अब खुद को ही हम याद करें।
आओ मिल फरियाद करें
अब खुद को ही हम याद करें।
कुछ भूली भट्टकी यादें हैं
जो सदा सामने रहती हैं
आंखों से अश्रु की धार बहती
ना जाने क्या वह कहती है
कब तक यादों के मोहजल की बुनियाद धरे
हम खुद ही खुद को भूल गए,
अब खुद को ही हम याद करें।
कुछ सपने थे,कुछ आशा थी
सब टूट गए मन में घोर निराशा थी
जीवन की इस गोधूलि में
सपनों की नई नीव धरे
हम खुद ही खुद को भूल गए,
अब खुद को ही हम याद करें।
Post a Comment