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 शैक्षणिक उत्कृष्टता और नेतृत्व क्षमता का राष्ट्रीय सम्मान

शुभम तिवारी 

 
वाराणसी। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के शिक्षा संकाय में अपनी विद्वत्ता, नेतृत्व और समर्पण से शिक्षा जगत में अद्वितीय पहचान बना चुके प्रो. सान्तनु कुमार स्वाई को सिक्किम विश्वविद्यालय के नव नियुक्त कुलपति के रूप में प्रतिष्ठित किया गया है। यह नियुक्ति न केवल उनके शैक्षणिक जीवन का मील का पत्थर है, बल्कि बीएचयू की अकादमिक परंपरा के लिए भी एक गौरवपूर्ण क्षण है।

प्रो. स्वाई का शिक्षा के क्षेत्र में योगदान चार दशकों से भी अधिक का रहा है। वर्ष 2007 में उन्होंने बीएचयू में प्रोफेसर के रूप में कार्यभार ग्रहण किया और तब से शिक्षा संकाय में उन्होंने ज्ञान, अनुसंधान और नैतिक मूल्यों के समन्वय को सशक्त बनाया। जून 2020 से मई 2023 तक संकाय प्रमुख (डीन) के रूप में उन्होंने संकाय को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय मंचों पर विशिष्ट पहचान दिलाई।

उनके कार्यकाल में न केवल शोध की गुणवत्ता में वृद्धि हुई, बल्कि अकादमिक अनुशासन, नवाचार और समावेशी शिक्षा की अवधारणाओं को भी नई दिशा मिली। उनके नेतृत्व में शिक्षा संकाय शैक्षणिक उत्कृष्टता का आदर्श बन गया, जिससे छात्र, शोधार्थी और संकाय सदस्य सभी प्रेरित हुए।

ओड़िशा से आने वाले प्रो. स्वाई ने सदैव भारतीय ज्ञान परंपरा को आधुनिक शैक्षणिक दृष्टिकोण से जोड़ा है। उनकी यह नियुक्ति यह संकेत देती है कि देश की केंद्रीय विश्वविद्यालय प्रणाली अब अनुभवी शिक्षकों को नेतृत्व सौंप कर नई दिशा की ओर अग्रसर है।

 सिक्किम विश्वविद्यालय को मिलेगा मजबूत नेतृत्व:

प्रो. स्वाई जैसे दूरदर्शी कुलपति के नेतृत्व में सिक्किम विश्वविद्यालय में गुणवत्ता आधारित शैक्षणिक सुधार, अनुसंधान में नवाचार, और विद्यार्थियों की समग्र उन्नति सुनिश्चित होगी।

बीएचयू परिवार के लिए यह नियुक्ति एक प्रेरणा है, जो यह सिद्ध करती है कि यहां का शिक्षण वातावरण, नेतृत्व विकास और अनुसंधान की संस्कृति देश के उच्च शैक्षणिक पदों तक पहुंचने का मार्ग प्रशस्त करती है।



जन-जागरण हेतु काव्य प्रस्तुति

रचयिता – विजय तिवारी

(समाजसेवी, समालोचक, पूर्वांचल न्याय मंच)


।।पुर्वांचल और पलायन ।।

  (अविकसित पिछड़ा  पुर्वांचल का दर्द)

                           

 विकास से अछूता जब-तक पुर्वांचल रहेगा,

विकास का हर वादा अधूरा रहेगा ।

हर घर से पलायन  जब-तक  न रुकेगा,

विकास का बाजा झूठा बजेगा ।

विकास का हर स्वप्न अधूरा रहेगा ,

नौकरी युवाओं को जब-जक न मिलेगा।

शिक्षा का हर उद्देश्य अधूरा रहेगा,

युवा जब-तलक बेरोज़गार रहेगा  ।

नोएडा जैसे विकास पुर्वांचल को कब मिलेगा,

सौतेले का डंस हम और  न सहेगा।

हर घर को रोशनी तभी मिलेगी ,

जब विकास की गाड़ी पुर्वांचल में चलेगी।

बेरोज़गारी जब- तक हर घर में रहेगी,

हर घर से मैयत उठतीं रहेंगी।

पुर्वांचल जब तक न  सुधरेगा,

मानवता का हर चेहरा कलंकित रहेगा।

न्याय जब तक न हमको मिलेगा,

स्वतंत्रता का अर्थ अधूरा रहेगा।

विकास से अधूरा जब-तक पूर्वांचल रहेगा,

हर श्राप सत्ता को लगता रहेगा।

हर पार्टी का सर शर्म से झुकता रहेगा,

दौरा जब- जब वह पुर्वांचल का करेगा।

विकास से अछूता जब-तक पुर्वांचल रहेगा,

विकास का हर वादा अधूरा रहेगा।।


पूर्वांचल न्याय मंच का संदेश स्पष्ट है:

“हमें भी चाहिए शिक्षा, रोज़गार और न्याय –

वरना हर बार चुनाव में केवल मौन नहीं, प्रतिकार होगा!”

 

स्ट्रॉबेरी पर नैनो यूरिया के प्रभाव संबंधी शोध रहा चर्चा में, डॉ. साकेत मिश्र के निर्देशन में किया उत्कृष्ट कार्य


वाराणसी।

काशी की ज्ञान-परंपरा में एक और सुनहरा अध्याय जुड़ गया है। वाराणसी निवासी और यूपी कॉलेज, वाराणसी में वाणिज्य संकाय के प्रोफेसर रहे डॉ. अवधेश सिंह के पुत्र अतुल कुमार सिंह ने फल विज्ञान (Pomology) विषय में शोध कार्य पूर्ण कर विद्या वाचस्पति (Ph.D.) की उपाधि प्राप्त की है।


अतुल कुमार सिंह का शोध विषय "Effect of different levels of nano urea on growth, yield and quality of strawberry (Fragaria × ananassa) cv. Winter Dawn under Prayagraj agro climatic condition" रहा, जिसमें उन्होंने प्रयागराज की जलवायु में स्ट्रॉबेरी की फसल पर नैनो यूरिया के विभिन्न स्तरों के प्रभावों का वैज्ञानिक विश्लेषण प्रस्तुत किया।


यह शोध समकालीन बागवानी तकनीकों, सतत कृषि और पोषण गुणवत्ता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। उन्होंने यह कार्य समकालीन उद्यान विज्ञान के विशेषज्ञ डॉ. साकेत मिश्र के निर्देशन में शुआट्स (SHUATS), प्रयागराज में सम्पन्न किया।


शोध कार्य की गुणवत्ता, व्यवहारिक उपयोगिता और वैज्ञानिक दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए विश्वविद्यालय ने उन्हें विद्या वाचस्पति की उपाधि से सम्मानित किया। इस सफलता पर उनके परिवार, शोध निर्देशक, शैक्षणिक समुदाय और मित्रों में हर्ष की लहर है।


शोधकर्ता अतुल कुमार सिंह की यह उपलब्धि ना केवल उनके व्यक्तिगत परिश्रम का परिणाम है, बल्कि यह युवाओं के लिए शोध एवं नवाचार के क्षेत्र में प्रेरणा का स्रोत भी है। वाराणसी के शैक्षणिक और बौद्धिक जगत में उनकी इस उपलब्धि की सराहना

 हो रही है।


शुभम तिवारी (शोध छात्र)


शांति के हर प्रयास को इस कुटिल कौरव ने छल से कुचला है।

ये वही गजनी, गोरी प्रवृत्ति है जिसने अतीत में गायों को ढाल, और स्त्रियों को कवच बना धर्म के खिलाफ अधर्म का युद्ध लड़ा था।


रामचरितमानस में  प्रातः स्मरणीय तुलसीदास जी चेताते हैं - 

"सठ सुधरहिं न प्रीति बिनु, भय बिनु नहिं प्रीत।

बिनु प्रीति भय होइ नहीं, विनय न मान खल कीत॥"

(दुष्ट न प्रेम से सुधरते हैं, न विनय से; उन्हें केवल दंड ही रास्ते पर लाता है।)


तो क्या बार-बार छल सहें?

नहीं! अब श्री राम जी जैसा निर्णय लेना होगा।


जिस दिन भारत ने यह ठान लिया कि

"अब कीजै निपट निपात।

शठ सुधरहिं न पारिनहिं प्रीति , विनय न सज्जन जानत भीति॥"

(दुष्ट विनय से, प्रेम से या ज्ञान से नहीं, सिर्फ दंड से सुधरते हैं)

 

उसी दिन निर्णायक विजय की आधारशिला रखी जाएगी।


अब यह सवाल नहीं रह गया कि "क्या युद्ध होगा?"

अब यह तय करना है - 

"कब और कैसे, ताकि निर्णायक हो?"

शांति तभी पवित्र होती है जब उसका आधार धर्म और न्याय हो,

छल और आतंक के साथ नहीं।

क्या अब समय आ गया है?

जब दुश्मन शांति को कमजोरी समझे,

जब हर सीज़फायर के पीछे छुपा हो कोई साज़िश,


जब हर बातचीत के बाद सीमा पर लहू बहाया जाए—

तो युद्ध सिर्फ उत्तर नहीं, कर्तव्य बन जाता है।


“मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम जी ने भी युद्ध का मार्ग तब चुना जब मर्यादा का अपमान हुआ।

अब भारत को भी रामधनुष उठाना होगा।”

भारत अब निर्णायक मोड़ पर है—

युद्ध होगा – क्योंकि अब रण ही शांति का एकमात्र रास्ता है।

पाकिस्तान को अब वही उत्तर चाहिए जो राम ने रावण को दिया था , भगवान श्रीमुरलीधर ने कौरवों को दिया था - 

शक्ति से, धर्म से, और निर्णायक युद्ध से!


“जब शांति को कायरता समझा जाए,

    तब रण ही धर्म होता है।”

      जयतु भारतम , वंदे भारत मातरम 

              



विषय: "Advertising Promotion & Other Aspects of Integrated Marketing Communications"


अयोध्या:डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के व्यवसाय प्रबंध एवं उद्यमिता विभाग के सहायक आचार्य डॉ. प्रवीण कुमार राय द्वारा रचित पुस्तक "Advertising Promotion & Other Aspects of Integrated Marketing Communications" हाल ही में प्रकाशित हुई है। यह पुस्तक एकीकृत विपणन संप्रेषण (Integrated Marketing Communication) के विविध पहलुओं पर गहन दृष्टि प्रदान करती है और समकालीन विज्ञापन व प्रचार तकनीकों को समझने में पाठकों की सहायता करती है।


पुस्तक में पारंपरिक से लेकर डिजिटल विज्ञापन तक की प्रवृत्तियों, उपभोक्ता व्यवहार, ब्रांड संप्रेषण, प्रमोशनल मिक्स, और पब्लिक रिलेशन्स के व्यावहारिक और अकादमिक पहलुओं को प्रभावशाली रूप से प्रस्तुत किया गया है। यह कृति प्रबंधन एवं विपणन के विद्यार्थियों, शोधकर्ताओं तथा उद्योग जगत के पेशेवरों के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगी।


पुस्तक के प्रकाशन पर विभागाध्यक्ष प्रोफेसर हिमांशु शेखर सिंह सहित प्रोफेसर शैलेन्द्र वर्मा, प्रोफेसर राणा रोहित, डॉ. कपिल देव, डॉ. अनुराग तिवारी, डॉ. निमिष मिश्रा, डॉ. दीपा सिंह एवं डॉ. राम जीत सिंह ने डॉ. राय को बधाई दी। इसके अतिरिक्त विभाग के अनेक शिक्षकों एवं विद्यार्थियों ने भी उन्हें इस शैक्षणिक उपलब्धि पर शुभकामनाएं दीं और इसे विभाग की बौद्धिक उपलब्धियों में एक महत्वपूर्ण योगदान बताया।

लेखक: ई. विजय तिवारी 

पहलगाम की बर्फीली वादियों में,

शांति की चादर फटी अचानक।

जहाँ खिलते थे सपनों के फूल,

वहीं बरसी मौत की साज़िश 

भयानक।


“क्या नाम है?” - पहला सवाल था ,

आतंकी की आँखों में खून था। ज

“राम? श्याम?” - नाम पे सजा मिली,

हिंदू थे, बस यही वजह काफी थी।

कपड़े उतरवाए, पैंट खुलवाई,

शरीर पे धर्म की पहचान पाई।

न देखा मासूम है या जवान,

बस तिलक नहीं, पर कुल था जान।


जिसने गाया कभी वेद का गीत,

जिसने पूजा तुलसी की प्रीत।

उसे मार दिया नाम के कारण,

ये कैसा न्याय? ये कैसी रीत?


रोया पहाड़, कांपे पग- पग,

वो घाटी बनी नरसंहार की नग।

जहाँ जन्मे थे कश्यप ऋषि के वंशज,

आज वहाँ बहा सनातन का रज।


ना कोई विरोध, ना कोई साज़,

केवल खून और मौन आवाज़।

मीडिया चुप, शासन निठल्ला,

कश्मीर फिर बना कुर्बानी का पल्ला।


हमें अब न कैंडल, न जलूस चाहिए,

हमें गर्जता हुआ संघर्ष चाहिए।

हर सनातनी को जगना होगा,

अब और नहीं सहना होगा।


ये केवल हत्या नहीं, अपमान है,

धरती माँ का चीरहरण समान है।

अब या तो उठो, या भूल जाओ,

अपने धर्म को - मरने दो, या बचाओ।


✍️ 

            लेखक 

      सामाजिक चिंतक

(हिंदू स्वाभिमान की आवाज़)

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