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फाइल फोटो, डॉ योगेश श्रीवास्तव |
MD Anderson से नई ऊँचाई की ओर भारतीय मूल के वैज्ञानिक की उड़ान
भारतीय मूल के प्रतिभाशाली वैज्ञानिक डॉ. योगेश श्रीवास्तव को अमेरिका के प्रतिष्ठित University of Texas Health Science Center at Houston (UTHealth Houston) के McWilliams School of Biomedical Informatics में सीनियर रिसर्च साइंटिस्ट नियुक्त किया गया है। यह उपलब्धि उनके करियर का महत्वपूर्ण पड़ाव है, जिसे उन्होंने MD Anderson Cancer Center में पोस्टडॉक्टोरल फेलो के रूप में सफल अनुसंधान कार्य के बाद प्राप्त किया है।
शिक्षा और शोध की गौरवशाली यात्रा
फैजाबाद (उत्तर प्रदेश) से निकलकर डॉ. श्रीवास्तव ने जीव विज्ञान में स्नातक (2006, डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय), जैव प्रौद्योगिकी में स्नातकोत्तर (2009, HNB गढ़वाल विश्वविद्यालय) और फिर चीनी सरकार की छात्रवृत्ति पर University of Chinese Academy of Sciences से पीएचडी (बायोकेमिस्ट्री एवं आणविक जीव विज्ञान, 2020) की। इसके बाद उन्होंने MD Anderson Cancer Center, ह्यूस्टन में प्रो. गाल्को के मार्गदर्शन में Hedgehog (Hh) signaling pathway पर शोध किया, जो दर्द संवेदना और न्यूरोडेवलपमेंट के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
पुरस्कार और उपलब्धियाँ
- Dodie P. Hawn Award (2023) : पोस्टडॉक्टोरल फेलो के रूप में उत्कृष्ट योगदान के लिए।
- GIBH Outstanding Students Award (2018, चीन)।
- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 25+ शोध पत्र प्रकाशित।
- न्यूरोसाइंस, कैंसर अनुसंधान, सेल बायोलॉजी और बायोइंफॉर्मेटिक्स में विशेषज्ञता।
भारत और विदेश में योगदान
अमेरिका जाने से पूर्व डॉ. श्रीवास्तव ने भारत के प्रतिष्ठित संस्थानों —AIIMS नई दिल्ली, NICPR नोएडा और ICAR-IIVR वाराणसी में सीनियर रिसर्च फेलो के रूप में कार्य किया। वे जर्मनी के सारलैंड विश्वविद्यालय में विजिटिंग साइंटिस्ट भी रहे। साथ ही उन्होंने ICMR-INSERM बायोबैंक की स्थापना में योगदान दिया और 50+ छात्रों को बायोइंफॉर्मेटिक्स की शिक्षा दी।
UTHealth Houston में सीनियर रिसर्च साइंटिस्ट के रूप में डॉ. श्रीवास्तव अब बायोमेडिकल इंफॉर्मेटिक्स और स्वास्थ्य तकनीक अनुसंधान में अग्रणी परियोजनाओं का नेतृत्व करेंगे।फैजाबाद से शुरू हुई शैक्षणिक यात्रा का ह्यूस्टन तक पहुँचना भारतीय वैज्ञानिक क्षमता और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है। डॉ. योगेश श्रीवास्तव की यह उपलब्धि न केवल उनके व्यक्तिगत करियर की बड़ी छलांग है, बल्कि विश्व मंच पर भारतीय वैज्ञानिक समुदाय की साख को और मजबूत करती है।
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