June 2023


विधि आयोग ने इसी महीने की शुरुआत में राजनीतिक रूप से संवेदनशील इस मुद्दे पर सार्वजनिक और मान्यता प्राप्त धार्मिक संगठनों समेत सभी पक्षों से से सुझाव मांगकर समान नागरिक संहिता पर परामर्श की प्रक्रिया शुरू कर दी है। माना जा रहा है कि केन्द्र की सरकार जल्द ही इस पर कोई बड़ा निर्णय ले सकती है।


एक दिन पहले यानी मंगलवार को पीएम मोदी ने मध्य प्रदेश में BJP के ‘मेरा बूथ,सबसे मज़बूत' अभियान के तहत  पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। पीएम मोदी ने कहा, "यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड के नाम पर लोगों को भड़काने का काम हो रहा है।

PM ने देश में समान नागरिक संहिता की वकालत करते हुए कहा कि एक ही परिवार में दो लोगों के अलग-अलग नियम कैसे हो सकते हैं? ऐसी दोहरी व्यवस्था से घर चल पाएगा क्या?

उन्होंने वहां मौजूद लोगों से सवाल किया कि कि अगर ट्रिपल तलाक़ इस्लाम में इतना ही जरुरी होता तो इंडोनेशिया, क़तर, जॉर्डन, सीरिया, बांग्लादेश और पाकिस्तान जैसे मुस्लिम बहुल देशों में इसकी अनुमति क्यों नहीं होती?

PM नें कहा कि भारत के संविधान में भी नागरिकों के समान अधिकार की बात की गई है। जो लोग हम पर आरोप लगाते है अगर ये मुसलमानों के सही मायने में हितैषी होते तो अधिकांश परिवार और मेरे मुस्लिम भाई-बहन शिक्षा में पीछे नहीं रहते।

PM मोदी ने कहा, "सुप्रीम कोर्ट ने बार-बार कहा है। सुप्रीम कोर्ट डंडा मारती है. कहती है कॉमन सिविल कोड लाओ। लेकिन ये वोट बैंक के भूखे लोग इसमें अड़ंगा लगा रहे हैं। लेकिन भाजपा सबका साथ, सबका विकास की भावना से काम कर रही है।’’

 

विपक्षी दलों का UCC पर PM मोदी का विरोध

वहीँ यूनिफॉर्म सिविल कोड पर पीएम नरेंद्र मोदी के बयान के बाद इसे लेकर बहस शुरू हो गई है। कांग्रेस, एआईएमआईएम, जेडीयू, डीएमके जैसी पार्टियों ने प्रधानमंत्री मोदी पर वोट बैंक की राजनीति करने का आरोप लगाया है।

 

समान नागरिक संहिता यानी UCC का अर्थ

समान नागरिक संहिता यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड का अर्थ होता है भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक समान कानून होना, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो। समान नागरिक संहिता में शादी, तलाक और जमीन-जायदाद के बंटवारे में सभी धर्मों के लिए एक ही कानून लागू होगा। यूनियन सिविल कोड का अर्थ एक निष्पक्ष कानून है, जिसका किसी धर्म से कोई ताल्लुक नहीं है।

 

क्यों है देश में इस कानून की आवश्यकता?

अलग-अलग धर्मों के अलग कानून से न्यायपालिका पर बोझ पड़ता है। समान नागरिक संहिता लागू होने से इस परेशानी से निजात मिलेगी और अदालतों में वर्षों से लंबित पड़े मामलों के फैसले जल्द होंगे। शादी, तलाक, गोद लेना और जायदाद के बंटवारे में सबके लिए एक जैसा कानून होगा फिर चाहे वो किसी भी धर्म का क्यों न हो। वर्तमान में हर धर्म के लोग इन मामलों का निपटारा अपने पर्सनल लॉ यानी निजी कानूनों के तहत करते हैं।

 

सभी के लिए कानून में एक समानता से देश में एकता बढ़ेगी और जिस देश में नागरिकों में एकता होती है, किसी प्रकार वैमनस्य नहीं होता है वह देश तेजी से विकास के पथ पर आगे बढ़ेगा। देश में हर भारतीय पर एक समान कानून लागू होने से देश की राजनीति पर भी असर पड़ेगा और राजनीतिक दल वोट बैंक वाली राजनीति नहीं कर सकेंगे और वोटों का ध्रुवीकरण नहीं होगा। 

 


सुलतानपुर: जिलाधिकारी जसजीत कौर द्वारा आज कलेक्ट्रेट स्थित अपने कक्ष में जनता दर्शन में आये  हुए जन सामान्य की समस्याओं/शिकायतों को गम्भीरता पूर्वक सुनकर उसका समय से निस्तारण हेतु सम्बन्धित अधिकारियों को निर्देशित किया।    

जिलाधिकारी ने जनता दर्शन में प्राप्त प्रार्थना पत्रो को संबंधित अधिकारियों को निस्तारण हेतु प्रेषण करने के निर्देश उपस्थित अधिकारियों को दिये। उन्होंने निर्देशित किया कि संबंधित अधिकारी प्राप्त शिकायतों का निस्तारण प्राथमिकता के आधार पर  करना सुनिश्चित करें, ताकि लोगों का ज्यादा से ज्यादा भला हो सके। इसमें किसी भी प्रकार की शिथिलता न बरती जाए।

           इस अवसर पर  मुख्य राजस्व अधिकारी शैलेन्द्र मिश्र व उप जिलाधिकारी विदुषी सिंह सहित जनता दर्शन में आए फरियादीगण उपस्थित रहे।


इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (IPCC) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पृथ्वी की औसत सतह का तापमान, साल 2030 तक 1.5 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाएगा. ये बढ़ोतरी पूर्वानुमान से एक दशक पहले ही जाएगी.

BY: माधव आनन्द

दुनिया: इंसानी सभ्यताओं द्वारा वायुमंडल को गर्म करने वाली गैसों का उत्सर्जन जिस तरह से जारी है, उसकी वजह से सिर्फ दो दशकों में ही तापमान की सीमाएं टूट चुकी हैं। बीते सालों में दुनिया ने रिकॉर्ड तोड़ तापमान, जंगलों में आग लगना और विनाशकारी बाढ़ की घटना देखी है। इंसानों के कारण हुए बदलावों ने असावधानीपूर्ण तरीक़े से पर्यावरण को ऐसा बना दिया है जो कि हज़ारों सालों में भी वापस बदला नहीं जा सकता है।

दुनिया भर के विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के प्रभाव स्वरूप अगर धरती का तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस बढ़ता है तो इसके बेहद गंभीर परिणाम हो सकते हैं। अब तक वैश्विक तापमान औद्योगीकरण पूर्व के स्तर से 1.2 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ चुका है।

कहा जा रहा है की अगर तमाम वैश्विक राजनेता औद्योगीकरण पूर्व के समय के वैश्विक तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस के स्तर पर रोकने में सक्षम हो गए तो भारी तबाही को रोका जा सकता है।

संयुक्त राष्ट्र के इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (IPCC) की एक रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस पर ही रोकने के लिए कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) के उत्सर्जन में तत्काल रूप से कमी लाने की आवश्यकता हैजैसा कि 2015 पेरिस समझौते में तय किया गया था

आईपीसीसी की रिपोर्ट का एक प्रमुख निष्कर्ष ये है कि 1.5 डिग्री सेल्सियस तापमान के लक्ष्य को हासिल करना बेहद मुश्किल तो है लेकिन ये संभव हैइसके लिए तुरंत क़दम उठाने की ज़रूरत है इसका ये अर्थ है कि अगर दुनिया में 2025 से पहले अधिकतम उत्सर्जन तक पहुंचना है, ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को 2030 तक लगभग आधा करना है और 2050 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करना है तो भारत समेत अलग-अलग देशों को अपने राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान और शून्य उत्सर्जन के लक्ष्य में संशोधन करना पड़ेगा 

लेकिन अगर इस संबंध में दुनिया के तमाम देशों ने कोई ठोस क़दम नहीं उठाया तो इस सदी के अंत तक धरती का तापमान 2 डिग्री सेल्सियस से अधिक बढ़ सकता है। अगर कोई क़दम नहीं उठाया गया तो वैज्ञानिकों का अनुमान है कि ग्लोबल वार्मिंग 4 डिग्री सेल्सियस से अधिक भी हो सकती है। जिसके परिणामस्वरूप दुनिया को भयानक हीट-वेव का सामना करना पड़ सकता है, समुद्र के स्तर में बढ़ोत्तरी होने से लाखों लोग बेघर हो सकते हैं, कई पादप-जंतुओं की प्रजाति विलुप्त तक हो सकती है। 

प्राकृतिक घटनाओं में जिस तरह से एकाएक बदलाव आए हैं, वह जलवायु परिवर्तन का ही परिणाम है। तूफ़ानों की संख्या बढ़ गई है, भूकंपों की आवृत्ति बढ़ गई है, नदियों में बाढ़ का विकराल स्वरूप आदि घटनाएं पहले से कहीं अधिक बढ़ गई हैं, जिसका सीधा असर जीवन और जीवित रहने के माध्यमों पर पड़ रहा है।

 सरकार को अपने स्तर पर बड़े और नीति-परक बदलाव करने की ज़रूरत है लेकिन बतौर जिम्मेदार नागरिक हम अपने स्तर पर भी इस प्रयास का हिस्सा बन सकते हैं। हमारे छोटे-छोटे प्रयास जैसे -विमान सेवा का कम इस्तेमाल,  कार के रूप में इलेक्ट्रिक कार का इस्तेमाल एवं ऊर्जा बचाने वाले उपकरणों का इस्तेमाल जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने में उपयोगी साबित हो सकते हैं।

नई दिल्ली: रेल यात्रा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने साफ कहा कि ट्रेन में यात्रा करते समय अगर किसी यात्री का सामान चोरी हो जाता है, तो इसके लिए रेलवे जिम्मेदार नहीं है। कोर्ट ने कहा कि इसे रेलवे की सेवाओं में कमी के तौर पर नहीं माना जा सकता है।

दरअसल, कोर्ट ने यह फैसला कपड़ा व्यापारी सुरेंद्र बोला की याचिका के जवाब में दिया है। 27 अप्रैल 2005 को सुरेंद्र काशी विश्वनाथ एक्सप्रेस की रिजर्व सीट पर बैठकर नई दिल्ली जा रहे थे। इस दौरान एक लाख रुपये की राशि उनके पास थी। लेकिन 28 अप्रैल को तड़के साढ़े तीन बजे जब सुरेंद्र उठे, तो उनके पैसे चोरी हो चुके थे। इसके बाद दिल्ली पहुंचते ही उन्होंने जीआरपी थाने उन्होंने एफआईआर दर्ज कराई।

यहीं नहीं इसके कुछ दिन बाद उन्होंने शाहजहांपुर के जिला उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज कराई। जिला उपभोक्ता फोरम में बहस के दौरान सुरेंद्र ने रेलवे की सेवा में कमी की बात कहते हुए हर्जाना दिए जाने की मांग की। जिला उपभोक्ता फोरम ने सुरेंद्र के पक्ष में फैसला सुनाया। रेलवे को एक लाख रुपये हर्जाना देने का आदेश दिया गया। इसके बाद भारतीय रेलवे ने जिला उपभोक्ता अदालत के इस फैसले को रेलवे ने ऊपरी अदालत में चुनौती दी। लेकिन राज्य और राष्ट्रीय उपभोक्ता फोरम की तरफ से फिर रेलवे को झटका लगा। दोनों ने जिला फोरम के फैसले को बरकरार रखा। इसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा।

सुप्रीम कोर्ट की जस्टिल विक्रम नाथ और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की डबल बेंच ने यात्री के पक्ष में दिए गए राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग और राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के आदेश को पलट दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, यात्री के निजी सामान का रेलवे द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं से कोई लेना देना नहीं है। यह हमारी समझ से परे है कि कैसे चोरी को किसी भी संदर्भ में रेलवे द्वारा दी जा रही सेवाओं में कमी के तौर पर देखा जा सकता है। जब सवारी खुद अपने निजी सामान की रक्षा नहीं कर पाई तो इसके लिए रेलवे को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। इसके साथ ही कोर्ट ने आदेश देते हुए जिला, राज्य और राष्ट्रीय उपभोक्ता फोरम के फैसले को रद्द कर दिया।


आगामी त्योहार, परीक्षा और धरना प्रदर्शन को ध्यान में रखते हुए जिले में लागू धारा 144 को 30 जून तक के लिए बढ़ा दिया गया है। इसका उल्लंघन करने पर कार्यवाही की जाएगी। इस दौरान कोई भी व्यक्ति बिना अनुमति जुलूस नही निकाल सकेगा।

क्या है धारा 144? कब लगाई जाती है?

सीआरपीसी की धारा 144 शांति कायम करने या किसी आपात स्थिति से बचने के लिए लगाई जाती है। किसी तरह के सुरक्षा, स्वास्थ्य संबंधित खतरे या दंगे की आशंका हो। धारा-144 जहां लगती है, उस इलाके में पांच या उससे ज्यादा आदमी एक साथ जमा नहीं हो सकते हैं। धारा लागू करने के लिए इलाके के जिलाधिकारी द्वारा एक नोटिफिकेशन जारी किया जाता है। धारा 144 लागू होने के बाद इंटरनेट सेवाओं को भी आम पहुंच से ठप किया जा सकता है। यह धारा लागू होने के बाद उस इलाके में हथियारों के ले जाने पर भी पाबंदी होती है।




वाराणसी :  आज दिनांक 4 जून 2023 को अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद की समन्वय बैठक बी एच यू काशी में हुई बैठक में मुख्य अतिथि लेफ्टिनेंट जनरल दुष्यंत सिंह  PVSM AVSM एवं कार्यक्रम की अध्यक्षता कर्नल दिनेश चंद्र उपाध्याय एवं संचालन काशी प्रांत के महासचिव रेवती रमण तिवारी ने किया बैठक में विशिष्ट अतिथि के रूप में मेजर आनंद टंडन एवं कैप्टन एस एन तिवारी मौजूद रहे बैठक में विभिन्न जिलों के सैनिक उपस्थित रहे बैठक में कैप्टन अखिलेश कुमार पांडे को बनारस का जिला अध्यक्ष एवं सूबेदार किशन लाल गौड़ को काशी प्रांत का उपाध्यक्ष का प्रभार दिया गया ।



सुलतानपुर : दिनांक आज 4 जून 2023 को कमला नेहरू प्रौद्योगिकी संस्थान सुल्तानपुर में2022 के पास हुए छात्रों को टेबलेट वितरण कार्यक्रम संपन्न हुआ । टेबलेट का वितरण उत्तर प्रदेश सरकार की छात्र हित की स्वामी विवेकानंद युवा सशक्तिकरण योजना के अंतर्गत किया गया ।टेबलेट का वितरण संस्थान के निदेशक महोदय प्रोफेसर केएस वर्माएवं विभागाध्यक्ष द्वारा किया गया ।छात्रों को संबोधित करते हुए निदेशक महोदय ने उत्तर प्रदेश सरकार की छात्रों एवं युवाओं के हित में सरकार की योजनाओं का विस्तृत वर्णन किया । एवं उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा चल रहे कार्यक्रमों की सराहना की । इस कार्यक्रम में 300 छात्रों ने प्रतिभाग किया एवं टेबलेट प्राप्त किया ।उपरोक्त के साथ-साथ छात्र अपने साथियों से मिलकर एवं संस्थान के विकास कार्यों को देख कर प्रफुल्लित हुए । प्रदेश सरकार को धन्यवाद दिया तथा भविष्य में एलुमनाई बनकर संस्थान में अन्य विकास कार्यों सहभागी बनने का प्रण लिया ।

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