देश के अंदर चल रही कोरोना महामारी से पूरे देश कि अर्थव्यवस्था चौपट हो चुकी है। देश कोरोना कि पहली लहर और लॉकडाउन से उबर भी नही पाया था कि दूसरी लहर नें देश को झकझोर कर रख दिया। कोरोना कि दूसरी लहर नें देश में हजारों ज़िंदगी खत्म हो गयी। सैकड़ों बच्चे अनाथ हो गए तो कइयों के पति पत्नी, पापा, माँ, चाचा, चाची और कई अन्य रिश्तेदार काल के गाल में समा गए। एसे में कोरोना की संभावित तीसरी लहर में बच्चों पर गंभीर प्रभाव को लेकर एक्सपर्ट के साथ ही पेरेंट्स का मन अभी आशंकित बना हुआ है।
देश कि कई मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार कई बच्चों में कोरोना संक्रमण के हल्के लक्षण देखने को भी मिले हैं।
बताया जा रहा है कि वायरस से
संक्रमित होने के बाद अधिकतर बच्चों में बुखार और श्वास संबंधी परेशानियां जैसे
लक्षण भी देखने को मिले हैं। वयस्कों की तुलना में बच्चों में हैजा, उल्टी और पेट में दर्द संबंधी अन्य जठरांत्र संबंधी लक्षण देखने को मिले हैं। कहा जा रहा है
कि किशोरावस्था की उम्र के
आस-पास के बच्चों में बीमारी के लक्षण आने की आशंका भी प्रबल हो जाती है।
देश के शीर्ष
अस्पताल अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में बाल रोग विशेषज्ञ सुशील के
काबरा ने महामारी की तीसरी संभावित लहर को लेकर कहा कि कोरोना वायरस से संक्रमित
होने वाले पांच प्रतिशत से भी कम बच्चों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत
पड़ेगी, जिनमें मृत्यु दर दो प्रतिशत तक हो सकती है।
काबरा ने कहा, ‘‘हम कह सकते हैं कि एक लाख संक्रमित बच्चों में से केवल 500 बच्चों को अस्पताल
में भर्ती होने की जरुरत पड़ी और उसमें से दो प्रतिशत बच्चों की मृत्यु हुई है।
बच्चों में बीमारी के गंभीर लक्षण होने की आशंका बेहद कम है। संक्रमित होने वाले
कुछ बच्चों को ही अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ती है।
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