लोकसभा चुनाव से पहले PM मोदी ने छेड़ा समान नागरिक संहिता का मुद्दा, क्या जल्द लागू होगा UCC !
विधि आयोग ने इसी महीने की शुरुआत में राजनीतिक रूप से संवेदनशील इस मुद्दे पर सार्वजनिक और मान्यता प्राप्त धार्मिक संगठनों समेत सभी पक्षों से से सुझाव मांगकर समान नागरिक संहिता पर परामर्श की प्रक्रिया शुरू कर दी है। माना जा रहा है कि केन्द्र की सरकार जल्द ही इस पर कोई बड़ा निर्णय ले सकती है।
एक दिन पहले यानी मंगलवार को पीएम मोदी ने मध्य प्रदेश में BJP के ‘मेरा बूथ,सबसे मज़बूत' अभियान के तहत पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। पीएम मोदी ने कहा, "यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड के नाम पर लोगों को भड़काने का काम हो रहा है।
PM ने देश में समान
नागरिक संहिता की वकालत करते हुए कहा कि एक ही परिवार में दो लोगों के अलग-अलग
नियम कैसे हो सकते हैं? ऐसी दोहरी व्यवस्था से घर चल पाएगा क्या?
उन्होंने वहां मौजूद
लोगों से सवाल किया कि कि अगर ट्रिपल तलाक़ इस्लाम में इतना ही जरुरी होता तो
इंडोनेशिया, क़तर, जॉर्डन, सीरिया, बांग्लादेश और
पाकिस्तान जैसे मुस्लिम बहुल देशों में इसकी अनुमति क्यों नहीं होती?
PM नें कहा कि
भारत के संविधान में भी नागरिकों के समान अधिकार की बात की गई है। जो लोग हम पर आरोप
लगाते है अगर ये मुसलमानों के सही मायने में हितैषी होते तो अधिकांश परिवार और
मेरे मुस्लिम भाई-बहन शिक्षा में पीछे नहीं रहते।
PM मोदी ने कहा,
"सुप्रीम कोर्ट ने बार-बार
कहा है। सुप्रीम कोर्ट डंडा मारती है. कहती है कॉमन सिविल कोड लाओ। लेकिन ये वोट
बैंक के भूखे लोग इसमें अड़ंगा लगा रहे हैं। लेकिन भाजपा सबका साथ, सबका विकास की भावना से काम कर रही है।’’
विपक्षी दलों का
UCC पर PM मोदी का विरोध
वहीँ यूनिफॉर्म
सिविल कोड पर पीएम नरेंद्र मोदी के बयान के बाद इसे लेकर बहस शुरू हो गई है। कांग्रेस,
एआईएमआईएम, जेडीयू, डीएमके जैसी पार्टियों ने प्रधानमंत्री मोदी पर
वोट बैंक की राजनीति करने का आरोप लगाया है।
समान नागरिक
संहिता यानी UCC का अर्थ
समान नागरिक
संहिता यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड का अर्थ होता है भारत में रहने वाले हर नागरिक के
लिए एक समान कानून होना, चाहे वह किसी भी
धर्म या जाति का क्यों न हो। समान नागरिक संहिता में शादी, तलाक और जमीन-जायदाद के बंटवारे में सभी धर्मों
के लिए एक ही कानून लागू होगा। यूनियन सिविल कोड का अर्थ एक निष्पक्ष कानून है,
जिसका किसी धर्म से कोई
ताल्लुक नहीं है।
क्यों है देश में
इस कानून की आवश्यकता?
अलग-अलग धर्मों
के अलग कानून से न्यायपालिका पर बोझ पड़ता है। समान नागरिक संहिता लागू होने से इस
परेशानी से निजात मिलेगी और अदालतों में वर्षों से लंबित पड़े मामलों के फैसले
जल्द होंगे। शादी, तलाक, गोद लेना और जायदाद के बंटवारे में सबके लिए एक
जैसा कानून होगा फिर चाहे वो किसी भी धर्म का क्यों न हो। वर्तमान में हर धर्म के
लोग इन मामलों का निपटारा अपने पर्सनल लॉ यानी निजी कानूनों के तहत करते हैं।
सभी के लिए कानून
में एक समानता से देश में एकता बढ़ेगी और जिस देश में नागरिकों में एकता होती है,
किसी प्रकार वैमनस्य नहीं
होता है वह देश तेजी से विकास के पथ पर आगे बढ़ेगा। देश में हर भारतीय पर एक समान
कानून लागू होने से देश की राजनीति पर भी असर पड़ेगा और राजनीतिक दल वोट बैंक वाली
राजनीति नहीं कर सकेंगे और वोटों का ध्रुवीकरण नहीं होगा।