December 2022

सुलतानपुर: अनिल पांडेय (प्रधानाचार्य) स्वामी विवेकानन्द जूनियर हाईस्कूल मुडुवा, कुड़वार सुलतानपुर की तरफ से सभी को मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं...भगवान भास्कर सभी को यश वैभव एवं सुख समृद्धि प्रदान करें...

सुलतानपुर: नीलम पांडेय (सहायक प्रधानाचार्य) स्वामी विवेकानन्द जूनियर हाईस्कूल मुडुवा, कुड़वार सुलतानपुर की तरफ से मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं...भगवान भास्कर सभी को यश वैभव एवं सुख समृद्धि प्रदान करें...

सुलतानपुर: DM रवीश गुप्ता व मुख्य विकास अधिकारी अंकुर कौशिक द्वारा जिला चिकित्सालय के ऑक्सीजन प्लांट का निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान ऑक्सीजन प्लांट संचालित पाया गया। जिलाधिकारी द्वारा ऑक्सीजन प्लांट की क्षमता के बारे में भी जानकारी प्राप्त की गयी। उन्होंने सम्बन्धित को निर्देशित किया कि ऑक्सीजन प्लांट की साफ-सफाई सहित अन्य व्यवस्थाएं सुव्यवस्थित कर लें। 
          

तत्पश्चात जिलाधिकारी व मुख्य विकास अधिकारी द्वारा जिला अस्पताल में चल रहे उच्चीकरण निर्माण कार्य का निरीक्षण कर उसकी गुणवत्ता को परखा गया।
           

जिलाधिकारी द्वारा सम्बन्धित से निर्माण कार्य के बारे में जानकारी प्राप्त की गयी तथा सम्बन्धित को निर्देशित किया गया कि श्रमिकों की संख्या बढ़ाई जाय। उन्होंने कार्यदायी संस्था को निर्देशित करते हुए कहा कि निर्माण सामग्री की गुणवत्ता में किसी भी प्रकार की कमी न आने पाये। जिलाधिकारी द्वारा सम्बन्धित कार्यदायी संस्था को कार्य में प्रगति लाये जाने तथा कार्य को ससमय पूर्ण किये जाने हेतु निर्देशित किया गया।
           

इस अवसर पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ0 डी0के0 त्रिपाठी सहित अन्य सम्बन्धित अधिकारी उपस्थित रहे।

सुलतानपुर: बढ़ती ठंड एवं गलन को देखते हुए जिलाधिकारी/अध्यक्ष इण्डियन रेड क्रास सोसायटी रवीश गुप्ता के निर्देशन के क्रम में मुख्य विकास अधिकारी/उपाध्यक्ष अंकुर कौशिक, चेयरमैन डॉ0 डी0एस0 मिश्रा इण्डियन रेड क्रास सोसायटी के दिशा निर्देश में जय प्रकाश शुक्ल सचिव के कुशल नेतृत्व में जनपद सुलतानपुर की रेड क्रास सोसायटी टीम के साथ रात्रि 12 बजे भ्रमण कर रेलवे स्टेशन मालगोदाम रोड बस स्टैंड पयागीपुर चौराहे पर असहायों एवं जरुरतमंदों में कंबल चद्दर टीशर्ट का वितरण किया गया।
       

कंबल चद्दर टीशर्ट वितरण के दौरान जय प्रकाश शुक्ल ने कहा कि रेडक्रास टीम लगातार ही रात्रि भ्रमण कर जरुरतमंदों एवं असहायों की मदद कर रही है, इस संस्था का एक ही मकसद है-पीड़ित मानवता की सेवा करना और दूसरों को इसके लिये प्रोत्साहित करना वास्तव में मानव कल्याण ही सबसे बड़ी सेवा है और जरूरतमंदों की सहायता के लिए हम सभी को हमेशा तत्पर रहना चाहिए।


इस ठंड में कंबल चद्दर टीशर्ट मिलते ही जरुरतमंदों के चेहरे खुशी से खिल उठे आज के दिन कड़ाके की ठंड और गलन हैं कई रिक्शा चालक कंबल चद्दर टीशर्ट पाकर बहुत खुश हुए, और सभी ने संस्था के लोगों को बहुत सराहना की और कहा कि आप सब इस ठंड रात में घूमकर जरुरतमंदों की मदद कर रहे हैं आप की संस्था बहुत बढ़िया कार्य करती है आज रात्रि भ्रमण का कार्यक्रम इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी सुलतानपुर के आपदा प्रबंधन समिति के अध्यक्ष डॉ0 चंद्रभान सिंह, जिला महिला विंग कि सचिव सरस्वती मिश्रा तथा सहसचिव रूचि पाल, विवेक सिंह जगन्नाथ पान्डेय, विरेन्द्र तिवारी आदि सम्मानित सदस्य उपस्थित रहे।

हम खुद ही खुद को भूल गए,
अब खुद को ही हम याद करें।
आओ मिल फरियाद करें 
अब खुद को ही हम याद करें।
कुछ भूली भट्टकी यादें हैं 
जो सदा सामने रहती हैं
आंखों से अश्रु की धार बहती
ना जाने क्या वह कहती है
कब तक यादों के मोहजल की बुनियाद धरे
हम खुद ही खुद को भूल गए,
अब खुद को ही हम याद करें।
कुछ सपने थे,कुछ आशा थी
सब टूट गए मन में घोर निराशा थी
जीवन की इस गोधूलि में
सपनों की नई नीव धरे
हम खुद ही खुद को भूल गए,
अब खुद को ही हम याद करें।


वाराणसी : भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के तीसरे दिन प्रथम सत्र की अघ्यक्षता डा. संजय सिंह, निदेशक, भारतीय बीज विज्ञान संस्थान, मऊ, सह-अध्यक्षता डा. प्रभाकर मोहन सिंह एवं संयोजन डा. राजेश कुमार द्वारा किया गया। इस सत्र में अघ्यक्ष ने अपने सम्बोधन में बताया कि देश में 15 मुख्य सस्य क्षेत्रों एवं 20 पारिस्थितिकी क्षेत्रों के लिए जनक बीज की मांग में बीज उद्योगों के नवाचार की आवश्यकता पर बल दिया। देश में संकर की मांग बढ़ रही है जो आय बढ़ाने में सहायक है। देश में 700 बीज कंपनियां काम कर रही है जिनके सामने मुख्य बाध्यताएँ संकर बीज का अधिक मूल्य, समय से उपलब्धता एवं गुणवत्ता का आश्वासन है। इसके अलावा मुख्य चुनौतियाँ जलवायु परिवर्तन एवं नकली बीज का व्यावसायीकरण है। देश से अफ्रीका एवं एशिया के देशों को बीज निर्यात के बहुत अवसर है, जिसका लाभ बीज उद्योग उढ़ा सकता है। प्रो. प्रदीप श्रीवास्तव, कार्यकारी निदेशक, टीआईएफएसी, डीएसटी, न्यू दिल्ली ने बताया की कृषि में रूपांतरण की आवश्यकता है। संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुमान के अनुसार 2050 में विश्व की जनसंख्या 9.7 बिलियन हो जाएगी जबकि कृषि योग्य भूमि 4 प्रतिशत बढ़ेगी जिससे कृषि योग्य भूमि पर दबाव बढ़ेगा। देश में 54.6 प्रतिशत लोग सीधे कृषि से जुड़ें है। जिनकी आय बढ़ाने में आर्टफिशल इन्टेलिजन्स जैसे सर्च इंजन, नेटफलिक्स, यूट्यूब, सेल्फ ड्रिवन वीइकल, ऑटो लैंग्वेज ट्रांसलेटर और फेसीयल रेकॉगनीशन बहुत सहायक हो सकता है। इस सत्र में कुल 5 व्याख्यान जैसे फूलगोभी के संकर बीज उत्पादन में कोशिकाद्रव्यी बंध्यता का उपयोग, कद्दू का बीज उत्पादन, खीरा का बीज अंकुरण बढ़ाने के लिए सूक्ष्म तत्वों का प्रयोग, मूली का उच्च ताप सहनशील संकर बीज उत्पादन एवं जल भराव सहनशीलता के लिए बैंगन रूट स्टॉक पर टमाटर के तने की ग्राफटींग एवं अधिक उत्पादन के लिए आलू के रूट स्टॉक पर टमाटर के तने की ग्राफटींग तकनीकी का प्रयोग। प्लेनरी सेशन की अघ्यक्षता डॉ बी एस धनखड़, सह अघ्यक्षता डॉ टी के बेहेरा एवं संयोजन डॉ प्रभाकर मोहन सिंह द्वारा किया गया। प्रभाकर मोहन सिंह द्वारा विभिन्न सत्रों की संस्तुतियों के बारे में विस्तार से बताया गया। संगोष्ठी के दौरान मंथन से निकली कुछ संस्तुतियाँ इस प्रकार रहीं – आई.ओ.टी.; ए.आई., ड्रोन तकनीकी आदि का प्रयोग करके क्लाइमेट स्मार्ट बागवानी विधियों का विकास, अधिक तापमान सहिष्णु किस्मों का विकास, दियारा क्षेत्रों हेतु तकनीकों का विकास, विकसित तकनीकों के प्रभाव का आकलन, राज्यवार /सब्जीवार मानचित्रों का विकास, परंपरागत सब्जी प्रजनन विधियों का नवीनतम तकनीकों के सामंजस्य में प्रयोग, एग्रो-इकोसिस्टम विश्लेषण आधारित समेकित पीड़क प्रबंधन, पौध आधारित पीड़कनाशियों का विकास एवं संवर्धन, तुड़ाई उपरांत प्रबंधन शृंखला का सुदृढ़ीकरण आदि। डॉ टी के बेहेरा ने इस गोष्ठी में आयोजित सत्रों की संस्तुतियों को सब्जियों से संबंधित सभी संस्थानों एवं विश्वविद्यालयों को भेजने का अनुरोध किया, जिससे भविष्य में वैज्ञानिक अपने शोध में इसे शामिल कर सब्जियों के उत्पादन एवं गुणवत्ता में वृद्धि कर किसानों की आय दुगुना करने में सहायक हो सकते है। इस अवसर पर विभिन्न सत्रों के पोस्टर का पुरस्कार अघ्यक्ष डॉ धनखड़ के कर कमलों द्वारा प्रदान किया गया। धन्यवाद ज्ञापन संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक एवं संगोष्ठी के आयोजन सचिव डॉ राजेश कुमार द्वारा दिया गया।

 


वाराणसी: भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी  के दूसरे दिन प्रथम सत्र की अघ्यक्षता डा. प्रीतम कालिया,  सह-अध्यक्षता डा. एस. टिक्कू एवं संयोजन डा. राजेश कुमार द्वारा किया गया। इस सत्र में संस्थान के निदेशक डा. टी.के. बेहेरा ने अपने सम्बोधन में अखिल भारतीय सब्जी अनुसंधान परियोजना (सब्जी फसल) के 50 वर्षों की उपलब्धियाँ एवं भविष्य की योजनाओ के उपर प्रकाश डालते हुए बताया कि वैश्विक स्तर पर भारत देश में सब्जियों का क्षेत्रफल 15.8 प्रतिशत एवं उत्पादन 13 प्रतिशत है। देश भिण्डी में प्रथम, टमाटर, आलू, बैंगन, पत्तागोभी, फूलगोभी में द्वितीय स्थान पर है। इस परियोजना की स्थापना 17 जुलाई, 1971 को की गयी। इस परियोजना के तहत जननद्रव्य संग्रहण, किस्मों का मूल्यांकन एवं विविधता का अध्ययन (8 शस्य क्षेत्रों के लिये), सब्जी उत्पादन तकनीकी, फसल सुरक्षा तकनीकी एवं बीज उत्पादन तकनीकी का विकाश एवं मूल्यांकन किया जाता है। परियोजना में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली के 11 संस्थान एवं 25 केन्द्रीय/राज्य कृषि विश्वविद्यालय केन्द्र है। परियोजना के पास 25785 जननद्रव्य उपलब्ध है जिनको समय-समय पर शोध कार्य हेतु छात्रों एवं वैज्ञानिकों को उपलब्ध कराया जाता हैं। अभी तक कुल 347 किस्में, 181 संकर, 59 प्रतिरोधी किस्में, 432 उत्पादन तकनीकी, 46 संरक्षित खेती तकनीकी, 150 बीज उत्पादन तकनीकी विकसित की गयी। संस्थान में जल भराव की प्रतिरोधी सब्जियों के विकास के लिए ग्राफ्टिंग तकनीकी द्वारा बैंगन के मूल वृंत्त पर टमाटर की शाखा का रोपण करके जलभराव प्रतिरोधी टमाटर विकसित की गयी है। टमाटर में सहारा देकर उत्पादन में वृद्धि कार्बनिक/जैविक खेती द्वारा रसायन मुक्त सब्जी उत्पादन सब्जी की फसलों में अन्र्तवर्तीय मसालें की खेती द्वारा कुल आय में वृद्धि एवं कीटों की प्रकोप में कमी का विकास किया गया। लौकी में बावर ट्रेनिंग करने पर उत्पादन 38 टन और बिना ट्रेनिंग के 24 टन प्रति हेक्टेयर प्राप्त हुआ। जनक बीज का उत्पादन विगत वर्षों में माँग से अधिक किया गया जबकि अंतिम दो वर्ष लगभग बराबर था। अभी तक अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना (सब्जी फसलें) द्वारा 947 शोध पत्र, 56 किताबें, 79 चैप्टर, 232 लेख, 101 बुलेटिन  का प्रकाशन किया गया है। भविष्य की योजनाओं में राज्यवार सब्जी नक्शा, स्थानीय/क्षेत्रीय समस्याएं, उत्पादकता में वृद्धि, गुणवत्तायुक्त बीज की सुनिश्चित उपलब्धता, गुण विशेष किस्मों का विकास, जलवायु अनुकूल किस्मों का विकास, राज्य सरकार को जनक बीज लेकर प्रमाणित बीज बनाने के लिए प्रोत्साहन, सब्जी उत्पादन में निजी क्षेत्रों की सहभागिता पर जोर दिया गया। आज दूसरे दिन कुल 04 तकनीकी सत्र आयोजित किए गए जिसमें मुख्य रूप से परियोजना में निजी क्षेत्र की भागीदारी, टमाटर में जड़़ क्षेत्र का महत्व, फ्राशबीन में रोग नियत्रण, मिर्च में उन्नतशील किस्मों का विकास, भिण्डी में विषाणु रोग नियंत्रण, उच्च तापमान पर विषाणु रोग सहनशीलता, मिर्च में जैव विविधिता, खीरा में डाउनी मिल्ड्यू का नियंत्रण एवं लोबिया में उच्च ताप सहनशील किस्मों के विकास पर व्याख्यान दिया गया।


आज दिनांक 16 दिसंबर 2022 को विजय दिवस जिला अध्यक्ष रेवती रमण तिवारी की अध्यक्षता में जिला सैनिक कल्याण कार्यालय परिसर में मनाया गया मुख्य अतिथि जिला सैनिक कल्याण अधिकारी कैप्टन विजय कुमार त्रिवेदी एवं संरक्षक कैप्टन सत्यनारायण तिवारी उपस्थित रहे सर्वप्रथम शहीदों को सुमन अर्पित करते हुए श्रद्धांजलि दी गई समस्त पूर्व सैनिकों ने शहीदों को श्रद्धांजलि दी जिला सैनिक कल्याण कार्यालय से प्रभात फेरी बस अड्डा होते हुए चौक घंटाघर हेड पोस्ट ऑफिस के सामने से होते हुए सैनिक कार्यालय पर समापन के बाद बैठक की गई बैठक में नायब सूबेदार अर्जुन पांडे ने विजय दिवस के बारे में बताया कि यह 50 वां विजय दिवस मनाया जा रहा है आज के ही दिन पाकिस्तानी सेना ने जनरल नियाजी के नेतृत्व में 93000 सैनिकों के साथ आत्मसमर्पण भारतीय सेना के सामने किया था आज का दिन द्वितीय विश्व युद्ध के बाद हिंदुस्तानी सेना के इतिहास में स्वर्णिम अध्याय के रूप में लिखा गया आज के ही दिन बांग्लादेश बना इस बैठक में मुख्य रूप से महासचिव धर्म देव सिंह कोषाध्यक्ष रमेश प्रताप सिंह सूबेदार मेजर अयोध्या प्रसाद वर्मा प्रदीप पांडे सूबेदार गौरी शंकर शर्मा सूबेदार मेजर श्याम बहादुर मिश्रा नायव सुवेदार देवनारायण जितेंद्र सिंह श्रीपत मिश्रा महेंद्र सिंह हवलदार जयप्रकाश एलन सिंह अमरजीत दुबे सुरेंद्र तिवारी आदि समस्त पूर्व सैनिक उपस्थित रहे अंत में विजय दिवस का जश्न पूरे शहर में पूर्व सैनिकों ने मनाया।

 




बीएचयू में चल रहे १०२वें दीक्षांत समारो में छात्रनेता चक्रपाणि ओझा को मिली डॉक्ट्रेट की उपाधी मिली 


चक्रपाणि ओझा का शोध संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में पंजीकृत है। चक्रपाणि ओझा ने कक्षा छः से शोध छात्र तक का सफर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से ही तय किया है। 


चक्रपाणि ओझा मृदुभाषी हैं , व्यवहारिक है , विश्वविद्यालय में सबके लिए सहज उपलब्ध रहते है। चक्रपाणि ओझा एक आदर्श छात्र नेता के रूप में बीएचयू में लोकप्रिय है।


अटल जैसी सशक्त विचारधारा और चन्द्रशेखर जैसी तेवर वाले चक्रपाणि ओझा छात्र राजनीति में सन 2013 से सक्रिय है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से लंबे अरसे से जुड़े हुए है। इकाई मंत्री से लेकर राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य के सफर में आपने तमाम वैचारिकी के बीच विश्वविद्यालय में राष्ट्रवाद की बीज बोकर उसे एक बड़ा पेड़ बनाया है। 


'राजनीति तेल से नही, तेवर से चलती है' कहने वाले चक्रपाणि ओझा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में छात्र हितों की तमाम लड़ाइयां लड़ चुके है। फीस वृद्धि आंदोलन, कुलपति के खिलाफ 2016 का आंदोलन , चीफ प्रॉक्टर रॉयना सिंह के तानाशाह रवैये के खिलाफ उनके बर्खास्तगी तक कि एक लंबी लड़ाई और अभी हाल में ही फिरोज खान के नियुक्ति खिलाफ  उनके कई सफल आंदोलनों में से कुछ हैं।चक्रपाणि ओझा सदैव ही महामना के मूल्यों एवं आदर्शो के प्रति समर्पित रहें है।

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