January 2020

सुल्तानपुर-भारत बंद के आह्वाहन पर जिला प्रशासन सतर्क । डीएम सी इंदुमंती और एसपी शिवहरि मीणा ने किया रोड मार्च। सैकड़ो जवानों के साथ किया रोड मार्च । अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ कार्यवाही के आदेश। CAA और NRC के विरोध में कुछ लोगों ने लिया भारत बंद का आह्वाहन ।




वास्तव में मूल कर्त्तव्य पहले से संविधान में नहीं थे। इन्हें संविधान के 42वें संशोधन (1976)द्वारा जोड़ा गया है। यह श्री स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिश पर आंतरिक आपातकाल की ज़रूरत एवं आवश्यकताओ को पूरा करने के लिए लाया गया था। इसके अनुसार भारत के प्रत्येक नागरिक का कर्त्तव्य होगा कि वह इनका पालन करे।

वीर हुतात्माओं के खूनी संघर्ष के परिणाम स्वरूप मिली आजादी को वास्तविक रूप से आजादी का स्वरूप देने वाले भारती संविधान को लागू लागू किए जाने वाले दिवस गणतंत्र दिवस की हार्दिक मंगलकामनाये एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को शत शत नमन।आइये हम देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने की शपथ लेते हैं।                                        🇮🇳  जय हिन्द जय भारत   🇮🇳

इनकी संख्या कुल 11 है-----

(1) संविधान का पालन करे और उसके आदर्शों,संस्थाओं, राष्ट्र ध्वज और राष्ट्र्गान का आदर करे।

(2)स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आन्दोलन प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शो को हृदय में संजोए रखे व उनका पालन करे।

(3)भारत की प्रभुता एकता व अखंडता की रक्षा करें और उसे अक्षुण्ण बनाये रखें।

(4)देश की रक्षा करें और आवाह्न किए जाने पर राष्ट् की सेवा करें।

(5)भारत के सभी लोग समरसता और सम्मान एवं भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करें जो धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग के भेदभाव पर आधारित न हों, उन सभी प्रथाओं का त्याग करें जो महिलाओं के सम्मान के विरुद्ध हों।

(6) हमारी सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परम्परा का महत्त्व समझें और उसका परिरक्षण करें।

(7)प्राकृतिक पर्यावरण जिसके अंतर्गत वन, झील,नदी वन्य प्राणी आदि आते हैं की रक्षा व संवर्धन करें तथा प्राणी मात्र के प्रति दयाभाव रखें।

(8) वैज्ञानिक दृष्टिकोण मानवतावाद व ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करें ।

(9) सार्वजनिक सम्पत्ति को सुरक्षित रखें व हिंसा से दूर रहें।

(10)व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों सतत उत्कर्ष की ओर बढ़ने का प्रयास करें जिससे राष्ट्र प्रगति करते हुए प्रयात्न और उपलब्धि की नई ऊँचाइयों को छू ले।

(11) यदि आप माता-पिता या संरक्षक हैं तो छह वर्ष से चौदह वर्ष आयु वाले अपने या प्रतिपाल्य (यथास्थिति) बच्चे को शिक्षा के अवसर प्रदान करें।(इसे 86वें संविधान संशोधन,2002 द्वारा जोडा गया)



                   आनंद माधव तिवारी             
                        प्रधान संपादक              
                 प्रकाश न्यूज़ ऑफ़ इंडिया 

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सुल्तानपुर : पत्रकार दिनकर श्रीवास्तव का मोबाइल चुराने वाला नाबालिग चोर अपने तीन अन्य साथियों संग हुआ गिरफ्तार। प्रतापगढ़ जिले की पुलिस ने सुल्तानपुर शहर के एक मोहल्ले(गोपनीय) से गिरफ्तार कर चारों को ले गयी। प्रतापगढ़ शहर से पकड़े गए दूसरी टीम की पूछताछ में पकड़े गए चोर।पकड़ा गया चोर रोहन कुमार(10वर्ष) पुत्र धर्मेंद्र कुमार है जिसने पत्रकार दिनकर श्रीवास्तव की जेब से मोबाइल(मॉडल real me pro3-blue) चुराया था।उसके साथ पकड़े गए तीन अन्य साथी भी प्रतापगढ़ पुलिस की गिरफ्त में हैं।सभी चोर झारखंड के आसनसोल के आसपास के रहने वाले हैं । सबसे पहला नाबालिग़ चोर जो कि प्रतापगढ़ के भाजपा जिलाध्यक्ष के ड्राइवर का फोन चुराने में 17 जनवरी को हुआ था गिरफ्तार।प्रतापगढ़ से दूसरे team का चोर हुआ था गिरफ्तार ।पूछताछ में सुल्तानपुर में रह रहे नाबालिग चोर हुए गिरफ्तार ।सभी चोरों के पास से मोबाइल का कवर और थैला मिला ।भनक लगने पर मोबाइल समेतगैंग के अन्य चोर फरार। पता चला है कि दिन भर यह लोग भीड़-भाड़/ सब्जी मार्केट वाली जगहों से मोबाइल चुराते थे और एक समय बाद उसे कोलकाता के मालदा (चोर बाजार) में अच्छे दामों में बेच देते थे। जनपद सुल्तानपुर के डॉक्टर मनीष श्रीवास्तव(होम्योपैथी) का भी फोन मुरारी दास गली से राह चलते चोरी हो गया था ।वरिष्ठ पत्रकार दिनकर श्रीवास्तव मधुबन स्वीट्स की दुकान के अंदर हुए थे नाबालिग चोर का शिकार ।दिनकर श्रीवास्तव की पत्नी का फोन कुछ दिन पूर्व सरकारी अस्पताल से हो चुका है चोरी ।प्रतापगढ़ के एडिशनल एसपी ने कोतवाली में चोरों का ट्रायल भी कराया।सभी पुलिस कर्मी चोरों के हाथ की सफाई से हुए दंग । कोतवाली में मौजूद एडिशनल एसपी /कोतवाल रह गए भौचक्के । पता चला है कि यह चोर पूर्व में कई बार पकड़े गए लेकिन बच्चा समझ कर इन्हें लोगों ने छोड़ दिया था ।प्रतापगढ़ के नगर कोतवाल ने दिनकर श्रीवास्तव की चोरी की फुटेज देख कर चोरों से करवाई पहचान तो मालूम हुआ पकड़ा गया चोर रोहन कुमार है।मौके पर प्रतापगढ़ में कुल 5 नाबालिक चोर पकड़े जा चुके हैं । इनकी टीमें पूर्वांचल समेत कई जिलों में सक्रिय जो अभी तक करोड़ों का खेल कर चुके हैं।


 सुल्तानपुर: विद्या भारती योजना के अन्तर्गत सरस्वती विद्या मन्दिर एवं सरस्वती शिशु मन्दिर में शिक्षा प्राप्त कर चुके पूर्व छात्रों का सम्मेलन एवं मकर संक्रान्ति ( सहभोज )  का कार्यक्रम सरस्वती विद्या मन्दिर , विवेकानन्दनगर , सुलतानपुर में दिनांक 14 जनवरी 2020 , दिन मंगलवार को अपराहन 1 . 00 बजे आयोजित किया जाएगा।

                           कार्यक्रम विवरण


            दिनांक 14 जनवरी 2020 ,

             दिन मंगलवार को

              दिनांक: अपराहन 1:00 बजे



प्रयागराज: चम्पतराय  केंद्रीय उपाध्यक्ष ,  अम्बरीष  छेत्र संगठनमंत्री ,  मुकेश  प्रान्त संगठन मंत्री की उपस्थिति में प्रान्त मंत्री आनन्द द्वारा बजरंग दल/ विहिप संगठन का विस्तार और विभिन्न पदों के पदाधिकारियों की घोषणा की गई, जिसके अंतर्गत आनंद प्रकाश शुक्ला प्रान्त सह संयोजक बजरंगदल काशी प्रान्त , प्रान्त सुरक्षा प्रमुख के साथ दो जिम्मेदारी है दी गई। सुल्तानपुर से सुशील सिंह  विभाग संयोजक सुल्तानपुर , नागेंद्र सिंह विभाग अध्यक्ष , वंशराज सिंह प्रान्त कार्य समिति सदस्य बनाये गए ।

बताते चले आनंद प्रकाश शुक्ला ने 1997 में बजरंगदल का पहला प्रशिक्षण, वर्ग में प्रशिक्षण लिया । तबसे आज तक  प्रखण्ड संयोजक , जिला सह संयोजक , जिला संयोजक , विभाग सह संयोजक , विभाग संयोजक , प्रान्त गौरछा प्रमुख , जैसे दायित्वों का निर्वाहन कर चुके हैं।संगठन शीर्ष नेतृत्व ने इनके कार्यकुशलता को देखते हुए यह निर्णय लिया ।
                फाइल फोटो आनंद प्रकाश शुक्ला
बजरंग दल (काशी प्रान्त) उत्तर प्रदेश के नेता आनन्द प्रकाश शुक्ला ने कहा कि बजरंग दल, संघ परिवार और विश्व हिंदू परिषद की कड़ी का युवा चेहरा है। इसकी शुरुआत आठ अक्तूबर 1984 में सबसे पहले भारत के उत्तर प्रदेश प्रांत से हुई। इसके बाद में पूरे भारत में विस्तार हुआ। हिंदुत्व इस परिवार का मुख्य दर्शन है। । बजरंग दल का सूत्र वाक्य सेवा, सुरक्षा और संस्कृति है। आनंद प्रकाश शुक्ला ने कहा की अक्टूबर 1984 में विश्व हिंदू परिषद ने अयोध्या में नियमित रूप से रथयात्रा निकालनी शुरू की। समाज के कुछ तबकों ने इसे हिन्दू समर्थक आंदोलन के रूप में प्रचारित किया। रथ यात्रा का अराजक तत्वों से रक्षा के लिए एक दल की स्थापना हुई जिसे बजरंग दल के नाम से जाना गया। आनंद प्रकाश शुक्ला ने कहा की बजरंग दल हिंदू धर्म की की रक्षा के लिए काम कर रहा है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में हमारे पास 72,000 प्रखंड हैं। संगठित भारत के निर्माण और हिंदुओं की रक्षा के लिए निरंतर काम चलता रहेगा। उन्होंने कहा कि कश्मीर में सेना पर पत्थर फैंकना युद्ध जैसा है। हिन्दू धर्म का आचरण मंदिर में जाना, गोसेवा और उसे रोटी खिलाने के साथ गंगा रक्षा है। उन्होंने कहा की भूखे और दलित को भोजन कराना भी हिंदू सेवा का मुख्य कर्तव्य है।





यदि कोई यह पूछे कि वह कौन युवा योद्धा  संन्यासी था, 
जिसने विश्व पटल पर भारत और सनातन की कीर्ति पताका फहराई, तो सबके मुख से निःसंदेह स्वामी विवेकानन्द का नाम ही निकलेगा।

National Youth Day: स्वामी विवेकानंद की जयंती के मौके पर हर साल 'नेशनल यूथ डे' मनाया जाता है। भारत सरकार ने 1984 में 12 जनवरी को नेशनल यूथ डे की घोषणा की थी और 1985 से ये दिन हर साल इसी रूप में मनाया जाता है।


आइये जानते हैं, स्वामी विवेकानंद जी के बारे में

विवेकानन्द का बचपन का नाम नरेन्द्र था। उनका जन्म कोलकाता में 12 जनवरी, 1863 को हुआ था। बचपन से ही वे बहुत शरारती, साहसी और प्रतिभावान थे। पूजा-पाठ और ध्यान में उनका मन बहुत लगता था।

नरेन्द्र के पिता उन्हें अपनी तरह प्रसिद्ध वकील बनाना चाहते थे; पर वे धर्म सम्बन्धी अपनी जिज्ञासाओं के लिए इधर-उधर भटकते रहते थे। किसी ने उन्हें दक्षिणेश्वर के पुजारी श्री रामकृष्ण परमहंस के बारे में बताया कि उन पर माँ भगवती की विशेष कृपा है। यह सुनकर नरेन्द्र उनके पास जा पहुँचे।

वहाँ पहुँचते ही उन्हें लगा, जैसे उनके मन-मस्तिष्क में विद्युत का संचार हो गया है। यही स्थिति रामकृष्ण जी की भी थी; उनके आग्रह पर नरेन्द्र ने कुछ भजन सुनाये। भजन सुनते ही परमहंस जी को समाधि लग गयी। वे रोते हुए बोले, नरेन्द्र मैं कितने दिनों से तुम्हारी प्रतीक्षा में था। तुमने आने में इतनी देर क्यों लगायी ? धीरे-धीरे दोनों में प्रेम बढ़ता गया। वहाँ नरेन्द्र की सभी जिज्ञासाओं का समाधान हुआ।*

*उन्होंने परमहंस जी से पूछा - क्या आपने भगवान को देखा है ? उन्होंने उत्तर दिया - हाँ, केवल देखा ही नहीं उससे बात भी की है। तुम चाहो तो तुम्हारी बात भी करा सकता हूँ। यह कहकर उन्होंने नरेन्द्र को स्पर्श किया। इतने से ही नरेन्द्र को भाव समाधि लग गयी। अपनी सुध-बुध खोकर वे मानो दूसरे लोक में पहुँच गये।

अब नरेन्द्र का अधिकांश समय दक्षिणेश्वर में बीतने लगा। आगे चलकर उन्होंने संन्यास ले लिया और उनका नाम विवेकानन्द हो गया। जब रामकृष्ण जी को लगा कि उनका अन्त समय पास आ गया है, तो उन्होंने विवेकानन्द को स्पर्श कर अपनी सारी आध्यात्मिक शक्तियाँ उन्हें दे दीं। अब विवेकानन्द ने देश-भ्रमण प्रारम्भ किया और वेदान्त के बारे में लोगों को जाग्रत करने लगे।

उन्होंने देखा कि ईसाई पादरी निर्धन ग्रामीणों के मन में हिन्दू धर्म के बारे में तरह-तरह की भ्रान्तियाँ फैलाते हैं। उन्होंने अनेक स्थानों पर इन धूर्त मिशनरियों को शास्त्रार्थ की चुनौती दी; पर कोई सामने नहीं आया। इन्हीं दिनों उन्हें शिकागो में होने जा रहे विश्व धर्म सम्मेलन का पता लगा। उनके कुछ शुभचिन्तकों ने धन का प्रबन्ध कर दिया। स्वामी जी भी ईसाइयों के गढ़ में ही उन्हें ललकारना चाहते थे। अतः वे शिकागो जा पहुँचे।

शिकागो का सम्मेलन वस्तुतः दुनिया में ईसाइयत की जयकार गुँजाने का षड्यन्त्र मात्र था। इसलिए विवेकानन्द को बोलने के लिए सबसे अन्त में कुछ मिनट का ही समय मिला; पर उन्होंने अपने पहले ही वाक्य ‘अमरीकावासियो भाइयो और बहिनो’ कहकर सबका दिल जीत लिया। तालियों की गड़गड़ाहट से सभागार गूँज उठा। यह 11 सितम्बर, 1893 का दिन था। उनका भाषण सुनकर लोगों के भ्रम दूर हुए। इसके बाद वे अनेक देशों के प्रवास पर गये। इस प्रकार उन्होंने सर्वत्र हिन्दू धर्म की विजय पताका लहरा दी।

भारत लौटकर उन्होंने श्री रामकृष्ण मिशन की स्थापना की, जो आज भी विश्व भर में वेदान्त के प्रचार में लगा है। जब उन्हें लगा कि उनके जीवन का लक्ष्य पूरा हो गया है, तो उन्होंने 4 जुलाई, 1902 (अमेरिकी स्वतंत्रता दिवस ) को महासमाधि लेकर स्वयं को परमात्म में लीन कर लिया।

विवेकानंद के जीवन से जुड़ी कई घटनाएं और उनका कथन आज भी कई प्रकार के सीख देता है। पढ़ें, स्वामी विवेकानंद के 10 अनमोल विचार..

1. जो हमारी सोच हमे बनाती है, हम वही बनते हैं। इसलिए हमेशा अपनी सोच को लेकर सतर्क रहें। शब्द का महत्ता दूसरे दर्जे की है। विचार जिंदा रहते हैं और वे ही आगे बढ़ते हैं। 
2. ब्रह्मांड में मौजूद सभी शक्तियां पहले से ही हम सभी में मौजूद हैं। ये हम हैं जो अपने हाथों को अपनी आंखों के सामने रख लेते हैं और फिर रोते रहते हैं चारो ओर अंधेरा है।
3. अगर पैसा दूसरों की मदद करने में योगदान करता है तो फिर ये काम की चीज है। इसका कोई मूल्य है। अगर ऐसा नहीं है तो ये फिर शैतान की तरह है। ऐसे में ये जितनी जल्दी हमसे दूर हो जाए, उतना ही अच्छा होगा।
4. एक समय में एक काम करो और ऐसा करते हुए अपनी पूरी शक्ति, आत्मा उसमें डाल दो। बाकी सब कुछ भूल जाओ। 
5. ज्ञान स्वयं में वर्तमान है, मनुष्य केवल उसका आविष्कार करता है।
6. उठो और जागो और तब तक नहीं रूको जब तक कि तुम अपना लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर लेते।
7. जब तक आप खुद पर भरोसा करना नहीं सीखते तब तक भगवान भी आप पर भरोसा नहीं करते हैं।
8. दुनिया के तमाम लोग तुम्हारी स्तुति करें या निन्दा, लक्ष्य तुम्हारे ऊपर कृपालु हो या न हो, तुम्हारा देहांत आज हो या किसी और युग में, लेकिन तुम न्यायपथ से कभी भ्रष्ट नही होना।
9. जितना बड़ा संघर्ष होगा, जीत उतनी ही शानदार होगी।
10. किसी दिन आपके सामने कोई समस्या न आए तो आप इस बात का भरोसा कर सकते हैं कि आप गलत मार्ग पर चल रहे हैं।



सुलतानपुर। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रेम शुक्ला ने कहाकि नागरिकता संशोधन कानून 2019 (सी.ए.ए.) नागरिकता लेने का नही बल्कि नारिकता देने का कानून है। कानून में किसी से भी धार्मिक भेदभाव नहीं बरता गया है। विपक्षी दल भ्रामक दुष्प्रचार कर लोगों को गुमराह करने का काम कर रहे हैं। देश से अवैध घुसपैठियों को बाहर भेजना हमारा धर्म है।उन्होंने कहा कि केरल की पीएफआई के कट्टरपंथ को मानने वाले उन्मादी तत्व को कांग्रेस आई का राजनीतिक और पाकिस्तान की आईएसआई का फाइनेंशियल संरक्षण प्राप्त है।इन लोगों ने भ्रम फैलाकर उन्माद व अराजकता फैलाने का काम किया है। उनसे किस तरह निपटना है यह राष्ट्र के रूप में सरकार का दायित्व है।

शुक्रवार को जिला अध्यक्ष जगजीत सिंह छंगू, पूर्व जिला अध्यक्ष डा. एम.पी.सिंह, पूर्व मंत्री ओम प्रकाश पांडे, पूर्व विधायक अर्जुन सिंह ,भाजपा प्रवक्ता विजय सिंह रघुवंशी ,प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य शिवाकांत मिश्र, डा.अनुराग पांडे , घनश्याम चौहान,सभासद अरूण सिंह एवं  गांधी सिंह की उपस्थित में  शहर के निजी रेस्टोरेंट के सभागार में आयोजित पत्रकार वार्ता में प्रेम शुक्ला ने कहाकि नागरिकता संशोधन कानून को लेकर राहुल गांधी और प्रियंका गांधी जनता में भ्रम फैलाकर लोगों को उकसाना चाह रहे हैं ताकि देश में अशांति का माहौल पैदा हो।लेकिन भाजपा सरकार इस बात के लिए कटिबद्ध है कि वह एक भी घुसपैठियों को भारत में नही रहने देगी।

 नागरिकता संशोधन कानून के बारे में राष्ट्रीय नेतृत्व द्वारा चलाए जा रहे जनजागरण अभियान के तहत शुक्रवार को राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रेम शुक्ला सुलतानपुर पहुँचे ।शहर के निजी रेस्टोरेंट में आयोजित पत्रकार वार्ताके दौरान राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रेम शुक्ला ने कहाकि नागरिकता संशोधन कानून में कोई धार्मिक भेदभाव नहीं बरता गया है। विपक्षी दल भ्रामक दुष्प्रचार कर लोगों को गुमराह करने का काम कर रहे हैं। भाजपा नागरिकता संशोधन कानून की असलियत व जनता से रूबरू कराने के लिये जन जागरण अभियान चला रही है।

प्रेम शुक्ला ने कहा कि विपक्षी दल नागरिकता संशोधन एक्ट को लेकर भ्रम फैलाकर उन्माद और उत्पात फैलाने का काम किया गया। बार-बार दुष्प्रचार हो रहा है कि एक्ट में धार्मिक भेदभाव रखा गया है।ये बिल्कुल निराधार और गलत है। कांग्रेस इसे लेकर ओछी राजनीति कर रही है।जबकि राष्ट्रपति महात्मा गांधी ने कहा था कि पाकिस्तान में सबसे बड़ी आबादी दलित अगर भारत आना चाहते है तो भारत उन्हें नागरिकता देने के लिए प्रतिबद्ध है।

जवाहर लाल नेहरू ने भी कहा था कि जिन पर विभाजन लाद दिया है उनको भारत में नागरिकता मिलेगी।उनहोंने कहा कि 1950 में लियाकत समझौता में तय किया गया कि भारत अपने अल्पसंख्यकों की सुरक्षा करेंगा और कोई भेदभाव नहीं करेगा। यही गारंटी पाकिस्तान ने दी थी।लेकिन भारत अपने वायदे पर कायम रहा और पाकिस्तान नही रहा।पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न हो रहा है।

राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रेम शुक्ला ने कहाकि कि विपक्षी कह रहे हैं कि लोग राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर में नाम नही लिखाए।जबकि एनपीआर द्वारा गरीब लोगों की वास्तविक संख्या का पता चल सकेगा इससे सरकार उनके विकास की योजनाओं को और प्रभावी ढंग से लागू कर सकेगी।श्री शुक्ला ने विपक्षियों पर भ्रामक दुष्प्रचार कर धार्मिक ध्रुवीकरण का आरोप लगाया।कहा विपक्षी धार्मिक आधार पर ध्रुवीकरण की कोशिश में है इससे जनता को सचेत रहने की जरूरत है।

प्रेम शुक्ला ने कहाकि कि नागरिकता संशोधन कानून  अ, 2019 भारत की संसद द्वारा पारित एक अधिनियम है जिसके द्वारा सन १९५५ का नागरिकता कानून को संशोधित करके यह व्यवस्था की गयी है कि 31 दिसम्बर सन 2014 के पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए हिन्दू, बौद्ध, सिख, जैन, पारसी एवं ईसाई को धार्मिक प्रताड़ना के कारण भारत की नागरिकता प्रदान की जा सकेगी।इस कानून में देश के किसी भी व्यक्ति की नागरिकता छीनने का प्रावधान नही है।

असम एवं अरूणाचल प्रदेश में इस कानून के लागू न किये जाने के पत्रकारों के प्रश्न का जवाब देते हुए राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रेम शुक्ला ने कहाकि इन प्रदेशों को अनुच्छेद 371 के तहत विशेष प्रावधान किया गया है जिससे असम एवं अरूणाचल प्रदेश में नागरिकता संशोधन कानून 2019 लागू नही होगा।उन्होंने एक प्रश्न के जवाब में बताया कि नागरिकता का कानून बनाना भारत सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है किसी प्रदेश सरकार के नही। केरल विधानसभा द्वारा नागरिकता संशोधन कानून के विरूद्ध पास किया गया प्रस्ताव असंवैधानिक है।

  

 शुभम तिवारी

दिसम्बर  महीना आते ही एक चमक सी लोगो मे देखने को मिलती है।सब 31 दिसम्बर का इंतजार करने लगते हैं।फिर एक दिन आ ही जाती है वह रात जिसका रहता है सबको इंतजार। सुबह से पार्टी की चर्चा गावो के गलियारों से होती हुई,कस्बों-शहरो के गलियों के बीच महानगरों के पाँच सितारा होटलों तक पहुच जाती है।सुबह से तैयारियां शुरू,सारे इंतजामात पूरे कर लिये जाते हैं।फिर सुर्यास्त होते ही सुरु होता है सेलिब्रेशन का दौर।संगीत के नाम पर तेज और हानिकारक डीजे जो कि ध्वनि प्रदूषण को बढ़ावा देता है का उपयोग होता है।गानों के नाम पर अश्लीलता परोसी जाती है।गन्दे-गन्दे गानों और हो हल्ला के बीच मदिरा के मद में मस्त भारत के भविष्य युवाओं को ठुमका लगाते, लड़खड़ाते और लड़ते देखा जा सकता है।एक दूसरे से अधिक पीने की होड़ और नाचते-नाचते जमीन पर लोट पोट करने की होड़ सुरु हो जाती है।यही नही  सुरु होता है अन्य भयंकर मादक पदार्थों के सेवन का दौर।
मदिरा और मादक पदार्थों के मद में मस्त इन मानसिक अस्वस्थ,भारत के भविष्योँ को फूहड़ धुन पर अश्लीलता पूर्वक नृत्य को देखकर समाज का एक तबका जिन्हें इनकी भाषा मे ट्रेडिशनल कहा जाता है, इनसे किनारा करते नजर आते हैं।धीरे धीरे समय बीतता है, मादकता बढ़ती है और ये लोग आपस मे लड़ते देखे जा सकते हैं।कभी कभी यही छोटे छोटे झगड़े किसी की जान तक लेकर ही रुकते हैं।
आज इस तथाकथित 31 सेलिब्रेशन के नाम पर ये जो मदिरा और अन्य गम्भीर नशे के पदार्थों के सेवन का चलन शुरू हुआ है, ये अत्यंत ही चिंतनीय और सुधारणीय विषय है।कैरियर बनाने की उम्र में युवा  गंभीर नशे के लती हो जाते हैं, जिससे आगे चलकर ये गम्भीर बिमारी और तो और इनकी यह प्रवृत्ति घरेलू हिंसा के कारण बनने से नही चूकती।

इन सब से परे हम भारतीय उत्सवधर्मिता को पसंद करने वाले लोग हैं।खुशी ढूढ़ने में हम संकोच नही करते हैं।हमारा देश विविधताओं का देश हैं यह तो सभी को सहर्श स्वीकृत है और होना भी चाहिए क्योकी यही हमारा आधार है, परन्तु सेलीब्रेशन के नाम पर हमारे देश के भविष्य  युवाओं का नशे की प्रवृत्ति की तरफ झुकाव कतई बर्दाश्त नही होना चाहिये।एक तरफ स्वस्थ और समृद्ध भारत की परिकल्पना और दूसरी तरफ सेलिब्रेशन के नाम पर भयंकर नशे में डूबना बन्द होना चाहिए।नही तो आने वाला समय बहुत ही भयावक होगा।

क्या है सिएबी और सिएए ?

सिटिजनशिप अमेंडमेंट बिल(सिएबी)संसद से पास होने के बाद अब सिटिजनशिप अमेंडमेंट ऐक्ट(सिएए)
यानी कानून बन चुका है। इस कानून के प्रावधानों के तहत तीन पड़ोसी देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के उन छह धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को भारतीयता नागरिकता देने की प्रक्रिया में ढील दी गई है जिन्होंने भारत में शरण ले रखी है।वास्तव में ये कानून महात्मा गाँधी समेत संविधान निर्माताओं के इक्छा को मूर्ती रूप प्रदान किया गया है जिसके अंतर्गत सन 1947 के धार्मिक बटवारे के बाद भी  पुर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान में रह गए हिन्दुओ,सिक्खों से उन्होंने अपील की थी भविष्य में कभी भी इन लोगों के साथ कोई धार्मिक अत्याचार होता है तो भारत के द्वार हमेशा के लिये खुला है।
इस बिल के पास होने के उपरांत भारत बचाओ के नाम से देश के राजधानी में विशाल प्रदर्शन ने तो जैसे देश की हवा का रुख ही बदल दिया। इस नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के दुष्प्रचार ने पूरे देश को हिसक बना दिया।देश को अस्थिर करने और आंतरिक सुरक्षा को तोड़ने की पुरजोर कोशिश हुई।
वास्तव में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) किसी भारतीय नागरिक के लिए बना ही नहीं है बल्कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए अल्पसंख्यक शरणार्थियों के लिए बना है। विडम्बना यह है कि कुछ लोगों को बलगलाकर कुछ राजनीतिक द्वेष भावना से युक्त लोग भारतवर्ष का आपसी सौहार्द बिगाड़ने का कार्य कर रहे हैं, जो बहुत ही निंदनीय व अस्वीकार्य है। जहां कश्मीर जैसी पत्थरबाजी उत्तर प्रदेश या दिल्ली में हुई , वह स्वतःस्फूर्त नहीं थी । उनका प्रारंभ बाहर से आए पेशेवर गुंडों ने किया । वे पत्थर फेंकना और आगजनी कर गायब हो गए । वहीं प्रदर्शनकारियों को यह भी समझना चाहिए कि लोकतंत्र में हिंसा का कोई स्थान ही नहीं है।अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, नदवा कॉलेज, इस्लामिया कॉलेज आदि शिक्षा संस्थानों से जिस प्रकार की अपेक्षा है, उस पर खरा नहीं उतरते। सीएए के विरोध की आड़ में हिंसा, आगजनी जैसी घटनाएं शिक्षा  संस्थानों के माध्यम से हुई हैं, जो दुर्भाग्यपूर्ण है। विरोध प्रदर्शन के समय राष्ट्रीय ध्वज हाथ में लेकर जो व्यक्तिगत, सरकारी संपत्तियो को नुकसान पहुंचाते हैं क्या वह लोग वास्तव में देश भक्त हो सकते हैं, यह सोचने का, विषय है।जबकि सर्वोच्च न्यायालय दोनों मामलों में संवैधानिकता तय करने के प्रश्न को अपने हाथ में ले चुका है , फिर उन्हें सड़कों पर विरोध , और वह भी सार्वजनिक संपत्ति जलाने वाला हिंसक विरोध करने की जरूरत क्या है ? क्यों नहीं शांत रहकर कोर्ट के निर्णय की प्रतीक्षा करते ? रामजन्मभूमि पर क्या यही लोग रामभक्तों को धैर्य से प्रतीक्षा का उपदेश नहीं दे रहे थे ? उच्चतम न्यायालय ने जामिया मिलिया की याचिका ठुकराते हुए ठीक ही कहा कि पहले हिंसा बंद कीजिए , उसके बाद ही सनवाई होगी । विरोधी लोग न्यायपालिका को तो सुनें , अनुपालन करें । परन्तु नहीं प्रोटेस्ट की आड़ में उन्माद फैला रहे हैं।
सँविधान की दुहाई और भारत बचाओ की भावना से ओतप्रोत  का दिखावा करने वाले राजनीतिक महत्वाकांक्षी, सत्त्ता के भूखे भेड़ियों को यह भि पता होना चाहिए कि संविधान का अनुच्छेद 51 ए / बी कहता है कि ' सार्वजनिक संपत्ति की सुरक्षा और हिंसा से दूर रहना ' भी संवैधानिक कर्तव्य है , लेकिन हाल के कई आंदोलनों में ये आदर्श सिरे से गायब दिखे हैं । स्वाधीनता आंदोलन में जब विदेशी सत्ता से भारत का टकराव था तब भी आंदोलन आदर्श जीवन मूल्यों से प्रतिबद्ध था तो इसीलिए कि यह भाव प्रबल था कि आंदोलन की अपनी मर्यादा बनी रहनी चाहिए । गांधी जी स्वाधीनता आंदोलन के निर्विवाद नेता थे, जिनके सरनेम के टैग से आज भी भारतीय राजनीति का एक परिवार जाना जाता है, ने आन्दोलन की धार तेज करने के लिए उन्हें सरकारी आदेशों की अवज्ञा का विचार आया । गांधी जी ने इसे ' सविनय अवज्ञा ' आंदोलन कहा । मार्च 1940 में उनसे बार - बार पूछा जा रहा था कि सविनय अवज्ञा आंदोलन कब शुरू करेंगें ? गांधी जी ने कांग्रेस कार्यसमिति में कहा , ' देश अभी सविनय अवज्ञा आंदोलन के लिए तैयार नहीं है । छोटी सी अनुशासनबद्ध कांग्रेस को लेकर मैं विश्व से लड़ सकता हूं , लेकिन कांग्रेस लचर है । सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू किया गया तो ' अवज्ञा ' ही बचेगी , ' सविनय ' लप्त हो जाएगा । गांधी जी के आंदोलन आदर्श में ' सविनय ' महत्वपूर्ण था । अहिंसा और भी महत्वपूर्ण । उन्होंने कहा कि ' कांग्रेस के भीतर अनुशासनहीनता और हिंसा भरी है । ऐसे में सविनय अवज्ञा आंदोलन का एलान आत्महत्या से कम नहीं।

आप सबसे अपील है कि कोई भी बिल एक्ट बनने के बाद भारतीय संविधान का हिस्सा बन जाता है, जिसका विरोध संविधान के दायरे में रहकर ही करना चाहिए,इसलिए  किसी के बहकावे में आकर राष्ट्र के विरोध में कोई कार्य न करें,हमको आप को यहीं रहना है,राष्ट्र विरोधी ताकतों, विचारों को कुचलने का काम करें राष्ट्रीय एकता और अखंडता को बनाए रखने में सहयोग करें।

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