दान और स्नान की अमावस्या यानी कार्तिक माह की अमावस्या इस बार 15 तारीख को है. लेकिन दिवाली पर लक्ष्मी पूजन 14 नवंबर को ही किया जाएगा. दिवाली का त्योहार 14 नवम्बर को ही मनाया जाएगा.
ज्योतिषियों के मुताबिक 12 नवम्बर को रात 9 बजकर 30 मिनट से त्रयोदशी प्रारम्भ हो जाएगी और यह 13 नवम्बर की शाम 5 बजकर 59 मिनट तक रहेगी.
इसके बाद 14 नवम्बर को 1 बजकर 16 मिनट तक चतुर्दशी रहेगी और वहां से अमावस्या लागू हो जाएगी. इस वजह से 14 नवम्बर को ही लक्ष्मी पूजन किया जाएगा और दिवाली भी इस दिन मनाई जाएगी. हालांकि दान और स्नान 15 नवम्बर को ही किये जायेंगें.
दिवाली की पूजा रात में ही होती है इसलिए 14 नवबंर को दिवाली मनाई जाएगी. वहीं चतुर्दशी 13 से आंरभ होकर 14 तक रहेगी तो लक्ष्मी पूजन के दिन ही नरक चतुर्दशी भी मनाई जाएगी.
दिवाली पूजा मुहूर्त
दिवाली के लिए इस बार पूजा के लिए शाम में जल्दी ही मुहूर्त बताया गया है. शाम के 5 बजकर 40 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 15 मिनट का मुहूर्त सबसे ऊत्तम माना गया है. इस शुभ मुहूर्त के समय लक्ष्मी और गणेश पूजा की जा सकती है. इस बार छोटी दिवाली और बड़ी दिवाली की तिथि एक ही दिन पड़ने को शुभ माना जा रहा है.
क्यों मनाई जाती है दीवाली?
वैसे तो सर्वविदित है कि रावण को मारने के बीस दिन बाद भगवान श्रीराम दिवाली के दिन ही अयोध्या लौटे थे इसलिए उस दिन पूरी अयोध्या नगरी को दीपों से सजाया गया था और भगवान राम का स्वागत जगमगाती रौशनी से किया गया था. यही कारण मानते हुए इस दिन दिवाली मनाई जाती है.
मां लक्ष्मी को क्या पसंद है?
दिवाली की पूजा में प्रसाद की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. कहते हैं कि पूजा के दौरान मां लक्ष्मी घर आती हैं इसलिये द्वार पर भी रंग से देवी के पैरों की छाप एवं शुभ चिन्ह बनाये जाते हैं. भक्त तो अपनी तरफ से मां को प्रसन्न करने के लिए हरसंभव प्रयास करते हैं.
मां लक्ष्मी को 5 प्रकार के प्रयास काफी पसंद हैं ऐसा माना जाता है, इन पांच प्रसाद में मखाना, नारियल, पान, सिंघाड़ा और बताशे शामिल हैं. लोगों का मानना है कि मां लक्ष्मी को इन प्रसाद से प्रसन्न किया जा सकता है.