2023

 



सुल्तानपुर: भारतीय जनता पार्टी महिला मोर्चा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष,सुलतानपुर लोकसभा की पूर्व भाजपा प्रत्याशी एवं पूर्व विधान परिषद सदस्य डॉ वीणा पाण्डेय तथा इंडियन इकोनॉमिक एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो आद्याप्रसाद पाण्डेय एवं भाजपा के लंभुआ मंडल के पूर्व मंडल अध्यक्ष राजेश राज मिश्रा के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमण्डल डॉ घनश्याम तिवारी के गाँव सखौली,लम्भुआ,सुल्तानपुर जाकर पीड़ित परिवार से मिला एवं उनकी पत्नी निशा तिवारी तथा परिवार के सदस्यों के साथ मिलकर अपनी शोक सम्बेदना ब्यक्त की तथा इस घृणित घटना की निंदा की।उन लोंगों ने अपराधियों के ख़िलाफ़ तुरंत कार्यवाही हेतु माँग की। 




प्रयागराज : इलाहाबाद  विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष ,भारतीय जनता पार्टी के युवा मोर्चा प्रदेश उपाध्यक्ष रोहित मिश्रा ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के मध्यकालीन एवं आधुनिक इतिहास विभाग से अपना शोध कार्य प्रो. डा योगेश्वर तिवारी के सुपरविजन में पूर्ण किया | 

आपको बताते चले प्रतापगढ़ के सामान्य परिवार में जन्मे रोहित मिश्रा मेधावी छात्र के साथ साथ नेतृत्व छमता के धनी थे | इन्होने अपनी राजनितिक जीवन की सुरुआत अखिलभारतीय विद्यार्थी परिषद् से प्रारंभ किया , विभिन्न दायित्वों का निर्वहन करते हुए २०१६ में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के बैनर तले मैदान में उतरे रोहित ने लगभग एकतरफा और एतिहासिक जीत हासिल की | वर्तमान समय में रोहित मिश्रा भारतीय जनता पार्टी के युवा मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष के रूप में पुरे प्रदेश में युवाओ के लोकप्रिय नेता के रूप में जाने जाते है |

 


देवरिया : राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान देवरिया में राष्ट्रीय पर्व स्वतंत्रता दिवस समारोह आयोजित किया गया ।

विनोद कुमार सिंह द्वारा संस्थान में  झंडारोहण किया गया और सभी कर्मचारी की उपस्थिति में राष्ट्र गान के पश्चात शाहिदो  को नमन किया गया।

 


   सुलतानपुर। क्षेत्र स्थित श्री तुलसी सत्संग भवन समिति तिकोनिया पार्क मौनी मंदिर पर दीवानी न्यायालय द्वारा स्टे कर दिया गया था।जिसको आज माननीय न्यायलय द्वारा खारिज कर दिया गया।जिसमे विद्वान अधिवक्ता शैलेंद्र नाथ मिश्रा एवं राहुल मिश्रा द्वारा समिति के पक्ष में न्यायलय के समक्ष पैरवी करते हुए ये अवगत कराया गया कि माननीय न्यायलय द्वारा जो स्टे दिया गया है वो गलत है।दोनों पक्षों के विद्वान अधिवक्ताओं के पक्ष को सुना गया।जिस पर माननीय न्यायालय  द्वारा माना गया की जो स्थगनआदेश *श्री तुलसी सत्संग भवन समिति तिकोनिया पार्क*  को दिया गया था वह निरस्त किए जाने योग्य हैं,जिसे तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाता है। समिति के कोषाध्यक्ष आशीष पाण्डेय ने कहा सत्य जी सदा जीत होती है ।न्यायपालिका लोगों के विश्वास का भंडार है। भारतीय न्यायपालिका ने जनता के विश्वास का आनंद लिया है और समय की कसौटी पर खरी उतरी है। आम आदमी न्यायपालिका को अपने अधिकारों और स्वतंत्रता का परम संरक्षक मानता है। इस संस्था का प्रत्येक सदस्य न्यायपालिका में आम आदमी के विश्वास को बनाए रखने का कर्तव्य मानता है।


 
     BY- माधव आनन्द


सफदरजंग मौसम विभाग केंद्र का कहना है कि जुलाई महीने में 08-09 जुलाई 2023 को 24 घंटे के दौरान 1958 के बाद से तीसरी सबसे अधिक बारिश दर्ज की गई है. दो दिन से लगातार हो रही  बारिश के कारण न्यूनतम तापमान में भी गिरावट आई है.
दिल्ली NCR में बारिश का दौर लगातार जारी है. देश भर की तमाम सड़कें, मोहल्ले जलभराव के परेशान हैं. मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार देश की राजधानी में भारी बारिश ने पिछले 41 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. जानकारी के अनुसार साल 1982 के बाद से जुलाई में एक दिन में सबसे ज्यादा 153 मिमी बारिश हुई है. जबकि इससे पहले 25 जुलाई 1982 को 169.9 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई थी. साल 2003 में 24 घंटे में 133.4 मिमी बारिश हुई थी. वहीं, 2013 में दिल्ली में 123.4 मिमी बारिश हुई थी. 

वहीँ भारी बारिश के कारण देश भर के हाल बेहाल हो गए हैं. समूचे दिल्ली NCR के कई अंडरपासबाजार और यहां तक कि गली मोहल्ले में लोग जलभराव से परेशान हैं. मिली जानकारी के अनुसार तेज हवाओं और बारिश के कारण कई इलाकों बिजली सेवा भी प्रभावित हुईं. घरों से बाहर जरूरी काम से निकलने वाले लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.


एक ओर जहाँ बारिश से कई तरह के नुकसान की ख़बरें सामने रही हैं तो वहीँ दूसरी 2 दिन से लगातार हो रही बारिश के कारण हवा की गुणवत्ता में भी सुधार हुआ है, हवा की गुणवत्ता संतोषजनक श्रेणी में रहने की सम्भावना है.


 सुलतानपुर: जिलाधिकारी जसजीत कौर व पुलिस अधीक्षक सोमेन बर्मा द्वारा माह जुलाई के द्वितीय शनिवार को आयोजित थाना समाधान दिवस के अवसर पर थाना अखंडनगर में पहुंचकर थाना दिवस पर आये जनसामान्य की समस्याओं को सुनकर प्राप्त प्रार्थना पत्रों को निस्तारण हेतु सम्बन्धित को दिये गये।
           
जिलाधिकारी द्वारा प्राप्त शिकायती प्रार्थना पत्रों को राजस्व व पुलिस अधिकारी सम्बन्धित विभाग से समन्वय स्थापित कर निस्तारण कराएं। उन्होंने सम्बन्धित को निर्देशित करते हुए कहा कि 
निष्पक्ष व गुणवत्तापूर्ण ढंग से प्राप्त शिकायती प्रार्थना पत्रों का निस्तारण कराएं।
           
पुलिस अधीक्षक सोमेन बर्मा द्वारा थाना समाधान दिवस पर प्राप्त शिकायती प्रार्थना पत्रों को अविलम्ब सम्बन्धित रजिस्टर पर अंकित कर कृत कार्यवाही हेतु सम्बन्धित थानाध्यक्ष को निर्देशित किया। 
          
इस अवसर पर उप जिलाधिकारी कादीपुर शिव प्रसाद, पुलिस क्षेत्राधिकारी शिवम मिश्रा, पुलिस व राजस्व कर्मी सहित फरियादीगण उपस्थित रहे।

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ज्योतिष: हर हर महादेव, बम बम भोले और ॐ नमः शिवाय की गूंज से मंदिरों वातावरण शिवमय हो गया है। भक्त श्रद्धापूर्वक भगवान शिवजी का पूजन अर्चन कर रहे हैं। इस बार सावन महीने का पहला सोमवार व्रत बहुत ही शुभ योग में रखा जाएगा। ज्योतिष के अनुसार 10 जुलाई को सावन के पहले सोमवार के दिन गुरु और चंद्रमा मीन राशि में रहेंगे, जिससे गजकेसरी योग बनेगा।

सावन का महीना भगवान शिव यानी शंकर जी को समर्पित है। कहा जाता है कि इसी महीने में समुद्र मंथन हुआ था, और भगवान शिव ने हलाहल विष का पान किया था। हलाहल विष पान के बाद उग्र विष को शांत करने के लिए भक्त इस महीने में शिवजी को जल अर्पित करते हैं। शिव जी की विशेष कृपा के लिए महीना तपस्या, साधना और वरदान प्राप्ति की लिए श्रेष्ठ होता है।

मान्यता है कि सावन के महीने में जो व्यक्ति सच्चे दिल से भगवान शिव का उपासना करता है। महादेव उसके सारे कष्ट हर लेते हैं और व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

अधिकमास लगने के कारण इस साल सावन दो महीने का होगा और सावन के सोमवारी व्रत भी दो चरणों में संपन्न होंगे। इसमें पहला चरण 04 जुलाई से 17 जुलाई तक होगा। इन 15 दिनों की अवधि में पंचांग के अनुसार, सावन माह की कृष्ण पक्ष रहेगी।

इसके बाद अगले 15 दिन यानी सावन माह का शुक्ल पक्ष 17 अगस्त से 31 अगस्त तक होगा। इन्हीं दोनों चरणों की तिथियों में पड़ने वाले सोमवार के दिन सावन सोमवारी का व्रत रखना मान्य होगा।

सोमवारी व्रत रखे के लिए तिथियां-
पहला सोमवार व्रत- 10 जुलाई 2023
दूसरा सोमवार व्रत- 17 जुलाई 2023
तीसरा सोमवार व्रत- 21 अगस्त 2023
चौथा सोमवार व्रत- 28 अगस्त 2023

सुलतानपुर: जिलाधिकारी जसजीत कौर की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट सभागार में जिला वृक्षारोपण समिति की बैठक आयोजित की गयी।


बैठक में प्रभागीय निदेशक, सा0वा0 वन प्रभाग आर0के0 त्रिपाठी द्वारा समस्त विभागों को शासन से आवंटित लक्ष्य में आंशिक संशोधन करते हुए विभिन्न विभागों से लक्ष्य के सापेक्ष और अधिक वृक्षारोपण किये जाने का आग्रह किया गया।


उन्होंने कृषि विभाग के लक्ष्य में बढ़ोत्तरी करते हुए उप कृषि निदेशक को अवगत कराया। उन्होंने कहा कि शासन से बहुत जल्द ही वृक्षारोपण कार्यक्रम की तिथि निर्धारित कर दी जायेगी। 


इसलिये सभी विभाग अपनी-अपनी रिपोर्ट तैयार कर उपलब्ध करा दें।
              

मुख्य विकास अधिकारी अंकुर कौशिक ने सभी सम्बन्धित विभागों को निर्देशित करते हुए कहा कि सभी विभाग लक्ष्य के अनुरूप वृक्षारोपण कार्यक्रम को सम्पन्न बनाने की तैयारियाॅ अभी से सुनिश्चित कर लें तथा समय से पहले ही नर्सरी से पौध प्राप्त कर लें। 
               

जिलाधिकारी द्वारा समस्त विभागों को निर्देशित करते हुए कहा गया कि सभी विभाग अपने-अपने लक्ष्य के सापेक्ष वृक्षारोपण कराना सुनिश्चित करायें तथा सम्बन्धित क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों को भी वृक्षारोपण कार्यक्रम में आमंत्रित करें।


उन्होंने कहा कि पर्यावरण को बेहतर बनाने हेतु वृक्षारोपण कार्यक्रम को सफल बनाने के साथ ही साथ रोपित पौधों को जीवित रखना भी हमारी जिम्मेदारी है, उसे सभी विभाग जिम्मेदारी से पूर्वक निर्वहन करें। 


उन्होंने वृक्षारोपण कार्यक्रम में स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को भी शामिल करने हेतु निर्देशित किया।

आईजीआरएस रैंकिंग में इसबार जनपद सुलतानपुर का मंडल में प्रथम स्थान रहा है-सुलतानपुर 24th, अंबेडकर नगर और बाराबंकी संयुक्त रूप से 52th, अमेठी 61th , अयोध्या 72th रैंक पर रहे है


सुलतानपुर: जिलाधिकारी जसजीत कौर की अध्यक्षता में मंगलवार को कलेक्ट्रेट सभागार में आई0जी0आर0एस0 की समीक्षा बैठक आयोजित की गयी, जिसमें मुख्यमंत्री सन्दर्भ, जिलाधिकारी सन्दर्भ, ऑनलाइन प्राप्त सन्दर्भ, भारत सरकार पी0जी0 पोर्टल सन्दर्भ, शासन/राजस्व परिषद निदेशालय सन्दर्भ, मुख्यमंत्री हेल्पलाइन, वरिष्ठ/पुलिस अधीक्षक, महिला हेल्प डेस्क, एन्टी भू-माफिया सहित आदि सन्दर्भों के कुल 73108 शिकायत प्राप्त, जिसके सापेक्ष 71393 सन्दर्भ विभिन्न विभागों द्वारा निस्तारित किये गये तथा 1701 लंबित सन्दर्भ व 14 डिफाल्टर सन्दर्भ के सम्बन्ध में जिलाधिकारी द्वारा सम्बन्धित को निर्देशित किया गया कि निर्धारित समय में निस्तारित किये जायें। 
                

बैठक में जिलाधिकारी द्वारा उपस्थित अधिकारियों को निर्देशित किया गया कि शिकायतकर्ता से दूरभाष के माध्यम से बातचीत कर समस्या का उचित निराकरण करायें, खानापूर्ति करने से बचें, समस्या का वास्तविक निराकरण कराने का प्रयास करें।


उन्होंने कहा कि माह में ज्यादा से ज्यादा शिकायतकर्ता से दूरभाष पर वार्ताकर सभी अधिकारी समस्याओं का निराकरण करायें। उन्होंने कहा कि सभी अधिकारी मौके पर जाकर निरीक्षण करें तथा उचित कारण बताते हुए गुणवत्तापूर्ण आख्या लगायें। उन्होंने कहा कि किसी अधीनस्थ अधिकारी द्वारा लगायी गयी आख्या के आधार पर समस्या का निराकरण कराने से बचेें।


उन्होंने कहा कि शीर्षस्त अधिकारी खुद एक बार पुनः मौके पर जाकर निरीक्षण/सत्यापन कर गुणवत्तापूर्ण आख्या लगायें। 
              

जिलाधिकारी ने सभी अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि शासन के मंशानुरूप जनसामान्य की शिकायतों का निस्तारण शीर्ष प्राथमिकताओं के अनुरूप किये जायें। इसमें किसी भी प्रकार की शिथिलता एवं लापरवाही किसी भी दशा में बर्दास्त नहीं की जायेगी।


उन्होंने सभी अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि विभिन्न माध्यमों से प्राप्त होने वाली शिकायतों का सम्बन्धित अधिकारी मौके पर जाकर मौका मुवायना कर फोटो सहित आख्या लगाकर गुणत्तापूर्ण निस्तारण करें। 
                 
इस अवसर मुख्य विकास अधिकारी अंकुर कौशिक, प्रभागीय निदेशक, सा0वा0 वन प्रभाग आर0के0 त्रिपाठी, पी0डी0(डी0आर0डी0ए0) कृष्ण करूणाकर पाण्डेय, उप कृषि निदेशक रामाश्रय यादव, पुलिस क्षेत्राधिकारी नगर राघवेन्द्र चतुर्वेदी, डी0सी0 मनरेगा अनवर शेख, जिला अर्थ एवं संख्या अधिकारी आशीष कुमार सहित अन्य जनपद स्तरीय अधिकारी उपस्थित रहे।

सुलतानपुर: सामाजिक संगठन इंडिया एंटी करप्शन फोर्स के वनवासी आश्रम सीताकुंड में आश्रम के छात्रों को स्कूली बैग वितरित किया गया।

संगठन के अध्यक्ष विकास मिश्र , महासचिव विपिन मिश्र एवं संरक्षक रमाशंकर पांडेय (प्रत्याशी महासचिव बार एसोसिएशन सुल्तानपुर) ने बताया कि इंडिया एंटी करप्शन फोर्स के द्वारा ऐसे ही अनेक सामाजिक कार्यक्रम किए जाते रहेंगे। संगठन का मुख्य उद्देश्य यह है कि समस्या नहीं, समाधान बनें। संगठन के विधिक सलाहकार एवं प्रवक्ता देवेंद्र पाठक एवं उपाध्यक्ष राजीव तिवारी ने सभी छात्रों को उनके उज्जवल भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी।

वहीं मीडिया प्रभारी उमेश तिवारी ने बताया कि जल्द ही संगठन के द्वारा वृक्षारोपण भी करवाया जाएगा। इस मौके पर सचिव आदित्य मिश्र, सह सचिव पंकज तिवारी,संगठन मंत्री प्रमोद पांडेय, संरक्षक कैलाश चंद्र द्विवेदी, विद्याभूषण पांडेय, देवनारायण गुप्ता, दिनेश वर्मा के साथ-साथ छात्रावास प्रबंधन के लोग एवं छात्र मौजूद रहे।


विधि आयोग ने इसी महीने की शुरुआत में राजनीतिक रूप से संवेदनशील इस मुद्दे पर सार्वजनिक और मान्यता प्राप्त धार्मिक संगठनों समेत सभी पक्षों से से सुझाव मांगकर समान नागरिक संहिता पर परामर्श की प्रक्रिया शुरू कर दी है। माना जा रहा है कि केन्द्र की सरकार जल्द ही इस पर कोई बड़ा निर्णय ले सकती है।


एक दिन पहले यानी मंगलवार को पीएम मोदी ने मध्य प्रदेश में BJP के ‘मेरा बूथ,सबसे मज़बूत' अभियान के तहत  पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। पीएम मोदी ने कहा, "यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड के नाम पर लोगों को भड़काने का काम हो रहा है।

PM ने देश में समान नागरिक संहिता की वकालत करते हुए कहा कि एक ही परिवार में दो लोगों के अलग-अलग नियम कैसे हो सकते हैं? ऐसी दोहरी व्यवस्था से घर चल पाएगा क्या?

उन्होंने वहां मौजूद लोगों से सवाल किया कि कि अगर ट्रिपल तलाक़ इस्लाम में इतना ही जरुरी होता तो इंडोनेशिया, क़तर, जॉर्डन, सीरिया, बांग्लादेश और पाकिस्तान जैसे मुस्लिम बहुल देशों में इसकी अनुमति क्यों नहीं होती?

PM नें कहा कि भारत के संविधान में भी नागरिकों के समान अधिकार की बात की गई है। जो लोग हम पर आरोप लगाते है अगर ये मुसलमानों के सही मायने में हितैषी होते तो अधिकांश परिवार और मेरे मुस्लिम भाई-बहन शिक्षा में पीछे नहीं रहते।

PM मोदी ने कहा, "सुप्रीम कोर्ट ने बार-बार कहा है। सुप्रीम कोर्ट डंडा मारती है. कहती है कॉमन सिविल कोड लाओ। लेकिन ये वोट बैंक के भूखे लोग इसमें अड़ंगा लगा रहे हैं। लेकिन भाजपा सबका साथ, सबका विकास की भावना से काम कर रही है।’’

 

विपक्षी दलों का UCC पर PM मोदी का विरोध

वहीँ यूनिफॉर्म सिविल कोड पर पीएम नरेंद्र मोदी के बयान के बाद इसे लेकर बहस शुरू हो गई है। कांग्रेस, एआईएमआईएम, जेडीयू, डीएमके जैसी पार्टियों ने प्रधानमंत्री मोदी पर वोट बैंक की राजनीति करने का आरोप लगाया है।

 

समान नागरिक संहिता यानी UCC का अर्थ

समान नागरिक संहिता यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड का अर्थ होता है भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक समान कानून होना, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो। समान नागरिक संहिता में शादी, तलाक और जमीन-जायदाद के बंटवारे में सभी धर्मों के लिए एक ही कानून लागू होगा। यूनियन सिविल कोड का अर्थ एक निष्पक्ष कानून है, जिसका किसी धर्म से कोई ताल्लुक नहीं है।

 

क्यों है देश में इस कानून की आवश्यकता?

अलग-अलग धर्मों के अलग कानून से न्यायपालिका पर बोझ पड़ता है। समान नागरिक संहिता लागू होने से इस परेशानी से निजात मिलेगी और अदालतों में वर्षों से लंबित पड़े मामलों के फैसले जल्द होंगे। शादी, तलाक, गोद लेना और जायदाद के बंटवारे में सबके लिए एक जैसा कानून होगा फिर चाहे वो किसी भी धर्म का क्यों न हो। वर्तमान में हर धर्म के लोग इन मामलों का निपटारा अपने पर्सनल लॉ यानी निजी कानूनों के तहत करते हैं।

 

सभी के लिए कानून में एक समानता से देश में एकता बढ़ेगी और जिस देश में नागरिकों में एकता होती है, किसी प्रकार वैमनस्य नहीं होता है वह देश तेजी से विकास के पथ पर आगे बढ़ेगा। देश में हर भारतीय पर एक समान कानून लागू होने से देश की राजनीति पर भी असर पड़ेगा और राजनीतिक दल वोट बैंक वाली राजनीति नहीं कर सकेंगे और वोटों का ध्रुवीकरण नहीं होगा। 

 


सुलतानपुर: जिलाधिकारी जसजीत कौर द्वारा आज कलेक्ट्रेट स्थित अपने कक्ष में जनता दर्शन में आये  हुए जन सामान्य की समस्याओं/शिकायतों को गम्भीरता पूर्वक सुनकर उसका समय से निस्तारण हेतु सम्बन्धित अधिकारियों को निर्देशित किया।    

जिलाधिकारी ने जनता दर्शन में प्राप्त प्रार्थना पत्रो को संबंधित अधिकारियों को निस्तारण हेतु प्रेषण करने के निर्देश उपस्थित अधिकारियों को दिये। उन्होंने निर्देशित किया कि संबंधित अधिकारी प्राप्त शिकायतों का निस्तारण प्राथमिकता के आधार पर  करना सुनिश्चित करें, ताकि लोगों का ज्यादा से ज्यादा भला हो सके। इसमें किसी भी प्रकार की शिथिलता न बरती जाए।

           इस अवसर पर  मुख्य राजस्व अधिकारी शैलेन्द्र मिश्र व उप जिलाधिकारी विदुषी सिंह सहित जनता दर्शन में आए फरियादीगण उपस्थित रहे।


इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (IPCC) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पृथ्वी की औसत सतह का तापमान, साल 2030 तक 1.5 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाएगा. ये बढ़ोतरी पूर्वानुमान से एक दशक पहले ही जाएगी.

BY: माधव आनन्द

दुनिया: इंसानी सभ्यताओं द्वारा वायुमंडल को गर्म करने वाली गैसों का उत्सर्जन जिस तरह से जारी है, उसकी वजह से सिर्फ दो दशकों में ही तापमान की सीमाएं टूट चुकी हैं। बीते सालों में दुनिया ने रिकॉर्ड तोड़ तापमान, जंगलों में आग लगना और विनाशकारी बाढ़ की घटना देखी है। इंसानों के कारण हुए बदलावों ने असावधानीपूर्ण तरीक़े से पर्यावरण को ऐसा बना दिया है जो कि हज़ारों सालों में भी वापस बदला नहीं जा सकता है।

दुनिया भर के विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के प्रभाव स्वरूप अगर धरती का तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस बढ़ता है तो इसके बेहद गंभीर परिणाम हो सकते हैं। अब तक वैश्विक तापमान औद्योगीकरण पूर्व के स्तर से 1.2 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ चुका है।

कहा जा रहा है की अगर तमाम वैश्विक राजनेता औद्योगीकरण पूर्व के समय के वैश्विक तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस के स्तर पर रोकने में सक्षम हो गए तो भारी तबाही को रोका जा सकता है।

संयुक्त राष्ट्र के इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (IPCC) की एक रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस पर ही रोकने के लिए कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) के उत्सर्जन में तत्काल रूप से कमी लाने की आवश्यकता हैजैसा कि 2015 पेरिस समझौते में तय किया गया था

आईपीसीसी की रिपोर्ट का एक प्रमुख निष्कर्ष ये है कि 1.5 डिग्री सेल्सियस तापमान के लक्ष्य को हासिल करना बेहद मुश्किल तो है लेकिन ये संभव हैइसके लिए तुरंत क़दम उठाने की ज़रूरत है इसका ये अर्थ है कि अगर दुनिया में 2025 से पहले अधिकतम उत्सर्जन तक पहुंचना है, ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को 2030 तक लगभग आधा करना है और 2050 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करना है तो भारत समेत अलग-अलग देशों को अपने राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान और शून्य उत्सर्जन के लक्ष्य में संशोधन करना पड़ेगा 

लेकिन अगर इस संबंध में दुनिया के तमाम देशों ने कोई ठोस क़दम नहीं उठाया तो इस सदी के अंत तक धरती का तापमान 2 डिग्री सेल्सियस से अधिक बढ़ सकता है। अगर कोई क़दम नहीं उठाया गया तो वैज्ञानिकों का अनुमान है कि ग्लोबल वार्मिंग 4 डिग्री सेल्सियस से अधिक भी हो सकती है। जिसके परिणामस्वरूप दुनिया को भयानक हीट-वेव का सामना करना पड़ सकता है, समुद्र के स्तर में बढ़ोत्तरी होने से लाखों लोग बेघर हो सकते हैं, कई पादप-जंतुओं की प्रजाति विलुप्त तक हो सकती है। 

प्राकृतिक घटनाओं में जिस तरह से एकाएक बदलाव आए हैं, वह जलवायु परिवर्तन का ही परिणाम है। तूफ़ानों की संख्या बढ़ गई है, भूकंपों की आवृत्ति बढ़ गई है, नदियों में बाढ़ का विकराल स्वरूप आदि घटनाएं पहले से कहीं अधिक बढ़ गई हैं, जिसका सीधा असर जीवन और जीवित रहने के माध्यमों पर पड़ रहा है।

 सरकार को अपने स्तर पर बड़े और नीति-परक बदलाव करने की ज़रूरत है लेकिन बतौर जिम्मेदार नागरिक हम अपने स्तर पर भी इस प्रयास का हिस्सा बन सकते हैं। हमारे छोटे-छोटे प्रयास जैसे -विमान सेवा का कम इस्तेमाल,  कार के रूप में इलेक्ट्रिक कार का इस्तेमाल एवं ऊर्जा बचाने वाले उपकरणों का इस्तेमाल जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने में उपयोगी साबित हो सकते हैं।

नई दिल्ली: रेल यात्रा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने साफ कहा कि ट्रेन में यात्रा करते समय अगर किसी यात्री का सामान चोरी हो जाता है, तो इसके लिए रेलवे जिम्मेदार नहीं है। कोर्ट ने कहा कि इसे रेलवे की सेवाओं में कमी के तौर पर नहीं माना जा सकता है।

दरअसल, कोर्ट ने यह फैसला कपड़ा व्यापारी सुरेंद्र बोला की याचिका के जवाब में दिया है। 27 अप्रैल 2005 को सुरेंद्र काशी विश्वनाथ एक्सप्रेस की रिजर्व सीट पर बैठकर नई दिल्ली जा रहे थे। इस दौरान एक लाख रुपये की राशि उनके पास थी। लेकिन 28 अप्रैल को तड़के साढ़े तीन बजे जब सुरेंद्र उठे, तो उनके पैसे चोरी हो चुके थे। इसके बाद दिल्ली पहुंचते ही उन्होंने जीआरपी थाने उन्होंने एफआईआर दर्ज कराई।

यहीं नहीं इसके कुछ दिन बाद उन्होंने शाहजहांपुर के जिला उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज कराई। जिला उपभोक्ता फोरम में बहस के दौरान सुरेंद्र ने रेलवे की सेवा में कमी की बात कहते हुए हर्जाना दिए जाने की मांग की। जिला उपभोक्ता फोरम ने सुरेंद्र के पक्ष में फैसला सुनाया। रेलवे को एक लाख रुपये हर्जाना देने का आदेश दिया गया। इसके बाद भारतीय रेलवे ने जिला उपभोक्ता अदालत के इस फैसले को रेलवे ने ऊपरी अदालत में चुनौती दी। लेकिन राज्य और राष्ट्रीय उपभोक्ता फोरम की तरफ से फिर रेलवे को झटका लगा। दोनों ने जिला फोरम के फैसले को बरकरार रखा। इसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा।

सुप्रीम कोर्ट की जस्टिल विक्रम नाथ और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की डबल बेंच ने यात्री के पक्ष में दिए गए राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग और राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के आदेश को पलट दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, यात्री के निजी सामान का रेलवे द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं से कोई लेना देना नहीं है। यह हमारी समझ से परे है कि कैसे चोरी को किसी भी संदर्भ में रेलवे द्वारा दी जा रही सेवाओं में कमी के तौर पर देखा जा सकता है। जब सवारी खुद अपने निजी सामान की रक्षा नहीं कर पाई तो इसके लिए रेलवे को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। इसके साथ ही कोर्ट ने आदेश देते हुए जिला, राज्य और राष्ट्रीय उपभोक्ता फोरम के फैसले को रद्द कर दिया।


आगामी त्योहार, परीक्षा और धरना प्रदर्शन को ध्यान में रखते हुए जिले में लागू धारा 144 को 30 जून तक के लिए बढ़ा दिया गया है। इसका उल्लंघन करने पर कार्यवाही की जाएगी। इस दौरान कोई भी व्यक्ति बिना अनुमति जुलूस नही निकाल सकेगा।

क्या है धारा 144? कब लगाई जाती है?

सीआरपीसी की धारा 144 शांति कायम करने या किसी आपात स्थिति से बचने के लिए लगाई जाती है। किसी तरह के सुरक्षा, स्वास्थ्य संबंधित खतरे या दंगे की आशंका हो। धारा-144 जहां लगती है, उस इलाके में पांच या उससे ज्यादा आदमी एक साथ जमा नहीं हो सकते हैं। धारा लागू करने के लिए इलाके के जिलाधिकारी द्वारा एक नोटिफिकेशन जारी किया जाता है। धारा 144 लागू होने के बाद इंटरनेट सेवाओं को भी आम पहुंच से ठप किया जा सकता है। यह धारा लागू होने के बाद उस इलाके में हथियारों के ले जाने पर भी पाबंदी होती है।




वाराणसी :  आज दिनांक 4 जून 2023 को अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद की समन्वय बैठक बी एच यू काशी में हुई बैठक में मुख्य अतिथि लेफ्टिनेंट जनरल दुष्यंत सिंह  PVSM AVSM एवं कार्यक्रम की अध्यक्षता कर्नल दिनेश चंद्र उपाध्याय एवं संचालन काशी प्रांत के महासचिव रेवती रमण तिवारी ने किया बैठक में विशिष्ट अतिथि के रूप में मेजर आनंद टंडन एवं कैप्टन एस एन तिवारी मौजूद रहे बैठक में विभिन्न जिलों के सैनिक उपस्थित रहे बैठक में कैप्टन अखिलेश कुमार पांडे को बनारस का जिला अध्यक्ष एवं सूबेदार किशन लाल गौड़ को काशी प्रांत का उपाध्यक्ष का प्रभार दिया गया ।



सुलतानपुर : दिनांक आज 4 जून 2023 को कमला नेहरू प्रौद्योगिकी संस्थान सुल्तानपुर में2022 के पास हुए छात्रों को टेबलेट वितरण कार्यक्रम संपन्न हुआ । टेबलेट का वितरण उत्तर प्रदेश सरकार की छात्र हित की स्वामी विवेकानंद युवा सशक्तिकरण योजना के अंतर्गत किया गया ।टेबलेट का वितरण संस्थान के निदेशक महोदय प्रोफेसर केएस वर्माएवं विभागाध्यक्ष द्वारा किया गया ।छात्रों को संबोधित करते हुए निदेशक महोदय ने उत्तर प्रदेश सरकार की छात्रों एवं युवाओं के हित में सरकार की योजनाओं का विस्तृत वर्णन किया । एवं उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा चल रहे कार्यक्रमों की सराहना की । इस कार्यक्रम में 300 छात्रों ने प्रतिभाग किया एवं टेबलेट प्राप्त किया ।उपरोक्त के साथ-साथ छात्र अपने साथियों से मिलकर एवं संस्थान के विकास कार्यों को देख कर प्रफुल्लित हुए । प्रदेश सरकार को धन्यवाद दिया तथा भविष्य में एलुमनाई बनकर संस्थान में अन्य विकास कार्यों सहभागी बनने का प्रण लिया ।

 


वाराणसी : काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में कुलपति आवास के सामने LLB का छात्र अवधेश देव पाण्डेय अपने साथियों के साथ न्याय के लिए धरने पर बैठ गये। छात्रों का आरोप है कि भगवान दास छात्रावास के वार्डन ने निराधार कारण बता कर छात्रावास का आवंटन निरस्त कर दिया हैं। 

धरने पर बैठे पीड़ित छात्र अवधेश देव पाण्डेय ( एलएलबी चतुर्थ सेमेस्टर) ने कहा कि उन्हें भगवान दास छात्रावास में कक्ष क्रमांक 75 आवंटित था। छात्र ने बताया कि 24/11/2022 को छात्रावास में प्रशासनिक संरक्षक द्वारा सुबह अपने कार्यालय में बुलाकर छात्रावास से निष्कासित किए जाने का आदेश दे दिया गया, कारण पूछने पर बताया गया कि प्रार्थी द्वारा दिनांक 23/11/2022 की मध्यरात्रि को अपना जन्मदिन मनाया गया और इस दौरान एक अन्य छात्र द्वारा बाथरूम  का कांच तोड़ दिया  और छात्र का कहना है कि पिछले 7 महीने से कुलपति सहित विभिन्न अधिकारियों को प्रार्थना पत्र दिया लेकिन किसी ने उनकी बात नहीं सुनी जिसके बाद मजबूरी में उन्हें अपने साथियों के साथ कुलपति आवास के बाहर न्याय की मांग करते हुए धरने पर बैठना पड़ा। 

धरने के तीसरे दिन प्रॉक्टोरियल बोर्ड द्वारा सुबह आकर पुलिसिया धमकी व कार्रवाई की धमकी देकर धरना खत्म करने के लिए कहा गया जिससे पूरे विश्वविद्यालय परिसर में विभिन्न संकाय से  करीब 500 छात्र  अवधेश देव पांडे को समर्थन देने के  लिए आए व कुलपति आवास से लेकर सिंह द्वार तक काली पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन जताया गया तथा छात्रों ने कहा कि अगर अवधेश पांडे को विश्वविद्यालय प्रशासन न्याय नहीं देता है तो भविष्य में इससे भी उग्र आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे जिसकी पूरी जिम्मेदारी विश्वविद्यालय प्रशासन की होगी।



प्रयागराज: सैम हिग्गिनबॉटम यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर नैनी प्रयागराज  के फल विज्ञान के प्रोफेसर डॉक्टर बी एम प्रसाद ने नैनी स्थित एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में पूर्वी प्रजाति के लीची के पौधों का रोपण किया था, जिसमें वर्तमान समय में पूर्ण विकसित फल आ गए हैं। प्रयागराज क्लाइमेटिक जोन में इस प्रकार लीची के पौधे से फल प्राप्त करना अपने आप में किसी चमत्कार से कम नहीं है। 

आइए जानते हैं प्रो. वी एम प्रसाद से लीची के फल उत्पादन के बारे में....



प्रोफेसर डॉक्टर बी एम प्रसाद बताया कि लीची गर्मियों का एक प्रमुख फल है। स्वाद में मीठा और रसीला होने के साथ ही ये सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद है. लीची में कार्बोहाइड्रेट, विटामिन सी, विटामिन ए और बी कॉम्प्लेक्स भरपूर मात्रा में पाया जाता है. इसके अलावा इसमें पोटैशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस और आयरन जैसे मिनरल्स भी पाए जाते हैं।रोजाना लीची खाने से चेहरे पर निखार आता है और बढ़ती उम्र के लक्षण कम नजर आते हैं. इसके अलावा ये शारीरिक विकास को भी प्रोत्साहित करने का काम करता है.

फलों का एक तरफ जहां पोस्टिक महत्व है वही फल प्राकृतिक सुंदरता को भी बढ़ाते हैं जिसका असर मानव जीवन पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पड़ता है। प्रो. बी एम प्रसाद ने  बताया कि उन्होंने पूर्वी  प्रजाति के लीची के पौधों को 7 साल पहले लगाए हुआ था तब से लेकर अब तक उन्होंने लीची के इन पौधे पर विभिन्न प्रकार के ट्रीटमेंट किए जिसके परिणाम स्वरूप आज इस पूर्वी प्रजाति के पौधे में फल आया और फल पूरी तरह अपने आकार में है। प्रयागराज क्लाइमेटिक जोन में लीची के उत्पादन से किसानों को लीची उत्पादन के लिए प्रोत्साहन मिलेगा इस प्रकार किसान अब प्रयागराज में ही लीची का उत्पादन कर अच्छे दामों में इसे बेचकर अपनी आय को दुगनी करेंगे ।


 


सफलता सुविधाओं की मोहताज नहीं होती, अगर लगन के साथ लक्ष्य को हासिल करने के लिए मेहनत की जाए तो सफलता निश्चित मिलती है। ऐसा ही कादीपुर तहसील के सूरापुर कस्बे के निवासी एक युवक ने कर दिखाया है।

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उत्तर प्रदेश में सुलतानपुर जिले के निवासी एक होनहार युवक अलंकार मिश्रा ने अपनी मेहनत के दम पर यूपीएससी में सफलता का परचम लहराया है। युवक का चयन डीपीए यानी डेटा प्रोसेसिंग सहायक के पद पर हुआ है। अथक परिश्रम और माता-पिता के आर्शीर्वाद से अलंकार का चयन यूपीएससी में हुआ है।

बता दें कि अलंकार मिश्रा का चयन संघ लोक सेवा आयोग के तहत डीपीए यानी डेटा प्रोसेसिंग सहायक के पद पर हुआ है। उनकी इस सफलता से उनके माता-पिता सहित परिवार के अन्य सदस्य काफी खुश हैं। साथ-साथ ही कस्बे के लोगों में अलंकार की सफलता से उत्साह नजर आया।

बताते चलें, अलंकार इतने होनहार हैं कि उन्होंने डीपीए में चयन होने से पहले ही यूजीसी नेट क्वॉलीफाई कर लिया था। फिर अपनी लगन और मेहनत के दम पर यूपीएससी में भी सफलता का परचम लहराया। अलंकार के पिता का नाम ब्रह्म कुवंर मिश्रा है। वहीं, उनके बड़े भाई का नाम ब्रह्मेश कुमार मिश्रा है, जो एसआई के पद पर कार्यरत हैं। अलंकार के छोटे भाई केएनआई से एलएलबी किए हुए हैं, जो जिला एवं सत्र न्यायालय सुलतानपुर में वकालत कर रहे हैं। देश की सबसे बड़ी परीक्षा देकर सफलता हासिल करने में अलंकार के माता-पिता सहित उनके पूरे परिवार का सहयोग रहा।



राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का नाम आज सर्वत्र चर्चा में है. संघ कार्य का बढ़ता व्याप देख कर संघ विचार के विरोधक चिंतित होकर संघ का नाम बार-बार उछाल रहे हैं. अपनी सारी शक्ति और युक्ति लगाकर संघ विचार का विरोध करने के बावजूद यह राष्ट्रीय शक्ति क्षीण होने के बजाय बढ़ रही है, यह उनकी चिंता और उद्वेग का कारण है. दूसरी ओर राष्ट्रहित में सोचने वाली सज्जन शक्ति संघ का बढ़ता प्रभाव एवं व्याप देख कर भारत के भविष्य के बारे में अधिक आश्वस्त होकर संघ के साथ या उसके सहयोग से किसी ना किसी सामाजिक कार्य में सक्रिय होने के लिए उत्सुक हैं। संघ की इस बढती शक्ति का कारण शाश्वत सत्य पर आधारित संघ का शुद्ध राष्ट्रीय विचार एवं इसके लिए तन–मन–धन पूर्वक कार्य करने वाले कार्यकर्ताओं की अखंड श्रृंखला है.

संघ का यह विशाल वटवृक्ष एक तरफ नई आकाशीय ऊंचाइयां छूता दिखता है, वहीँ उसकी अनेक जटाएं धरती में जाकर इस विशाल विस्तार के लिए रस पोषण करने हेतु नई-नई जमीन तलाश रही हैं, तैयार कर रही हैं. इस सुदृढ़, विस्तृत और विशाल वटवृक्ष का बीज कितना पुष्ट एवं शुद्ध होगा इसकी कल्पना से ही मन रोमांचित हो उठता है. 

नागपुर में वर्ष प्रतिपदा के पावन दिन 1 अप्रैल, 1889 को जन्मे केशव हेडगेवार जन्मजात देशभक्त थे. आजादी के आन्दोलन की आहट भी मध्य प्रान्त के नागपुर में सुनाई नहीं दी थी और केशव के घर में राजकीय आन्दोलन की ऐसी कोई परंपरा भी नहीं थी, तब भी शिशु केशव के मन में अपने देश को गुलाम बनाने वाले अंग्रेज के बारे में गुस्सा तथा स्वतंत्र होने की अदम्य इच्छा थी, ऐसा उनके बचपन के अनेक प्रसंगों से ध्यान में आता है. रानी विक्टोरिया के राज्यारोहण के हीरक महोत्सव के निमित्त विद्यालय में बांटी मिठाई को केशव द्वारा (उम्र 8 साल) कूड़े में फेंक देना या जॉर्ज पंचम के भारत आगमन पर सरकारी भवनों पर की गई रोशनी और आतिशबाजी देखने जाने के लिए केशव (उम्र 9 साल) का मना करना ऐसे कई उदहारण हैं.

बंग-भंग विरोधी आन्दोलन का दमन करने हेतु वन्देमातरम के प्रकट उद्घोष करने पर लगी पाबन्दी करने वाले रिस्ले सर्क्युलर की धज्जियाँ उड़ाते हुए 1907 में विद्यालय निरीक्षक के स्वागत में प्रत्येक कक्षा में वन्देमातरम का उद्घोष करवा कर, उनका स्वागत करने की योजना केशव की ही थी. इसके माध्यम से अपनी निर्भयता, देशभक्ति तथा संगठन कुशलता का परिचय केशव ने सबको कराया. वैद्यकीय शिक्षा की सुविधा मुंबई में होते हुए भी क्रन्तिकारी आंदोलन का प्रमुख केंद्र होने के कारण कोलकाता जाकर वैद्यकीय शिक्षा प्राप्त करने का उन्होंने निर्णय लिया और शीघ्र ही क्रान्तिकारी आन्दोलन की शीर्ष संस्था अनुशीलन समिति के अत्यंत अंतर्गत मंडली में उन्होंने अपना स्थान पा लिया. 1916 में नागपुर वापिस आने पर घर की आर्थिक दुरावस्था होते हुए भी, डॉक्टर बनने के बाद अपना व्यवसाय या व्यक्तिगत जीवन – विवाह आदि करने का विचार त्याग कर पूर्ण शक्ति के साथ स्वतंत्रता आन्दोलन में उन्होंने अपने आप को झोंक दिया. 

1920 में नागपुर में होने वाले कांग्रेस के अधिवेशन की व्यवस्था के प्रबंधन की जिम्मेदारी डॉक्टर जी के पास थी. इस हेतु उन्होंने 1200 स्वयंसेवकों की भरती की थी. कांग्रेस की प्रस्ताव समिति के सामने उन्होंने दो प्रस्ताव रखे थे. भारत के लिए पूर्ण स्वतंत्रता और विश्व को पूँजीवाद के चंगुल से मुक्त करना, यह कांग्रेस का लक्ष्य होना चाहिए. पूर्ण स्वतंत्रता का प्रस्ताव कांग्रेस ने संघ स्थापना के बाद 1930 में स्वीकार कर पारित किया, इसलिए डॉक्टर जी ने संघ की सभी शाखाओं पर कांग्रेस का अभिनन्दन करने का कार्यक्रम करने के लिए सूचना दी थी. इससे डॉक्टर जी की दूरगामी एवं विश्वव्यापी दृष्टि का परिचय होता है.  

व्यक्तिगत मतभिन्नता होने पर भी साम्राज्य विरोधी आन्दोलन में सभी ने साथ रहना चाहिए. और यह आन्दोलन कमजोर नहीं होने देना चाहिए ऐसा वे सोचते थे. इस सोच के कारण ही खिलाफत आन्दोलन को कांग्रेस का समर्थन देने की महात्मा गाँधी जी की घोषणा का विरोध होने के बावजूद उन्होंने अपनी नाराजगी खुलकर प्रकट नहीं की तथा गांधीजी के नेतृत्व में असहयोग आन्दोलन में वे बेहिचक सहभागी हुए.

स्वतंत्रता प्राप्त करना किसी भी समाज के लिए अत्यंत आवश्यक एवं स्वाभिमान का विषय है किन्तु वह चिरस्थायी रहे तथा समाज आने वाले सभी संकटों का सफलतापूर्वक सामना कर सके, इसलिए राष्ट्रीय गुणों से युक्त और सम्पूर्ण दोषमुक्त, विजय की आकांक्षा तथा विश्वास रख कर पुरुषार्थ करने वाला, स्वाभिमानी, सुसंगठित समाज का निर्माण करना अधिक आवश्यक एवं मूलभूत कार्य है. यह सोच कर डॉक्टर जी ने 1925 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की. प्रखर ध्येयनिष्ठा, असीम आत्मीयता और अपने आचरण के उदाहरण से युवकों को जोड़ कर उन्हें गढ़ने का कार्य शाखा के माध्यम से शुरू हुआ. शक्ति की उपासना, सामूहिकता, अनुशासन, देशभक्ति, राष्ट्रगौरव तथा सम्पूर्ण समाज के लिए आत्मीयता और समाज के लिए निःस्वार्थ भाव से त्याग करने की प्रेरणा इन गुणों के निर्माण हेतु अनेक कार्यक्रमों की योजना शाखा नामक अमोघ तंत्र में विकसित होती गयी. सारे भारत में प्रवास करते हुए अथक परिश्रम से केवल 15 वर्ष में ही आसेतु हिमालय, सम्पूर्ण भारत में संघ कार्य का विस्तार करने में वे सफल हुए.

अपनी प्राचीन संस्कृति एवं परम्पराओं के प्रति अपार श्रद्धा तथा विश्वास रखते हुए भी आवश्यक सामूहिक गुणों की निर्मिती हेतु आधुनिक साधनों का उपयोग करने में उन्हें जरा सी भी हिचक नहीं थी. अपने आप को पीछे रखकर अपने सहयोगियों को आगे करना, सारा श्रेय उन्हें देने की उनकी संगठन शैली के कारण ही संघ कार्य की नींव मजबूत बनी.

संघ कार्य आरंभ होने के बाद भी स्वातंत्र्य प्राप्ति के लिए समाज में चलने वाले तत्कालीन सभी आंदोलनों के साथ न केवल उनका संपर्क था, बल्कि उसमें समय-समय पर वे व्यक्तिगत तौर पर स्वयंसेवकों के साथ सहभागी भी होते थे. 1930 में गांधीजी के नेतृत्व में शुरू हुए सविनय कानून भंग आन्दोलन में सहभागी होने के लिए उन्होंने विदर्भ में जंगल सत्याग्रह में व्यक्तिगत तौर पर स्वयंसेवकों के साथ भाग लिया तथा 9 मास का कारावास भी सहन किया. इस समय भी व्यक्ति निर्माण एवं समाज संगठन का नित्य कार्य अविरत चलता रहे, इस हेतु उन्होंने अपने मित्र एवं सहकारी डॉ. परांजपे को सरसंघचालक पद का दायित्व सौंपा था तथा संघ शाखाओं पर प्रवास करने हेतु कार्यकर्ताओं की योजना भी की थी. उस समय समाज कांग्रेस–क्रान्तिकारी, तिलकवादी–गाँधीवादी, कांग्रेस–हिन्दु महासभा ऐसे द्वंद्वों में बंटा हुआ था. डॉक्टर जी इस द्वंद्व में ना फंस कर, सभी से समान नजदीकी रखते हुए कुशल नाविक की तरह संघ की नाव को चला रहे थे.

संघ को समाज में एक संगठन न बनने देने की विशेष सावधानी रखते हुए उन्होंने संघ को सम्पूर्ण समाज का संगठन के नाते ही विकसित किया. संघ कार्य को सम्पूर्ण स्वावलंबी एवं आत्मनिर्भर बनाते हुए उन्होंने बाहर से आर्थिक सहायता लेने की परंपरा नहीं रखी. संघ के घटक, स्वयंसेवक ही कार्य के लिए आवश्यक सभी धन, समय, परिश्रम, त्याग देने हेतु तत्पर हो, इस हेतु गुरु दक्षिणा की अभिनव परंपरा संघ में शुरू की. इस चिरपुरातन एवं नित्यनूतन हिन्दू समाज को सतत् प्रेरणा देने वाले, प्राचीन एवं सार्थक प्रतीक के नाते भगवा ध्वज को गुरु के स्थान पर स्थापित करने का उनका विचार, उनके दूरदृष्टा होने का परिचायक है. व्यक्ति चाहे कितना भी श्रेष्ठ क्यों ना हो, व्यक्ति नहीं, तत्वनिष्ठा पर उनका बल रहता था. इसके कारण ही आज 9 दशक बीतने के बाद भी, सात–सात पीढ़ियों से संघ कार्य चलने के बावजूद संघ कार्य अपने मार्ग से ना भटका, ना बंटा, ना रुका.

संघ संस्थापक होने का अहंकार उनके मन में लेशमात्र भी नहीं था. इसीलिए सरसंघचालक पद का दायित्व सहयोगियों का सामूहिक निर्णय होने कारण 1929 में उसे उन्होंने स्वीकार तो किया, परन्तु 1933 में संघचालक बैठक में उन्होंने अपना मनोगत व्यक्त किया. उसमें उन्होंने कहा –

“राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का जन्मदाता या संस्थापक मैं ना हो कर आप सब हैं, यह मैं भली-भांति जानता हूँ. आप के द्वारा स्थापित संघ का, आपकी इच्छानुसार, मैं एक दाई का कार्य कर रहा हूँ. मैं यह काम आपकी इच्छा एवं आज्ञा के अनुसार आगे भी करता रहूँगा तथा ऐसा करते समय किसी प्रकार के संकट अथवा मानापमान की मैं कतई चिंता नहीं करूँगा. 

आप को जब भी प्रतीत हो कि मेरी अयोग्यता के कारण संघ की क्षति हो रही है, तो आप मेरे स्थान पर दूसरे योग्य व्यक्ति को प्रतिष्ठित करने के लिए स्वतंत्र हैं. आपकी इच्छा एवं आज्ञा से जितनी सहर्षता के साथ मैंने इस पद पर कार्य किया है, इतने ही आनंद से आप द्वारा चुने हुए नए सरसंघचालक के हाथ सभी अधिकार सूत्र समर्पित करके उसी क्षण से उसके विश्वासु स्वयंसेवक के रूप में कार्य करता रहूँगा. मेरे लिए व्यक्तित्व के मायने नहीं है; संघ कार्य का ही वास्तविक अर्थ में महत्व है. अतः संघ के हित में कोई भी कार्य करने में मैं पीछे नहीं हटूंगा”

संघ संस्थापक डॉ. हेडगेवार के ये विचार उनकी निर्लेप वृत्ति एवं ध्येय समर्पित व्यक्तित्व का दर्शन कराते है.


सामूहिक गुणों की उपासना तथा सामूहिक अनुशासन, आत्मविलोपी वृत्ति स्वयंसेवकों में निर्माण करने हेतु भारतीय परंपरा में नए ऐसे समान गणवेश, संचलन, सैनिक कवायद, घोष, शिविर आदि कार्यक्रमों को संघ कार्य का अविभाज्य भाग बनाने का अत्याधुनिक विचार भी डॉक्टर जी ने किया. संघ कार्य पर होने वाली आलोचना को अनदेखा कर, उसकी उपेक्षा कर वादविवाद में ना उलझते हुए सभी से आत्मीय सम्बन्ध बनाए रखने का उनका आग्रह रहता था.

“वादो ना S वलम्ब्यः ” और “ सर्वेषाम् अविरोधेन” ऐसी उनकी भूमिका रहती थी. प्रशंसा और आलोचना में - दोनों ही स्थिति में डॉ. हेडगेवार अपने लक्ष्य, प्रकृति और तौर तरीकों से तनिक भी नहीं डगमगाते. संघ की प्रशंसा उत्तरदायित्व बढाने वाली प्रेरणा तथा आलोचना को आलोचक की अज्ञानता का प्रतीक मान कर वह अपनी दृढ़ता का परिचय देते रहे.

1936 में नासिक में शंकराचार्य विद्याशंकर भारती द्वारा डॉक्टर हेडगेवार को “राष्ट्र सेनापति” उपाधि से विभूषित किया गया, यह समाचार, समाचार पत्र में प्रकाशित हुआ. डॉक्टर जी के पास अभिनन्दन पत्र आने लगे. पर उन्होंने स्वयंसेवकों को सूचना जारी करते हुए कहा कि “हम में से कोई भी और कभी भी इस उपाधि का उपयोग ना करे. उपाधि हम लोगों के लिए असंगत है.” उनका चरित्र लिखने वालों को भी डॉक्टर जी ने हतोत्साहित किया. “तेरा वैभव अमर रहे माँ, हम दिन चार रहें ना रहें” यह परंपरा उन्होंने संघ में निर्माण की.

शब्दों से नहीं, आचरण से सिखाने की उनकी कार्य पद्धति थी. संघ कार्य की प्रसिद्धि की चिंता ना करते हुए, संघ कार्य के परिणाम से ही लोग संघ कार्य को महसूस करेंगे, समझेंगे तथा सहयोग एवं समर्थन देंगे, ऐसा उनका विचार था. “फलानुमेया प्रारम्भः” याने वृक्ष का बीज बोया है इसकी प्रसिद्धि अथवा चर्चा ना करते हुए वृक्ष बड़ा होने पर उसके फलों का जब सब आस्वाद लेंगे तब किसी ने वृक्ष बोया था, यह बात अपने आप लोग जान लेंगे, ऐसी उनकी सोच एवं कार्य पद्धति थी ।

इसीलिए उनके निधन होने के पश्चात् भी, अनेक उतार-चढाव संघ के जीवन में आने के बाद भी, राष्ट्र जीवन में अनेक उथल-पुथल होने के बावजूद संघ कार्य अपनी नियत दिशा में, निश्चित गति से लगातार बढ़ता हुआ अपने प्रभाव से सम्पूर्ण समाज को स्पर्श और आलोकित करता हुआ आगे ही बढ़ रहा है. संघ की इस यशोगाथा में ही डॉक्टर जी के समर्पित, युगदृष्टा, सफल संगठक और सार्थक जीवन की यशोगाथा है.





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