May 2022

 


 यूं तो वीर सावरकर को 5 फरवरी, 1948 को ही गिरफ्तार किया जा चुका था, लेकिन दिल्ली नहीं लाया गया था। मुंबई की ही आर्थर रोड जेल में रखा गया था। 13 मई को नोटिस से एलान हुआ कि दिल्ली के लाल किले में महात्मा गांधी जी की हत्या का मुकदमा चलाया जाएगा, जज होंगे कानपुर के डिस्ट्रिक्ट जज आत्मा चरण और पहली तारीख होगी 27 मई। अगले दिन सावरकर का जन्मदिन था।


लाल किले में इससे पहले दो बड़े मशहूर मुकदमे लड़े जा चुके थे, पहले मुकदमे में 1857 की क्रांति के बाद बहादुरशाह जफर को रंगून निर्वासित करने वाला फैसला यहीं हुआ था, दूसरा था आजाद हिंद फौज के अधिकारियों पर 1945 में हुआ मुकदमा।


सो आजादी के बाद ये पहला केस था। ये कोर्ट रूम 23 फुट चौड़ा और 100 फुट लंबा था। लाल किले के अंदर ब्रिटिश मिलिट्री के कैंप की दो मंजिला इमारत के टाप फ्लोर पर बने हाल को अदालत में बदल दिया गया था। ग्राउंड फ्लोर के हाल में केस के सारे कागजात को सुरक्षित रखा गया था और सुरक्षा में दिल्ली के बजाय बांबे पुलिस थी।


इस एलान से दो दिन पहले अचानक सावरकर को आर्थर रोड जेल से मुंबई के सीआइडी आफिस ले जाकर बाकी आरोपियों के साथ फोटो करवाया गया। सावरकर ने भांप लिया कि साजिश है, इस फोटो को सुबूत के तौर पर किसी पुरानी तारीख का बताकर कोर्ट में पेश कर सकते हैं, तो ना केवल उन्होंने मुंबई के चीफ मजिस्ट्रेट को लिखा बल्कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी को भी, मुखर्जी ने सरदार पटेल से शिकायत की। उसके बाद सावकरकर को 25 मई को फ्लाइट से दिल्ली लाया गया।


लाल किले में ही उन्हें 12 फुट चौड़ी और इतनी ही लंबी बैरक में रखा गया। सुनवाई के पहले दिन अदालत में 200 कुर्सियां लगाई गई थीं, प्रेस और गणमान्य अतिथियों के बैठने की भी व्यवस्था की गई थी। यहां तक कि कानून मंत्री डा. भीमराव आंबेडकर भी पत्नी के साथ 28 जुलाई को कार्यवाही देखने आए थे।


पहले दिन सावरकर तीसरी लाइन में लकड़ी की बेंच पर बैठे थे। उनके वकील ने जज को उनके खराब स्वास्थ्य का हवाला दिया तो उनको पहली लाइन में एक बैक कुशन वाली कुर्सी उपलब्ध करवाई गई। सावरकर शर्ट, धोती, खुले कालर वाला कोट, काली टोपी और अपने खास किस्म का चश्मा पहनकर आए थे, जिसमें कान वाली कमानी नहीं होती।


सावरकर के वकील थे एलबी भोपटकर, दो सहयोगी भी थे, बाद में पटना के बैरिस्टर आफ ला पीआर दास को भी जोड़ा गया, जो खासतौर पर सरकारी गवाह बने बडग़े के काउंटर के लिए थे। यूं अलग अलग आरोपियों के अलग अलग वकील थे, जिनमें से परचुरे के वकील पीएल ईनामदार को तो एक दिन सावरकर ने अपनी बैरक मे भी बुलाकर तीन घंटे तक मुलाकात की, तारीफ की। सावरकर की बैरक के बारे में उन्होंने ही लिखा था, ईनामदार ने ही लिखा कि, 'सावरकर और गोडसे पास में बैठते थे, लेकिन एक दूसरे से बात नहीं करते थे। बाकी लोग आपस में मजाक करते रहते थे।'


सुबूतों की रिकार्डिंग 24 जून से शुरू हुई और छह नवंबर तक चलती रही। 149 लोगों की गवाहियां हुईं और सुबूतों को लेकर 720 पेज भर गए थे। 10 नवंबर को नाथूराम गोडसे का बयान दर्ज हुआ, लिखित बयान को नाथूराम ने पांच घंटे में पढ़ा, जबकि बीस तारीख को सावरकर ने अपना लिखित बयान पढ़ा, पूरे 57 पेज का था, जिसमें 23 बार दिल्ली का जिक्र था।


इसमें उस आरोप का भी जिक्र था कि पांच-छह अगस्त को गोडसे व आप्टे उन्हीं के साथ हिंदू कन्वेंशन में भाग लेने दिल्ली आए थे। सावरकर ने खुद पर लगे आरोपों का एक एक करके जवाब दिया और बताया कि कैसे कोई उनके घर 'सावरकर सदन' में आकर भी उनसे मिले जरूरी नहीं। क्योंकि उनके सचिव और एक पत्रकार भी नीचे के फ्लोर पर रहते हैं और वो खुद खराब स्वास्थ्य के चलते बेहद कम लोगों से मिलते हैं।


सावरकर ने बताया कि जिस अखबार 'अग्रणी' के लिए उन्होंने फंड दिया, उसके संपादक गोडसे व आप्टे के आग्रह पर कभी भी उसमें लिखा तक नहीं। पूरे ढाई घंटे तक वह धारा प्रवाह लाल किले में बनी उस इमारत में बोलते रहे। रोज हजारों की जनता उनके दर्शन के लिए लाल किले पहुंचती थी। गांधी हत्या का ये ट्रायल नौ महीने तक चला, फैसला अगले साल 10 फरवरी 1949 को सुनाया गया।


सावरकर के बरी होने के बाद हिंदू महासभा की योजना थी कि सावरकर को लेकर पूरी दिल्ली में बड़ी शोभायात्रा निकाली जाए, उनको चाहने वालों की एक बड़ी भीड़ लाल किले के बाहर इकट्ठा हो चुकी थी, लेकिन पंजाब पब्लिक सिक्योरिटी एक्ट के तहत दिल्ली के डिस्ट्रिक मजिस्ट्रेट ने आदेश दिया कि सावरकर फौरन दिल्ली छोड़ दें और सावरकर के दिल्ली में प्रवेश पर तीन महीने के लिए बैन लगा दिया। सावरकर को चुपचाप सुरक्षा में मुंबई ले जाया गया, दिल्ली में रुकने नहीं दिया गया।


लेकिन मुकदमे की एक और दिलचस्प घटना मनोहर मालगांवकर की किताब 'द मैन हू किल्ड गांधी' में मिलती है। एक दिन सावरकर के वकील भोपटकर हिंदू महासभा के दिल्ली कार्यालय में केस के कागज पढ़ रहे थे कि अचानक एक फोन पर उन्हें बुलाया गया।


दूसरी तरफ बाबा साहेब आंबेडकर थे, उनसे कहा कि आज शाम मुझे मथुरा रोड के छठे मील के पत्थर पर मिलिए. भोपटकर हैरान थे, वहां पहुंचे थे बाबा साहेब अपनी कार में इंतजार कर रहे थे, अकेले, खुद ही ड्राइविंग सीट पर थे, उन्हें बैठाकर ले गए और आगे जाकर कुछ मिनट बाद कार रोकी, फिर उनसे कहा कि, 'तुम्हारे क्लाइंट के खिलाफ कोई रीयल चार्ज नहीं है, बेकार सुबूत बनाए गए हैं। केबिनेट में भी लोग इसके खिलाफ हैं, खुद सरदार पटेल भी। तुम ये केस जीतोगे'।))

 


किसानों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए आज मैं कृषि विशेषज्ञ आकांक्षा सिंह प्रकाश न्यूज आफ इंडिया के माध्यम से जून माह में बोई जाने वाली फसलों के बारे में जानकारी दे रहे हैं। इसी के साथ उनकी अधिक उत्पादन देने वाली उन्नत किस्मों से भी आपको अवगत करा रहे हैं ताकि आप अपने क्षेत्र के अनुकूल रहने वाली उन्नत किस्मों का चयन करके उत्पादन को बढ़ा सके। आशा करते हैं हमारे द्वारा दी जा रही जानकारी किसान भाइयों के लिए फायदेमंद साबित होगी। तो आइए जानते हैं जून माह में बोई जाने वाली प्रमुख फसलों के बारे में।किसानों को बेहतर उत्पादन प्राप्त करने के लिए प्रत्येक माह के अनुसार फसलों की बुवाई और कृषि कार्य करने चाहिए। साथ ही फसल की बुवाई के लिए उन्नत किस्मों का चुनाव करना चाहिए आशा करते हैं हमारे द्वारा दी जा रही जानकारी किसान भाइयों के लिए फायदेमंद साबित होगी

धान की नर्सरी :

  • 01.यदि किसान भाई मई के अंतिम सप्ताह में धान की नर्सरी नहीं डाल पाते हैं तो वे जून के पहले पखवाड़े तक इस काम को पूरा कर सकते हैं.धान की मध्यम और देर से पकने वाली किस्में अच्छी मानी जाती हैं। इसमें धान की स्वर्ण, पंत-10, सरजू-52, नरेंद्र-359, जबकि टा.-3, पूसा बासमती-1, हरियाणा बासमती सुगंधित और पंत संकर धान-1 और नरेंद्र संकर धान-2 प्रमुख उन्नत संकर हैं। किस्में।
  • 02.धान की महीन किस्मों की प्रति हेक्टेयर बीज दर 30 किग्रा, मध्यम के लिए 35 किग्रा, मोटे धान हेतु 40 किग्रा तथा ऊसर भूमि के लिए 60 किग्रा पर्याप्त होता है, जबकि संकर किस्मों के लिए प्रति हेक्टेयर 20 किग्रा बीज की आवश्यकता होती है।
  • 03यदि नर्सरी में खैरा रोग दिखाई दे तो 10 वर्ग मीटर क्षेत्र में 20 ग्राम यूरिया, 5 ग्राम जिकं सल्फटे प्रति लीटर पानी में घोलकर छिडक़ाव करना चाहिए।

मक्का की बुवाई 25 जून तक पूरी कर लें :

  • 01.यदि सिंचाई की सुविधा हो तो इसकी बुवाई का कार्य 15 जून तक भी पूरा किया जा सकता है। यदि आप मक्का की बुवाई करना चाहते हैं तो इसकी बुवाई 25 जून तक पूरी कर लेनी चाहिए।
  • 02.मक्का की उन्नत किस्मों में शक्तिमान-1, एच.क्यू.पी.एम.-1, संकुल मक्का की तरुण, नवीन, कंचन, श्वेता तथा जौनपुरी सफेद व मेरठ पीली देशी प्रजातियां अच्छी मानी जाती हैं।

प्रथम सप्ताह में कर सकते हैं अरहर की बुवाई : जून के

अरहर की बुवाई जून माह के प्रथम सप्ताह में की जा सकती है। वहीं सिंचाई की सुविधा का अभाव होने पर इसकी बुवाई वर्षा प्रारंभ होने पर ही करनी चाहिए। .

  • 01.अरहर, प्रभात और यूपीएस-120 की उन्नत किस्मों में जल्दी पकने वाली किस्में हैं और बहार, नरेंद्र अरहर-1 और मालवीय अरहर-15 देर से पकने वाली किस्में हैं।
  • 02:अरहर की बुवाई के लिए प्रति हेक्टेयर क्षेत्र के लिए 12-15 किग्रा बीज पर्याप्त होता है। अरहर के बीजों को राइजोबियम कल्चर से उपचारित करने के बाद ही बोना चाहिए।

जून माह में करें इन सब्जियों की खेती :

भिंडी की बुवाई का भी ये उपयुक्त समय है। इसके अलावा लौकी, खीरा, चिकनी तोरी, आरा तोरी, करेला व टिंडा की बुवाई भी इस माह की जा सकती है। भिंडी की उन्नत किस्मों में परभनी क्रांति, आजाद भिंडी, अर्का अनामिका, वर्षा, उपहार, वी.आरओ.- 5, वी.आर.ओ.-6 व आई.आई.वी.आर.-10 भिंडी की अच्छी किस्में मानी जाती है। जून माह में आप बैंगन, मिर्च, अगेती फूलगोभी की पौध लगा सकते हैं।


ये कृषि कार्य : जून माह में करें

  • 01.पिछले माह बोई गई बैंगन, टमाटर व मिर्च की फसलों में सिंचाई व आवश्यकतानुसार निराई-गुड़ाई कार्य करें।
  • 02.गर्मी की जुताई व मेड़बंदी का काम बारिश से पहले पूरा कर लेना चाहिए, जिससे खेत बारिश का पानी सोख सके और खेत की मिट्टी बारिश में नहीं बह पाए।
  • 03.सूरजमुखी/उड़द/मूंग जायद में बोई गई सूरजमुखी व उड़द की कटाई मड़ाई का कार्य 20 जून तक आवश्यक रूप से पूरा कर लेना चाहिए।
  • 04.इसी के साथ ही मूंग की फलियों की तुड़ाई का कार्य भी समय समाप्त कर लें।

बागवानी कार्य : जून माह में किए जाने वाले

आप नया बाग लगा रहे हैं तो इसके रोपण के लिए प्रति गड्ढा 30-40 किग्रा सड़ी गोबर की खाद, एक किग्रा नीम की खली तथा गड्ढे से निकली मिट्टी को मिलाकर भरें। इस बात का ध्यान रखें कि गड्ढे को जमीन से 15-20 सेमी. ऊंचाई तक भरा जाना चाहिए।

  • 01.रजनीगंधा, देशी गुलाब एवं गेंदा के साथ उगे अनावश्यक पौधे जिन्हें खरपतवार कहते हैं उन्हें हटाने का कार्य करें ताकि सुगंधित पौधों का ठीक से विकास हो सके। इसके अलावा इन पौधों में आवश्यकतानुसार सिंचाई का कार्य भी करते रहें।
  • 02.मेंथा की दूसरी कटाई जून माह के अंत तक पूरी कर लेनी चाहिए। बता दें कि मेंथा को पुदीना भी कहा जाता है। इससे पिपरमेंट और तेल तैयार किया जाता है। इसका उपयोग दवाइयां, सौंदर्य उत्पाद, टूथपेस्ट, पान मसाला संग कंफेक्शनरी उत्पादों में होता है।

 

आज दिनांक 27 मई 2022 जिला अध्यक्ष अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद रेवती रमण तिवारी की अगुवाई में धनपतगंज ब्लॉक में नई कार्यकारिणी का गठन किया गया। नई कार्यकारिणी में जितेंद्र कुमार सिंह को ब्लॉक अध्यक्ष अजय कुमार शर्मा को महासचिव कुलदीप पांडे को कोषाध्यक्ष राजेंद्र सिंह को ब्लॉक उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया मुख्य रूप से उपस्थित सैनिकों में अध्यक्ष रेवती रमण तिवारी कृष्णदेव पांडे धर्मदेव सिंह जितेंद्र कुमार सिंह अजय कुमार शर्मा कुलदीप पांडे राजेंद्र सिंह अरुण कुमार पांडे रामप्रगत शर्मा वीर प्रताप सिंह अंजनी कुमार त्रिपाठी महेंद्र कुमार सिंह इत्यादि पूर्व सैनिक उपस्थित रहे आए हुए पूर्व सैनिक का रजिस्ट्रेशन जिला महासचिव धर्म देव सिंह द्वारा किया गया ।जिला अध्यक्ष द्वारा पूर्व सैनिकों आने वाली समस्या के निदान के बारे में चर्चा किया गया और हर सैनिक के सुख दुख में भागीदारी करने के लिए समस्त पूर्व सैनिक मिलकर एकजुट होकर कार्य करने का वादा किया अंत में आए हुए सैनिकों का आभार प्रकट करते हुए राष्ट्रगान के गायन के उपरान्त सभा का समापन किया गया । *जय हिंद वंदे मातरम*


 Department of Horticulture, Sam Higginbottom University of Agriculture,Technology and Sciences in collaboration with Department of Horticulture and Food Processing, Govt of Uttar Pradesh invites applications for 10 days training programme on Upgradation of knowledge, skill in value-addition of Horticultural crops.


Programme Objective


The training is aimed to impart knowledge to the students, research scholars and farmers on important aspects of Upgradation of knowledge, skill in value-addition and export management of Horticultural crops.

         Course outline

• Maturity indices, Maturity and ripening process, harvesting and post-harvest handling of horti crops.


• Pre and post-harvest treatment, pre-cooling, method of different storage, irradiation and vapour heat treatment.


• Various methods of packaging- packaging materials and transport, Packaging technology.


• Processing Technology of Fruits and Vegetables- Dehydrated and osmo dehydrated products , 


beverages( fermented and non-fermented), frozen products, minimally processed products.


• Good manufacturing practices, hazard analysis and critical control points and sanitary measures.


• Microbial quality assurance of processed products.


• Value addition of fruits processing industry waste.


• Preservatives, colours permitted and prohibited in India.


• Cold chain management for fresh fruits and vegetables


• Export Technology and Packaging of fresh horticultural produce 

• E-Marketing for Horticultural produce 

• Project report writing and economic feasibility estimations for setting up of a processing industry.

           Eligibility

  • Final Year student of B. Sc. Ag, Hort. and Home Science: M.Sc. and Ph.D. students of ICAR recognised State Agricultural Universities (SAUs) and UGC recognised Universities and farmers and Exporters are eligible to apply. The number of participants will be limited to 30.

Scanned copies of application forms may be sent to:
e-mail: atul.yadav@shiats.edu.in
Application form can be downloaded from:
www.shuats.edu.in


                Course Director 

                 Dr. Atul Yadav

Assistant Professor (Fruit Science)

Department of Horticulture, NAI, SHUATS. Mob No.: 9795973121

            Dr. Vijay Bahadur 

Head, Department of Horticulture

Naini Agricultural Institute

Department of Horticulture, NAI, SHUATS.

Sam Higginbottom University of Agriculture, Technology and Sciences, 

Prayagraj-211007


Registration Fee

Registration fee is to be paid by the candidates Rs. 1500 /-

Travel

No Travelling allowance will be provided by the organizers

Food and Accommodation

Food and accommodation for the participants will be arranged by Self.

Scanned copies of application forms may be sent to:

e-mail: atul.yadav@shiats.edu.in

Application form can be downloaded from:

www.shuats.edu.in


        Format of application form





ब्रेकिंग न्यूज़ :

मार पीट 308 , 325 और अन्य धाराओं के साथ कोर्ट में सरेंडर हुआ और जेल भेजे गए आरोपी अभियुक्त को मिली जमानत फौजदारी अधिवक्ता 

जयसिंहपुर:प्रकरण गोसाईगंज थाना क्षेत्र के मिश्रौली गावँ से जुड़ा हुआ है जहाँ पर पूर्व प्रधान राजमणि मिश्रा कल्लू और सुहा देवी BLO पत्नी अरुणाकर मिश्रा बीडीसी के स्कूल की बाउंड्री वाल को लेकर हुआ था विवाद अतुल मिश्र के  प्रार्थना पत्र थाना गोसाईगंज में मुकदमा दर्ज स्वीकार किया जाता है जिसमे पुलिस ने वैधानिक कार्यवाही कर एफआईआर दर्ज उक्त प्रकरण में आरोपी अभियुक्त के अधीवक्ता सत्येंद्र लक्ष्मी शुक्ला , शुभम द्विवेदी वैदहा ने आज न्यायालय में जमानत प्रार्थना पत्र पर बहस की जिससे सन्तुष्ट होकर न्यायालय आरोपी अभियुक्त को जमानत प्रदान कर दी*

      



लेखक: शुभम तिवारी

1967 में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में तैराकी प्रतियोगिता हो रही थी। पहले की तरह अंग्रेजी में अनाउसमेंट शुरू हुआ तो एक लड़का पानी में कूद गया। जब तक उसे पकड़ने के लिए लोग पहुंचते उसने पानी से बाहर निकलकर अंग्रेजी के खिलाफ भाषण देना शुरू कर दिया। तैराकी प्रतियोगिता रुक गई। दोबारा जब शुरू हुई तो हिन्दी में अनाउसमेंट हो रहा था। समाजवादी छात्र खुश थे। कूदने वाला छात्र फूलचंद्र था। उसने जनेश्वर मिश्र के कहने पर ऐसा किया था।

सबसे पहले बात आंदोलन के शुरुआत की


अंग्रेजी की वजह से छात्र हो रहे थे फेल

1962 में हिन्दी भाषी राज्यों में अंग्रेजी को लेकर नाराजगी पैदा हुई। प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के राम मनोहर लोहिया और जनेश्वर मिश्र ने इस नाराजगी को हवा दी तो यह विद्रोह में बदल गई। लोग कॉलेज कैंपसों से निकलकर सड़कों पर प्रदर्शन करने तक उतर गए थे। इसकी दो प्रमुख वजह थी।

  • ग्रेजुएशन में एक पेपर अंग्रेजी का अनिवार्य होता था। इसमें पास होना जरूरी होता था। हिन्दी भाषा का छात्र अंग्रेजी में फेल हो जाता था।
  • हिन्दी से पीएचडी करने वाले छात्रों को अपनी रिपोर्ट अंग्रेजी में टाइप करके जमा करनी होती थी, जो छात्रों के लिए चुनौती थी।

राष्ट्रपति को अंग्रेजी में बोलने से रोकते हुए कहा- आप हिन्दी में बोलें या तमिल में

1962 में राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को संयुक्त सदन में भाषण देना था। भाषण अंग्रेजी में होना तय था। उनका भाषण जैसे ही शुरू हुआ सोशलिस्ट पार्टी के 6 सांसदों ने राम मनोहर लोहिया के नेतृत्व में नारेबाजी शुरू कर दी। लोहिया का कहना था, "या तो आप हिन्दी में भाषण दीजिए या फिर अपनी मातृभाषा तमिल में। अंग्रेजी में नहीं चलेगा।"

अंग्रेजी के समर्थन में केंद्रीय मंत्री सी. सुब्रमण्यम ने इस्तीफा दे दिया

राष्ट्रपति डॉ. राधाकृष्णन पर इसका कोई असर नहीं पड़ा और अंग्रेजी में भाषण जारी रखा। सोशलिस्ट सांसदों ने सदन का बहिष्कार कर दिया। सदन के बाहर लोहिया ने कहा, "अंग्रेजी हटाओ का मतलब हिन्दी लाना नहीं, बल्कि अंग्रेजी का वर्चस्व हटाकर भारतीय भाषाओं को लाना है।" इस बात से केंद्रीय मंत्री सी. सुब्रमण्यम खफा थे। उन्होंने सरकार से इस्तीफा दे दिया।


आखिर अंग्रेजी के खिलाफ आंदोलन की वजह क्या थी, आइए इसे जानते हैं...


‘अंग्रेजी जाए, हिन्दी आए’

26 जनवरी 1950 को जब संविधान लागू हुआ था उस वक्त संविधान में प्रावधान था कि हिन्दी भारत सरकार के कामकाज की भाषा होगी। साथ ही अगले 15 साल तक अंग्रेजी भी साथ चलेगी। 1965 में जवाहर लाल नेहरू ने संविधान में संशोधन करके अंग्रेजी का काल 15 साल से बढ़ाकर अनिश्चितकालीन कर द्विभाषी फाॅर्मूला दिया। इसी के विरोध में समाजवादियों ने नारा दिया, 'अंग्रेजी जाए, हिन्दी आए।'

जनेश्वर की कद काठी अच्छी थी इसलिए हर बार गिरफ्तार कर लिए जाते

अंग्रेजी हटाओ अभियान की शुरुआत इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से हुई थी। जनेश्वर मिश्र के अलावा जार्ज फर्नार्डिंस, मधु लिमये, कर्पूरी ठाकुर, रामानंद तिवारी और प्रभुनारायण सिंह शामिल थे। मुलायम सिंह भी शामिल थे लेकिन बतौर शिक्षक। एक बार सबकी गिरफ्तारी हुई तो प्रभुनारायण को भी गिरफ्तार कर लिया गया। जब पुलिस को पता चला कि प्रभु नारायण यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं तब जाकर सभी को छोड़ा।


जनेश्वर मिश्र आंदोलनों में सबसे आगे रहते थे। पुलिस की लाठियां जब भी चलनी शुरू हुई सबसे आगे जनेश्वर मिश्र मिले।

बिहार के गया में 31 दिसंबर 1967 को अंग्रेजी हटाओ आंदोलन को लेकर एक बैठक हुई थी। इस बैठक में जनेश्वर मिश्र के साथ राज नारायण भी थे। पुलिस को आशंका थी कि समाजवादी युवजन सभा के ये छात्र तोड़फोड़ कर सकते हैं। इसलिए वहां से लौटते वक्त वाराणसी के कैंट थाने की पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। यहां से छूटने पर जनेश्वर मिश्र इलाहाबाद पहुंचे।

इलाहाबाद में आंदोलन किया तो पुलिस आ गई। बाकी साथी तो भाग गए लेकिन भारी शरीर होने के चलते जनेश्वर पकड़ लिए गए। पुलिस ने पहले लाठियों से पीटा उसके बाद गिरफ्तार कर लिया। जनेश्वर बनारस, पटना, इलाहाबाद, दिल्ली में कम से कम 6 बार गिरफ्तार किए गए थे।

कॉलेज के टाइपराइटर को उठा ले गए छात्र

1967 में अंग्रेजी का प्रभाव कुछ इस तरह था कि दिल्ली यूनिवर्सिटी में हिन्दी साहित्य से PhD की रिपोर्ट अंग्रेजी में बनाकर जमा करनी होती थी। अंग्रेजी हटाओ आंदोलन चला तो यह खत्म हो गया।

बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी में भी ऐसा ही कुछ था। सारे टाइपराइटर अंग्रेजी में थे। समाज समाजवादी युवाजन सभा के विद्यार्थी सारे टाइपराइटर उठाकर आर्ट फैकल्टी के ऑडिटोरियम में रख आए। उसे इस शर्त पर वापस किया गया अब कॉलेज में हिन्दी के भी टाइपराइटर लाए जाएंगे।

इलाहाबाद के बाद बनारस यूनिवर्सिटी अंग्रेजी हटाओ आंदोलन की स्थली बनी। यहां प्रदर्शन के दौरान सबसे अधिक गिरफ्तारी हुईं।

आंदोलन को लेकर जनेश्वर का ‘उपद्रवी’ रूप भी नजर आया।

गुजरात गए तो जार्ज पंचम की मूर्ति तोड़ दी

राम मनोहर लोहिया के निधन के बाद जनेश्वर सबसे बड़े समाजवादी नेता थे। लोग छोटे लोहिया कहने लगे थे। 1967 में गुजरात के अहमदाबाद पहुंचे। रात में चार लोगों के साथ घूम रहे थे। नजर एक मूर्ति पर पड़ी। साथ के एक व्यक्ति ने बताया कि यह ब्रिटेन के किंग जार्ज पंचम की मूर्ति है। जनेश्वर बोले, "हमारे देश में इसका क्या काम।" इतना कहकर उसे तोड़ दिया। सुबह लोगों ने देखा तो हंगामा मच गया। गुजरात में समाजवादी नेताओं को लेकर लोगों का नजरिया बदल गया।

लखनऊ के हजरतगंज चौराहे पर पहले रानी विक्टोरिया की मूर्ति लगी थी। अंग्रेजी हटाओ आंदोलन के दौरान जनेश्वर मिश्र ने साथियों के साथ मिलकर उस मूर्ति को तोड़ दिया। आज वहां महात्मा गांधी की मूर्ति लगी है।


सारे अंग्रेजी पोस्टरों पर कालिख पोत दी

बनारस यूनिवर्सिटी में अंग्रेजी हटाओ आंदोलन के दौरान वहां के समाजवादी छात्रों ने मीटिंग की और तय किया कि जिले के उन सभी पोस्टरों को पोत दिया जाए जो अंग्रेजी में हैं। उत्साही छात्रों ने जिले के सभी पोस्टरों पर कालिख पोत दी। यह खबर अगले दिन इलाहाबाद, गोरखपुर, लखनऊ पहुंची। यहां के भी समाजवादी छात्रों ने रात में सभी पोस्टरों पर कालिख पोत दी।

समाजवादी छात्रों का यह आंदोलन सफल रहा। ग्रेजुएशन में अंग्रेजी के पेपर की बाध्यता खत्म हुई। हिन्दी पीएचडी की रिपोर्ट हिन्दी में जमा करने की अनुमति मिली। उन सभी जगहों पर हिन्दी मौजूद हो गई, जहां पर पहले सिर्फ अंग्रेजी हुआ करती थी।

 


कथासार

‘लोग उदासी' एक असंगत या अब्सर्ड नाटक है, जिसमें समाज में बेमेल विवाह की समस्या को उठाया गया है पर कोई क्रमवार कथा या किस्सा नहीं है। चूंकि नाटक बेमेल विवाह की समस्या को उठाता तो है, बार-बार दोहराता है पर समस्या का कोई समाधान नहीं निकलता, बात जहाँ से शुरू हुई थी फिर वहीं पर पहुँच जाती है। और फिर पुनः किस्सा कहा जाता है। यह नाटक एक खेल की अवधारणा पर आधारित है। नाटक की भाषा काव्यात्मक है। नाटक एक खास लय (रिम्) में चलता है। नाटक का कथ्य यर्थाथवादी है पर शैली या फार्म का ट्रीटमेन्ट यर्थाथवादी नहीं है। चूंकि लोग-उदासी में बेमेल विवाह की परिणति एक खेल के रूप में होती है, जहाँ कोई नतीजा नहीं निकलता। अतः समाज इसे उदासीन भाव से यन्त्रवत् बस बार-बार खेलता रहता है। यह पूरा नाटक एक विवाह के अगल-अगल दृश्यों के कोलाज के रूप में उभर कर आता है।


निर्देशकीय


हर्ष का विषय है कि समन्वय संस्था अपने रजत जयंती वर्ष पर पहली बार एक असंगत (एब्सर्ड) नाटक 'लोग उदासी' का मंचन करने जा रही है। जैसा कि असंगत नाटकों में एक समस्या होती है और उसके भिन्न-भिन्न रूप होते हैं। पर ऐसे नाटक कथा और रंग निर्देशों द्वारा बंधे नहीं होते। इनका स्वरुप एक लम्बी कविता की तरह होता है, जहाँ दृश्यों की शुरुआत या समाप्ति प्रकाश के होने या न होने से निर्धारित होती है। अतः ये नाटक एक निर्देशक के लिये चुनौतीपूर्ण होते हैं। इनमें प्रयोगों की असीम संभावना छिपी रहती है। इस नाटक के पूर्वाभ्यास के दौरान मैंने भी ऐसा ही अनुभव किया। हमने इसे बोझिलता से बचाने की पूरी कोशिश की है। गीत-संगीत का यथा संभव प्रयोग किया है। आपकी उपस्थिति हमारा मनोबल बढ़ायेगी, आपके सुझाव हमारे प्रयास को और बेहतरीन बनायेंगे ।


हम संगीत नाटक अकादमी नयी दिल्ली और श्री सुमन कुमार के आभारी है जिन्होंने संस्था को इस नाटक के मंचन का अवसर प्रदान किया।

सुलतानपुर: जिले के कुड़वार थाने का विवादों से पुराना नाता रहा है। पीड़ित का आरोप बुधवार को 151 के लिए दीवान द्वारा धमका कर लिया गया 25 सो रुपए। पीड़ित ने कहा कि दीवान ने कहा 25 सो रुपए दो नहीं तो मुकदमा लिख कर जेल भेज देंगे। पीड़ित हाथ  पैर जोड़ने लगा दीवान ने गाली देकर कहा पैसा दो नहीं तो जेल जाओ जाओगे। पीड़ित पुलिस अधीक्षक सुल्तानपुर से कर रहा है। न्याय की गुहार। अब देखना यह होगा कि पुराने नाते से जुड़े कुड़वार थाना के दीवान पर कार्रवाई होती है या फिर क्लीन चिट देकर मामला रफा-दफा कर दिया जाता है।

 संगीत नाटक अकादमी, नयी दिल्ल की अनुदान योजना (2021-22 ) के अन्तर्गत।

समन्वय रंगमण्डल प्रयागराज की नवीन प्रस्तुति, लोग उदासी (असंगत नाटक) की प्रतुति 20 मई को ।

                कार्यक्रम विवरण

दिनांक - 20 मई, 2022 

समय - 6:30 सायं अवधि : 1 घंटा 10 मिनट

 नाटककार - बलराज पंडित परिकल्पना एवं निर्देशन - सुषमा शर्मा 

मुख्य अतिथि - माननीय डॉ. के.पी. श्रीवास्तव (सदस्य, वि.प.)

अतिथि - श्री अतुल द्विवेदी (सदस्य भारतेन्दु नाट्य अकादमी, उ.प्र.) विशिष्ट लखनऊ) )

स्थान उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र प्रेक्षागृह, प्रयागराज (निकट सर्किट हाउस)

सुलतानपुर: कैबिनेट मंत्री प्राविधिक शिक्षा, उपभोक्ता संरक्षण एवं बॉट माप विभाग उत्तर प्रदेश आशीष पटेल द्वारा रविवार को जनपद सुलतानपुर का भ्रमण दौरान राजकीय पालीटेक्निक केनौरा, सुलतानपुर आयोजित टैबलेट वितरण समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में सम्मिलित होकर टैबलेट वितरण एवं तकनीकी प्रदर्शनी कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। मंत्री जी द्वारा इससे पूर्व मां सरस्वती जी के चित्र पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्वलित किया गया।
         
कैबिनेट मंत्री जी द्वारा टैबलेट वितरण समारोह में उपस्थित विद्यार्थियों को टैबलेट वितरण के साथ मौके पर उपस्थित छात्र/छात्राओं का हौसला अफजाई करते हुए कहा कि तकनीकी शिक्षा संस्थानों में कैम्पस प्लेसमेन्ट बढ़ाने का प्रदेश सरकार प्रयास कर रही है। कार्यक्रम में उपस्थित मा0 विधायक लम्भुआ सीताराम वर्मा ने कहा कि राजकीय पालीटेक्निक केनौरा में फार्मेसी संकाय बढ़ाने का प्रयास चल रहा है।
        
इस अवसर पर भाजपा जिलाध्यक्ष डॉ0 आर.ए. वर्मा, प्रधानाचार्य, राजकीय पॉलीटेक्निक केनौरा, आईटीआई प्रिन्सिपल आदि सहित अन्य सम्बन्धित उपस्थित रहे। 
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जिला सूचना कार्यालय सुलतानपुर द्वारा जनहित में प्रसारित।


सुल्तानपुर : थाना करौदींकला क्षेत्र दशगरपारा मोड़ पर अमनाईकपुर निवासी राकेश उम्र 38 वर्ष पुत्र तीरू दो पक्षो में मारपीट में मौत हो जाने से दशगरपारा मोड़ पर बीचोबीच  लाश सड़क पर रखकर लगाया जाम । मौके पर एसडीएम कादीपुर प्र. प्रमुख करौदी कला सर्वेश मिश्रा, क्षेत्राधिकारी कादीपुर डा.राधेश्याम शर्मा व इंचार्ज प्रभारी करौदींकला शैलेंद्र पुलिस टीम के साथ कर रहे वार्ता। प्र. प्रमुख करौदी कला

सर्वेश मिश्र के परिजनों से मांगों की पूर्ति के आश्वासन के बाद परिजनों ने हटाया शव,आवागमन हुआ संचालित। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं एवं पदाधिकारियों के घंटों मशक्कत के बाद खुला है जाम।


उत्तर प्रदेश : प्रयागराज में नैनी और एयरपोर्ट समेत कई मुहल्लों का नया नाम तय हो गया है। नैनी को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी नगर नाम दिया गया है। एयरपोर्ट दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर जाना जाएगा।

प्रयागराज का नैनी क्षेत्र अब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी नगर के नाम से जाना जाएगा। प्रयागराज एयरपोर्ट का नाम पंडित दीनदयाल उपाध्याय एयरपोर्ट होगा। सोमवार को नगर निगम में बैठक में सदन ने नैनी, एयरपोर्ट समेत शहर के चौराहा, सड़क और पार्क के नए नामों पर मुहर लगा दी।

बजट पर चर्चा के बाद सदन में नामकरण की सूची रखी गई। नैनी का नाम हेमवती नंदन बहुगुणा नगर रखने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया था। यह प्रस्ताव इलाहाबाद की सांसद डॉ. रीता बहुगुणा जोशी ने भेजा था। शासन ने डॉ. रीता का प्रस्ताव नगर निगम में भेजा और सदन में निर्णय लेने का सुझाव दिया।

सदन से पहले नगर निगम की नामकरण कमेटी में रखा गया। कमेटी ने यह कहकर प्रस्ताव खारिज कर दिया कि हेमवती नंदन बहुगुणा के नाम शहर में मार्केट, पार्क, स्कूल और चौराहा पहले से है। कमेटी ने ही नैनी का नाम पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी रखने का सुझाव दिया। कमेटी का प्रस्ताव सदन में रखा गया तो सभी ने सर्वसम्मति से इस पर मुहर लगा दी।

इसी प्रकार प्रयागराज एयरपोर्ट का नाम पंडित मदन मोहन मालवीय या पंडित दीनदयाल उपाध्याय एयरपोर्ट रखने पर चर्चा हुई। सदन को बताया गया कि पंडित मदन मोहन मालवीय के नाम पर पहले से सड़क, चौराहा है। इसलिए एयरपोर्ट का नाम पंडित दीनदयाल उपाध्याय एयरपोर्ट रखने का सर्वसम्मित से निर्णय लिया गया। नैनी का लेप्रोसी चौराहा अब श्यामा प्रसाद मुखर्जी चौराहा के नाम से जाना जाएगा। सदन ने लूकरगंज मछली बाजार के पास सड़क का नाम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी दूधनाथ नागर मार्ग रखा।

नगर निगम सदन ने प्रीतम नगर में कोहली ढाबा चौराहा का नाम जनकवि कैलाश गौतम चौराहा रखा है। शिवकुटी में तिकोना पार्क का नाम शहीद अंबुज सिंह पार्क रखा गया। इसी प्रकार अलोपीबाग फ्लाईओवर का नाम अब शहीद रोशन सिंह सेतु होगा। नगर निगम सदन ने सोमवार को चौराहा, फ्लाईओवर समेत मार्ग व पार्क के नए नामों को हरी झंडी दे दी। बेनीगंज-करेली स्थित मार्ग को पेंशनरों के लोकप्रिय नेता सरदार किशन सिंह मार्ग किया गया है।

कालिंदीपुरम दुर्गा पूजा पार्क नाम से जाना जाएगा। चौराहा, मार्ग और पार्क को नए नामकरण पर पिछले दिनों नगर निगम के नामकरण समिति की बैठक हुई थी। बैठक के बाद अधिकारियों की समिति ने सभी पहलुओं की जांच की। जांच के उपरांत नए नामों पर सदन ने मुहर लगा दी। मुत्रीगंज का नाम 1982 में सालिगराम जायसवाल रखा गया था। सदन ने 2018 में नए नामों के बोर्ड लगाने का निर्देश दिया।

बैठक के बाद महापौर अभिलाषा गुप्ता नंदी ने बताया कि नामकरण के लिए हाईकोर्ट के निर्देश पर कमेटी बनी है। कमेटी ही नए नामों पर निर्णय लेती है। शहर में पूर्व प्रधानमंत्री के नाम कुछ नहीं था। इसलिए नैनी का नाम अटल बिहारी वाजपेयी नगर रखा गया।



                धोखे में जी रहा गुलाब है....


सुना है सदियों  से

गुलाब नवाबी शौक है... 

शायद यही वजह है 

गुलाब के इतराने की.... 

काँटो से घिरे होने पर भी, 

खानदानी कहाने की.... 

तनिक गौर से देखो 

मित्रों गुलाब के काँटो को 

औंधे मुँह गिरे हुए, झुके हुए से....

 चुभते हैं बड़े ही धोखे से 

फिर भी देखो नवाब को... 

काँटो के बीच 

महफूज होने का गुमान है....

कमीने गुलाब पागल को 

किसी ने प्यार की निशानी बता दिया 

बस इसी ने गुलाब को

 बदगुमानी बना दिया...

 झूठ-मूठ में फैलाए है 

समाज में प्रोपोगंडा... 

खुद को खानदानी

 बताने वाला गुलाब गंदा... 

आशिकी में कली

 गुलाब को कह दिया किसी ने 

पैगाम मोहब्बत का..... 

अब कौन बताए कि 

खुद मोहब्बत भी....प

रिणाम है गंदी सोहबत का....

माना कि गुलाब में है, 

बेशुमार मोहक खुशबू..... 

पर आप ही बताओ 

किसी का पेट भरा है

 क्या कभी खुशबू से.....?

 गर पता नहीं है तो पूछ लो 

हरिया, माधव, जग्गू से...


मुफ़्त में फुलाए है सीना 

अपने इत्र और जल गुलाब से


मालूम नहीं उसे शायद 

गाँव वाले नहाते भी हैं 

गंगा की आब से.... 

गाँव-देश में हमारे मिलते हैं 

गुलाब तकिया और हाथ के पंखे 

पर जनाब.... और

 गाँव-देश में मित्रों 

चम्पा, चमेली,बेला और कचनार के आगे....

नहीं चलती गुलाब की हेकड़ी....

 यहाँ नहीं मिलते किताब के पन्नों के बीच

 कभी सूखे गुलाब .... 

आप इत्तेफाक रखते हैं 

या नहीं रखते.....

पर.... मेरा दावा है..... 

शहरों,महानगरों में धोखे में जी रहा गुलाब है...... 

धोखे में जी रहा गुलाब है......


रचनाकार.....


जितेन्द्र कुमार टुबे अपर पुलिस अधीक्षक/क्षेत्राधिकारी


नगर, जौनपुर



 मिलिए कन्नौज के हैवत पुर कटरा कक्षा 7 के मास्टर अंकुश से जिन्होंने इतने सुंदर नृत्य से मातृत्व की अभिव्यक्ति की है। 



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