गैर-हिन्दू से विवाह न करने का संकल्प ही मेरी दक्षिणा : धर्मचक्रवर्ती, तुलसीपीठ के संस्थापक, पद्मविभूषण, जगद्गुरु श्री रामभद्राचार्य जी

 शुभम तिवारी 


प्रतापगढ़, रामपुर – प्रतापगढ़, रामपुर – चल रही भागवत कथा के तीसरे दिन, करवा चौथ के पावन अवसर पर, जगद्गुरु श्री राम भद्राचार्य जी ने अपने अनुयायियों से एक विशेष दक्षिणा की मांग की, जिसने श्रद्धालुओं के मन को गहराई से छुआ। रामपुर में आयोजित इस कथा के दौरान, जगद्गुरु ने माताओं, बहनों और बेटियों से आग्रह किया कि वे गैर-हिन्दू से विवाह न करने का संकल्प लें। उन्होंने कहा, "यदि आप मुझे दक्षिणा देना चाहती हैं, तो यही मेरी सबसे बड़ी दक्षिणा होगी कि आप इस संकल्प को निभाएं।"

इस अवसर पर जगद्गुरु ने हिन्दू विवाह परंपराओं की रक्षा पर जोर दिया और कहा कि हिन्दू समाज की संस्कृति और परंपराओं को बनाए रखने के लिए यह संकल्प अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा, "आज के दौर में हमारे धर्म और संस्कृति को बाहरी प्रभावों से बचाने के लिए यह जरूरी है कि हम अपने पारंपरिक मूल्यों को मजबूती से अपनाएं और उन्हें आगे बढ़ाएं। गैर-हिन्दू से विवाह हमारी सांस्कृतिक धरोहर को कमजोर कर सकता है।"

करवा चौथ, जो भारतीय समाज में पति-पत्नी के रिश्ते के प्रति निष्ठा और प्रेम का प्रतीक है, पर जगद्गुरु का यह संदेश और अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है। उन्होंने इस पर्व के महत्व को समझाते हुए कहा कि करवा चौथ सिर्फ पति की लंबी आयु के लिए किया जाने वाला व्रत नहीं है, बल्कि यह पारिवारिक एकता, प्रेम और सामाजिक संतुलन का भी प्रतीक है।

उन्होंने आगे कहा, "हिन्दू धर्म में विवाह एक धार्मिक और सामाजिक अनुबंध है, जिसे निभाने की जिम्मेदारी हर हिन्दू स्त्री-पुरुष की होती है। इस अनुबंध को बाहरी सांस्कृतिक प्रभावों से बचाने के लिए जरूरी है कि हम अपने विवाह संबंधी नियमों और परंपराओं का पालन करें।"

जगद्गुरु के इस विशेष आह्वान से कथा स्थल पर मौजूद हजारों श्रद्धालु, विशेष रूप से महिलाएं, गहराई से प्रभावित हुईं। सभी माताओं और बहनों ने एक स्वर में गैर-हिन्दू से विवाह न करने का संकल्प लिया। उन्होंने कहा कि वे अपने परिवारों में इस संकल्प को न केवल स्वयं निभाएंगी, बल्कि इसे अगली पीढ़ी तक भी पहुंचाएंगी, ताकि हिन्दू समाज की परंपराएं सुरक्षित रहें और उन्हें किसी प्रकार का खतरा न हो।

जगद्गुरु राम भद्राचार्य जी ने अपने प्रवचनों में यह भी स्पष्ट किया कि हिन्दू समाज को अपनी धार्मिक और सामाजिक चेतना को जागृत रखना होगा। उन्होंने कहा कि हमारी परंपराएं और संस्कृति तभी सुरक्षित रहेंगी जब हम उन्हें पूरी निष्ठा और सम्मान के साथ अपनाएंगे। उन्होंने माताओं और बहनों से आग्रह किया कि वे अपने बच्चों को धर्म और संस्कृति की शिक्षा दें, ताकि हिन्दू समाज की जड़ें और मजबूत हों।

इस आह्वान से कथा स्थल पर धार्मिक और सामाजिक जागरूकता का माहौल बन गया। उपस्थित श्रद्धालुओं ने जगद्गुरु के इस संदेश को खुले दिल से स्वीकार किया और इसे अपने जीवन में लागू करने का संकल्प लिया।

कथा के तीसरे दिन, करवा चौथ के पवित्र अवसर पर दिए गए इस सशक्त संदेश ने कथा को विशेष रूप से प्रभावशाली बना दिया। जगद्गुरु के प्रवचनों से न केवल धार्मिक चेतना का प्रसार हुआ, बल्कि सामाजिक एकता और सांस्कृतिक सुरक्षा का भी संदेश मिला। यह दिन श्रद्धालुओं के लिए न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक रूप से भी एक महत्वपूर्ण दिन बन गया।




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