April 2021

 



● सुबह 11:00 बजे के बाद आवागमन प्रतिबंधित।


● सभी सार्वजनिक स्थलों पर प्रवेश पूरी तरह प्रतिबंधित।


● कोविड कार्य के अलावा समस्त राजकीय कार्यालय बंद।


● ई-मित्र और आधार केंद्र खुले रहेंगे।


● किराने की दुकानें सुबह 6 से 11 बजे तक ही खुलेंगी।


● सब्जियां एवं फल की दुकानें 6 से 11 बजे तक ही खुलेंगी।


● मंडियां सुबह 6 से 11 बजे तक ही खुली सकेंगी।


● डेयरी सुबह 6 से 11 और शाम 5 से 7 बजे तक खुल सकेंगी।


● कृषि उत्पाद की दुकानें 6 से 11 बजे तक खोल सकेंगे।


● प्रोसैस्ड फूड, मिठाई, रेस्टोरेंट, होटल बंद, होम डिलीवरी मान्य।


● निर्माण सामग्री की दुकानें खोलने की अनुमति नहीं होगी।


● सभी बैंक, बीमा कार्यालय 10 से दोपहर 2:00 बजे खुलेंगे।


● विवाह में 50 से अधिक की उपस्थिति नहीं, 3 घंटे की अनुमति।


● बसों को छोड़कर निजी वाहनों पर आवागमन भी प्रतिबंधित।


● पेट्रोल पंप और एलपीजी सेवा प्रातः 7 से दोपहर 12 बजे।


● शुक्रवार शाम 6 से मंगलवार सुबह 7 बजे तक वीकेंड लॉकडाउन।।


वाराणसी: काशी दक्षिण के राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के भाग प्रचारक प्रवेश ने बताया कि देश में जब जब परिस्थितियां विषम हुई चाहे प्राकृतिक आपदा आई हो, या अन्य किसी भी प्रकार की देश पर समस्या आई हो, ऐसे समय में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक हर संभव मदद के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। इसी क्रम में आज कोरोना महामारी के इस दौर में जहां, लोग डरे - सहमे हैं, किसी से मिलने में परहेज कर रहे हैं, वही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक दिन रात कोविड-19 के संक्रमित लोगों एवं उनके परिवार के सदस्यों को हर सुविधा मुहैया करा रहे हैं । और हर जगह सेवा के कार्य में अपना योगदान दे रहे हैं।

वाराणसी में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के भाग प्रचारक प्रवेश के प्रयास से विचार परिवार सेवा भारती काशी महानगर के द्वारा सामने घाट महेश नगर स्थित सरस्वती शिशु मंदिर में 60 बेड का सेवा केंद्र कोविड मरीजों के परिजनों के लिए मंगलवार से शुरू हुआ। काशी प्रांत के प्रांत प्रचारक ने सेवा केंद्र का निरीक्षण किया और स्वयंसेवकों को  आवश्यक दिशा निर्देश भी दिया।

इस दौरान प्रांत सह कार्यवाह डॉ. राकेश ने बताया कि ऐसा कोविड मरीज जो बीएचयू में भर्ती हैं, उनके परिजन सड़क पर सो रहे हैं। भोजन, पानी, शौचालय के लिए भटक रहे हैं जिससे उनके भी संक्रमित होने का खतरा बना है, ऐसे में परिजनों के लिए यह केंद्र बनाया गया है। पुरुषों व महिलाओं के लिए अलग-अलग रहने की व्यवस्था की गई है। 

सेवा केंद्र पर भोजन, पानी, शौचालय के साथ एक किचन की भी व्यवस्था की गई है, जहां से गर्म पानी, काढ़ा व जलपान उपलब्ध रहेगा। इसकी देखभाल के लिए कार्यकर्ताओं की शिफ्ट वाइज डयूटी लगाई गई है जो कोविड गाइड लाइन का पालन करते हुए अपनी सेवा देंगे। इसके अलावा हेल्पडेस्क नंबर 9450349261 पर  अभय के माध्यम से आवश्यक दवा, डाॅक्टर की सलाह, उपलब्ध कराई जाएगी। बीते कई दिनों से मरीजो को बेड, आवश्यक दवा, आक्सीजन सेवा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता उपलब्ध करा रहे हैं।

सुल्तानपुर के कार्तिकेय सिंह का अभिनय रहेगा दिलचस्प।

फिल्मी दुनिया:हम सभी जानते हैं कि भारत में ग्लैमर और सम्मान IIT की पहचान है।  लेकिन शायद ही लोगों को उसके अंदर अध्ययन कर रहे छात्रों के कैरियर को लेकर संघर्षों का वास्तविकता का पता चलता है । इन बड़े संस्थानों में हजारों इंजीनियरिंग स्नातक दिन प्रतिदिन कैरियर की चिंता में डूबे रहते हैं उनके मन में इसी के प्रति एक संघर्ष चलता है । कभी कॉलेज की समस्या तो कभी व्यक्तिगत समस्या तो कभी कैरियर की चिंताओं के बीच उनका रोज का जीवन कटता है।

 इन्हीं विषयों पर आधारित नेटफ्लिक्स की आगामी श्रृंखला अल्मा मैटर्स: इनसाइड द आईआईटी ड्रीम बनाई गई । यह वेब सीरीज हमें आईआईटी खड़गपुर में छात्रों के जीवन और हर एक दिन के संघर्षों से रूबरू कराती है।

शनिवार को डॉक्युमेंट्री ट्रेलर रिलीज हुआ और लगभग तीन मिनट की क्लिप में इसके कॉलेज के छात्रों को एक तरीका दिया गया है, जिसका अर्थ है कि यह आईआईटीयन है।  प्रतीक पात्रा और प्रशांत राज द्वारा निर्देशित और डोपामाइन मीडिया एंड लीजर प्राइवेट लिमिटेड द्वारा निर्मित, अल्मा इश्यूज  भारत के इंजीनियरिंग जुनून पर यह तीन एपिसोड की श्रृंखला, को पूरी तरह 14 मई को देख पाएंगे।यह व्यावहारिक रूप से हमारे बीच सभी युवाओं से संबंधित है।


कोरोना वायरस से पीड़ित लोगो के लक्षण कुछ इस तरह के होते है

बुखार

थकान

सुखी खासी

नाक का बंध होना

बेहति नाक

गले कि खराश

सांस लेने मे कठिनाई

कैसे फैलता है कोरोना वायरस ?

पहले से इस बिमारी से पीडित लोगो से नज़दीकी बनाये रखने से यह वायरस फैलता है | जब इस बीमारी के मरीज़, के खांसने से या छींकने से आती बूंदों के गिरने के स्थान या वस्तु के साथ संपर्क करके, अपने आँखों को या नाक को या मुँह को छूने से यह वायरस शरीर मे प्रवेश करता है | इन बूंदों को सांस लेने से भी यह वायरस के शिकार बन्न सकते है | इस बिमारी से प्रभावित लोगो से 1 मीटर (3 feet) दूरी बनाई रखनी चाहिए |

 WHO और  CDC के अनुसार निम्नलिखित चीज़ो का  पालन करके इन्फेक्शन कि रिस्क कम हो सकती है –

  • अपने हाथों को कुछ समय के अंतर नियमित साफ करें। साबुन और पानी का उपयोग करें, या अल्कोहॉल आधारित सैनीटाइज़र से हाथ रगड़ें।
  • खांसने या छींकने पर अपनी नाक और मुंह को अपनी मुड़ी हुई कोहनी या एक टिश्यू से ढक लें।
  • COVID-19 से  पीडित लोग से या खांसी या छींकने वाले किसी से भी सुरक्षित दूरी बनाए रखें।
  • दूर रहे |
  • अपनी आँखें, नाक या मुंह को न छुएं।
  • यदि आप अस्वस्थ महसूस करते हैं तो घर पर रहें। अपने बर्तन, गिलास और बीएड किसी से शेयर ना करे |
  • यदि आपको बुखार, खांसी और सांस लेने में कठिनाई होती है, तो इलाज कराएं।
  • ज़्यादा इस्तेमाल  करने वाले जगहों को नियमित तरीके से डिसइंफेक्टेंट से साफ़ करते रहे |
  • अगर आप बीमार है, तोह पब्लिक जगहों से दूर रहे जैसे कि स्कूल, ऑफिस आदि।
  • अपने स्थानीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के निर्देशों का पालन करें।

डॉक्टर से संपर्क कब करना हैं?

कोविड – 19 के संक्रमण गंभीर होने से मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (Middle East Respiratory Syndrome: MERS-CoV) और सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (Severe Acute Respiratory Syndrome: SARS-CoV) संक्रमण हो सकता ह। COVID-19 के लक्षण होने पर बहार निकलने का सलाह नहीं देतें यहाँ तक की मेडिकल क्लिनिक या अस्पताल भी ना जाएं। यह वायरस को फैलने से बचाने में मदद करता है। यदि आपके परिवार के किसी सदस्य में संक्रमण के लक्षण दिखने पर डॉक्टर से संपर्क करे। यदि आपके परिवार के किसी सदस्य में संक्रमण के लक्षण दिखने पर नज़दीकी डॉक्टर से फ़ोन पर संपर्क करे, या राज्य के हेल्पलाइन नंबर पर संपर्क करें।


परिवर के सदस्यों में कुछ बिमारियों के अतीत आपको गंभीर COVID-19 से संक्रमित होने का संकट में रखता है। यदि आप या आपके प्रियजन में के निम्नलिखित अंतर्निहित स्थिति है, तो COVID-19 के लक्षणों के लिए अतिरिक्त सतर्क रहे, जैसे के-

  • अस्थमा या अन्य स्वास सम्बंधित की बीमारी (रेस्पिरेटरी डिसीजेस)
  • मधुमेह (डायबिटीज)
  • दिल की बीमारी (हार्ट डिसीजेस)
  • कम प्रतिरक्षा प्रणाली (लौ इम्युनिटी)
  • ऐसे मामलों में खास सावधानी बरतना ज़रूरी है।

यदि आपके पास COVID-19 के चेतावनी संकेत हैं, तो आपातकालीन चिकित्सा पे ध्यान देने की सलाह दिया जाता है। इसमें शामिल है:

  • स्वास लेने मे तकलीफ
  • छाती में दर्द या दबाव
  • नीले रंग का होंठ या चेहरा
  • भ्रम की स्थिति
  • उनींदापन या तंद्रा (जागने में असमर्थता)

इस वायरस के प्रसार को रोकने के लिए रोकथाम रणनीतियों को गंभीरता से लेना बेहद जरूरी है। सुरक्षा निर्देशों का पालन करते हुए अच्छी स्वच्छता का अभ्यास करना, और अपने दोस्तों और परिवार को ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करना इसके प्रसार को रोकने में एक महत्वपूर्ण रास्ता तय करेगा।

राहुल शुक्ला

शोधछात्र

के एन आई टी 

सुल्तानपुर 

मेकैनिकल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट


 

डॉ राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर प्रियेश कोविड-19 महामारी के बचाव के लिए घरेलू नुक्सा तैयार किया है जो कि बहुत कारगर दिखाई पड़ रहा है आइए जानते हैं इस नुक्से के बारे में-

एक थोड़ा बड़े बर्तन में 3 लीटर पानी ले, उसको गर्म कर के , उसमे 50 ग्राम फिटकरी ( Alum) और  15  ग्राम नमक (Salt) डाल कर 3 मिनट कर खौलाए, इसके बाद दो नींबू ( Lemon) काट कर उसका रस निचोड़ कर उबलते हुवे पानी में डाले और उस बचे हुवे नींबू को भी डाल दे l 

कमरे में फैन बंद करके तौलिया या चादर ओढ़ कर 15-20 मिनट तक भाप ले, दिन मे तीन बार , तीन दिन तक इसको अवश्य करे l साथ में गर्म पानी में नमक डाल कर गलारा करे और गर्म पानी पीते रहे l 

आप Covid महामारी से तुरंत ठीक हो जाएंगे...


 शुभम तिवारी

कृषि विशेषज्ञ

 आलू

 आलू (सोलनम ट्यूबरोसम) को भारत की वाणिज्यिक फसल माना जाता है।  भारत की कुल सब्जी फसलों का उत्पादन कुल क्षेत्रफल से 169.06 मिलियन टन है और उत्पादकता 16.73 टन प्रति हेक्टेयर है।  भारत में, आलू की खेती आम तौर पर लगभग 2117 ha 000 'हेक्टेयर क्षेत्र में की जाती है, जिसमें 43417 H 000't (एक नज़र में बागवानी आँकड़े) का उत्पादन होता है।  उत्तर प्रदेश पहले स्थान पर है और आलू का उत्पादन पश्चिम बंगाल द्वारा किया जाता है।

 आलू रोपण और फसल प्रबंधन

 आलू में मौसमी अनुकूलनशीलता की एक विस्तृत श्रृंखला है।  महाराष्ट्र में आलू को जून-जुलाई में खरीफ की फसल के रूप में और अक्टूबर-नवंबर में रबी की फसल के रूप में लगाया जाता है।  रबी सीजन आलू की खेती के लिए उपयुक्त है।  उत्तर गुजरात में, आलू को 15 से 30 नवंबर के दौरान लगाया जाता है, क्योंकि रात का तापमान 18-22 OC के बीच रबी फसलों (आलू अनुसंधान केंद्र, डीसा, एसडीएयू, एस.के. नगर, गुजरात) में पाया जाता है।  कंद के परिवर्तनीय आकार को बीज के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है लेकिन 45-50 ग्राम के मध्यम आकार को एक आदर्श माना जाता है।  25-40 ग्राम के मध्यम आकार के कंद लगाकर तुलनीय उपज प्राप्त की जा सकती है।  बीज दर से आलू की पैदावार बढ़ती है।  इष्टतम बीज दर 20-25 q (कंद वजन 15 ग्राम), 25-30 q / ha (30 ग्राम कंद वजन) और 30-35 q / ha (45 g कंद वजन) का उपयोग करके अधिक उपज प्राप्त की जा सकती है।  फंगल इन्फेक्शन से बचने के लिए आलू के बीज के कंदों को 1 किलो मैन्कोज़ेब + 5 किलो प्राकृतिक टॉक पाउडर या लकड़ी की राख के साथ सूखे उपचार (पोटैटो रिसर्च स्टेशन, डीसा, एसडीएयू, एस.के. नगर) के रूप में माना जाता है

 नाइट्रोजन निर्धारण के लिए और अधिक उपज प्राप्त करने के लिए कंदों को 2.5 किग्रा अजाटोबैक्टोर + 500 मिलीलीटर तरल एसिटोबैक्टोर के घोल में 30 मिनट के लिए 100 लीटर पानी में डुबोया जा सकता है और 20 क्यू कंद के लिए घोल पर्याप्त है।  लेकिन, एहतियात बरतना चाहिए कि;  जैव-एजेंट (महात्मा फुले कृषि विद्यापीठ, राहुरी, महाराष्ट्र) के उपचार के बाद रासायनिक उपचार से बचना चाहिए।

 रोपण

 आलू को 60 x 20 सेमी की दूरी के साथ लकीरें पर लगाया जाता है।  इसे उठे हुए बिस्तर पर भी लगाया जा सकता है।  रिज पर सिंगल लाइन प्लांटिंग सिस्टम के लिए, 50 सेमी x 15-20 सेमी की दूरी पर कंद लगाए जाते हैं, रिज पर दो लाइन प्लांटिंग सिस्टम के लिए 75 x 15-20 सेमी की दूरी पर और रिज के लिए ट्यूब पर चार लाइन प्लांटिंग सिस्टम लगाए जाते हैं।  सेमी एक्स 15-20 सेमी।  लकीर के बीज (कंद) पर सिंगल लाइन प्लांटिंग सिस्टम के लिए @ 25-30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की आवश्यकता होती है और बीजों के बीजों पर दो और चार लाइन रोपण प्रणाली के लिए @ 35-40 क्विंटल प्रति हेक्टेयर (पोटैटो रिसर्च स्टेशन, एसडीएयू, डीसा, गुजरात) की आवश्यकता होती है।

 पोषक तत्व प्रबंधन

 आलू की फसल के लिए नाइट्रोजन सबसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व है।  नाइट्रोजन उठाव की चरम अवधि 40-70 दिनों से भिन्न होती है।  आलू की किस्में आपस में उनकी उर्वरक जरूरत में भिन्न होती हैं।  नाइट्रोजन को विभाजित खुराकों में लगाया जाता है।  महाराष्ट्र के पश्चिमी भाग के लिए, किसानों को रोपण से ठीक पहले 50 किलोग्राम एन 100 किग्रा (यूरिया 217 किग्रा), पी 60 किग्रा (सिंगल सुपर फास्फेट 375 किग्रा) और के 120 किग्रा (पोटाश 200 किग्रा प्रति हेक्टेयर) लगाने की सलाह दी जाती है।  एन (यूरिया 109 किग्रा) रोपण के बाद एक महीने में (विभाजन पर) (महात्मा फुले कृषि विद्यापीठ, राहुरी, महाराष्ट्र)।  उत्तर गुजरात क्षेत्र के लिए, किसानों को भूमि की तैयारी पर 25-30 टी / हेक्टेयर अच्छी तरह से विघटित जैविक खाद और एक टन केस्टर केक लगाने की सलाह दी जाती है।  जैविक खाद के अलावा नाइट्रोजन 275 किग्रा / हेक्टेयर, फास्फोरस 138 किग्रा / हैक्टेयर तथा पोटाश 275 किग्रा / हेक्टर लगायें।

 

गेहू फसल की कटाई के बाद बचे हुए डंठल तथा भूसा, तना तथा जमीन पर पड़ी हुई पत्तियों आदि को फसल अवशेष कहा जाता है। विगत एक दशक से खेतीहर मजदूरों की कमी की वजह से खेती में मशीनों का प्रयोग बढ़ा है। साथ ही  भी यह एक आवश्यकता बन गई है। ऐसे में कटाई व गहराई के लिए कंबाईन हार्वेस्टर का प्रचलन बहुत तेजी से बढ़ा है, जिसकी वजह से भारी मात्रा में फसल अवशेष खेत में पड़ा रह जाता है। जिसका समुचित प्रबन्धन एक चुनौती है।आइये जानते हैं फसल अवशेष के प्रबंधन के बारे में---

गेहू फसल अवशेष प्रबन्धन के तरीके 

अभी तो मुख्यतः पशुचारा के लिए कुछ अवशेष इकट्ठा करने के उपरान्त शेष को जलाया जा रहा है जिससे पर्यावरण, मनुष्य एवं पशु स्वास्थ्य की हानि हो रही है। अवशेष प्रबन्धन विकल्प इस प्रकार हो सकते हैः

1. अवशेषों को पशुचारा  के लिए इकट्ठा करना ।

गेहू के डंठल का पशु चारे(प्रचलित नाम भूसा )के रूप में प्रयोग करना खेत में पड़े फसल अवशेषों (गेहू के तनो,बालियों) का स्ट्रों बेलर द्वारा ब्लॉक बनाकर कम जगह में भंडारित कर, रीपर का प्रयोग कर भूसा बनाकर चारे में उपयोग करना। 

2 अवशेषों को औद्योगिक उपयोग के लिए इकट्ठा करना

गेहू के फसल अवशेषों से गत्ता ,दफ़्ती,मूर्ति आदि बनाकर भी फसल अवशेषो का प्रबंध करके लाभ भी कमाया जा सकता है, जिससे किसानों की आय भी बढ़ेगी ।

3.गेहू के फसल अवशेषों को,कृषि यंत्रो सहायता से मिट्टी में मिश्रित करना

फसल की कटाई के उपरांत,खेतो की  रोटावेटर से जुताई करना,एवम एक बार जल भराव कर  20-35 कि.ग्रा. यूरिया प्रति हे. की दर से डाल देने से अवशेषों के विगलन की प्रक्रिया तीव्र हो जाती है।ऐसा कर  देने से फसल अवशेष मिट्टी में मिलकर मिट्टी में पोषक तत्त्व मि पूर्ति करते हैं,जिससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ने के साथ-साथ उत्पादन दक्षता भी बढ़ जाती है।

4. अवशेष के भूमि के सतह पर रखना

गेहूँ की कटाई के बाद खड़े फानो में जीरो टिलेज मशीन या टबों हैप्पी सीडर से मूँग या ढैंटा की बुआई कर फसल अवशेष प्रबन्धन सम्भव है।

गेहू फसल अवशेष जलाने से मृदा की प्रमुख हानियाँ


  • जमीन की ऊपरी सतह पर रहने वाले मित्र कीट जैसे केंचुआ आदि नष्ट हो जाते हैं।
  • भूमि की उर्वराशक्ति में ह्रासः अवशेष जलाने से 100 प्रतिशत नत्रजन, 25 प्रतिशत फास्फोरस, 20 प्रतिशत।  पोटाश और 60 प्रतिशत सल्फर का नुकसान होता है।
  • भूमि की संरचना  में क्षति होने से जब पोषक तत्वों का समुचित मात्रा में स्थानान्तरण नहीं हो पाना तथा अत्यधिक जल का निकासी न हो पाना।
  • भूमि के कार्बनिक पदार्थों का ह्रास होता है।फसल अवशेषों से मिलने वाले पोषक तत्वों से मृदा वंचित रह जाती है।

मानव स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव--

सांस से सम्बन्धित बीमारियों अस्थमा और दमा के मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है ।साथ ही इन रोगों के मरीजों की संख्या भी बढ़ती है।

फसल अवशेष के धुएं से निकलने वाले सल्फर डाईऑक्साइड व नाइट्रोजन ऑक्साइड के कारण आँखों में जलन एवम चर्म रोग की  शिकायत बढ़ जाती है।

पर्यावरण सम्बन्धी दुष्परिणाम

  • यह वैश्विक तपन (ग्लोबल वार्मिंग) को बढ़ाता है।
  • स्मॉग जैसी स्थिति पैदा हो जाती है जिससे सड़क पर दुर्घटना होती है।
  • फसल अवशेष के साथ-साथ खेत के किनारे के पेड़ों को भी आग से नुकसान पहुँचता है।
  • ओजोन परत का ह्रास होता है।

 ब्रेकिंग प्रतापगढ़ 


प्रतापगढ़ के डीएम  आवास पर धरने पर बैठे भाजपा विधायक।


डीएम के चैंबर में धरने पर बैठ गये रानीगंज विधायक।


वोटरलिस्ट में प्रशासन पर गड़बड़ी का विधायक ने लगाया है आरोप।


विधायक के  समर्थकों का वोटरलिस्ट से नाम गायब।


पंचायत चुनाव का प्रचार प्रसार कर रहे समर्थकों का नाम वोटरलिस्ट में न होने से नाराज हुए विधायक।


साजिश के तहत शिवगढ़ ब्लॉक में प्रभावशाली दबंग लोगो के प्रभाव में नाम गायब करने का आरोप।


विधायक को मनाने में जुटे अफसर।


विधायक धीरज ओझा ने एसपी पर पिटाई का लगाया आरोप 


बोले विधायक---" प्रतापगढ़ का प्रशासन कर रहा दबंग लोगो के साथ मिलकर मेरे खिलाफ साजिश!"


जिले में विधायक के धरने से गरमाई सियासत


अफसर हलकान!

 

आमिर खान की बेटी ने वीडियो शेयर किया. इस वीडियो में वह कहती हैं, ''आज मैं लाइव गई थी और अब मेरे दोस्त मुझे यह कहकर चिढ़ा रहे हैं कि सभी मुझे इरा कहते हैं. अब मैंने फैसला किया है कि मैं एक स्वेअर जार बना रही हूं. मेरा नाम आयरा है.''




आमिर खान की बेटी इरा खान बड़े पर्दे से दूर हैं लेकिन सोशल मीडिया पर वह काफी एक्टिव रहती हैं. इंस्टाग्राम पर उनकी बड़ी फैन फॉलोइंग है, जिनसे वह अक्सर रूबरू होती रहती हैं. अब उन्होंने एक दिलचस्प वीडियो पोस्ट कर बताया कि उनका नाम इरा नहीं है. उन्होंने कहा कि वह थक चुकी हैं लोगों के उनका ना गलत तरीके से लेने से. उन्होंने अपने नाम का सही उच्चारण बताते हुए कहा है कि अबसे जो भी उनका नाम गात लेगा उसे जुर्माना देना होगा.


''इरा नहीं है मेरा नाम''


आमिर खान की बेटी ने वीडियो शेयर किया. इस वीडियो में वह कहती हैं, ''आज मैं लाइव गई थी और अब मेरे दोस्त मुझे यह कहकर चिढ़ा रहे हैं कि सभी मुझे इरा कहते हैं. अब मैंने फैसला किया है कि मैं एक स्वेअर जार बना रही हूं. मेरा नाम आयरा है. जैसे आय (आंख) और रा. आज के बाद अगर किसी ने मुझे इरा बुलाया तो उसे पांच हजार रुपये स्वेअर जार में जमा करने होंगे, जो मैं महीने के अंत में दान करूंगी. प्रेस, मीडिया और आप सभी लोगों के लिए ये नियम लागू होता है, मेरा नाम आयरा है.'



वीडियो कैप्शन में उन्होंने लिखा, ''इरा. आय-रा. बस और कुछ नहीं.'' बता दें कि आयरा मूलत: हिब्रू शब्द है जिसका मतलब है पूरी तरह से विकसित और जागरूक. बाइबिल के मुताबिक यह राजा डेविड के पुजारी या मुख्यमंत्री का नाम भी था. 


बता दें कि आयरा खान अपनी निजी जिंदगी को लेकर चर्चा में रहती हैं. उन्होंने कुछ समय पहले अपने डिप्रेशन के बारे में बात की थी. आयरा की डेटिंग लाइफ को लेकर भी काफी बातें होती है. वे फिटनेस ट्रेनर नुपूर शिखरे को डेट कर रही हैं. वैलेंटाइंस वीक में प्रॉमिस डे के दिन उन्होंने इंस्टाग्राम पर अपने प्यार का इजहार नूपुर से किया था.

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