"सीपीएम के नए महासचिव के पद को लेकर पार्टी के अंदर चर्चाएं तेज हो गई हैं। 27-28 सितंबर को कार्यवाहक महासचिव का चुनाव होगा, जिसमें मोहम्मद सलीम का नाम प्रमुख उम्मीदवारों में शामिल है।"
नई दिल्ली: मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) के वर्तमान महासचिव सीताराम येचुरी के निधन के बाद, पार्टी के नेतृत्व में बदलाव को लेकर चर्चाएं तेज़ हो गई हैं। आगामी 27 और 28 सितंबर को पार्टी की केंद्रीय कमेटी और पोलित ब्यूरो की महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की जाएगी, जिसमें नए कार्यवाहक महासचिव का चुनाव होगा। यह नेता अगले साल माकपा कांग्रेस तक इस पद पर बने रहेंगे, जहां अंतिम रूप से नए महासचिव का चुनाव किया जाएगा।
पार्टी के संविधान के अनुसार महासचिव का चुनाव
सीपीएम के संविधान के अनुसार, महासचिव का चुनाव पार्टी की कांग्रेस में होता है, जो अगले साल होने वाली है। फिलहाल, कार्यवाहक महासचिव का चुनाव किया जाएगा, जो संगठन की कमान संभालते हुए पार्टी के विभिन्न मामलों को देखेगा। यह चुनाव पार्टी के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि नए महासचिव के चुनाव से पार्टी की आगामी रणनीतियों और दिशा तय होगी।
संभावित उम्मीदवार: मोहम्मद सलीम का नाम प्रमुख
नए महासचिव पद के लिए संभावित उम्मीदवारों में बंगाल इकाई के सचिव मोहम्मद सलीम का नाम सबसे प्रमुखता से सामने आ रहा है। सलीम पार्टी के एक अनुभवी नेता माने जाते हैं और संगठन में उनकी पकड़ काफी मजबूत है। बंगाल में सीपीएम के लिए उन्होंने बड़े पैमाने पर काम किया है और उनका प्रभाव पार्टी के अंदर भी देखा जा सकता है। अगर वे महासचिव चुने जाते हैं, तो यह पार्टी के लिए एक नया अध्याय साबित हो सकता है, खासकर बंगाल जैसे महत्वपूर्ण राज्य में।
सीपीएम के लिए आगामी चुनौतियां
सीपीएम के सामने अगले कुछ वर्षों में कई चुनौतियां हैं, जिनमें चुनावी रणनीतियां, संगठन के विस्तार, और नई विचारधाराओं का समावेश शामिल है। इसके साथ ही, कार्यवाहक महासचिव का चुनाव पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच उत्सुकता का विषय बना हुआ है। पार्टी के लिए इस चुनाव का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है, क्योंकि इससे देशभर में संगठन को एक नई दिशा देने का मौका मिलेगा।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव के चुनाव को लेकर पार्टी के अंदर माहौल गरम है। आगामी बैठक में नए कार्यवाहक महासचिव का चुनाव सीपीएम के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय होगा। बंगाल के मोहम्मद सलीम जैसे अनुभवी नेता इस दौड़ में सबसे आगे माने जा रहे हैं, लेकिन अंतिम निर्णय पोलित ब्यूरो की बैठक के बाद ही सामने आएगा।
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