चिकन पॉक्स छोटी माता या बड़ी माता का रूप नहीं, बल्कि यह वायरस से होने वाली बीमारी है।चिकन पॉक्स छोटी माता या बड़ी माता का रूप नहीं, बल्कि यह वायरस से होने वाली एक संक्रामक बीमारी है। वेरीसेला जोस्टर नामक वायरस इस संक्रमण का कारण है, जो कि खांसने, छींकने या रोगी के सीधे संपर्क में आने से फैलता है। होम्योपैथी चिकित्सा में इस बीमारी का कारगर इलाज है।
डॉ नवनीत तिवारी
असिस्टेंट प्रोफेसर
मुरादाबाद मेडिकल कॉलेज के अनुसार लोगों को चिकन पॉक्स से घबराना नहीं चाहिए और न ही दवा लेने से परहेज करना चाहिए। होम्योपैथी में इस बीमारी का इलाज संभव है। इस दवा को लेने से कोई साइड इफेक्ट भी मरीज पर नहीं होता। इस बीमारी में यह इलाज पूरी तरह से सुरक्षित है। इसलिए इलाज न कराने की भ्रांति से लोगों को दूर रहना चाहिए।
डॉ नवनीत तिवारी अनुसार चिकन पॉक्स न होने देने के लिए बचाव के तौर पर भी यहां दवा दी जाती है, जिससे कि यह बीमारी होने का खतरा कम हो जाता है। यदि परिवार में किसी एक व्यक्ति को चिकन पॉक्स हो जाए तो अन्य व्यक्ति यदि संक्रमण होने से पहले बचाव के तौर पर दी जाने वाली होम्योपैथी खुराक को इस्तेमाल करें तो उनमें चिकन पॉक्स के विरोध में प्रतिरोधक क्षमता विकसित होने लगती है, जिससे यह बीमारी अन्य लोगों में नहीं फैलती। जिस परिवार में कोई व्यक्ति पीड़ित नहीं है, वह लोग भी यह खुराक ले सकते हैं। इससे उन्हें बीमारी होने की संभावना कम हो जाती है।
होम्योपैथी दवाइयां: चिकन पॉक्स से निजात दिलाने के लिए कई तरह की होम्योपैथी दवाइयां मौजूद हैं। इसमें वेरीयूलिनम, मेलेनड्रिनम, रसटॉक्स, एंचिमटार्ट व ऑर्सेनिक एलबी आदि हैं। यह दवाएं तीन से 7 दिन तक दी जाती हैं। इसमें खंट्टी, मीठी व मसालेदार चीजें देना मना होता है।
बीमारी के लक्षण:
बुखार आना, नाक व आंख से पानी बहना, हल्की खुजली होना, शरीर में दाने निकलना इत्यादि। ज्यादा स्थिति बिगड़ने पर कान बहना, सीने में इन्फेक्शन होना, दिमागी बुखार, नर्वस सिस्टम खराब होना, निमोनिया, हृदय की क्षति होना, किडनी, लीवर आदि में संक्रमण भी हो सकता है।
बचाव:
- पीड़ित व्यक्ति को अन्य लोगों के संपर्क में न आने दें।
- घर की खिड़कियां पूरी तरह बंद न करें।
- खाने-पीने में तरल खाद्य पदार्थ जैसे-छाछ, दही, खिचड़ी, दलिया, दाल, जूस, ताजा फल का इस्तेमाल करें।
- पपड़ी सूखने की स्थिति में भी अन्य लोगों के संपर्क में न आने दें ।
चिकन पॉक्स का इलाज न कराने की बात करना भ्रांति के शिवा कुछ नहीं है। इसका होम्योपैथी में इलाज संभव है। यहां इस बीमारी से बचने के लिए भी दवाएं नि:शुल्क उपलब्ध हैं।
डॉ नवनीत तिवारी
असिस्टेंट प्रोफेसर
मुरादाबाद मेडिकल कॉलेज
Post a Comment