पूरी दुनिया में 5 जून को हर साल विश्व पर्यावरण दिवस यानी वर्ल्ड एन्वायरमेंट डे मनाया जाता है। ये दिन लोगों में पर्यावरण को लेकर जागरूकता पैदा करने के लिए मनाया जाता है।आज हम भी पर्यावरण दिवस के बारे में बात करेंगे, इस दिन को पांच जून को ही क्यों मनाया जाता है या इससे फायदा क्या होता है?
क्यों मनाया जाता है विश्व पर्यावरण दिवस
अगर आप भारत के किसी बड़े शहर में रहते हैं, तो आप जानते होंगे कि यहां रह रहे लोग हर साल बढ़ते तापमान और प्रदूषण के बीच किस तरह जी रहे हैं। ये हाल सिर्फ दिल्ली या मुंबई जैसे शहरों का नहीं है बल्कि पूरी दुनिया का है। आज तेज़ी से बढ़ता तापमान और प्रदूषण इंसानों के साथ-साथ पृथ्वी पर रह रहे सभी जीवों के लिए बड़ा ख़तरा बन गया है। यही वजह है कि कई जीव-जन्तू विलुप्त हो रहे हैं। साथ ही लोग भी सांस से जुड़े कई तरह के रोगों से लेकर कई गंभीर बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं।
यह सब सिर्फ पर्यावरण में बदलाव और उसको पहुंचते नुकसान की वजह से है। हम ख़ुद अपने पर्यावरण का ख़्याल नहीं रख रहे हैं, यही वजह है कि धीरे-धीरे हमारी ज़िंदगी मुश्किल होती जा रही है। और इसीलिए पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करना ज़रूरी है।
कब हुई विश्व पर्यावरण दिवस की शुरुआत
सन 1972 में संयुक्त राष्ट्र संघ की ओर से वैश्विक स्तरपर पर्यावरण प्रदूषण की समस्या और चिंता की वजह से विश्व पर्यावरण दिवस मनाने की नींव रखी गई। इसकी शुरुआत स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में हुई। यहां दुनिया का पहला पर्यावरण सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसमें 119 देश शामिल हुए थे। पहले पर्यावरण दिवस पर भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भारत की प्रकृति और पर्यावरण के प्रति चिंताओं को जाहिर किया था ।
इसी सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) की नींव रखी गई थी और हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाए जाने का संकल्प लिया गया। विश्व पर्यावरण दिवस का उद्देश्य दुनियाभर के नागरिकों को पर्यावरण प्रदूषण की चिंताओं से अवगत कराना और प्रकृति और पर्यावरण को लेकर जागरूक करना रखा गया।
विश्व पर्यावरण दिवस 2021 की थीम
हर साल विश्व पर्यावरण दिवस के लिए एक थीम रखी जाती है और इस साल की थीम है 'पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली' (Ecosystem Restoration है। पारिस्थितिक तंत्र की बहाली कई तरह से की जा सकती है, जैसे- शहर-गांव को हरा-भरा करना, पेड़ लगाना, जगह-जगह बगीचों को बनाना, नदियों और समुद्र की सफाई करना आदि।पर्यावरण से ही हम हैं, हर किसी को पर्यावरण के लिए काम करना चाहिए।
पर्यावरण में फैला प्रदूषण धीरे-धीरे वैश्विक संकट बनते जा रहा है. जिसके प्रति लोगों को जागरूक करने का दिन ही है प्रकृति दिवस. इसके खिलाफ लोगों को जागरूक करने के लिए ही इस दिन की शुरुआत की गई. प्रदूषण से पृथ्वी से लेकर वायु मंडल व इस पर रहने वाले सभी जीव-जंतुओं के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है. वनों की अनियंत्रित कटाई इसका मुख्य कारण है. जिसके परिणाम स्वरूप बढ़ते ग्लोबल वार्मिंग, चक्रवात, बाढ़, तूफान आदि का खतरा दुनिया पर मंडरा रहा है. वैज्ञानिक व पर्यावरणविद् लगातार इसे लेकर लोगों को जागरूक होने की सलाह दे रहे हैं. ऐसे में सभी को जरूरत है पौधारोपन का. यदि एक पेड़ काटते हैं तो अपने लिए न सही अपनी आने वाले पीढ़ी के लिए सैकड़ों पौधे लगाएं.
पेड़ लगाने के फायदे:
पेड़ लगाने की जरूरत पर बार-बार जोर दिया जाता है। पेड़ लगाने के विभिन्न लाभ इस प्रकार हैं:
ऑक्सीजन का स्रोत: पेड़ लगाने का पहला और सबसे महत्वपूर्ण लाभ यह है कि वे कार्बन डाइऑक्साइड और साँस छोड़ते ऑक्सीजन लेते हैं। और पर्यावरण में ऑक्सीजन की आवश्यकता सभी को पता है।
हानिकारक गैसों का अवशोषण: पेड़ न केवल कार्बन डाइऑक्साइड को साँस लेते हैं बल्कि पर्यावरण से विभिन्न अन्य हानिकारक गैसों को अवशोषित करते हैं जिससे वातावरण को ताजगी मिलती है। इन दिनों बहुत अधिक वाहन और औद्योगिक प्रदूषण है। अधिक पेड़ लगाने से काफी हद तक प्रदूषित हवा से छुटकारा पाने में मदद मिलेगी।
ठंडी जलवायु: पेड़ पर्यावरण को ठंडा रखते हैं। वे गर्मी को शांत करने में मदद करते हैं। उनका शीतलन इतना अधिक है कि यह पास के स्थानों में एयर कंडीशनर की आवश्यकता को 50% तक कम कर सकता है।
आश्रय प्रदान करना: पक्षी पेड़ों पर घोंसले का निर्माण करते हैं जिससे उन्हें आश्रय मिलता है। पेड़ मकड़ी बंदर, कोआला, हरे पेड़ अजगर, पेड़-कंगारू और जानवरों की अन्य विभिन्न प्रजातियों के लिए भी घर हैं।
भोजन उपलब्ध कराना: पेड़ फल खाते हैं और पक्षियों, जानवरों और मनुष्यों के लिए भोजन प्रदान करते हैं। गाय, बकरी और अन्य शाकाहारी जानवर भी पत्तियां खाते हैं।
वायु और जल प्रदूषण पर नियंत्रण: वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए पेड़ न केवल हानिकारक गैसों को अवशोषित करते हैं बल्कि जल प्रदूषण को नियंत्रित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
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