नमस्कार, आज का दिन महिलाओं के योगदान, उनके त्याग और साहस को समर्पित है। तो वहीं संयोग की बात है कि आज ही के दिन शक्ति के प्रतीक भगवान शिव का पर्व महाशिवरात्रि भी है।
आज नारी शक्ति की बातें हो रही हैं, समाज में औरतों के उत्थान के लिए कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। कहीं न कहीं औरतें पीड़ित और प्रताड़ित रही हैं, लेकिन हमारे आज के भारत में महिलाओं को वो सभी अधिकार प्राप्त हैं जो एक पुरुष को।
कला से लेकर खेल, बिजनेस, साइंस से लेकर टेक्नोलॉजी हर क्षेत्र में महिलाओं ने झंडे गाड़े हैं।
महिलाएं अब हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं लेकिन इस तरह की महिलाओं की सक्रियता के नुकसान को भी नजरंदाज नहीं किया जा सकता।
किसी भी परिवार को जोड़कर रखने में महिलाओं का अहम रोल होता है, महिलाओं का अपने पैर पर खड़ा होना अच्छी बात है, नौकरी करके घर चलाने में अपना योगदान देना भी बढ़िया है, लेकिन कभी कभी महिलाओं को उनकी नौकरी के आगे सब कुछ छोटा लगने लगता है, उनके लिए परिवार के कोई मायने नहीं रह जाते, कुछ लड़कियां शादी के बाद संयुक्त परिवार के साथ रहना पसंद नहीं करती, जिससे तलाक़ के मामले बढ़ रहे है। क्या परिवार में बिना महिलाओं की भागेदारी के एक बेहतर परिवार और बेहतर समाज का निर्माण किया जा सकता है?
अगर हां तो समाज में जिस तरह महिलाओं का बड़ा योगदान है, उसी तरह पुरुष भी परिवार, समाज और राष्ट्र का ऐसा स्तम्भ है, जिसके बिना सब कुछ अधूरा है।
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