैं। यह दवाएं तीन से 7 दिन तक दी जाती हैं। इसमें खंट्टी, मीठी व मसालेदार चीजें देना मना होता है।

बीमारी के लक्षण:

बुखार आना, नाक व आंख से पानी बहना, हल्की खुजली होना, शरीर में दाने निकलना इत्यादि। ज्यादा स्थिति बिगड़ने पर कान बहना, सीने में इन्फेक्शन होना, दिमागी बुखार, नर्वस सिस्टम खराब होना, निमोनिया, हृदय की क्षति होना, किडनी, लीवर आदि में संक्रमण भी हो सकता है।

बचाव:

  • पीड़ित व्यक्ति को अन्य लोगों के संपर्क में न आने दें।
  • घर की खिड़कियां पूरी तरह बंद न करें।
  • खाने-पीने में तरल खाद्य पदार्थ जैसे-छाछ, दही, खिचड़ी, दलिया, दाल, जूस, ताजा फल का इस्तेमाल करें।
  • पपड़ी सूखने की स्थिति में भी अन्य लोगों के संपर्क में न आने दें ।

चिकन पॉक्स का इलाज न कराने की बात करना भ्रांति के शिवा कुछ नहीं है। इसका होम्योपैथी में इलाज संभव है। यहां इस बीमारी से बचने के लिए भी दवाएं नि:शुल्क उपलब्ध हैं।


डॉ नवनीत तिवारी

असिस्टेंट प्रोफेसर 

मुरादाबाद मेडिकल कॉलेज





  •  सुल्तानपुर के लाल Sudhanshu Tiwari ने  बिना कोचिंग प्रथम प्रयास में ही क्वालीफाई की IIT JAM परीक्षा ।
  • अब NEET और IIT का सपना सजोये 9 से 12 के छात्रों को पाठशाला कोचिंग के माध्यम से तैयार करा रहे मेंडीकल/इंजीनियरिंग छात्रों की नींव।


सुल्तानपुर: सुल्तानपुर के छात्र सुधांशु तिवारी ने आईआईटी जैम की परीक्षा पास कर उच्चतर शिक्षा के लिए पात्रता प्राप्त की है। इस उपलब्धि का श्रेय उन्होंने अपने माता-पिता एवं गुरुओं को दिया उन्होंने बताया कि सही मार्गदर्शन के द्वारा ही परीक्षा को उत्तीर्ण किया जा सकता है ।

आपको बताते चले आईआईटी रुड़की की ओर से फरवरी में आयोजित इस परीक्षा के आधार पर छात्र-छात्राओं को देश के सभी आईआईटी में एमएससी के विभिन्न पाठ्यक्रमों में दाखिला मिल सकता है। अगले चरण में डॉक्टरेट की डिग्री एवं डेटा साइंटिस्ट के रूप में कॅरिअर की शुरुआत होती है।

भौतिक विज्ञान विषय IIT जैम उतीर्ण सुधांशु तिवारी वर्तमान समय मे पाठशाला कोचिंग के माध्यम से 9th क्लास से ही विद्यार्थियों को NEET मेडिकल /IIT इंजीनियरिंग के लिए तैयार करा रहे है।वार्ता के दौरान सुधांशु तिवारी ने बताया कि 9th से 12th तक के बच्चों की बेसिक यदि मजबूत हो गई तो,उन विद्यार्थियों को किसी भी परीक्षा को उतीर्ण करने में कोई कठिनाई नही होगी।

 


 पाठशाला कोचिंग में आयोजित चिकित्सा शिक्षा के सेमिनार में आइए जानते हैं डा आयुष द्विवेदी द्वारा दिये गए टिप्स को।


NEET 2022 परीक्षा की तैयारी, पाठ्यक्रम, तैयारी के टिप्स, सर्वश्रेष्ठ परीक्षा पुस्तकों के नाम (भौतिकी, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान)


NEET 2022 : तैयारी के लिए   सर्वश्रेष्ठ तैयारी करने के लिए NEET के उम्मीदवारों को सबसे पहले NEET परीक्षा की तैयारी के लिए सर्वश्रेष्ठ पुस्तकों के बारे में जानकारी हासिल करनी होगी। 


NEET परीक्षा 2022 के लिए सही पुस्तकों का चयन करना उम्मीदवार की NEET 2022 परीक्षा की तैयारी का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा साबित हो सकता है।भौतिकी, रसायन विज्ञान और जीव विज्ञान के संपूर्ण पाठ्यक्रम को तैयार करने और पुनरीक्षण करने के लिए पाठ्यक्रम के साथ इस लेख में पाठशाला के एक्सपर्ट्स डा आयुष द्विवेदी द्वारा तैयार संस्तुत NEET परीक्षा के लिए पूरी टिप्स को पढ़े ।


NEET 2022 परीक्षा का क्या महत्त्व है?


NEET एक राष्ट्रीय स्तर की प्रवेश परीक्षा है जो भारत के विभिन्न कॉलेजों में MBBS/BDS पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) द्वारा आयोजित की जाती है।


सुल्तानपुर :  एमबीबीएस परीक्षाओं की समाप्ति के साथ, यह वर्तमान में देश भर में एमबीबीएस पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए एकमात्र प्रवेश परीक्षा है। इसलिए परीक्षा का मानक और कठिनाई स्तर भी बहुत अधिक है।


NEET 2022 परीक्षा को क्रैक करने के लिए केवल कड़ी मेहनत ही काफी नहीं है। प्रतियोगिता पर जीत हासिल करने के लिए एक उम्मीदवार को NEET 2022 परीक्षा के लिए एक मजबूत तैयारी रणनीति की भी आवश्यकता होती है।


 पाठशाला कोचिंग आपको NEET परीक्षा की किताबों की सूची, नीट परीक्षा की किताबों की पीडीएफ़, पाठ्यक्रम और परीक्षा प्रारूप, पाठ्यक्रम और कोचिंग आदि के साथ अपनी तैयारी के इस हिस्से का ध्यान रखने में मदद करेगा। NEET 2022 परीक्षा की तैयारी के लिए सबसे अच्छी रणनीति बनाने के लिए जानकारी की इस सूची को संभाल कर रखें।


NEET परीक्षा 2022 की तैयारी की रणनीति के लिए क्रमानुसार मार्गदर्शिका दी गई है

चरण 1: NEET 2022 परीक्षा का परीक्षा प्रारूप जानें


रणनीति तैयार करने के लिए, आपको सबसे पहले NEET 2022 के परीक्षा प्रारूप और परीक्षा में पूछे जाने वाले प्रश्नों के प्रकार को जानना और समझना होगा।


इस बात को ध्यान में रखना महत्त्वपूर्ण है कि NTA द्वारा NEET 2022 परीक्षा के परीक्षा प्रारूप में अभी तक किसी भी बदलाव की घोषणा नहीं की गई है। लेकिन यह स्पष्ट कर दिया गया है कि परीक्षा इस साल भी पेन और पेपर मोड में आयोजित की जाएगी। हालांकि, इस तथ्य को देखते हुए कि कई राज्यों में कक्षा 12 की बोर्ड परीक्षा के पाठ्यक्रम को कम कर दिया है उम्मीदवारों के पास प्रश्न पत्र में आंतरिक विकल्प होंगे।


NEET 2022 परीक्षा अवलोकन:

विशेष विवरण विवरण

परीक्षा का नाम राष्ट्रीय पात्रता प्रवेश परीक्षा (NEET)

NEET परीक्षा की आवृत्ति साल में एक बार

परीक्षा का माध्यम- ऑनलाइन/ऑफलाइन


NEET 2022 में प्रश्नों का वितरण भौतिक विज्ञान: 45, रसायन विज्ञान: 45, जीव विज्ञान: 90 दो  भागों में विभाजित है – प्राणी विज्ञान:45 और वनस्पति विज्ञान:  45

प्रश्नों की कुल संख्या   180

प्रश्नों का प्रकार 180 बहुविकल्पीय प्रश्न

कुल अंक 720 अंक, (सही उत्तर: +4, गलत उत्तर: -1)

परीक्षा का माध्यम अंग्रेजी/हिंदी, उर्दू, तेलगु, बंगाली, कन्नड़, गुजराती, तमिल, मराठी,  असमिया और उड़िया (उम्मीदवार के स्थान के अनुसार)

चरण 2: NTA द्वारा प्रस्तावित NEET 2022 पाठ्यक्रम को समझें

शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी आधिकारिक नोटिस के अनुसार NEET 2022 पाठ्यक्रम में कोई बदलाव नहीं किया गया है और यह पिछले साल की तरह ही होगा। पहले की तरह, NEET 2022 का पाठ्यक्रम रसायन विज्ञान, भौतिकी और जीव विज्ञान (प्राणी विज्ञान और वनस्पति विज्ञान) विषयों पर कक्षा 11 और 12 के संपूर्ण पाठ्यक्रम पर आधारित होगा।


NEET विषय-वार पाठ्यक्रम पाठ्यक्रम में कुल इकाइयाँ भारित/महत्त्व


NEET जीव विज्ञान पाठ्यक्रम कक्षा 11 – 5 इकाइयाँ

कक्षा 12 – 5 इकाइयाँ   50%

NEET भौतिक विज्ञान पाठ्यक्रम कक्षा 11 – 10 इकाइयाँ

कक्षा 12 – 11 इकाइयाँ   25%

NEET रसायन विज्ञान पाठयक्रम कक्षा 11 – 14 इकाइयाँ

कक्षा 12 – 16 इकाइयाँ

 



रोगों को जड़ से समाप्त करती है और सस्ती - सुलभ चिकित्सा पद्धति है, होम्योपैथी पद्धति :- डा आयुष द्विवेदी 

मुरादाबाद: होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति के अंतिम सेमेस्टर के छात्र डॉ आयुष द्विवेदी बताते हैं कि, दुनियाभर में 10 अप्रैल को विश्व होम्योपैथी दिवस मनाया जाता है। होम्योपैथी इलाज के प्रति जागरूकता को बढ़ाने के लिए हर वर्ष भारत सरकार एक थीम जारी करती है। यह एक लक्ष्य की तरह से काम करती है। इसके माध्यम से लोगों को होम्योपैथी से इलाज और इसके महत्व के बारे में जागरूक किया जाता है। वर्ष 2022 की थीम “होम्योपैथी : स्वास्थ्य के लिए लोगों की पसंद” रखी गई है।

होम्योपैथिक चिकित्सा प्रणाली, होम्योपैथी केंद्रीय परिषद अधिनियम, 1973 के तहत भारत में मान्यता प्राप्त चिकित्सा प्रणाली है। इसे दवाओं की राष्ट्रीय प्रणाली के रूप में भी मान्यता प्राप्त है। यह दिन जर्मन चिकित्सक डॉ क्रिश्चियन फ्रेडरिक सैमुअल हैनीमैन की जयंती के अवसर पर मनाया जाता है, जो होम्योपैथी के संस्थापक हैं। डॉ हैनीमैन एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक और भाषाविद थे। उनका जन्म 10 अप्रैल 1755 को पेरिस में हुआ था। उन्होंने होम्योपैथी के उपयोग के माध्यम से लोगों को स्वस्थ करने के कई तरीके खोजे और विश्व को होम्योपैथी के रूप में बेहद कारगर, सस्ती और सुलभ वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति दी है।


भारत में होम्योपैथी

होम्योपैथी भारत में लोकप्रिय चिकित्सा प्रणालियों में से एक है। भारत में होम्योपैथी का इतिहास एक फ्रांसीसी डॉ. होनिगबर्गर के नाम से जुड़ा हुआ है, जो भारत में होम्योपैथी लाए थे। वह महाराजा रणजीत सिंह के दरबार से जुड़े थे। वह 1829-1830 में लाहौर पहुंचे और बाद में उन्हें पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह के इलाज के लिए आमंत्रित किया गया। डॉ होनिगबर्गर बाद में कलकत्ता गए और वहां अभ्यास शुरू किया, जहां उन्हें मुख्य रूप से ‘कॉलरा डॉक्टर’ के नाम से जाना जाता था। होम्योपैथी की शुरुआत 19 वीं शताब्दी में भारत में हुई थी। यह पहले बंगाल में फला-फूला, और फिर पूरे भारत में फैल गया।


होम्योपैथी पर लोगों का भरोसा बढ़ा

माना जाता है कि देश में आयुष मंत्रालय बनने के बाद से होम्योपैथी पर लोगों का भरोसा और बढ़ा है। किसी चिकित्सा पद्धति में सरकार भरोसा दिखाती है, तो आम जनता का विश्वास बढ़ता है। पीएम मोदी ने भी कहा है कि किसी एक पद्धति पर पूर्ण निर्भरता सही नहीं है, इसलिए आयुष मंत्रालय एक बहुत अच्छा कदम है।

विश्व होम्योपैथी दिवस के अवसर पर एक सम्मेलन में केंद्रीय आयुष मंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने कहा कि आयुष शिक्षा, सेवाकार्य और दवा विकास के क्षेत्रों में एक क्रांतिकारी परिवर्तन हो रहा है। उन्होंने कहा कि हाल ही में गठित राष्ट्रीय भारतीय चिकित्सा प्रणाली आयोग और राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग ने नई शिक्षा नीति के अनुसार आयुष शिक्षा के साथ तालमेल कायम किया है और नई प्रतिभाओं को इस हद तक आकर्षित कर रहे हैं कि आयुष के साथ-साथ होम्योपैथी भी चिकित्सा शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों के लिए पहली पसंद बन सकती है। उन्होंने कहा कि होम्योपैथी दवाएं आसानी से ली जा सकती हैं और बड़ी संख्या में लोगों द्वारा स्वीकार्य हैं। उन्होंने कहा कि आम लोगों के बीच होम्योपैथी की स्वीकार्यता अधिक है और लोग कई पीढ़ियों से पारिवारिक चिकित्सकों से इलाज की मांग करते हैं।


सबसे बड़ी होम्योपैथिक दवा निर्माताओं और निर्यातकों में से एक

हमारा देश वैश्विक स्तर पर सबसे बड़ी होम्योपैथिक दवा निर्माताओं और निर्यातकों में से एक है। भारत में, होम्योपैथी आयुर्वेद के रूप में लोकप्रिय है, दोनों आयुष मंत्रालय के दायरे में आते हैं। पिछले कुछ समय में आयुष मंत्रालय ने भारत में होम्योपैथी के प्रोत्साहन के लिए कई प्रयास किए हैं। इन प्रयासों के कारण भारत की आबादी का एक बड़ा हिस्सा अब इलाज की इस प्रक्रिया को अपनाने लगा है।


कई तरह के इलाज में उपयोगी

होम्योपैथिक दवाओं का उपयोग सर्जरी के बाद जल्दी ठीक होने के लिए पारंपरिक चिकित्सा के साथ या अकेले किया जा सकता है। एक शोध में पाया गया कि होम्योपैथी चिंता और हल्के से गंभीर अवसाद के उपचार में उपयोगी है। एक अन्य अध्ययन से संकेत मिलता है कि होम्योपैथिक उपचार ने न केवल कैंसर से पीड़ित लोगों में थकान को कम किया बल्कि उनके जीवन की गुणवत्ता में समग्र रूप से सुधार किया।


बिना सर्जरी के किया जाता है इलाज

होम्योपैथी चिकित्सा के वैकल्पिक विषयों में से एक है, जो आम तौर पर रोगी के शरीर की उपचार प्रक्रिया को ट्रिगर करके काम करता है। होम्योपैथी दवाओं और सर्जरी का उपयोग नहीं करता है। यह इस विश्वास पर आधारित है कि हर व्यक्ति के लिए बीमारियों के अलग-अलग लक्षण होते हैं और उसी के अनुसार उसका इलाज किया जाना चाहिए। यह मानता है कि प्राकृतिक अवयवों की खुराक के माध्यम से इन लक्षणों को उत्प्रेरण करके किसी भी बीमारी को ठीक किया जा सकता है। आज, दुनिया भर में होम्योपैथिक उपचार पर बहुत से लोग निर्भर हैं।


एक सस्ता और सुरक्षित उपचार

होम्योपैथी को पूरी तरह से सुरक्षित माना जाता है क्योंकि यह शरीर के लिए हानिकारक तरीके से प्रतिक्रिया नहीं करता, बल्कि इसकी बजाय यह शरीर में पिछले बीमारियों और निर्धारित दवाओं की उचित और नियमित खुराक के साथ नए विकास की जांच करने में मदद करता है। होम्योपैथी को एक सुरक्षित उपचार माना जाता है क्योंकि यह बेहद कम मात्रा में दवा का उपयोग करता है और इसके बहुत कम दुष्प्रभाव होते हैं।

इसकी गैर-विषाक्तता बच्चों के उपचार के लिए इसे एक अच्छा विकल्प बनाती है। होम्योपैथी का एक अन्य लाभ इस उपचार की लागत है। होम्योपैथिक उपचार एलोपैथिक उपचार की तुलना में काफी सस्ते होते हैं और इनका इलाज काफी प्रभावी पाया गया है।


चिकित्सक की सलाह से लें दवा

यह याद रखें कि होम्योपैथी मामूली रोजमर्रा की बीमारियों के लिए एक सुरक्षित और आसान उपाय तो है, लेकिन इसे किसी योग्य होम्योपैथिक चिकित्सक से परामर्श के बाद ही लिया जाना चाहिए। चिकित्सक कई कारकों पर विचार करते हैं, जिसमें आपकी आयु, स्थिति, बीमारी की गंभीरता, चरण और आपके पिछले इतिहास को शामिल करके सही दवा की पहचान करते हैं, जो आपके तेजी से ठीक होने के लिए सबसे अच्छा है।

 ऑपरेशन के लिए दर्जनभर से अधिक मोतियाबिंद मरीज हुए चिन्हित


नर सेवा नारायण सेवा: रेवती रमण तिवारी ( जिला अध्यक्ष पूर्व सैनिक परिषद )


सुल्तानपुर। इंदिरा गांधी आई हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर मुंशीगंज अमेठी द्वारा आज गुरुवार को विकास खंड कूरेभार में संचालित जनियर हाई स्कूल बरोला पर निःशुल्क नेत्र शिविर का आयोजन किया गया।नेत्र शिविर का शुभारंभ मुख्य अतिथि जनपद के प्रसिद्ध सर्जन डॉ. एके सिंह ने फीता काटकर किया।सुबह 9 बजे से दोपहर 1 बजे तक संचालित शिविर में इंदिरा गांधी आई हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर मुंशीगंज के विशेषज्ञ डॉक्टरों द्वारा क्षेत्र के 135 मरीजों का निःशुल्क नेत्र परीक्षण,परामर्श के साथ दवा उपलब्ध कराई गई। इस दौरान शिविर के आयोजक पूर्व सैनिक परिषद के जिला अध्यक्ष रेवती रमन तिवारी ने बताया कि


आज के कैम्प में 18 मरीजों को निःशुल्क मोतियाविन्द ऑपरेशन के लिए चिन्हित किया गया है।जिनका आगामी 14 अप्रैल को इंदिरा गांधी आई हॉस्पिटल मुंशीगंज में निःशुल्क ऑपरेशन किया जाएगा।शिविर के समापन के अवसर पर पूर्व सैनिक परिषद के जिला उपाध्यक्ष सुरेंद्र तिवारी द्वारा सैनिक


परिषद की तरफ से मुख्य अतिथि डॉ ऐके सिंह सहित कैम्प में मौजूद मुंशीगंज हॉस्पिटल के डॉक्टरों को स्मृति चिन्ह भेंट किया।इस दौरान बरोला ग्राम सभ के प्रधान वीरेंद्र कुमार यादव,प्रधान प्रदीप वर्मा,सूबेदार यादव,पवन यादव,सुनील मोर्य सहित दर्जन स्वास्थ्य कर्मी मौजूद रहे।

 


उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर-अमेठी सीट पर 9 अप्रैल को एमएलसी चुनाव होना है। 28 मतदान केंद्रों पर कुल 3894 मतदाता मतदान करेंगे। इसमें सुल्तानपुर के 2220 तो अमेठी के 1674 वोटर शामिल होंगे। भाजपा ने निवर्तमान एमएलसी शैलेंद्र प्रताप सिंह तो सपा ने पूर्व कैबिनेट मंत्री गायत्री प्रजापति की पुत्र वधू शिल्पा को मैदान में उतारा है।


सुल्तानपुर में दो हजार के ऊपर वोटर

सुल्तानपुर में 14 ब्लॉकों में 2220 वोटर हैं। इसमें धनपतगंज ब्लॉक प्रमुख व इसौली से बसपा प्रत्याशी यशभद्र सिंह मोनू के ब्लॉक में 147 वोट व बल्दीराय में 156, कुड़वार में 177 और कूरेभार में 191 वोट हैं। यह वोट बैंक किधर जाएंगे यह हार-जीत में काफी निर्णायक होंगे। इसके अलावा जयसिंहपुर में 189, दोस्तपुर में 135, मोतिगरपुर में 96, अखंडनगर में 161, करौंदिकला में 91 और कादीपुर में 143 वोट हैं। यहां सपा के अरुण वर्मा और भाजपा के राज प्रसाद की भूमिका अहम होगी। इसी तरह सपा जिलाध्यक्ष पृथ्वी पाल यादव के क्षेत्र में पीपी कमैचा में 140, 

सुलतानपुर: जिले में बीती रात खैंचिला में हुई केदारनाथ तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी की हत्या के मामले में आज अपरान्ह शव का पोस्टमार्टम करा कर लौट रहे परिजनों ने शव को मुरली नगर के पास बीच सड़क पर रखकर रोड जाम कर दिया।

मामले की सूचना पर नगर कोतवाली की पुलिस टीम मौके पर पहुंची। SDM सदर CP पाठक ने मौके पर पहुंच कर परिजनों को समझाने का प्रयास किया लेकिन परिजन शव की अंत्येष्ठी करने को तैयार नहीं हुए। परिजनों ने हत्याभियुक्त को गिरफ्तार करने के साथ- साथ आर्थिक सहायता दिलाए जाने की माँग जिला प्रशासन से की।

क्षेत्राधिकारी लंभुआ सतीश चंद्र शुक्ला और SDM सदर CP पाठक नें परिजनों से बातचीत कर जल्द मामले के आरोपियों की गिरफ्तारी का आश्वासन दिया तब जाम खुला। इसके बाद परिजन अंतिम संस्कार के लिए तैयार हुए।

बताया जा रहा है कि शनिवार शाम खैंचिला गांव के निवासी केदारनाथ तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी शाम को कुछ सामान लाने गांव की ही एक दुकान पर थे, उसी समय बाइक सवार बदमाशों नें उन पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसा दी, घटना को अंजाम देकर बदमाश मौके से भाग निकले। जिनका अभी तक कोई सुराग नहीं मिल सका है।

बहरहाल इस घटना को लगभग 24 घंटे हो चुके हैं, लेकिन पुलिस अभी इस मामले में बैकफुट पर है। देखना होगा कि प्रशासन को हत्यारोपियों की गिरफ्तार में कब तक सफलता मिलती है।


सुलतानपुर: BJP के कार्यकर्ता राजेन्द्र कुमार तिवारी 'टांड़ा' को जिले में (कि. मो.) का जिला उपाध्यक्ष बनाया गया है। राजेन्द्र कुमार तिवारी 'टांड़ा' को BJP का नया जिला उपाध्यक्ष बनाने की आधिकारिक घोषणा रविवार को दोपहर बाद पार्टी के जिला मुख्यालय ने की। वहीं राजेन्द्र कुमार तिवारी 'टांड़ा' को जिला उपाध्यक्ष बनाये जाने पर पार्टी पदाधिकारियों- कार्यकर्ताओं और समर्थकों नें खुशी जाहिर की है।

सुलतानपुर: जहां एक ओर पर्यावरण को बचाने के लिए घर-घर हरियाली का संदेश दिया जा रहा है। वहीं जिले के अलग- अलग थानाक्षेत्रों में दर्जनों अवैध आरा मशीनें धड़ल्ले से चल रही हैं। जानकारी मिली है कि नियमों को ताक पर रखकर इन आरा मशीनों में हरे भरे पेड़ों की बलि चढ़ाई जा रही है। वहीं वन विभाग के अधिकारी पर्यावरण पर चलते कुल्हाड़ों की अनदेखी कर रहे हैं। जिसका नतीजा ये है कि अंकुश लगने की बजाय आए दिन अवैध आरा मशीनें बढ़ रही हैं।

दर्जन भर से ज्यादा आरा मशीनें अवैध

जानकारी के अनुसार जिले के कुड़ेभार, धनपतगंज, कुड़वार, बल्दीराय एवं दूबेपुर में करीब दर्जन भर से ज्यादा आरा मशीन अवैध रूप से संचालित की जा रही हैं। सूत्रों के अनुसार इनमें से दर्जन भर से ज्यादा मशीनें वन विभाग की ओर से बिना NOC और गैरलाइसेंसी हैं। इनके पास न लाइसेंस है और ना ही आरा मशीनें चलाने के लिए NOC।

माननीय उच्चतम न्यायालय नें भी वर्ष 2002 में अवैध आरा मशीनों पर रोक का आदेश दे चुका है। उसके बाद नए लाइसेंस देना तक बंद कर दिए गए हैं। इसके बावजूद भी क्षेत्र में दर्जनों अवैध आरा मशीनें नई चालू की जा चुकी हैं। जिन पर वन अधिकारियों द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई।

विवरण रखना है, लेकिन जांच तक नहीं

लाइसेंसशुदा आरा मशीन संचालक को लकड़ी चीरने के दौरान वृक्ष का नाम, चिराई के बाद लकड़ी को बेचने और बचने वाली लकड़ी का विवरण रजिस्टर में अंकित करना होता है। इसके अलावा आरा मशीन परिसर में सूचना पट्ट पर मशीन के बारे में जानकारी, लकडिय़ों का स्टॉक तथा लाइसेंस रखना आवश्यक है। नियमों की धज्जियां उड़ाने वाले आरा मशीन संचालकों के खिलाफ कार्रवाई तो दूर वार्षिक जांच तक समय पर नहीं की जाती है।

पीपल, आम, सागौन, बरगद व नीम भी कट रहे हैं

वन दरोगा और सर्किल इंचार्ज की मिलीभगत से क्षेत्र के लकड़ी माफियाओं के लिए यह मशीनें काफी फायदेमंद साबित हो रही हैं। जिले में ऐसे पेड़ों की भी कटान होती है, जो हरे अथवा प्रतिबंधित हैं। इनका परमिट भी वन विभाग से नहीं मिल पाता है। जैसे पीपल, बरगद, नीम, आम, सागौन, पाकड़, शीशम आदि कीमती पेड़ों की लकडिय़ां प्रतिबंधित होने के बावजूद काटी जा रही हैं। इन पेड़ों को काटने के बाद इनकी चिराई इन्हीं अवैध आरा मशीनों पर की जाती है। इनसे इन्हें लाइसेंस रद्द होने जैसी किसी बात का डर नहीं रहता।

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