डॉ अनिल चौधरी ने अनुवांशिकी विषय पर सर्वाधिक पुस्तक लिख कर, रचा इतिहास
नई दिल्ली - डॉ चौधरी का जन्म बेनई खुर्द, आगरा, उत्तर प्रदेश में एक किसान परिवार में हुआ प्रारंभिक शिक्षा घर पर ही संपन्न हुई। बी एस सी, एम एस सी एवं पीएचडी की शिक्षा प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण की, आज से लगभग 10 साल पहले लेखन का कार्य किया लेकिन कई बार असफल रहे लेकिन हिम्मत नहीं हारी लेखन का कार्य निरंतर जारी रखा और निरंतर प्रयास के बाद कुछ पुस्तकों ने प्रोफेसर चौधरी को प्रदेश ही नहीं बल्कि देश में ख्याति प्रदान की और डॉ चौधरी को अपार सफलता प्राप्त हुई जिसमें प्रोफेसर चौधरी की प्रमुख एवं प्रख्यात पुस्तकें अनुवांशिकी के मूलभूत सिद्धांत, मौलिक अनुवांशिकी, मौलिक पादप प्रजनन, पादप प्रजनन के आधार, मौलिक जीव विज्ञान, हैंडबुक ऑफ़ जनरल एग्रीकल्चर, बायोटेक्नोलॉजी एंड बायोकेमेस्ट्री, सामान्य कृषि भाग-1, सामान्य कृषि भाग-2, एवं फसल कार्यकी आदि है। डॉ चौधरी अब तक कृषि विषयों पर 30 पुस्तकें लिख चुके हैं। साल 2022 में नासो, नई दिल्ली के सर्वे के अनुसार चौधरी भारत में अनुवांशिकी विषय में सबसे अधिक पुस्तक लिखने वाले लेखक बन चुके हैं तथा पुस्तकों की गुणवत्ता विश्व स्तर पर काफी सराहनीय है। डॉ चौधरी की पुस्तकें भारत ही नहीं भारत के अलावा दुनिया के कई अन्य देशों में छात्रों द्वारा काफी पसंद की जाती है और प्रोफ़ेसर चौधरी का लेखन का कार्य अभी भी निरंतर जारी है। डॉक्टर चौधरी लेखन के साथ-साथ गेहूं और सरसों के अनुसंधान में भी अत्यंत रुचि रखते हैं।
डॉ. अनिल कुमार चौधरी, आनुवंशिकी एवं पादप प्रजनन विभाग, कृषि विज्ञान महाविद्यालय, तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय, मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश में प्रोफेसर (सहा.) के पद पर कार्यरत हैं । डॉ अनिल राजा बलवंत सिंह कॉलेज बिचपुरी आगरा के पुरातन छात्र भी हैं । जेनेटिक्स और प्लांट ब्रीडिंग में मास्टर और पीएचडी डिग्री धारक हैं इन्होंने अब तक आनुवंशिकी, पादप प्रजनन और अन्य कृषि विषयों से संबंधित विभिन्न शीर्षकों पर 25 से अधिक पुस्तकें लिखी हैं। प्रो चौधरी हिंदुस्तान एग्रीकल्चरल रिसर्च एंड वेलफेयर सोसाइटी (HARWS), आगरा के महासचिव, याशी रिसर्च फाउंडेशन, नई दिल्ली के उप सचिव और एग्री-मीट फाउंडेशन, भारत के प्रबंध निदेशक व राष्ट्रीय कृषि छात्र संघ के केन्द्रीय कमेटी में राष्ट्रीय सलाहकार सदस्य भी हैं। डॉक्टर चौधरी कई सरकारी और गैर-सरकारी संस्थानों द्वारा जैसे- भारतीय कृषि गौरव पुरस्कार, FISGBRD पुरस्कार, FYRF पुरस्कार, FHARWS पुरस्कार, FBMR पुरस्कार, अभिनव वैज्ञानिक पुरस्कार, युवा वैज्ञानिक पुरस्कार, सर्वश्रेष्ठ प्लांट ब्रीडर अवार्ड एवं कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है इन्होंने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर 24 से अधिक शोध पत्र और कई पेटेंट प्रकाशित किए हैं, 6 राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों और कार्यशालाओं का आयोजन भी करा चुके हैं। डॉ चौधरी हमेशा किसानों और कृषि छात्रों की मदद के लिए तत्पर रहते हैं और विभिन्न विषयों पर विशेष व्याख्यान देकर डीडी किसान, डीडी नेशनल, न्यूज 24, ज़ी न्यूज और ऑल इंडिया रेडियो चैनलों के माध्यम से भारतीय किसानों को मार्गदर्शन प्रदान करते रहते हैं। डॉक्टर साहब सरसों के अनुसंधान में विशेषज्ञ और अनुभवी हैं और सरसों और गेहूं की कई प्रजनन लाइनों/किस्मों के विकास में महत्वपूर्ण योगदान भी दिया है।