November 2024

 


सुल्तानपुर : गुरुवार : शहर के डाकखाना चौराहे के पास खत्री पैथोलॉजी के सामने स्थित अतुल कॉम्प्लेक्स में डॉक्टर आयुष द्विवेदी की होम्योपैथिक क्लीनिक का भव्य शुभारंभ हुआ। वरिष्ठ अधिवक्ता राम प्रकाश द्विवेदी के ज्येष्ठ पुत्र डॉक्टर आयुष ने इस क्लीनिक के माध्यम से सुल्तानपुरवासियों को स्वास्थ्य सेवाओं की नई सुविधा उपलब्ध कराने का संकल्प लिया है।


इस अवसर पर डॉक्टर आयुष ने बताया कि होम्योपैथिक दवाएं न केवल बीमारी को जड़ से खत्म करती हैं, बल्कि शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को भी मजबूत बनाती हैं। उन्होंने कहा कि यह चिकित्सा पद्धति बिना किसी दुष्प्रभाव के रोगियों को स्वस्थ करती है और लंबे समय तक प्रभावी रहती है।


कार्यक्रम में डॉक्टर चंद्रशेखर पांडेय, डॉक्टर शशिधर त्रिपाठी, डॉक्टर धर्मेंद्र शुक्ल, सुनील श्रीवास्तव, राजेंद्र कुमार तिवारी जिला उपाध्यक्ष भाजपा (कि. मो.), मनोज ओझा, दीपक ओझा, अधिवक्ता हीरालाल गुप्ता और दरगाही सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे। इस दौरान वक्ताओं ने होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति की उपयोगिता पर प्रकाश डाला और डॉक्टर आयुष को शुभकामनाएं दीं।


शहरवासियों ने इस क्लीनिक को सुल्तानपुर के चिकित्सा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया। आयोजकों ने कहा कि क्लीनिक में आधुनिक सुविधाओं के साथ रोगियों को परामर्श और उपचार उपलब्ध कराया जाएगा।


डॉक्टर आयुष ने क्लीनिक के माध्यम से सुल्तानपुर में होम्योपैथिक चिकित्सा को बढ़ावा देने और लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने की प्रतिबद्धता जताई।


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अयोध्या:  अयोध्या के पावन धरा पर चल रही श्रीमद्भगवद कथा में जगतगुरु बाल योगी स्वामी राम प्रपन्नाचार्य जी महाराज ने श्रद्धालुओं के हृदय में भक्ति का दीप जलाया और उन्हें जीवन की सच्ची साधना की दिशा में प्रेरित किया। कथा के दौरान स्वामी जी ने अपने अमृतमय वचनों में यह महत्वपूर्ण संदेश दिया कि भगवान की सच्ची उपासना बाहरी कर्मकांडों से नहीं, बल्कि हमारे अपने जीवन में बुरी आदतों के त्याग और सदाचार के पालन से होती है। 

स्वामी जी ने कहा, "भजन का अर्थ केवल गाना गाने से नहीं है; भजन का सच्चा अर्थ तब है, जब हमारे कर्म और आचरण में शुद्धता आए। जो व्यक्ति अपनी बुरी आदतों का त्याग कर जीवन में पवित्रता लाता है, वही सच्चे भक्ति मार्ग पर होता है। यह भक्ति मार्ग हमें परमात्मा से जोड़ता है और आत्मिक संतोष प्रदान करता है।"

भक्ति और आचरण का संबंध

स्वामी राम प्रपन्नाचार्य जी महाराज ने अपने प्रवचनों में भक्ति और आचरण के संबंध को विस्तार से समझाया। उन्होंने कहा कि केवल मंदिरों में जाकर पूजा करना, भजन-कीर्तन करना या धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन करना तभी सार्थक है जब हम अपने भीतर व्याप्त दोषों, क्रोध, लोभ, और ईर्ष्या जैसे विकारों से स्वयं को मुक्त कर सकें। यह तभी संभव है जब हम अपनी बुरी आदतों को सुधारने की पहल करें और जीवन में सकारात्मकता का संचार करें।

बुरी आदतों को त्यागने का आह्वान

स्वामी जी ने बुरी आदतों को छोड़ने पर बल देते हुए बताया कि आज के समाज में भटकाव और नकारात्मकता का कारण व्यक्ति की अपने आचरण और आदतों में गिरावट है। उन्होंने कहा कि यदि हम अपने भीतर की नकारात्मकता, बुरी आदतें और विकारों को दूर कर सकें, तो ईश्वर से निकटता अपने आप प्राप्त हो जाएगी। स्वामी जी ने कहा, "ईश्वर किसी बाहरी साधना में नहीं, बल्कि हमारे अंतर्मन की पवित्रता में विराजमान हैं। इसलिए, अपने जीवन को सुधारना ही सच्ची भक्ति का मार्ग है।"

युवाओं को आत्म-सुधार का संदेश

इस अवसर पर स्वामी जी ने युवाओं को विशेष रूप से अपने आचरण को सुधारने और सत्कर्मों की ओर प्रवृत्त होने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी को अपनी आदतों और व्यवहार में सुधार लाना चाहिए ताकि वे समाज और राष्ट्र के निर्माण में सकारात्मक योगदान दे सकें। स्वामी जी ने युवाओं से आह्वान किया कि वे जीवन में आत्म-संयम का पालन करें, अपने कार्यों में सत्य और ईमानदारी को महत्व दें, और अपने आसपास के लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत बनें।

साधना और सच्ची भक्ति का महत्व

स्वामी राम प्रपन्नाचार्य जी ने भक्तों को साधना और सच्ची भक्ति का महत्व समझाते हुए कहा कि ईश्वर के प्रति प्रेम और भक्ति किसी बाहरी आडंबर से नहीं, बल्कि हमारे भीतर की पवित्रता और समर्पण से होती है। उन्होंने कहा, "साधना का अर्थ केवल जप, तप या तीर्थ यात्रा नहीं है; साधना का वास्तविक अर्थ है, अपने हृदय को शुद्ध रखना, अपने विचारों को निर्मल बनाना और सच्चाई के मार्ग पर चलना।"

श्रद्धालुओं पर गहरी छाप

कथा में उपस्थित हजारों श्रद्धालुओं ने स्वामी जी के इस अनमोल संदेश को अपने जीवन में उतारने का संकल्प लिया। उनकी वाणी ने श्रोताओं के हृदय को गहरे तक प्रभावित किया और उन्हें आत्म-संयम एवं सुधार की प्रेरणा दी। इस प्रेरणादायी प्रवचन के बाद, भक्तों में एक नई ऊर्जा और उत्साह का संचार हुआ, और वे भगवान के प्रति अपनी आस्था को और भी दृढ़ महसूस कर रहे थे।

इस प्रकार, अयोध्या में श्रीमद्भगवद कथा का यह पावन आयोजन श्रद्धालुओं के लिए न केवल एक धार्मिक अनुभव था, बल्कि एक आत्म-सुधार और आध्यात्मिक जागरण का मार्गदर्शक अवसर बन गया। स्वामी राम प्रपन्नाचार्य जी महाराज ने अपने वचनों से यह स्पष्ट किया कि सच्ची भक्ति बाहरी आडंबरों में नहीं, बल्कि हमारे अंदर के शुद्ध भावों और पवित्र आचरण में बसती है।

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दोस्तपुर: क़स्बा दोस्तपुर में मोतिगरपुर रोड पर जलजीवन मिशन की पाइप का गोदाम है, जिसमें शनिवार की शाम आग लग गयी| आग की लपटें इतनी भयावह और तेज थी कि हलियापुर बेलवाई मार्ग पर यातायात घंटों ठप हो गया|  इस हादसे में जलजीवन मिशन की 7-8 बंडल पाइप जलकर ख़ाक हो गयी| दोस्तपुर थाना की पुलिस फ़ोर्स,  नगर पंचायत के टैंकरों एवं स्थानीय लोगों की मदद से आग पर काबू पाया गया, वहीँ फायर ब्रिगेड सूचना के बावजूद देर से पहुंचा|

जलजीवन मिशन के एजीएम आशीष तिवारी ने बताया कि जिन पाइपों का नुकसान हुआ है उनकी कीमत लगभग एक लाख रुपये हैं इनसे लगभग दो किलोमीटर लम्बी पाइप लाइन डाली जा सकती थी| उन्होंने यह भी बताया कि घटना आस-पास के खेतों में पराली जलाने के कारण हुई हैं, इसके लिए वे एफआईआर भी दर्ज कार्यवायेगे|




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