वाराणसी: भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन प्रथम सत्र की अघ्यक्षता डा. प्रीतम कालिया, सह-अध्यक्षता डा. एस. टिक्कू एवं संयोजन डा. राजेश कुमार द्वारा किया गया। इस सत्र में संस्थान के निदेशक डा. टी.के. बेहेरा ने अपने सम्बोधन में अखिल भारतीय सब्जी अनुसंधान परियोजना (सब्जी फसल) के 50 वर्षों की उपलब्धियाँ एवं भविष्य की योजनाओ के उपर प्रकाश डालते हुए बताया कि वैश्विक स्तर पर भारत देश में सब्जियों का क्षेत्रफल 15.8 प्रतिशत एवं उत्पादन 13 प्रतिशत है। देश भिण्डी में प्रथम, टमाटर, आलू, बैंगन, पत्तागोभी, फूलगोभी में द्वितीय स्थान पर है। इस परियोजना की स्थापना 17 जुलाई, 1971 को की गयी। इस परियोजना के तहत जननद्रव्य संग्रहण, किस्मों का मूल्यांकन एवं विविधता का अध्ययन (8 शस्य क्षेत्रों के लिये), सब्जी उत्पादन तकनीकी, फसल सुरक्षा तकनीकी एवं बीज उत्पादन तकनीकी का विकाश एवं मूल्यांकन किया जाता है। परियोजना में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली के 11 संस्थान एवं 25 केन्द्रीय/राज्य कृषि विश्वविद्यालय केन्द्र है। परियोजना के पास 25785 जननद्रव्य उपलब्ध है जिनको समय-समय पर शोध कार्य हेतु छात्रों एवं वैज्ञानिकों को उपलब्ध कराया जाता हैं। अभी तक कुल 347 किस्में, 181 संकर, 59 प्रतिरोधी किस्में, 432 उत्पादन तकनीकी, 46 संरक्षित खेती तकनीकी, 150 बीज उत्पादन तकनीकी विकसित की गयी। संस्थान में जल भराव की प्रतिरोधी सब्जियों के विकास के लिए ग्राफ्टिंग तकनीकी द्वारा बैंगन के मूल वृंत्त पर टमाटर की शाखा का रोपण करके जलभराव प्रतिरोधी टमाटर विकसित की गयी है। टमाटर में सहारा देकर उत्पादन में वृद्धि कार्बनिक/जैविक खेती द्वारा रसायन मुक्त सब्जी उत्पादन सब्जी की फसलों में अन्र्तवर्तीय मसालें की खेती द्वारा कुल आय में वृद्धि एवं कीटों की प्रकोप में कमी का विकास किया गया। लौकी में बावर ट्रेनिंग करने पर उत्पादन 38 टन और बिना ट्रेनिंग के 24 टन प्रति हेक्टेयर प्राप्त हुआ। जनक बीज का उत्पादन विगत वर्षों में माँग से अधिक किया गया जबकि अंतिम दो वर्ष लगभग बराबर था। अभी तक अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना (सब्जी फसलें) द्वारा 947 शोध पत्र, 56 किताबें, 79 चैप्टर, 232 लेख, 101 बुलेटिन का प्रकाशन किया गया है। भविष्य की योजनाओं में राज्यवार सब्जी नक्शा, स्थानीय/क्षेत्रीय समस्याएं, उत्पादकता में वृद्धि, गुणवत्तायुक्त बीज की सुनिश्चित उपलब्धता, गुण विशेष किस्मों का विकास, जलवायु अनुकूल किस्मों का विकास, राज्य सरकार को जनक बीज लेकर प्रमाणित बीज बनाने के लिए प्रोत्साहन, सब्जी उत्पादन में निजी क्षेत्रों की सहभागिता पर जोर दिया गया। आज दूसरे दिन कुल 04 तकनीकी सत्र आयोजित किए गए जिसमें मुख्य रूप से परियोजना में निजी क्षेत्र की भागीदारी, टमाटर में जड़़ क्षेत्र का महत्व, फ्राशबीन में रोग नियत्रण, मिर्च में उन्नतशील किस्मों का विकास, भिण्डी में विषाणु रोग नियंत्रण, उच्च तापमान पर विषाणु रोग सहनशीलता, मिर्च में जैव विविधिता, खीरा में डाउनी मिल्ड्यू का नियंत्रण एवं लोबिया में उच्च ताप सहनशील किस्मों के विकास पर व्याख्यान दिया गया।
आज दिनांक 16 दिसंबर 2022 को विजय दिवस जिला अध्यक्ष रेवती रमण तिवारी की अध्यक्षता में जिला सैनिक कल्याण कार्यालय परिसर में मनाया गया मुख्य अतिथि जिला सैनिक कल्याण अधिकारी कैप्टन विजय कुमार त्रिवेदी एवं संरक्षक कैप्टन सत्यनारायण तिवारी उपस्थित रहे सर्वप्रथम शहीदों को सुमन अर्पित करते हुए श्रद्धांजलि दी गई समस्त पूर्व सैनिकों ने शहीदों को श्रद्धांजलि दी जिला सैनिक कल्याण कार्यालय से प्रभात फेरी बस अड्डा होते हुए चौक घंटाघर हेड पोस्ट ऑफिस के सामने से होते हुए सैनिक कार्यालय पर समापन के बाद बैठक की गई बैठक में नायब सूबेदार अर्जुन पांडे ने विजय दिवस के बारे में बताया कि यह 50 वां विजय दिवस मनाया जा रहा है आज के ही दिन पाकिस्तानी सेना ने जनरल नियाजी के नेतृत्व में 93000 सैनिकों के साथ आत्मसमर्पण भारतीय सेना के सामने किया था आज का दिन द्वितीय विश्व युद्ध के बाद हिंदुस्तानी सेना के इतिहास में स्वर्णिम अध्याय के रूप में लिखा गया आज के ही दिन बांग्लादेश बना इस बैठक में मुख्य रूप से महासचिव धर्म देव सिंह कोषाध्यक्ष रमेश प्रताप सिंह सूबेदार मेजर अयोध्या प्रसाद वर्मा प्रदीप पांडे सूबेदार गौरी शंकर शर्मा सूबेदार मेजर श्याम बहादुर मिश्रा नायव सुवेदार देवनारायण जितेंद्र सिंह श्रीपत मिश्रा महेंद्र सिंह हवलदार जयप्रकाश एलन सिंह अमरजीत दुबे सुरेंद्र तिवारी आदि समस्त पूर्व सैनिक उपस्थित रहे अंत में विजय दिवस का जश्न पूरे शहर में पूर्व सैनिकों ने मनाया।
चक्रपाणि ओझा का शोध संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में पंजीकृत है। चक्रपाणि ओझा ने कक्षा छः से शोध छात्र तक का सफर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से ही तय किया है।
चक्रपाणि ओझा मृदुभाषी हैं , व्यवहारिक है , विश्वविद्यालय में सबके लिए सहज उपलब्ध रहते है। चक्रपाणि ओझा एक आदर्श छात्र नेता के रूप में बीएचयू में लोकप्रिय है।
अटल जैसी सशक्त विचारधारा और चन्द्रशेखर जैसी तेवर वाले चक्रपाणि ओझा छात्र राजनीति में सन 2013 से सक्रिय है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से लंबे अरसे से जुड़े हुए है। इकाई मंत्री से लेकर राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य के सफर में आपने तमाम वैचारिकी के बीच विश्वविद्यालय में राष्ट्रवाद की बीज बोकर उसे एक बड़ा पेड़ बनाया है।
'राजनीति तेल से नही, तेवर से चलती है' कहने वाले चक्रपाणि ओझा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में छात्र हितों की तमाम लड़ाइयां लड़ चुके है। फीस वृद्धि आंदोलन, कुलपति के खिलाफ 2016 का आंदोलन , चीफ प्रॉक्टर रॉयना सिंह के तानाशाह रवैये के खिलाफ उनके बर्खास्तगी तक कि एक लंबी लड़ाई और अभी हाल में ही फिरोज खान के नियुक्ति खिलाफ उनके कई सफल आंदोलनों में से कुछ हैं।चक्रपाणि ओझा सदैव ही महामना के मूल्यों एवं आदर्शो के प्रति समर्पित रहें है।