यूपी के लखनऊ में आयोजित 45वें जीएसटी बैठक में पेट्रोल-डीजल पर राहत के फैसले की उम्मीद जताई जा रही थी। बैठक के फैसलों से पेट्रोल व डीजल की कीमतों में राहत की सारी उम्मीदें फिलहाल खत्म हो गई है। लगभग सभी राज्यों की सहमति से ये अहम निर्णय लंबे समय के लिए ठंडे बस्ते में चला गया है। काउंसिल की बैठक के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसमें लिए गए फैसलों की जानकारी दी।
वित्त मंत्री
निर्मला सीतारमण ने काउंसिल की बैठक के बाद प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि जीएसटी
काउंसिल ने महसूस किया कि पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने का ये सही
वक्त नहीं है।
दरअसल, जीएसटी सिस्टम में अगर कोई भी बदलाव करना हो तो उसमें पैनल के तीन-चौथाई से
अप्रूवल की जरूरत होती है। इसमें सभी राज्यों और क्षेत्रों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं। इस प्रस्ताव में से कुछ ने फ्यूल को जीएसटी
में शामिल करने का विरोध किया है।
वहीं केंद्र के लिए
भी पेट्रो राजस्व में कटौती वहन करना मुश्किल है। यानी पेट्रोल डीजल की कीमत में
बड़ी राहत की संभावना नहीं है। शनिवार को नई दिल्ली में पेट्रोल की खुदरा कीमत 101.19 रुपये प्रति लीटर थी। इसमें 32.90 रुपया केंद्र के खजाने में जाता है जबकि
दिल्ली सरकार 23.35 रुपये प्रति
लीटर वसूल रही है।
राज्यों के अलावा केंद्र के खजाने में भी पेट्रो उत्पादों से खूब कमाई होती है। वर्ष 2020-21 में 3,71,726 करोड़ रुपये, 2019-20 में 2,33,057 करोड़ रुपये, 2018-19 में 2,14,369 करोड़ रुपये का उत्पाद शुल्क सिर्फ पेट्रोल व डीजल से वसूला गया था। केंद्र सरकार की तरफ से अभी पेट्रोल पर 1.40 रुपये का अतिरिक्त कस्टम डयूटी, 11 रुपये विशेष कस्टम ड्यूटी, 2.50 रुपये की एक अन्य ड्यूटी तथा 18 रुपये की अतिरिक्त कस्टम ड्यूटी लगाई जाती है।
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