शुभम तिवारी
मदिरा और मादक पदार्थों के मद में मस्त इन मानसिक अस्वस्थ,भारत के भविष्योँ को फूहड़ धुन पर अश्लीलता पूर्वक नृत्य को देखकर समाज का एक तबका जिन्हें इनकी भाषा मे ट्रेडिशनल कहा जाता है, इनसे किनारा करते नजर आते हैं।धीरे धीरे समय बीतता है, मादकता बढ़ती है और ये लोग आपस मे लड़ते देखे जा सकते हैं।कभी कभी यही छोटे छोटे झगड़े किसी की जान तक लेकर ही रुकते हैं।
आज इस तथाकथित 31 सेलिब्रेशन के नाम पर ये जो मदिरा और अन्य गम्भीर नशे के पदार्थों के सेवन का चलन शुरू हुआ है, ये अत्यंत ही चिंतनीय और सुधारणीय विषय है।कैरियर बनाने की उम्र में युवा गंभीर नशे के लती हो जाते हैं, जिससे आगे चलकर ये गम्भीर बिमारी और तो और इनकी यह प्रवृत्ति घरेलू हिंसा के कारण बनने से नही चूकती।
इन सब से परे हम भारतीय उत्सवधर्मिता को पसंद करने वाले लोग हैं।खुशी ढूढ़ने में हम संकोच नही करते हैं।हमारा देश विविधताओं का देश हैं यह तो सभी को सहर्श स्वीकृत है और होना भी चाहिए क्योकी यही हमारा आधार है, परन्तु सेलीब्रेशन के नाम पर हमारे देश के भविष्य युवाओं का नशे की प्रवृत्ति की तरफ झुकाव कतई बर्दाश्त नही होना चाहिये।एक तरफ स्वस्थ और समृद्ध भारत की परिकल्पना और दूसरी तरफ सेलिब्रेशन के नाम पर भयंकर नशे में डूबना बन्द होना चाहिए।नही तो आने वाला समय बहुत ही भयावक होगा।
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