सिंगापुर और मलेशिया से हनीमून मनाकर करीब 10 दिन बाद लौटे केरल के आईएएस अधिकारी अनुपम मिश्रा को क्वारंटाइन में रखा गया। लेकिन, उन्होंने नियमों का उलंघन किया। जब उनसे हालचाल जानने के लिए सरकारी अधिकारी ने संपर्क किया तो आईएएस की लोकेशन केरल के उनके सरकारी आवास की जगह उत्तर प्रदेश के कानपुर में मिली है।
इसके बाद जांच में पता चला कि वह अपने गृह क्षेत्र उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर आ गए हैं।अब उनसे राज्य सरकार ने स्पष्टीकरण मांगा है।बता दें कि इस मामले में केरल पुलिस ने कोल्लम के उप-कलेक्टर अनुपम मिश्रा के खिलाफ विदेश से लौटने के बाद अनिवार्य कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के नियमों को तोड़ने के जुर्म में मामला दर्ज किया है।
द-हिन्दू बिजनेस लाइन की मानें तो पुलिस ने कहा कि वे उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर से संबंधित 2016 बैच के आईएएस अधिकारी अनुपम मिश्रा के बारे में जानकारी प्राप्त कर अपने अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करेंगे।बता दें कि इधर 14 दिन के क्वारंटाइन में भेजे गए आईएएस के हालचाल जानने के लिए कुछ अधिकारियों ने उनके घर फोन किया तो पता चला कि वह घर पर नहीं थे। अधिकारियों ने फोन पर संपर्क किया तो अनुपम ने बताया कि वह अपने भाई के साथ बेंगलुरु आ गए थे क्योंकि वह एक डॉक्टर है और उनकी देखभाल वहां अच्छे से होगी। लेकिन अनुपम के मोबाइल पर संपर्क किया गया तो फोन संपर्क से बाहर होने का साउंड हिंदी में सुनाई दिया।
इसके बाद शक होने पर अनुपम का मोबाइल ट्रैस किया गया तो उनकी लोकेशन कानपुर व सुल्तानपुर में मिली। इस मामले में डीएम ने राज्य सरकार को रिपोर्ट बनाकर भेजी है। डीएम की रिपोर्ट पर अनुपम मिश्रा से स्पष्टीकरण मांगा गया है ।
क्या है क्वारंटीन' (Quarantine)?
संक्रामक रोगों या नाशीजीवों (pest) के प्रसार को रोकने के उद्देश्य से लोगों या सामान की आवाजाही और दूसरों से घुलने-मिलने पर प्रतिबन्ध लगा दिया जाता है, जिसे संगरोध या क्वारंटीन (Quarantine) कहते हैं। संगरोध करने का उद्देश्य संक्रामक रोगों से ग्रसित अथवा संक्रामक रोगियों के सम्पर्क में आए लोगों के आवागमन को अत्यन्त सीमित करना होता है।
'क्वारंटीन' (Quarantine) यह लैटिन मूल का शब्द है। इसका मूल अर्थ चालीस है। पुराने समय में में जिन जहाजों में किसी यात्री के रोगी होने अथवा जहाज पर लदे माल में रोग प्रसारक कीटाणु होने का संदेह होता तो उस जहाज को बंदरगाह से दूर चालीस दिन ठहरना पड़ता था। ग्रेट ब्रिटेन में प्लेग को रोकने के प्रयास के रूप में इस व्यवस्था का आरम्भ हुआ। उसी व्यवस्था के अनुसार इस शब्द का प्रयोग पीछे ऐसे मनुष्यों, पशुओं और स्थानों को दूसरों से अलग रखने के सभी उपायों के लिये होने लगा जिनसे किसी प्रकार के रोग के संक्रमण की आशंका हो। क्वारंटीन का यह काल अब रोग विशेष के रोकने के लिये आवश्यक समय के अनुसार निर्धारित किया जाता है।
अंतर्राष्ट्रीय क्वारंटीन की जाँच बंदरगाहों, हवाई अड्डों और दो देशों के बीच सीमास्थ स्थानों पर होता है। विदेश से आनेवाले सभी जहाजों की क्वारंटीन संबंधी जाँच होती है। जाँच करनेवाले अधिकारी के सम्मुख जहाज का कप्तान अपने कर्मचारियों और यात्रियों का स्वास्थ्य विवरण प्रस्तुत करता है। जहाज के रोगमुक्त घोषित किए जाने पर ही उसे बंदरगाह में प्रदेश करने की अनुमति दी जाती है। यदि जहाज में किसी प्रकार का कोई संक्रामक रोगी अथवा रोग फैलानेवाली वस्तु मौजूद हो तो जहाज को बंदरगाह से दूर ही रोक दिया जाता है और उस पर क्वारंटीन काल के समाप्त होने तक पीला झंडा फहराता रहता है। रोग संबंधी गलत सूचना देने अथवा सत्य बात छिपाने के अपराध में कप्तान का कड़ा दंड मिल सकता है। क्वारंटीन व्यवस्था के अंतर्गत आनेवाले रोगों में हैजा, ज्वर, चेचक टायफायड, कुष्ट, प्लेग प्रमुख हैं।
कोरोना से बचाएगा क्वारंटाइन!
अगर कोई कोरोना के संक्रमण की आशंका को देखते हुए घर पर ही खुद को सबसे अलग-थलग कर लेता है तो इसे होम क्वारंटाइन कहा जाता है. आपको बता दें, सरकार की तरफ से भी क्वारंटाइन सेंटर बनाए गए हैं जहां कोरोना के संदिग्ध संक्रमित लोगों को रखा जाता है. क्वारंटाइन की मियाद 14 दिनों की तय की गई है क्योंकि कोरोना वायरस के लक्षण खुलकर सामने आने में 14 दिन तक लग जाते हैं.
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