शुभम तिवारी
कृषि विषयो के जानकर
धान (Oryza sativa)
विश्वभर में प्रमुख खाद्य फसलों में से एक है, और इसकी पैदावार बढ़ाने के लिए
अच्छी नर्सरी प्रबंधन अनिवार्य है। नर्सरी वह स्थल है जहां धान के पौधों को मुख्य
खेत में रोपाई से पहले प्रारंभिक वृद्धि के लिए तैयार किया जाता है। यह प्रक्रिया
पौधों को एक मजबूत शुरुआत देती है और उन्हें विभिन्न प्रतिकूल परिस्थितियों से
सुरक्षित रखती है। इस विस्तृत मार्गदर्शिका में हम धान की नर्सरी डालने की विधि और
प्रबंधन के सभी पहलुओं पर चर्चा करेंगे।
1: स्थान और मिट्टी का चयन
1.1 स्थान का चयन : धान की नर्सरी के लिए उपयुक्त
स्थान का चयन करना महत्वपूर्ण है। एक अच्छे स्थान का चयन नर्सरी के सफल प्रबंधन की
पहली कुंजी है।
1. जल निकासी : नर्सरी के लिए समतल और अच्छे जल
निकास वाली भूमि का चयन करें ताकि पानी जमा न हो।
2. सूर्य का प्रकाश : नर्सरी को ऐसी जगह पर स्थापित
करें जहां पर्याप्त सूर्य का प्रकाश हो।
3. समीपता : नर्सरी को मुख्य खेत के पास स्थापित
करना सुविधाजनक होता है ताकि पौधों को रोपाई के समय लंबी दूरी तक ले जाना न पड़े।
1.2 मिट्टी
की तैयारी : मिट्टी की सही तैयारी नर्सरी की सफलता के लिए
आवश्यक है। यह पौधों को आवश्यक पोषक तत्व और उचित वृद्धि के लिए आदर्श
परिस्थितियाँ प्रदान करती है।
1. मिट्टी का चयन : नर्सरी के लिए दोमट या बलुई
दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है।
2. पीएच मान : मिट्टी का पीएच मान 5.5 से 6.5
के बीच होना चाहिए।
3. सफाई : नर्सरी क्षेत्र को अच्छी तरह साफ करें,
पत्थर और खरपतवार हटाएं।
4. जोताई : मिट्टी को अच्छी तरह जोतें और समतल
करें।
5. उर्वरक : 1 वर्ग मीटर नर्सरी के लिए 1-2 किलो
गोबर की खाद या कम्पोस्ट डालें और मिट्टी में अच्छी तरह मिलाएं।
2: बीज
की तैयारी
2.1 बीज का चयन : अच्छी गुणवत्ता वाले बीज नर्सरी की सफलता की कुंजी हैं। बीज का चयन करते
समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें:
1. उच्च उपज वाली किस्में: स्थानीय जलवायु और
मिट्टी के अनुकूल उच्च उपज देने वाली किस्मों का चयन करें।
2. रोग प्रतिरोधी किस्में : ऐसी किस्में चुनें
जो सामान्य रोगों और कीटों के प्रति प्रतिरोधी हों।
3. सफाई : बीज को साफ करें और खराब, टूटा हुआ
या रोगग्रस्त बीज निकाल दें।
2.2 बीज की तैयारी : बुवाई से पहले बीज की सही
तैयारी आवश्यक है। इससे अंकुरण की दर बढ़ती है और पौधे मजबूत होते हैं।
1. बीज का उपचार : बीज को फफूंदनाशक द्रव्य (जैसे
कैप्टन या थिरम) से उपचारित करें। 2 ग्राम द्रव्य प्रति किलो बीज के हिसाब से मिलाएं।
2. भिगोना : बीज को 24 घंटे पानी में भिगोकर रखें।
इससे बीज का छिलका नरम हो जाता है और अंकुरण प्रक्रिया तेज हो जाती है।
3. अंकुरण : बीज को 24 घंटे के लिए नम कपड़े में
रखें ताकि वे अंकुरित हो सकें।
3: नर्सरी का
स्थापित करना
3.1 बिस्तर
का निर्माण : नर्सरी में बिस्तर का निर्माण करते समय कुछ
महत्वपूर्ण बिंदुओं का ध्यान रखना चाहिए
1. आकार और स्थान : नर्सरी बिस्तर का आकार 1 मीटर
चौड़ा और 5 मीटर लंबा हो सकता है। बिस्तरों के बीच 30-40 सेमी की दूरी रखें।
2. उच्चता : बिस्तर की ऊंचाई 10-15 सेमी रखें
ताकि जल जमाव से बचा जा सके।
3. मल्चिंग : बिस्तरों पर हल्की परत गोबर की खाद
या सूखी पत्तियों की बिछाएं।
3.2 बीज बुवाई : बीज बुवाई का सही तरीका पौधों
के स्वस्थ विकास के लिए महत्वपूर्ण है।
1. बीज बुवाई का तरीका : तैयार भूमि पर 8-10 सेमी
की दूरी पर कतारों में बीज बोएं। प्रति वर्ग मीटर नर्सरी के लिए 30-40 ग्राम बीज की
आवश्यकता होती है।
2. हराई : बीज को 1-2 सेमी गहराई पर बोएं।
3. सिंचाई : बुवाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई
करें। नर्सरी को नम रखें, लेकिन पानी भरने से बचें।
4: नर्सरी का
प्रबंधन
4.1 सिंचाई : सिंचाई
नर्सरी प्रबंधन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। उचित सिंचाई पौधों की वृद्धि को
बढ़ावा देती है।
1. पहली सिंचाई : बुवाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई
करें।
2. नियमित सिंचाई : नर्सरी को समय-समय पर हल्की
सिंचाई करते रहें ताकि मिट्टी नम बनी रहे। अत्यधिक जलभराव से बचें।
3. सिंचाई का समय: सुबह या शाम के समय सिंचाई
करना सबसे अच्छा होता है।
4.2
खरपतवार नियंत्रण : खरपतवार नर्सरी में
पोषक तत्वों और पानी के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं, जिससे पौधों की वृद्धि
प्रभावित होती है।
1. हाथ से निराई: नर्सरी में खरपतवारों को हाथ
से निकालें।
2. गुड़ाई: जरूरत पड़ने पर हल्की गुड़ाई करें।
3. जैविक विधियां : खरपतवार नियंत्रण के लिए जैविक
विधियों का उपयोग करें, जैसे मल्चिंग।
4.3 कीट
और रोग नियंत्रण : नर्सरी में कीटों और रोगों का नियंत्रण पौधों की स्वास्थ्य और उपज
के लिए आवश्यक है।
1. नियमित निरीक्षण : नर्सरी में कीटों और रोगों
का निरीक्षण करते रहें।
2. जैविक नियंत्रण : जैविक कीटनाशकों का उपयोग
करें, जैसे नीम का तेल।
3. रासायनिक नियंत्रण : जरूरत पड़ने पर उचित रसायनों
का उपयोग करें, लेकिन सावधानी बरतें।
4.4 पोषक
तत्व प्रबंधन : पौधों को आवश्यक पोषक तत्व उपलब्ध कराने से उनकी
वृद्धि में सुधार होता है।
1. उर्वरक का उपयोग : नर्सरी में 15-20 दिन बाद
1-2% यूरिया का घोल छिड़कें।
2.सूक्ष्म पोषक तत्व: सूक्ष्म पोषक तत्वों की
कमी होने पर उपयुक्त उर्वरकों का उपयोग करें।
नर्सरी से पौध
निकालना और रोपाई
5.1 पौध की आयु : पौध निकालने और मुख्य खेत में
रोपाई के लिए सही समय का चयन करना महत्वपूर्ण है।
1. आयु: जब पौध 20-25 सेमी ऊँची हो जाए और
3-4 पत्तियाँ आ जाएं, तब उन्हें मुख्य खेत में रोपाई के लिए तैयार मानें।
2. समय: सामान्यतः 25-30 दिन की पौध रोपाई के
लिए उपयुक्त होती है।
5.2 पौध निकालने की विधि : पौध निकालते समय सावधानी बरतनी चाहिए ताकि उनकी जड़ों को नुकसान न हो।
1. सिंचाई: पौध निकालने के 2-3 घंटे पहले नर्सरी
में हल्की सिंचाई करें ताकि मिट्टी नरम हो जाए।
2.सावधानी: पौध निकालते समय जड़ों को नुकसान न
पहुंचाएं।
5.3 पौध की रोपाई : पौध की रोपाई मुख्य खेत में
सावधानीपूर्वक की जानी चाहिए।
1. दूरी: मुख्य खेत में पौध की रोपाई करते समय
कतारों के बीच 20-25 सेमी और पौध के बीच 10-15 सेमी की दूरी रखें।
2. गहराई: पौध की जड़ों को अच्छी तरह मिट्टी में
दबाएं, लेकिन ध्यान रखें कि तने का हिस्सा मिट्टी के ऊपर रहे।
निष्कर्ष
धान की नर्सरी
डालने और प्रबंधन की प्रक्रिया धान की खेती में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। सही
स्थान और मिट्टी का चयन, उच्च गुणवत्ता वाले बीजों की तैयारी, उपयुक्त बिस्तर
निर्माण, और सटीक बीज बुवाई सभी मिलकर पौधों की मजबूत शुरुआत सुनिश्चित करते हैं।
नर्सरी के उचित प्रबंधन, जिसमें नियमित सिंचाई, खरपतवार नियंत्रण, कीट और रोग
प्रबंधन, और पोषक तत्वों की आपूर्ति शामिल है, पौधों की स्वास्थ्य और विकास को
बढ़ावा देता है।सही समय पर पौध निकालने और मुख्य खेत में रोपाई के लिए तैयार करना
भी महत्वपूर्ण है ताकि पौधों को स्थिरता और पोषण मिल सके। पौध की आयु, निकालने की
विधि, और रोपाई के तरीके पर ध्यान देना जरूरी है ताकि जड़ों को नुकसान न पहुंचे और
पौधे स्वस्थ रहें।
इन सभी चरणों का
पालन करके, किसान धान की नर्सरी को अच्छी तरह से प्रबंधित कर सकते हैं और उच्च उपज
प्राप्त कर सकते हैं। यह न केवल उनके आर्थिक लाभ को बढ़ाता है, बल्कि खाद्य
सुरक्षा में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है। उच्च उपज देने वाली और रोग प्रतिरोधी
किस्मों का चयन, और नई तकनीकों और उन्नत प्रथाओं का उपयोग, धान की खेती को अधिक
प्रभावी और लाभकारी बना सकता है। सही प्रबंधन और ध्यान के साथ, धान की नर्सरी
किसानों के लिए एक मजबूत नींव रखती है, जिससे धान की समग्र उत्पादकता में वृद्धि
होती है।