आज देश के महापुरुष महाराणा प्रताप की 481 वीं जयंती है। भारत के महान योद्धा महाराणा प्रताप ऐसे शूरवीर थे, जिन्हें दुश्मन भी सलाम करते थे। महाराणा प्रताप को भारत का प्रथम स्वतंत्रता सेनानी भी कहा जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार महाराणा प्रताप का जन्म जन्म 9 मई, 1540 यानि सोलहवीं शताब्दी में राजस्थान के कुंभलगढ़ में हुआ था। इस दिन ज्येष्ठ मास की तृतीया तिथि थी, इसलिए हिंदी पंचांग के अनुसार महाराणा प्रताप की जयंती आज 13 जून को मनाई जा रही है। उनका नाम इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों से लिखा गया। कहा जाता है कि युद्ध के समय महाराणा प्रताप दो तलवार रखते थे। यदि उनके दुश्मन के पास तलवार नहीं होती थी तो वह उसे अपनी एक तलवार देते थे जिससे युद्ध बराबरी का हो।
बताया जाता है की इतिहास में महाराणा प्रताप ने कई बार अकबर के साथ लड़ाई लड़ी। उन्होने युद्ध
का कौशल अपनी माँ से सीखा था। महाराणा प्रताप
नें हल्दीघाटी के युद्ध में
अकबर को पूरी टक्कर दी थी। अकबर के साथ लड़ाई के चलते वे राजभवन छोड़कर जंगलों
में भी रहे। बताया जाता है की महाराणा प्रताप
नें अपने पूरे जीवन में
संघर्ष किया, लेकिन उन्होंने कभी हार
नहीं मानी। कई मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, महाराणा प्रताप के भाले
का वजन 81 किलो और छाती के कवच का वजन 72
किलो था।
इतिहास में दर्ज जानकारी के अनुसार हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप नें अकबर को पूरी टक्कर दी थी। जबकि उस समय महाराणा प्रताप के पास लड़ाई के लिए मात्र 20 हजार सैनिक थे और अकबर के पास करीबन 85 हजार सैनिकों की सेना थी। सोचिए इसके बावजूद इस युद्ध को अकबर जीत नहीं पाया
था। आज उनकी हिम्मत और जज़्बे को देश सलाम करता है। इतिहास में महाराणा प्रताप
का नाम वीरता और साहस के
लिए सदा के लिए अमर है। वह अपनी वीरता और युद्ध कला के लिए जाने जाते हैं।
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