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सफलता सुविधाओं की मोहताज नहीं होती, अगर लगन के साथ लक्ष्य को हासिल करने के लिए मेहनत की जाए तो सफलता निश्चित मिलती है। ऐसा ही कादीपुर तहसील के सूरापुर कस्बे के निवासी एक युवक ने कर दिखाया है।

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उत्तर प्रदेश में सुलतानपुर जिले के निवासी एक होनहार युवक अलंकार मिश्रा ने अपनी मेहनत के दम पर यूपीएससी में सफलता का परचम लहराया है। युवक का चयन डीपीए यानी डेटा प्रोसेसिंग सहायक के पद पर हुआ है। अथक परिश्रम और माता-पिता के आर्शीर्वाद से अलंकार का चयन यूपीएससी में हुआ है।

बता दें कि अलंकार मिश्रा का चयन संघ लोक सेवा आयोग के तहत डीपीए यानी डेटा प्रोसेसिंग सहायक के पद पर हुआ है। उनकी इस सफलता से उनके माता-पिता सहित परिवार के अन्य सदस्य काफी खुश हैं। साथ-साथ ही कस्बे के लोगों में अलंकार की सफलता से उत्साह नजर आया।

बताते चलें, अलंकार इतने होनहार हैं कि उन्होंने डीपीए में चयन होने से पहले ही यूजीसी नेट क्वॉलीफाई कर लिया था। फिर अपनी लगन और मेहनत के दम पर यूपीएससी में भी सफलता का परचम लहराया। अलंकार के पिता का नाम ब्रह्म कुवंर मिश्रा है। वहीं, उनके बड़े भाई का नाम ब्रह्मेश कुमार मिश्रा है, जो एसआई के पद पर कार्यरत हैं। अलंकार के छोटे भाई केएनआई से एलएलबी किए हुए हैं, जो जिला एवं सत्र न्यायालय सुलतानपुर में वकालत कर रहे हैं। देश की सबसे बड़ी परीक्षा देकर सफलता हासिल करने में अलंकार के माता-पिता सहित उनके पूरे परिवार का सहयोग रहा।



राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का नाम आज सर्वत्र चर्चा में है. संघ कार्य का बढ़ता व्याप देख कर संघ विचार के विरोधक चिंतित होकर संघ का नाम बार-बार उछाल रहे हैं. अपनी सारी शक्ति और युक्ति लगाकर संघ विचार का विरोध करने के बावजूद यह राष्ट्रीय शक्ति क्षीण होने के बजाय बढ़ रही है, यह उनकी चिंता और उद्वेग का कारण है. दूसरी ओर राष्ट्रहित में सोचने वाली सज्जन शक्ति संघ का बढ़ता प्रभाव एवं व्याप देख कर भारत के भविष्य के बारे में अधिक आश्वस्त होकर संघ के साथ या उसके सहयोग से किसी ना किसी सामाजिक कार्य में सक्रिय होने के लिए उत्सुक हैं। संघ की इस बढती शक्ति का कारण शाश्वत सत्य पर आधारित संघ का शुद्ध राष्ट्रीय विचार एवं इसके लिए तन–मन–धन पूर्वक कार्य करने वाले कार्यकर्ताओं की अखंड श्रृंखला है.

संघ का यह विशाल वटवृक्ष एक तरफ नई आकाशीय ऊंचाइयां छूता दिखता है, वहीँ उसकी अनेक जटाएं धरती में जाकर इस विशाल विस्तार के लिए रस पोषण करने हेतु नई-नई जमीन तलाश रही हैं, तैयार कर रही हैं. इस सुदृढ़, विस्तृत और विशाल वटवृक्ष का बीज कितना पुष्ट एवं शुद्ध होगा इसकी कल्पना से ही मन रोमांचित हो उठता है. 

नागपुर में वर्ष प्रतिपदा के पावन दिन 1 अप्रैल, 1889 को जन्मे केशव हेडगेवार जन्मजात देशभक्त थे. आजादी के आन्दोलन की आहट भी मध्य प्रान्त के नागपुर में सुनाई नहीं दी थी और केशव के घर में राजकीय आन्दोलन की ऐसी कोई परंपरा भी नहीं थी, तब भी शिशु केशव के मन में अपने देश को गुलाम बनाने वाले अंग्रेज के बारे में गुस्सा तथा स्वतंत्र होने की अदम्य इच्छा थी, ऐसा उनके बचपन के अनेक प्रसंगों से ध्यान में आता है. रानी विक्टोरिया के राज्यारोहण के हीरक महोत्सव के निमित्त विद्यालय में बांटी मिठाई को केशव द्वारा (उम्र 8 साल) कूड़े में फेंक देना या जॉर्ज पंचम के भारत आगमन पर सरकारी भवनों पर की गई रोशनी और आतिशबाजी देखने जाने के लिए केशव (उम्र 9 साल) का मना करना ऐसे कई उदहारण हैं.

बंग-भंग विरोधी आन्दोलन का दमन करने हेतु वन्देमातरम के प्रकट उद्घोष करने पर लगी पाबन्दी करने वाले रिस्ले सर्क्युलर की धज्जियाँ उड़ाते हुए 1907 में विद्यालय निरीक्षक के स्वागत में प्रत्येक कक्षा में वन्देमातरम का उद्घोष करवा कर, उनका स्वागत करने की योजना केशव की ही थी. इसके माध्यम से अपनी निर्भयता, देशभक्ति तथा संगठन कुशलता का परिचय केशव ने सबको कराया. वैद्यकीय शिक्षा की सुविधा मुंबई में होते हुए भी क्रन्तिकारी आंदोलन का प्रमुख केंद्र होने के कारण कोलकाता जाकर वैद्यकीय शिक्षा प्राप्त करने का उन्होंने निर्णय लिया और शीघ्र ही क्रान्तिकारी आन्दोलन की शीर्ष संस्था अनुशीलन समिति के अत्यंत अंतर्गत मंडली में उन्होंने अपना स्थान पा लिया. 1916 में नागपुर वापिस आने पर घर की आर्थिक दुरावस्था होते हुए भी, डॉक्टर बनने के बाद अपना व्यवसाय या व्यक्तिगत जीवन – विवाह आदि करने का विचार त्याग कर पूर्ण शक्ति के साथ स्वतंत्रता आन्दोलन में उन्होंने अपने आप को झोंक दिया. 

1920 में नागपुर में होने वाले कांग्रेस के अधिवेशन की व्यवस्था के प्रबंधन की जिम्मेदारी डॉक्टर जी के पास थी. इस हेतु उन्होंने 1200 स्वयंसेवकों की भरती की थी. कांग्रेस की प्रस्ताव समिति के सामने उन्होंने दो प्रस्ताव रखे थे. भारत के लिए पूर्ण स्वतंत्रता और विश्व को पूँजीवाद के चंगुल से मुक्त करना, यह कांग्रेस का लक्ष्य होना चाहिए. पूर्ण स्वतंत्रता का प्रस्ताव कांग्रेस ने संघ स्थापना के बाद 1930 में स्वीकार कर पारित किया, इसलिए डॉक्टर जी ने संघ की सभी शाखाओं पर कांग्रेस का अभिनन्दन करने का कार्यक्रम करने के लिए सूचना दी थी. इससे डॉक्टर जी की दूरगामी एवं विश्वव्यापी दृष्टि का परिचय होता है.  

व्यक्तिगत मतभिन्नता होने पर भी साम्राज्य विरोधी आन्दोलन में सभी ने साथ रहना चाहिए. और यह आन्दोलन कमजोर नहीं होने देना चाहिए ऐसा वे सोचते थे. इस सोच के कारण ही खिलाफत आन्दोलन को कांग्रेस का समर्थन देने की महात्मा गाँधी जी की घोषणा का विरोध होने के बावजूद उन्होंने अपनी नाराजगी खुलकर प्रकट नहीं की तथा गांधीजी के नेतृत्व में असहयोग आन्दोलन में वे बेहिचक सहभागी हुए.

स्वतंत्रता प्राप्त करना किसी भी समाज के लिए अत्यंत आवश्यक एवं स्वाभिमान का विषय है किन्तु वह चिरस्थायी रहे तथा समाज आने वाले सभी संकटों का सफलतापूर्वक सामना कर सके, इसलिए राष्ट्रीय गुणों से युक्त और सम्पूर्ण दोषमुक्त, विजय की आकांक्षा तथा विश्वास रख कर पुरुषार्थ करने वाला, स्वाभिमानी, सुसंगठित समाज का निर्माण करना अधिक आवश्यक एवं मूलभूत कार्य है. यह सोच कर डॉक्टर जी ने 1925 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की. प्रखर ध्येयनिष्ठा, असीम आत्मीयता और अपने आचरण के उदाहरण से युवकों को जोड़ कर उन्हें गढ़ने का कार्य शाखा के माध्यम से शुरू हुआ. शक्ति की उपासना, सामूहिकता, अनुशासन, देशभक्ति, राष्ट्रगौरव तथा सम्पूर्ण समाज के लिए आत्मीयता और समाज के लिए निःस्वार्थ भाव से त्याग करने की प्रेरणा इन गुणों के निर्माण हेतु अनेक कार्यक्रमों की योजना शाखा नामक अमोघ तंत्र में विकसित होती गयी. सारे भारत में प्रवास करते हुए अथक परिश्रम से केवल 15 वर्ष में ही आसेतु हिमालय, सम्पूर्ण भारत में संघ कार्य का विस्तार करने में वे सफल हुए.

अपनी प्राचीन संस्कृति एवं परम्पराओं के प्रति अपार श्रद्धा तथा विश्वास रखते हुए भी आवश्यक सामूहिक गुणों की निर्मिती हेतु आधुनिक साधनों का उपयोग करने में उन्हें जरा सी भी हिचक नहीं थी. अपने आप को पीछे रखकर अपने सहयोगियों को आगे करना, सारा श्रेय उन्हें देने की उनकी संगठन शैली के कारण ही संघ कार्य की नींव मजबूत बनी.

संघ कार्य आरंभ होने के बाद भी स्वातंत्र्य प्राप्ति के लिए समाज में चलने वाले तत्कालीन सभी आंदोलनों के साथ न केवल उनका संपर्क था, बल्कि उसमें समय-समय पर वे व्यक्तिगत तौर पर स्वयंसेवकों के साथ सहभागी भी होते थे. 1930 में गांधीजी के नेतृत्व में शुरू हुए सविनय कानून भंग आन्दोलन में सहभागी होने के लिए उन्होंने विदर्भ में जंगल सत्याग्रह में व्यक्तिगत तौर पर स्वयंसेवकों के साथ भाग लिया तथा 9 मास का कारावास भी सहन किया. इस समय भी व्यक्ति निर्माण एवं समाज संगठन का नित्य कार्य अविरत चलता रहे, इस हेतु उन्होंने अपने मित्र एवं सहकारी डॉ. परांजपे को सरसंघचालक पद का दायित्व सौंपा था तथा संघ शाखाओं पर प्रवास करने हेतु कार्यकर्ताओं की योजना भी की थी. उस समय समाज कांग्रेस–क्रान्तिकारी, तिलकवादी–गाँधीवादी, कांग्रेस–हिन्दु महासभा ऐसे द्वंद्वों में बंटा हुआ था. डॉक्टर जी इस द्वंद्व में ना फंस कर, सभी से समान नजदीकी रखते हुए कुशल नाविक की तरह संघ की नाव को चला रहे थे.

संघ को समाज में एक संगठन न बनने देने की विशेष सावधानी रखते हुए उन्होंने संघ को सम्पूर्ण समाज का संगठन के नाते ही विकसित किया. संघ कार्य को सम्पूर्ण स्वावलंबी एवं आत्मनिर्भर बनाते हुए उन्होंने बाहर से आर्थिक सहायता लेने की परंपरा नहीं रखी. संघ के घटक, स्वयंसेवक ही कार्य के लिए आवश्यक सभी धन, समय, परिश्रम, त्याग देने हेतु तत्पर हो, इस हेतु गुरु दक्षिणा की अभिनव परंपरा संघ में शुरू की. इस चिरपुरातन एवं नित्यनूतन हिन्दू समाज को सतत् प्रेरणा देने वाले, प्राचीन एवं सार्थक प्रतीक के नाते भगवा ध्वज को गुरु के स्थान पर स्थापित करने का उनका विचार, उनके दूरदृष्टा होने का परिचायक है. व्यक्ति चाहे कितना भी श्रेष्ठ क्यों ना हो, व्यक्ति नहीं, तत्वनिष्ठा पर उनका बल रहता था. इसके कारण ही आज 9 दशक बीतने के बाद भी, सात–सात पीढ़ियों से संघ कार्य चलने के बावजूद संघ कार्य अपने मार्ग से ना भटका, ना बंटा, ना रुका.

संघ संस्थापक होने का अहंकार उनके मन में लेशमात्र भी नहीं था. इसीलिए सरसंघचालक पद का दायित्व सहयोगियों का सामूहिक निर्णय होने कारण 1929 में उसे उन्होंने स्वीकार तो किया, परन्तु 1933 में संघचालक बैठक में उन्होंने अपना मनोगत व्यक्त किया. उसमें उन्होंने कहा –

“राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का जन्मदाता या संस्थापक मैं ना हो कर आप सब हैं, यह मैं भली-भांति जानता हूँ. आप के द्वारा स्थापित संघ का, आपकी इच्छानुसार, मैं एक दाई का कार्य कर रहा हूँ. मैं यह काम आपकी इच्छा एवं आज्ञा के अनुसार आगे भी करता रहूँगा तथा ऐसा करते समय किसी प्रकार के संकट अथवा मानापमान की मैं कतई चिंता नहीं करूँगा. 

आप को जब भी प्रतीत हो कि मेरी अयोग्यता के कारण संघ की क्षति हो रही है, तो आप मेरे स्थान पर दूसरे योग्य व्यक्ति को प्रतिष्ठित करने के लिए स्वतंत्र हैं. आपकी इच्छा एवं आज्ञा से जितनी सहर्षता के साथ मैंने इस पद पर कार्य किया है, इतने ही आनंद से आप द्वारा चुने हुए नए सरसंघचालक के हाथ सभी अधिकार सूत्र समर्पित करके उसी क्षण से उसके विश्वासु स्वयंसेवक के रूप में कार्य करता रहूँगा. मेरे लिए व्यक्तित्व के मायने नहीं है; संघ कार्य का ही वास्तविक अर्थ में महत्व है. अतः संघ के हित में कोई भी कार्य करने में मैं पीछे नहीं हटूंगा”

संघ संस्थापक डॉ. हेडगेवार के ये विचार उनकी निर्लेप वृत्ति एवं ध्येय समर्पित व्यक्तित्व का दर्शन कराते है.


सामूहिक गुणों की उपासना तथा सामूहिक अनुशासन, आत्मविलोपी वृत्ति स्वयंसेवकों में निर्माण करने हेतु भारतीय परंपरा में नए ऐसे समान गणवेश, संचलन, सैनिक कवायद, घोष, शिविर आदि कार्यक्रमों को संघ कार्य का अविभाज्य भाग बनाने का अत्याधुनिक विचार भी डॉक्टर जी ने किया. संघ कार्य पर होने वाली आलोचना को अनदेखा कर, उसकी उपेक्षा कर वादविवाद में ना उलझते हुए सभी से आत्मीय सम्बन्ध बनाए रखने का उनका आग्रह रहता था.

“वादो ना S वलम्ब्यः ” और “ सर्वेषाम् अविरोधेन” ऐसी उनकी भूमिका रहती थी. प्रशंसा और आलोचना में - दोनों ही स्थिति में डॉ. हेडगेवार अपने लक्ष्य, प्रकृति और तौर तरीकों से तनिक भी नहीं डगमगाते. संघ की प्रशंसा उत्तरदायित्व बढाने वाली प्रेरणा तथा आलोचना को आलोचक की अज्ञानता का प्रतीक मान कर वह अपनी दृढ़ता का परिचय देते रहे.

1936 में नासिक में शंकराचार्य विद्याशंकर भारती द्वारा डॉक्टर हेडगेवार को “राष्ट्र सेनापति” उपाधि से विभूषित किया गया, यह समाचार, समाचार पत्र में प्रकाशित हुआ. डॉक्टर जी के पास अभिनन्दन पत्र आने लगे. पर उन्होंने स्वयंसेवकों को सूचना जारी करते हुए कहा कि “हम में से कोई भी और कभी भी इस उपाधि का उपयोग ना करे. उपाधि हम लोगों के लिए असंगत है.” उनका चरित्र लिखने वालों को भी डॉक्टर जी ने हतोत्साहित किया. “तेरा वैभव अमर रहे माँ, हम दिन चार रहें ना रहें” यह परंपरा उन्होंने संघ में निर्माण की.

शब्दों से नहीं, आचरण से सिखाने की उनकी कार्य पद्धति थी. संघ कार्य की प्रसिद्धि की चिंता ना करते हुए, संघ कार्य के परिणाम से ही लोग संघ कार्य को महसूस करेंगे, समझेंगे तथा सहयोग एवं समर्थन देंगे, ऐसा उनका विचार था. “फलानुमेया प्रारम्भः” याने वृक्ष का बीज बोया है इसकी प्रसिद्धि अथवा चर्चा ना करते हुए वृक्ष बड़ा होने पर उसके फलों का जब सब आस्वाद लेंगे तब किसी ने वृक्ष बोया था, यह बात अपने आप लोग जान लेंगे, ऐसी उनकी सोच एवं कार्य पद्धति थी ।

इसीलिए उनके निधन होने के पश्चात् भी, अनेक उतार-चढाव संघ के जीवन में आने के बाद भी, राष्ट्र जीवन में अनेक उथल-पुथल होने के बावजूद संघ कार्य अपनी नियत दिशा में, निश्चित गति से लगातार बढ़ता हुआ अपने प्रभाव से सम्पूर्ण समाज को स्पर्श और आलोकित करता हुआ आगे ही बढ़ रहा है. संघ की इस यशोगाथा में ही डॉक्टर जी के समर्पित, युगदृष्टा, सफल संगठक और सार्थक जीवन की यशोगाथा है.








 रामनवमी विशेष : मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम भगवान विष्णु के ही अवतार हैं। भगवान विष्णु के अवतार लेने के कारणों में भक्तों के मन में आए विकारों को दूर करना, समस्त लोक में भक्ति का संचार करना, जन-जन के कष्टों का निवारण और भक्तों के लिए भगवान की प्रीति पा सकने की इच्छा पूरी करना प्रमुख हैं। सांसारिक जीवन में काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर, अहंकार, व्यग्रता, आसक्ति, ममता, चिन्ता, असहिष्णुता, अधीरता असंयम और दर्प अनेक तरह के कष्ट होते हैं और उदात्त वृत्तियों के विकास में व्यवधान पड़ता है। रामचरितमानस में इन स्थितियों का वर्णन करते हुए गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैं कि, जब जब होई धर्म की हानि, बारहि असुर अधम अभिमानी। तब तब धर प्रभु विविध शरीरा, हरहि दयानिधि सच्जन पीड़ा। अर्थात जब -जब धर्म का ह्रास होता है, नीच और अभिमानी राक्षस बढ़ जाते हैं और अन्याय करने लगते हैं, पृथ्वी और वहां के निवासी कष्ट पाते हैं तब तब कृपानिधान प्रभु भाँति-भांति के दिव्य शरीर धारण कर सज्जनों की पीड़ा हरते हैं। एक भक्त के रूप में तुलसीदास जी का विश्वास है कि सारा जगत राममय है। सारे जगत में चारों ओर राम को देखना भक्ति की पराकाष्ठा है और समदर्शी होकर ऊपर से दिखने वाले विरोधों और उनसे उपजने वाली विपदाओं से उबरने का उपाय भी। संप्रति समानता से ज्यादा अनोखे, अद्वितीय, सबसे अलग, औरों से कुछ हटकर खुद को दिखने-दिखाने का रिवाज जोरों पर है। औरों से अलग होना निश्चय ही बहुमूल्य है, क्योंकि वह नवीनता लाता है। नवीनता मन के लिए रमणीय होती है और इसलिए वह प्रिय भी हो जाती है। उसे समाज में आदर मिलता है और पुरस्कृत भी किया जाता है, परंतु भिन्नता के अति आग्रह या दुराग्रह कुछ कठिन सवाल भी खड़े करने लगते हैं, जीवन यात्रा नहीं सधती। क्योकि सिर्फ इसी से एक और अनेक के बीच के रिश्ते प्राचीन काल से मनुष्य के सोच के केंद्र में रहे हैं। पुरा काल के सृष्टि के आख्यानों में एक यह भी है कि ईश्वर या परमात्मा को अकेले अच्छा नहीं लग रहा था। तब उसने एक से अनेक होने की इच्छा की। फिर जो भी दूसरा रचा गया उसमें वह स्वयं प्रवेश कर गया। इस आख्यान का एक आशय परमात्मा की उपस्थिति की व्याप्ति को दर्शाना है। ईशावास्योपनिषद् भी यही कहता है कि यह दुनिया ईश्वर की वासस्थली है। इसलिए यहां हर जगह ईश्वर की उपस्थिति है। इस विचार की पराकाष्ठा आदि शंकराचार्य के अद्वैत वेदांत में हुई जिसमें यह प्रतिपादित किया गया कि 'सर्वं खल्विदम् ब्रह्म' अर्थात जो कुछ है वह ब्रह्म ही है। सर्वव्यापी ब्रह्म, ईश्वर या परमात्मा की संकल्पना जीवन जीने के लिए एक सुदृढ़ आधार प्रदान करती है। तुलसीदास जी मानस में लिखते हैं "सियाराम मय सब जग जानी करहुं प्रनाम जोरि जुग पानी" अर्थात जगत को सीय राममय कहकर भी संभवतः यही भाव व्यक्त कर रहे हैं कि 'सारा जगत एक ही तत्व वाला है या एक ही तत्व का प्रकाश है' इस विचार की प्रतिष्ठा करते दिखते हैं।

वस्तुतः यह मान कर ही सृष्टि मात्र में गुणवत्ता और शक्ति की प्रतिष्ठा हो सकेगी और हम उनका वास्तविक मूल्य समझ सकेंगे। आज हम पृथ्वी, जल, वायु आदि सभी को उपभोग्य वस्तु और खुद को उपभोक्ता मान कर उनका बेहिसाब दोहन करते ' हैं। यह अलग बात है कि अब इस स्वार्थ वृत्ति का हानिकर पहलू सामने आने लगा है। यदि पूरा जगत राममय है तो वह भी श्रीराम की ही भांति पूजनीय वंदनीय हैं। श्रीराम सत्य, तप, तितिक्षा, संतोष, धैर्य और धर्मपरायणता की प्रतिमूर्ति हैं। श्रीराम का भाव परदुखकातरता के साथ प्रतिष्ठित है। राममय होने के साथ यह आशा भी बलवती होती है कि राम के अनुगामियों में इन सब सद्गुणों की वृद्धि होगी। दायित्व आने के साथ शक्ति की उपस्थिति होगी। विरोध - वैमनस्य की जगह आदर एवं सम्मान ले लेंगे। राम को समदर्शी, दीनबंधु, भक्तवत्सल और करुणाकर आदि कहा गया है। जो सीय राममय होगा, वह इन भावों से आप्लावित होगा। उसमें ये भाव उपस्थित होंगे। तब जगत की अनुभूति और प्रतीति की दृष्टि तथा पैमाना बदल जाएगा। राम भाव की उपस्थिति में साम्य देखना संभव होगा और सम्यक् व्यवहार भी सधेगा।सबमें किसी एक तत्व की उपस्थिति सबकी अनुकूलता को द्योतित करती है जिससे सबके हित की संभावना बनती है। ऐसे में सभी एक-दूसरे का भला करना चाहेंगे, क्योंकि तब दूसरा पराया नहीं रह जाएगा। ऐसे ही उदार व्यक्ति के लिए कहा गया कि 'निज' और 'पर' का भेद मिट जाता है। वह अपने में सबको और सबमें अपने को देखता है। इस नए समीकरण में परस्पर भरोसा मुख्य हो जाता है। तब प्रतिरोध कम होता जाता है और परस्पर समर्थन बढ़ता है। सबको अपने जैसा मानने के कई परिणाम होते हैं। अपने अस्तित्व बोध का विस्तार कर जो अपने लिए ठीक या प्रिय नहीं उसे दूसरों के साथ करने से बचते हैं। यह विचार जीवन का पाथेय हो जाता है। तभी 'सर्व' और 'सर्वोदय' की संकल्पना पूरी होगी, सर्वे भवंतु सुखिनः की कामना फलवती होंगी और रामराज्य का संकल्प पूरा होगा।

भेद-बुद्धि को जीवन में अपनाना कितना सतही, भ्रामक और हिंसक है इसका अनुभव हम सब अपने जीवन में नित्यप्रति करते रहते हैं। क्षुद्र मानसिकता वाला यह भाव विचलित कर देने वाला होता है। ऐसी पाप बुद्धि के चलते अहंकार प्रचंड होने लगता है। तब एक-दूसरे को नीचा दिखाना, चोट पहुंचाना, परवाह न करना और आधिपत्य जमाना आसान हो जाता है। अहं भाव की अनर्गल वृद्धि के बीच हम दूसरे या किसी अन्य का अस्तित्व ही नहीं स्वीकार करना चाहते। सीय राममय कहकर तुलसीदास समूची सृष्टि को प्रिय और अभिनंदनीय बनाते हैं। वह यह संदेश भी देते हैं कि जिस लोक में हम सभी विचरण करते हैं सौहार्द और सामंजस्य का आगार है, क्योंकि राम सबके हैं और सबमें उपस्थित हैं। लोकमानस में राम आज भी व्याप्त हैं, तो इसीलिए कि वे स्वयं ही लोकाराधक हैं।

प्रकाश न्यूज़ ऑफ़ इंडिया

16 मार्च 2023

अंकुर पाठक, दोस्तपुर


सुल्तानपुर: प्रदेश में बिजली कर्मचारियों ने हड़ताल शुरू कर दी है. गुरुवार रात से पूरे राज्य में कर्मचारी हड़ताल पर चले गए हैं. कर्मचारियों ने कहा है कि अगर हमारे  किसी कर्मचारी पर एक्शन लिया गया तो वे अनिश्चितकालीन आंदोलन करेंगे. वहीं, मंत्री एके शर्मा ने कहा कि अत्यावश्यक सेवाओं में शामिल विद्युत व्यवस्था में किसी भी प्रकार का व्यवधान डालने पर एस्मा के तहत कार्रवाई की जाएगी.

इसी हड़ताल के मद्देनज़र शांति व्यवस्था बनाए रखने के क्रम में पुलिस अधीक्षक सोमेन वर्मा के निर्देशन में कादीपुर क्षेत्राधिकारी शिवम मिश्रा एवं दोस्तपुर थाना प्रभारी लक्ष्मी कांत मिश्रा द्वारा गुरूवार देर रात दोस्तपुर थाना क्षेत्र के अलहदादपुर बनी, दोस्तपुर क़स्बा एवं गंगापुर भुलिया स्थित पावर हाउस पर पहुंचकर शांति व्यवस्था का जायजा लिया गया और हड़ताल मे शामिल कर्मियों से शांति पूर्वक प्रदर्शन के लिए कहा गया। 

क्षेत्राधिकारी महोदय ने बताया कि अगर कोई व्यक्ति प्रदर्शन के दौरान अराजकता फैलाएगा तो उसके खिलाफ शासन के निर्देशानुसार विधिक कार्रवाई की जाएगी ।

प्रकाश न्यूज़ ऑफ़ इंडिया

गौरव तिवारी 

Last Updated: 6 March 2023, 07:15 PM


सुल्तानपुर: आगामी त्योहारों के दृष्टिगत पुलिस अधीक्षक सोमेन बर्मा ने पूरे जिले की पुलिस को सतर्क रहने एवं क्षेत्र में भ्रमणशील रहने के निर्देश दिए हैं। इसी कड़ी में क्षेत्राधिकारी कादीपुर शिवम् मिश्रा के निर्देशन में थानाध्यक्ष दोस्तपुर लक्ष्मीकांत मिश्रा की टीम द्वारा भी लगातार आगामी त्योहारों के दृष्टिगत कानून व्यवस्था को बनाये रखने एवं किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए गश्त की जा रही है। 

आज शाम जहाँ त्योहारों के मौसम में कस्बे में भारी यातायात बना रहा तो वहीँ ट्रैफिक को सामान्य करने के लिए उपनिरीक्षक वेद प्रकाश शर्मा भी पुलिस बल के साथ पसीना बहाते नजर आये, इस मौके पर कांस्टेबल शिवा, कांस्टेबल आमिर, कांस्टेबल रवि मिश्रा, कांस्टेबल प्रदुमंन आदि मौजूद रहे। 

वाराणसी 10/02/2023 को काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के शिक्षा संकाय में Alumni Association of Education की ओर 2 दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया । जिसका शुभारंभ एलुमनी एसोसिएशन ऑफ एजुकेशन की अध्यक्षा उत्तर प्रदेश राजर्षि टण्डन मुक्त विश्वविद्यालय की वर्तमान कुलपति प्रोo सीमा सिंह ने किया ।

साथ ही 19वीं General Body meet में शोध छात्र गिरीश चंद्र मिश्र को सर्वसम्मति Student Secretary के रूप में  चुना गया। आपको बताते चले कि एसोसिएशन की अध्यक्षा उत्तर प्रदेश राजर्षि टण्डन मुक्त विश्वविद्यालय की वर्तमान कुलपति प्रोo सीमा सिंह हैं।



 


जीवन शैली: किसी भी नशे को लत बनने में वक्त नहीं लगता है और फिर एक समय ऐसा आता है जब इंसान इसकी चंगुल में फंसकर तिल-तिल कर मरने लगता है. ऐसे में सबसे जरूरी है कि आप अपनी इस लत पर काबू पाएं.

शायद ही कोई ऐसा होगा जिसे यह नहीं पता होगा कि शराब पीना स्वास्थ्य के लिए कितना खतरनाक हो सकता है. पर एकबार जब शराब पीने की लत लग जाती है तो उसे छोड़ पाना बहुत ही मुश्क‍िल हो जाता है. इंसान बहुत बार चाहता है कि वह इस गंदी आदत को छोड़ दे लेकिन उसका खुद पर नियंत्रण ही नहीं रह जाता.

किसी भी नशे को लत बनने में वक्त नहीं लगता है और फिर एक समय ऐसा आता है जब इंसान इसकी चंगुल में फंसकर तिल-तिल कर मरने लगता है. ऐसे में सबसे जरूरी है कि आप अपनी इस लत पर काबू पाएं.

हालांकि कई ऐसे मामले हैं जिनमें लोगों ने इस बुरी आदत पर जीत पाई है लेकिन इतना जरूर है कि इसके लिए बहुत अधिक संयम और धैर्य की जरूरत होती है. कई मामलों में तो लोगों ने खुद ही शराब की लत पर काबू कर लिया है पर कई मामले ऐसे भी हैं जिनमें उन्होंने डॉक्टरों की मदद से इस छोड़ा है. बाजार में कई ऐसी दवाइयां मौजूद हैं जो ये दावा करती हैं कि उनके इस्तेमाल से नशे की लत छूट जाती है. पर कई ऐसे मामले भी हैं जिनमें असफलता मिली है.

अगर आपको भी शराब के नशे की लत है तो सबसे पहले आपको खुद को सकरात्मक बनाने की जरूरत है. आप चाहें लाख दवाइयां या फिर डॉक्टरी सलाह ले लें पर जब तक आपका मन मजबूत नहीं है, आप कुछ भी नहीं कर सकते.

जब भी आपको शराब की लत सताए, आप ये उपाय अपना सकते हैं:


1. किसी दूसरे काम में खुद को उलझाने की कोशिश करें

यह बेहद कारगर और भरोसेमंद उपाय है. अगर आपको शराब पीने की तलब महसूस हो रही है तो सबसे पहले खुद को किसी दूसरे काम में उलझाने की कोशिश कीजिए. आप चाहें तो पास के ही किसी पार्क में टहलने जा सकते हैं, किताब पढ़ सकते हैं या फिर व्यायाम का सहारा ले सकते हैं.


2. अपनों के साथ वक्त बिताएं

शराब की लत छोड़ने के लिए अगर आप अपनों की मदद लें तो और भी अच्छा रहेगा. जब भी आपको शराब पीने की लत महसूस हो अपनों के बीच बैठ जाइए और उनके साथ समय बिताने की कोशिश कीजिए. धीरे-धीरे आपका खुद पर काबू बढ़ने लगेगा और आप एक बेहतर जिंदगी की ओर बढ़ चलेंगे.

3. अतिरिक्त मात्रा में शुगर लेकर

कई बार ऐसा भी होता है कि लोगों को शराब की तलब और शु्गर खाने की इच्छा के बीच अंतर ही नहीं समझ आता है. ऐसे में अगर आपको शराब पीने की लत महसूस हो रही हो तो आप किसी शुगर ड्रिंक का भी सहारा ले सकते हैं.

4. निश्च‍ित अंतराल पर खाना

इस तरह की समस्या से जूझने वाले ज्यादातर लोगों का कहना है कि जब वे भूखे होते हैं तो उन्हें शराब पीने की तलब ज्यादा महसूस होती है. ऐसे में इससे पहले कि शराब पीने की लत आप पर हावी हो, कोशि‍श कीजिए कि आपका पेट कभी भी खाली नहीं होने पाए. इसके अलावा प्रतिदिन के हिसाब से 6 से 8 गिलास पानी पीना भी बहुत जरूरी है.


नीतू वर्मा

जिला मद्य निषेध अधिकारी, लखनऊ 

 


पूर्व कुलपति एवं कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर कीर्ति सिंह का आज जौनपुर आवास पर निधन हो गया

उनका अंतिम संस्कार शाम 7:00 बजे राम घाट पर किया जाएगा

आइए जानते हैं कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर कीर्ति सिंह के बारे में 

शिक्षा 

गवर्नमेंट एग्रीकल्चर कॉलेज, कानपुर, 1951-1955, फ्लोरिडा विश्वविद्यालय, यूएसए, 1958-62, बी.एससी। 1955; एमएस। 1960; पीएचडी 1962


 धारण किए गए पद

 अध्यक्ष, इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर नोनी साइंस (2010 के बाद); वर्ल्ड नोनी रिसर्च फाउंडेशन के अध्यक्ष; वैज्ञानिक पूल अधिकारी, 1962-63; सब्जी विशेषज्ञ, जम्मू और कश्मीर, श्रीनगर, 1963-65; एसोसिएट प्रोफेसर / सब्जी वनस्पतिशास्त्री, पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना / हिसार, 1965-70; प्रोफेसर और प्रमुख, सब्जी फसल विभाग, हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार, 1970-77; कृषि के डीन, नरेंद्र देव कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, फैजाबाद (यूपी), 1977-84 और कुलपति, 1984-89; कुलपति, हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर, 1989-93; इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर, 1993-95; सदस्य, 1995-98 और अध्यक्ष, ASRB, 1998-99; सलाहकार, सरकार। कृषि विश्वविद्यालय, 1995 की स्थापना के लिए नेपाल, कंबोडिया में एफएओ सलाहकार, 1999।


 अनुसंधान क्षेत्र वनस्पति विज्ञान


 पुरस्कार और फैलोशिप


 अमेरिकन सोसायटी ऑफ हॉर्टिकल्चरल साइंस का लियोनार्ड वॉन अवार्ड, 1961; हॉर्टिकल्चरल सोसाइटी ऑफ इंडिया गोल्ड मेडल, 1993; D.Sc. (h.c), TNAU, 2000, PNSAF गोल्ड मेडल 2002; डॉ. एम.एस. रंधावा मेमोरियल अवार्ड, 2001-02; पूर्वांचल रत्न पुरस्कार, 2003; वरिष्ठ उपाध्यक्ष, हॉर्ट। भारत का समाज; उनका शिव शक्ति लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड, 2007, वर्ल्ड वेलनेस ओपन यूनिवर्सिटी लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड, 2008।


 राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, भारत; भारतीय आलू संघ; इंडियन सोसाइटी ऑफ वेजिटेबल साइंस; भारतीय बागवानी सोसायटी, राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी



 पता- आवासीय सी9/9766, वसंत कुंज, नई दिल्ली - 110 070/38 जी, मारुति नगर, हुसैनाबाद, जौनपुर - 222 002 (यूपी)



सुलतानपुर: इसौली विधायक प्रतिनिधि शिवमंगल तिवारी ने सुरेश नगर यानी बरासिन चौराहे पर हाईमास्ट लाइट का उद्घाटन किया है। इस हाईमास्ट लाइट को लगवाने के लिए शिवमंगल वर्षों से प्रयासरत थे। आखिरकार उन्होंने इसे पूरा कर दिखाया है जोकि क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है

सुलतानपुर: आयुक्त, अयोध्या मण्डल, अयोध्या गौरव दयाल द्वारा सोमवार को जनपद भ्रमण के दौरान तहसील सदर, नव निर्माणाधीन राजकीय मेडिकल कालेज दूबेपुर व विकास खण्ड कूरेभार कार्यालय का आकस्मिक निरीक्षण किया गया।


आयुक्त, अयोध्या मण्डल, अयोध्या द्वारा तहसील सदर पहुँचकर गार्ड आफ आनर लेने के पश्चात जिलाधिकारी रवीश गुप्ता के साथ तहसील सदर का गहन निरीक्षण कर अभिलेखों का रख रखाव के साथ-साथ साफ-सफाई नियमिति रूप से किये जाने के निर्देश उपस्थित सम्बन्धित अधिकारियों को दिये।
         

आयुक्त, अयोध्या मण्डल ने तहसील सदर के तहसीलदार कोर्ट में लंबित पुराने मामलों से सम्बन्धित पत्रावलियों एवं कम्प्यूटर में फीड रिकार्डों का गहन निरीक्षण कर सम्बन्धित को आवश्यक दिशा निर्देश दिये।



उन्होने कार्यालय रजिस्ट्रार कानूनगो रूम में आर-6 रजिस्टर का निरीक्षण कर अमलदरामद, गार्ड फाइल, दाखिला सूची रजिस्टर, दैवीय आपदा, विविध प्रपत्र रजिस्टर, सेवा पंजिका, केस डायरी, राजस्व भू अभिलेखागार में पुराने रिकार्डों से सम्बन्धित पत्रावलियों, खसरा, संग्रह कार्यालय में राजस्व वसूली से सम्बन्धित रजिस्टर, व्यापार कर/विद्युत देय आदि पंजिका का अवलोकन कर आवश्यक दिशा निर्देश सम्बन्धित को दिये। 



उन्होंने अपने निरीक्षण में एक-एक समस्त पटल सम्बन्धित को निर्देशित किया कि अभिलेखागार में समस्त राजस्व अभिलेखों को अद्यतन रखा जाय।
         


आयुक्त, अयोध्या मण्डल, अयोध्या द्वारा अभिलेखों का डिजिटलीकरण करने के सम्बन्ध में सम्बन्धित से जानकारी प्राप्त की। उन्होंने निरीक्षण के दौरान वरासत अभियान, राजस्व वसूली, भूलेखों का सत्यापन तथा तहसील सदर में साफ-सफाई आदि का निरीक्षण कर आवश्यक निर्देश सम्बन्धित को दिये। उन्होंने संग्रह कार्यालय निरीक्षण के समय राजस्व वसूली से सम्बन्धित रजिस्टर का अवलोकन किया। 
         

तत्पश्चात आयुक्त अयोध्या मण्डल, अयोध्या गौरव दयाल द्वारा जिलाधिकारी रवीश गुप्ता के साथ नव निर्माणाधीन राजकीय मेडिकल कालेज दूबेपुर का आकस्मिक निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान एकेडमिक ब्लॉक, बॉयज हॉस्टल, गल्र्स हॉस्टल, प्रधानाचार्य कक्ष, डाइनिंग ब्लॉक, मल्टीपरपज हॉल, ऑटोप्सी, बाउण्ड्रीवाल का निरीक्षण किया गया।
        

आयुक्त अयोध्या मण्डल, अयोध्या द्वारा सम्बन्धित को निर्देशित करते हुए कहा गया कि कार्य समयान्तर्गत पूर्ण करें और साथ ही साथ बिजली पानी, कनेक्शन सहित अन्य कार्य भी करते रहें। आयुक्त अयोध्या मण्डल, अयोध्या द्वारा सम्बन्धित अधिकारियों को निर्देशित किया गया कि कार्य में प्रगति लाते हुए शेष निर्माण कार्य जल्द से जल्द गुणवत्तापूर्ण ढंग से कराना सुनिश्चित करें।
         

इस अवसर पर मुख्य विकास अधिकार अंकुर कौशिक, उप जिलाधिकारी सदर सी0पी0 पाठक, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डाॅ0 डी0के0 त्रिपाठी, जिला विकास अधिकारी अजय कुमार पाण्डेय, परियोजन निदेशक (डी0आर0डी0ए0) कृष्ण करूणाकर पाण्डेय, पी0डी0 एनआरएलएम अनवर शेख, जिला पंचायत राज अधिकारी आर0के0 भारती, जिला अर्थ एवं संख्या अधिकारी आशीष कुमार, जिला सूचना अधिकारी डाॅ0 धीरेन्द्र कुमार सहित अन्य समस्त अधिकारी/कर्मचारी उपस्थित रहे। 

सुलतानपुर: आज विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, उत्तर प्रदेश के तत्वाधान में जिलाधिकारी की अध्यक्षता व मुख्य विकास अधिकारी के उपाध्यक्षता में जिला विज्ञान क्लब सुल्तानपुर द्वारा कमला नेहरू कृषि विज्ञान केंद्र, सुल्तानपुर में असंगठित क्षेत्र के नव प्रवर्तकों हेतु जिला स्तरीय नव प्रवर्तक प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। 


जिसमे मुख्य अतिथि जिला पोवेशन अधिकारी वी पी वर्मा तथा विशिष्ठ अतिथि सह जिला विद्यालय निरीक्षक अनिल वर्मा, वरिष्ठ वैज्ञानिक व अध्यक्ष कमला नेहरू कृषि विज्ञान केन्द्र डॉ जे बी सिंह, वैज्ञानिक अतुल सिंह, वैज्ञानिक अरुण कुमार सिंह, वरिष्ठ समाज सेवी सत्य नाथ पाठक, महिला जिला कल्याण अधिकारी रेखा गुप्ता, समन्वयक जिला विज्ञान क्लब शैलेंद्र चतुर्वेदी, सह समन्वयक जिला विज्ञान क्लब राधेश्याम पांडे, आशुतोष मिश्र, दिनेश मणि ओझा, राम कीरत मिश्र, आदि ने प्रतिभाग किया।


नवप्रवर्तन प्रदर्शनी में जिले के दूरदराज के असंगठित क्षेत्रों के 300 से अधिक प्रतिभागियों ने अपने नवप्रवर्तन का प्रदर्शन किया। जिसमे प्रथम पुरस्कार रामकुश विश्वकर्मा, महराजगंज, द्वितीय पुरस्कार वसुखा, गोराबरिक, तृतीय पुरस्कार राजेंद्र प्रसाद सिंह, जजरही जमालपुर तथा3 सांत्वना पुरस्कार शिव प्रसाद मौर्य, बांसी, इतवारी, रतनपुर, और अरुण कुमार शुक्ल, अलीपुर सरावा ने प्राप्त किए। 
 प्रथम पुरस्कार ₹5000, द्वितीय पुरस्कार ₹3000, तृतीय पुरस्कार ₹2000 के अतिरिक्त ₹1000 के तीन सांत्वना पुरस्कार प्रदान किए गए।


जिससे मजदूर, कृषक व शिल्पकार नवप्रवर्तन को प्रोत्साहन तथा उचित मंच प्राप्त हो सकेगा। जिला समन्वयक शैलेन्द्र चतुर्वेदी ने जिला विज्ञान क्लब की गतिविधियों से अवगत कराया तथा नव प्रवर्तक के विचार को समझाया।
  

सह समन्वयक राधेश्याम पांडे ने जिले में चल रही योजनाएं और उनके लाभ से दूरदराज क्षेत्रों से आए आए आए हुए नवप्रवर्तन को अवगत कराया तथा भविष्य में उनके नवप्रवर्तन को उचित मंच तक पहुंचाने का आश्वासन दिया विशिष्ठ अतिथि जिला विद्यालय निरीक्षक अनिल वर्मा ने नवप्रवर्तन के महत्व को समझाते हुए सभी नव प्रवर्तकों की सराहना की।


जिला प्रोवेशन अधिकारी वी पी वर्मा के शासन की योजनाओं और बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ योजना के विषय में जानकारी दी। उपस्थित वैज्ञानिकों ने कृषि व श्रम क्षेत्र में नवप्रवर्तन के विषय में जानकारी साझा की। जिलाकार्यक्रम का संचालन आशुतोष मिश्र ने किया।

ज्योतिष: देशभर में आज मनायी जा रही है मौनी अमावस्या...गंगा स्नान से प्राप्त होगा भगवान विष्णु का आशीर्वाद...जरूरतमंदों को दान कर कमाएं पुण्य लाभ... गाय चींटी और पक्षियों को खिलाएं भोजन

दिल्ली में एक बार फिर बदल सकता है मौसम का मिजाज... देश की राजधानी में अगले हफ्ते से शुरू हो सकता है बारिश का दौर... मौसम विभाग की मानें तो 23 जनवरी से 26 जनवरी के बीच हो सकती है बारिश

सुलतानपुर: शासन से प्राप्त निर्देशानुसार जिलाधिकारी रवीश गुप्ता ने आज कलेक्ट्रेट स्थित अपने कक्ष में  जनता दर्शन में आये जन सामान्य की कोविड -19 की टेस्टिंग कराने के पश्चात सोशल डिस्टेंसिंग का अनुपालन कराते हुए जन सामान्य की समस्याओं/शिकायतों को गम्भीरता पूर्वक सुनकर उसका समय से निस्तारण हेतु सम्बन्धित अधिकारियों को निर्देशित किया।       
            

जिलाधिकारी ने जनता दर्शन में प्राप्त प्रार्थना पत्रो को संबंधित अधिकारियों को निस्तारण हेतु प्रेषण करने के निर्देश उपस्थित अधिकारियों को दिये। उन्होंने निर्देशित किया कि संबंधित अधिकारी प्राप्त शिकायतों का निस्तारण प्राथमिकता के आधार पर  करना सुनिश्चित करें, ताकि लोगों का ज्यादा से ज्यादा भला हो सके। इसमें किसी भी प्रकार की शिथिलता न बरती जाए।

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश आया है कि कोरोना के दौरान की 15% फीस माफ होगी। हाईकोर्ट ने प्रदेश भर के स्कूलों को लेकर निर्देश जारी किया है 

कोरोना काल के दौरान यानी सत्र 2020- 21 के लिए हाईकोर्ट ने आदेश जारी किया है।

कोर्ट का कहना है कि सत्र 2020- 21 में ली गई पूरी फीस में 15 फीसदी फीस अगले सत्र में एडजस्ट करना होगा तो वहीं स्कूल छोड़ चुके छात्रों को 15 फीसदी फीस वापस करनी होगी। इसके लिए 2 महीने का समय दिया गया है।

आपको बता दें कि दर्जनों याचिकाकर्ताओं ने कोविड काल की फीस माफ करने की मांग की थी।

हाईकोर्ट ने साफ कर दिया कि 2020-21 में जब सुविधाएं नहीं दी गईं, तो फिर 2019-20 के स्तर की फीस नहीं ली जा सकती।


ये फैसला चीफ जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस जेजे मुनीर की बेंच ने दिया है. माता-पिता ने स्कूलों में जमा फीस को माफ कराने की मांग को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. इन सभी याचिकाओं पर 6 जनवरी को सुनवाई हुई थी और सोमवार को फैसला आया है।

 

 

वाराणसी ।राष्ट्रीय बागवानी मिशन के अंतर्गत प्याज और लहसुन की खेती पर प्रशिक्षण का शुभारंभ IIVR वाराणसी पर राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान देवरिया के तत्वधान में राष्ट्रीय बागवानी मिशन के अंतर्गत दिनांक 9 January 2023 से 12 January 2023  तक चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए निर्देशक डॉ तुषार क्रांति मेहरा IIVR वाराणसी ने किसानों को प्याज और लहसुन के पोषण एवं औषधीय महत्व के बारे में चर्चा करते हुए बताया कि यह एक नकदी फसल है, जिसमें किसानों को खेती प्राची आय प्राप्त कर सकते हैं, कार्यक्रम के दौरान IIVR वाराणसी डॉ डी . आर भर्द्वाज  के प्रधान वैज्ञानिक ने किसानों को कृषि IIVR वाराणसी गतिविधियों के बारे में बताते हुए प्रशिक्षण के महत्व पर चर्चा किया, कार्यक्रम के राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान प्रतिष्ठान के सहायक निदेशक मदन मोहन द्विवेदी ने प्याज की गुणवत्ता बीज उत्पादन और कटाई उपरांत प्रबंधन के बारे में चर्चा की, तकनीकी अधिकारी विनोद कुमार सिंह ने किसानों को राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान प्रतिष्ठान के गतिविधियों के बारे में अवगत कराया, IIVR वाराणसी के वैज्ञानिक डॉ नीरज कुमार सिंह प्रधान वैज्ञानिक, डॉ. एस एन चौरसिया प्रधान वैज्ञानिक, विद्या सागर यादव प्रधान वैज्ञानिक ने प्याज की नर्सरी कैसे तैयार करें उस पर प्रकाश डाला, व समस्त वैज्ञानिक का व्याख्यान दिया। 

सुलतानपुर: शासन से प्राप्त निर्देशानुसार जिलाधिकारी रवीश गुप्ता ने आज कलेक्ट्रेट स्थित अपने कक्ष में  जनता दर्शन में आये जन सामान्य की कोविड -19 की टेस्टिंग कराने के पश्चात सोशल डिस्टेंसिंग का अनुपालन कराते हुए जन सामान्य की समस्याओं/शिकायतों को गम्भीरता पूर्वक सुनकर उसका समय से निस्तारण हेतु सम्बन्धित अधिकारियों को निर्देशित किया।       
            
जिलाधिकारी ने जनता दर्शन में प्राप्त प्रार्थना पत्रो को संबंधित अधिकारियों को निस्तारण हेतु प्रेषण करने के निर्देश उपस्थित अधिकारियों को दिये। उन्होंने निर्देशित किया कि संबंधित अधिकारी प्राप्त शिकायतों का निस्तारण प्राथमिकता के आधार पर  करना सुनिश्चित करें, ताकि लोगों का ज्यादा से ज्यादा भला हो सके। इसमें किसी भी प्रकार की शिथिलता न बरती जाए।  
         
इस अवसर पर अपर जिलाधिकारी (प्रशासन) बी0 प्रसाद सहित जनता दर्शन में आये जन सामान्य  उपस्थित रहे। 

सुलतानपुर: मुख्य विकास अधिकारी अंकुर कौशिक द्वारा शुक्रवार को ग्राम पीपरगांव, विकास खण्ड धनपतगंज में अमृत सरोवर का आकस्मिक निरीक्षण किया गया, जिसमें साफ-सफाई उचित नहीं पायी गयी। मुख्य विकास अधिकारी द्वारा सम्बन्धित को नियमित रूप से साफ-सफाई कराने के निर्देश दिये गये।

बीजेपी अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा यानी जेपी नड्डा का कार्यकाल 20 जनवरी को खत्म होने वाला है.... 

ऐसे में इस बात की चर्चा शुरू हो गई है कि बीजेपी का अगला अध्यक्ष कौन होगा?

वैसे तो इस रेस में कई नाम सामने आए हैं. लेकिन, कयास इस बात के भी लगाए जा रहे हैं कि जेपी नड्डा के कार्यकाल को बढ़ाते हुए एक बार फिर उन्हीं को अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है....


दरअसल, इस साल 9 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं और इसके ठीक बाद 2024 का लोकसभा चुनाव भी होना है....ऐसे में बीजेपी किसी प्रकार का जोखिम लेने से बचना चाहेगी...




बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक इसी महीने होने वाली है.... इस बात की संभावना है कि इस बैठक में पार्टी अपने अगले अध्यक्ष के नाम की घोषणा कर देगी....


अब सवाल ये है कि अगर जेपी नड्डा के कार्यकाल को बढ़ाया नहीं जाता है तो फिर पार्टी किस पर दांव लगा सकती है?


इस साल उत्तर से दक्षिण और पूर्व तक के राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं. जेपी नड्डा एक ऐसे अध्यक्ष रहे हैं जो लगभग सभी राज्यों में खुद को फिट कर लेते हैं.... ऐसे में बहुत संभावना है कि उन्हें ही अध्यक्ष पद पर बरकरार रखा जाए....

हालांकि, उनकी जगह किसी और को चुनना पड़ा तो पार्टी शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को कमान सौंपने की सोच सकती है....इससे पहले भी प्रधान को पीएम मोदी द्वारा कई अहम जिम्मेदारियां दी गई हैं....


राजस्थान में भी इस वर्ष चुनाव होने हैं ऐसे में बीजेपी, धर्मेंद्र प्रधान के अलावा भूपेंद्र यादव को भी पार्टी का अध्यक्ष बना सकती है.... 


राज्यसभा सांसद और केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव पिछली बार भी अध्यक्ष पद के बड़े दावेदार माने जा रहे थे. हालांकि, पार्टी की तरफ से जेपी नड्डा का नाम फाइनल किया गया था....



चुनावों से पहले पार्टी संगठनात्मक स्तर पर भी बड़े बदलाव कर सकती है.... मिली जानकारी के मुताबिक इन बदलावों का आधार आगामी विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव रह सकता है....


पार्टी के कई बड़े मंत्रियों को उनके चुनावी राज्य में जिम्मेदारी दी जा सकती है....


सवाल ये भी मन में है की क्या एक व्यक्ति 2 बार बीजेपी अध्यक्ष बन सकता है?


आपको बता दें कि बीजेपी के संविधान के मुताबिक एक व्यक्ति लगातार दो बार अध्यक्ष बन सकता है....


दरअसल, 2012 में नितिन गडकरी के लिए पार्टी ने अपने संविधान में बदलाव किया था और उन्हें लगातार दूसरी बार पार्टी का अध्यक्ष चुना गया था.... 


उस समय जो संधोधन हुआ उसके मुताबिक पार्टी का कोई भी सदस्य 3-3 साल के लिए लगातार दो बार पार्टी अध्यक्ष बन सकता है....

सुलतानपुर: जिलाधिकारी रवीश गुप्ता की अध्यक्षता में सड़क सुरक्षा माह (दिनांक 05 जनवरी, 2023 से 04 फरवरी, 2023 तक) का शुभारम्भ विकास भवन स्थित प्रेरणा सभागार में दीप प्रज्ज्वलन कर मॉ सरस्वती की वन्दना के गायन के साथ किया गया।

सहायक सम्भागीय परिवहन अधिकारी(प्रशासन) नन्द कुमार द्वारा जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक सोमेन वर्मा का पुष्प गुच्छ देकर स्वागत किया गया।


एआरआई लक्ष्मीकान्त द्वारा मुख्य विकास अधिकारी अंकुर कौशिक का पुष्प गुच्छ देकर स्वागत किया गया। तत्पश्चात राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा माह के जागरूकता हेतु प्रचार वाहन को जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक, मुख्य विकास अधिकारी तथा सहायक सम्भागीय परिहवन अधिकारी (प्रशासन) द्वारा हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया गया।
         

कार्यक्रम में सहभागिता करने वाले मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ0 डी0के0 त्रिपाठी, अध्यक्ष लायन्स क्लब बलदेव सिंह, एआरटीओ नन्द कुमार सहित अन्य द्वारा सड़क सुरक्षा से सम्बन्धित अपने-अपने विचार रखे। 


सीएमओ डॉ0 डी.के. त्रिपाठी ने एक वर्ष में सड़क दुर्घटना व कोविड के दौरान होने वाली मौतों का तुलानात्मक जिक्र किया। उन्होंने कहा कि सड़क सुरक्षा एक गम्भीर विषय है, जिसे हम सब को पालन करना चाहिये तथा सड़क सुरक्षा से सम्बन्धित समस्त मानको का अनुपालन करना चाहिये।


अध्यक्ष लायन्स क्लब बलदेव सिंह द्वारा अपने सम्बोधन में कहा गया कि सड़क सुरक्षा जागरूकता अभियान को समस्त स्कूल/कालेजों में चलाया जाना चाहिये। उन्होंने कहा कि समस्त ट्राली निर्माता ट्रालियों पर रिफेलेक्टर अवश्य लगायें। सड़क पर निर्धारितगति का उल्लंघन करने वालों पर चालान अवश्य किया जाय। 
        

मुख्य विकास अधिकारी अंकुर कौशिक द्वारा सड़क सुरक्षा अभियान से सम्बन्धित अपने व्यक्तिगत दुर्घटना के अनुभव को साझा किया। उन्होंने कहा कि सड़क दुर्घटना की स्थिति बहुत कठिन होती है। इसमें सम्बन्धित परिवार व पुलिस प्रशासन को अनेक समस्याओं से गुजरना पड़ता है।


इसलिए सभी से अनुरोध है कि यात्रा करते समय हेलमेट, शीटबेल्ट और सड़क सुरक्षा के मानको का पालन करें। सुरक्षा मानको का उल्लंघन करने वाले लोगों का चालान अवश्य किया जाय। 
       

पुलिस अधीक्षक सोमेन वर्मा द्वारा सड़क सुरक्षा जागरूकता से सम्बन्धित अपने सम्बोधन में कहा गया कि ज्यादातर दुर्घटनाएं स्टेट हाइवे व नेशनल हाइवे पर होती हैं। इसलिए यात्रा करते समय मोबाइल इत्यादि जैसे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स का प्रयोग न करें।


उन्होंने कहा कि यात्री परिवहन का ही यात्रा के लिये उपयोग करें। ट्रैक्टर, ट्राली व नाव इत्यादि पर यात्रा न करें। उन्होंने कहा कि किसी भी अनहोनी से बचने के लिये परिवहन विभाग के पंजीकृत वाहनों का ही यात्रा के लिये उपयोग करें। 
      

कार्यक्रम के अन्त में जिलाधिकारी द्वारा सभी उपस्थित अभिभावकों/अधिकारियों व मीडिया बन्धुओं को धन्यवाद ज्ञापित किया गया। उन्होंने सरस्वती वन्दना की मधुर प्रस्तुति करने वाली संगीत टीचर पायल मालवीय शेमफोर्ड स्कूल तथा कार्यक्रम का सफल संचालन करने वाले प्रधानाचार्य अजय कुमार तिवारी का विशेष धन्यवाद ज्ञापित किया।


जिलाधिकारी द्वारा एआरटीओ (प्रशासन) नन्द कुमार का वाहन फिटनेस में जनपद सुलतानपुर को प्रदेश में प्रथम स्थान दिलाने हेतु धन्यवाद दिया। जिलाधिकारी द्वारा सड़क सुरक्षा जागरूकता के सम्बन्ध में सम्बोधित करते हुए ‘मारियो वीडियो गेम‘ की चर्चा की। उन्होंने कहा कि एक चालक को सड़क पर पलपल में विभिन्न स्थितियों का सामना करना पड़ता है।


इसलिए वाहन चलाते समय सुरक्षित होकर वाहन चलायें। अपनी सुरक्षा स्वयं करें, किसी अन्य पर निर्भर न रहें। उन्होंने सड़क सुरक्षा के अन्तर्गत सेफ, स्मार्ट, ओवर स्मार्ट का कांन्सेप्ट दिया तथा कहा कि वाहन चलाते समय हमेशा सेफ स्थिति में ही वाहन चलायें तथा ओवर स्मार्ट वाहन चलाने से सदैव बचें। कार्यक्रम के अन्त में जिलाधिकारी द्वारा सड़क सुरक्षा शपथ दिलायी गयी तथा राष्ट्रगान का गायन किया गया। 
         

तत्पश्चात राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा माह के जागरूकता हेतु प्रचार वाहन को जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक, मुख्य विकास अधिकारी तथा सहायक सम्भागीय परिहवन अधिकारी (प्रशासन) द्वारा हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया गया। जिलाधिकारी द्वारा सड़क सुरक्षा से सम्बन्धित मीडिया बन्धुओं के सवालों का जवाब दिया गया। उन्होंने कहा कि यात्रा करते समय सड़क सुरक्षा से सम्बन्धित समस्त मानको का पालन अवश्य किया जाना चाहिये। 
         

इस अवसर पर जिला आबकारी अधिकारी हितेन्द्र शेखर, जिला सूचना अधिकारी डॉ0 धीरेन्द्र कुमार, अधिशाषी अभियन्ता पी0डब्लू0डी0, यातायात प्रभारी अनूप कुमार सिंह, टीएसआई प्रथम परवेज आलम सहित समस्त परिवहन विभाग के स्टाफ व मीडिया बन्धु आदि उपस्थित रहे।

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