दोस्तपुर में मंजूषा नदी पर बना शाहीपुल |
सुल्तानपुर: जिले की सबसे बड़ी नगर पंचायत दोस्तपुर की पहचान प्राचीन शाहीपुल उपेक्षा एवं दुर्दशा का शिकार है। मुगलकाल का बताया जाने वाला यह पुल समय के साथ जर्जर हो गया है। सुल्तानपुर को अंबेडकरनगर जनपद से जोड़ने वाले पुल की एप्रोच वॉल टूटने से गत वर्षों से भारी वाहनों का प्रवेश इस पर वर्जित कर दिया गया, हालाँकि फिर भी चोरी छुपे कुछ बड़े वाहन अभी भी इस पुल से गुजर रहे हैँ। पुल काफी पुराना और जर्जर भी हो चुका है, ऐसे में ये किसी बड़ी दुर्घटना को दावत दे रहा है | क्षेत्रीय लोगों ने इस प्राचीन पुल के जीर्णोद्धार न किये जाने पे रोष प्रकट किया है।
स्थानीय लोगों के अनुसार पुल 600 साल से ज्यादा पुराना है। कई वर्ष पहले एक कंपनी ने किनारे से खोदकर केबिल डाला था, जिसके बाद किनारों को सही तरीके से ढका नहीं गया। विगत वर्ष बारिश का पानी दीवारों में जाने से दबाव बढ़ गया, जिससे मिट्टी बह गई और पुल का किनारा गिर गया था। इसी मार्ग से इलाहाबाद, टांडा, बस्ती, गोरखपुर व फैजाबाद की बसें गुजरती हैं | वहीं कादीपुर विधानसभा एवं उसके आसपास की जनता इसी पुल के माध्यम से पूर्वांचल एक्सप्रेसवे तक पहुँचती है|
पुल पर सफेद रंग की पट्टी में लगा फारसी भाषा का शिलापट पुल के निर्माण और मरम्मत की जानकारी देता है। शिलालेख के मुताबिक शाही पुल की एक बार मरम्मत मुगल तालुकेदार अली आगा खां ने 1270 हिजरी में कराई थी। तब से मरम्मत के अभाव में पुल कमजोर होता गया। पुल में लखौडी ईंट का प्रयोग किया गया है। इसकी जुड़ाई का कार्य भी विशेष प्रकार के मसाले से किया गया है। यह पुल जौनपुर के शाही पुल की तरह बनाया गया है। इस पुल के नीचे कोठरियां बनाई गई थीं, जहां बरसात के समय लोग रुक भी सकते थे और पानी निकासी की भी व्यवस्था थी। धीरे-धीरे अतिक्रमणकारियों ने पुल को क्षति पहुंचाई। साफ-सफाई व देखरेख के अभाव में ऐतिहासिक पुल दुर्दशा का शिकार हो गया। यह पुल सुल्तानपुर और अम्बेडकरनगर की सीमा पर होने के कारण हमेशा सीमा विवाद में उलझा रहता है| इसी कारण से दोनों ही जिले के लोक निर्माण विभाग के अधिकारी इसकी अनदेखी कर रहे हैँ और इस पुल की मरम्मत नहीं हो पा रही | पुल के ऊपर सड़क पूरी तरह से टूट चुकी है बड़े-बड़े गड्ढे बने हुए हैँ | पुल के नीचे कोठारियां बनी हैँ, जिनपे अतिक्रमण हो चुका है और गन्दगी का अम्बार है |
गत वर्ष जब पुल की दीवार टूट कर बह गयी थी तब तत्कालीन अधिशाषी अभियंता लोक निर्माण विभाग ने कहा था कि जिलाधिकारी को रिपोर्ट भेज दी गयी है, अब एकमात्र विकल्प नए पुल का निर्माण है, इस बाबत सेतु निगम को भी प्रस्ताव भेजा गया है | उसके बाद सारी बातें हवा साबित हुई, और आज तक कोई इसकी सुध लेने नहीं आया | ऐसे में देखना है कब सीमा विवाद से निकलकर प्रशासन इसकी सुध लेता है |
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