किसानों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए आज मैं कृषि विशेषज्ञ आकांक्षा सिंह प्रकाश न्यूज आफ इंडिया के माध्यम से जून माह में बोई जाने वाली फसलों के बारे में जानकारी दे रहे हैं। इसी के साथ उनकी अधिक उत्पादन देने वाली उन्नत किस्मों से भी आपको अवगत करा रहे हैं ताकि आप अपने क्षेत्र के अनुकूल रहने वाली उन्नत किस्मों का चयन करके उत्पादन को बढ़ा सके। आशा करते हैं हमारे द्वारा दी जा रही जानकारी किसान भाइयों के लिए फायदेमंद साबित होगी। तो आइए जानते हैं जून माह में बोई जाने वाली प्रमुख फसलों के बारे में।किसानों को बेहतर उत्पादन प्राप्त करने के लिए प्रत्येक माह के अनुसार फसलों की बुवाई और कृषि कार्य करने चाहिए। साथ ही फसल की बुवाई के लिए उन्नत किस्मों का चुनाव करना चाहिए आशा करते हैं हमारे द्वारा दी जा रही जानकारी किसान भाइयों के लिए फायदेमंद साबित होगी
धान की नर्सरी :
- 01.यदि किसान भाई मई के अंतिम सप्ताह में धान की नर्सरी नहीं डाल पाते हैं तो वे जून के पहले पखवाड़े तक इस काम को पूरा कर सकते हैं.धान की मध्यम और देर से पकने वाली किस्में अच्छी मानी जाती हैं। इसमें धान की स्वर्ण, पंत-10, सरजू-52, नरेंद्र-359, जबकि टा.-3, पूसा बासमती-1, हरियाणा बासमती सुगंधित और पंत संकर धान-1 और नरेंद्र संकर धान-2 प्रमुख उन्नत संकर हैं। किस्में।
- 02.धान की महीन किस्मों की प्रति हेक्टेयर बीज दर 30 किग्रा, मध्यम के लिए 35 किग्रा, मोटे धान हेतु 40 किग्रा तथा ऊसर भूमि के लिए 60 किग्रा पर्याप्त होता है, जबकि संकर किस्मों के लिए प्रति हेक्टेयर 20 किग्रा बीज की आवश्यकता होती है।
- 03यदि नर्सरी में खैरा रोग दिखाई दे तो 10 वर्ग मीटर क्षेत्र में 20 ग्राम यूरिया, 5 ग्राम जिकं सल्फटे प्रति लीटर पानी में घोलकर छिडक़ाव करना चाहिए।
मक्का की बुवाई 25 जून तक पूरी कर लें :
- 01.यदि सिंचाई की सुविधा हो तो इसकी बुवाई का कार्य 15 जून तक भी पूरा किया जा सकता है। यदि आप मक्का की बुवाई करना चाहते हैं तो इसकी बुवाई 25 जून तक पूरी कर लेनी चाहिए।
- 02.मक्का की उन्नत किस्मों में शक्तिमान-1, एच.क्यू.पी.एम.-1, संकुल मक्का की तरुण, नवीन, कंचन, श्वेता तथा जौनपुरी सफेद व मेरठ पीली देशी प्रजातियां अच्छी मानी जाती हैं।
प्रथम सप्ताह में कर सकते हैं अरहर की बुवाई : जून के
अरहर की बुवाई जून माह के प्रथम सप्ताह में की जा सकती है। वहीं सिंचाई की सुविधा का अभाव होने पर इसकी बुवाई वर्षा प्रारंभ होने पर ही करनी चाहिए। .
- 01.अरहर, प्रभात और यूपीएस-120 की उन्नत किस्मों में जल्दी पकने वाली किस्में हैं और बहार, नरेंद्र अरहर-1 और मालवीय अरहर-15 देर से पकने वाली किस्में हैं।
- 02:अरहर की बुवाई के लिए प्रति हेक्टेयर क्षेत्र के लिए 12-15 किग्रा बीज पर्याप्त होता है। अरहर के बीजों को राइजोबियम कल्चर से उपचारित करने के बाद ही बोना चाहिए।
जून माह में करें इन सब्जियों की खेती :
भिंडी की बुवाई का भी ये उपयुक्त समय है। इसके अलावा लौकी, खीरा, चिकनी तोरी, आरा तोरी, करेला व टिंडा की बुवाई भी इस माह की जा सकती है। भिंडी की उन्नत किस्मों में परभनी क्रांति, आजाद भिंडी, अर्का अनामिका, वर्षा, उपहार, वी.आरओ.- 5, वी.आर.ओ.-6 व आई.आई.वी.आर.-10 भिंडी की अच्छी किस्में मानी जाती है। जून माह में आप बैंगन, मिर्च, अगेती फूलगोभी की पौध लगा सकते हैं।
ये कृषि कार्य : जून माह में करें
- 01.पिछले माह बोई गई बैंगन, टमाटर व मिर्च की फसलों में सिंचाई व आवश्यकतानुसार निराई-गुड़ाई कार्य करें।
- 02.गर्मी की जुताई व मेड़बंदी का काम बारिश से पहले पूरा कर लेना चाहिए, जिससे खेत बारिश का पानी सोख सके और खेत की मिट्टी बारिश में नहीं बह पाए।
- 03.सूरजमुखी/उड़द/मूंग जायद में बोई गई सूरजमुखी व उड़द की कटाई मड़ाई का कार्य 20 जून तक आवश्यक रूप से पूरा कर लेना चाहिए।
- 04.इसी के साथ ही मूंग की फलियों की तुड़ाई का कार्य भी समय समाप्त कर लें।
बागवानी कार्य : जून माह में किए जाने वाले
आप नया बाग लगा रहे हैं तो इसके रोपण के लिए प्रति गड्ढा 30-40 किग्रा सड़ी गोबर की खाद, एक किग्रा नीम की खली तथा गड्ढे से निकली मिट्टी को मिलाकर भरें। इस बात का ध्यान रखें कि गड्ढे को जमीन से 15-20 सेमी. ऊंचाई तक भरा जाना चाहिए।
- 01.रजनीगंधा, देशी गुलाब एवं गेंदा के साथ उगे अनावश्यक पौधे जिन्हें खरपतवार कहते हैं उन्हें हटाने का कार्य करें ताकि सुगंधित पौधों का ठीक से विकास हो सके। इसके अलावा इन पौधों में आवश्यकतानुसार सिंचाई का कार्य भी करते रहें।
- 02.मेंथा की दूसरी कटाई जून माह के अंत तक पूरी कर लेनी चाहिए। बता दें कि मेंथा को पुदीना भी कहा जाता है। इससे पिपरमेंट और तेल तैयार किया जाता है। इसका उपयोग दवाइयां, सौंदर्य उत्पाद, टूथपेस्ट, पान मसाला संग कंफेक्शनरी उत्पादों में होता है।
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