हिंदी दिवस पर विशेष भाषा की वैज्ञानिकता का वैभव है, वैश्विक हिंदी ।

हिन्दी भाषा का विकास भारतीय उपमहाद्वीप में सदियों से हो रहा है। संस्कृत से उत्पन्न होकर हिन्दी ने न केवल सामाजिक और सांस्कृतिक विकास में योगदान दिया



गिरीश चन्द्र मिश्र
गिरीश चन्द्र मिश्र
   "हिंदी की देवनागरी लिपि को विश्व की सबसे वैज्ञानिक लिपियों में से एक माना जाता है। देवनागरी में प्रत्येक अक्षर की ध्वनि स्पष्ट होती है और उसे लिखने का तरीका भी सटीक होता है। देवनागरी लिपि में संयुक्त अक्षरों की एक वैज्ञानिक पद्धति होती है, जो भाषा को प्रभावी रूप से व्यक्त करने में सहायक होती है।"    "भारतीय प्रवासियों और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के माध्यम से हिंदी आज कई देशों में बोली और समझी जाती है। विभिन्न देशों में हिंदी भाषा का प्रसार और महत्व लगातार बढ़ रहा है। हिंदी फिल्मों, संगीत और साहित्य के माध्यम से भी हिंदी की लोकप्रियता ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विशेष स्थान प्राप्त किया है।"                                                                            
 
                    हिन्दी भाषा का विकास भारतीय उपमहाद्वीप में सदियों से हो रहा है। संस्कृत से उत्पन्न होकर हिन्दी ने न केवल सामाजिक और सांस्कृतिक विकास में योगदान दिया है, बल्कि यह एक वैज्ञानिक भाषा के रूप में भी पहचानी जाती है। हिन्दी की वैज्ञानिकता इसके व्याकरणिक ढांचे, ध्वनि विज्ञान, और शब्द निर्माण की प्रणाली में निहित है। हिन्दी भाषा की वर्णमाला पूरी तरह से ध्वन्यात्मक है। इसका मतलब है कि जैसा बोला जाता है, वैसा ही लिखा जाता है। इसके स्वर और व्यंजन ध्वनियों को सटीकता से व्यक्त करते हैं। प्रत्येक ध्वनि का एक विशिष्ट अक्षर होता है, जिससे उच्चारण में स्पष्टता बनी रहती है। यह प्रणाली भाषा सीखने को आसान और तार्किक बनाती है। हिन्दी का व्याकरण पूरी तरह से नियमबद्ध है, जो इसे वैज्ञानिक दृष्टिकोण से मजबूत बनाता है। इसके संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया, विशेषण आदि के लिए स्पष्ट नियम होते हैं। तीन काल (भूत, वर्तमान, भविष्य), दो वचन (एकवचन और बहुवचन), और दो लिंग (पुल्लिंग और स्त्रीलिंग) की स्पष्ट परिभाषाएं और उनके प्रयोग के नियम भाषा को तर्कसंगत और व्यवस्थित बनाते हैं। हिन्दी में शब्द निर्माण की प्रक्रिया बहुत ही तार्किक और वैज्ञानिक है। संस्कृत से लेकर हिन्दी तक, शब्दों का निर्माण मूल धातुओं के आधार पर होता है। प्रत्यय और उपसर्ग जोड़कर नए शब्द बनाए जाते हैं, जिससे भाषा का विस्तार आसानी से संभव हो पाता है। उदाहरण के लिए, "ज्ञान" से "अज्ञान", "साहित्य" से "साहित्यिक", आदि शब्द बनाए जाते हैं। हिन्दी में प्रत्येक ध्वनि का एक निश्चित स्थान होता है, जिसे मुख से निकाली जाने वाली ध्वनियों के अनुसार व्यवस्थित किया गया है। स्वर और व्यंजनों को उनके उच्चारण स्थान के आधार पर विभाजित किया गया है, जैसे कंठ्य, तालव्य, मूर्धन्य, दंत्य, और ओष्ठ्य। यह विभाजन वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भाषण अंगों के कामकाज और ध्वनि उत्पादन की प्रक्रिया को सरल बनाता है। हिन्दी की लिपि देवनागरी है, जो विश्व की सबसे वैज्ञानिक लिपियों में से एक मानी जाती है। देवनागरी लिपि में प्रत्येक अक्षर का उच्चारण उसकी संरचना से स्पष्ट होता है। उदाहरण के लिए, 'क' और 'ख' के बीच का अंतर स्पष्ट है और इसे समझना आसान है। देवनागरी लिपि में संयुक्त अक्षरों की भी एक वैज्ञानिक पद्धति है, जो भाषा के संप्रेषण में सहूलियत प्रदान करती है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हिन्दी ने एक सुसंगत तकनीकी शब्दावली विकसित की है। हिन्दी में तकनीकी और वैज्ञानिक शब्दों का निर्माण संस्कृत के मूल धातुओं और शब्दों के आधार पर किया गया है, जिससे यह आधुनिक विज्ञान और तकनीक के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने में सक्षम है। उदाहरण के तौर पर, 'दूरदर्शन', 'गणित', 'विज्ञान', आदि शब्दों का निर्माण भारतीय भाषाई परंपरा से लिया गया है। हिन्दी भाषा की सरलता और वैज्ञानिकता का एक प्रमुख कारण यह भी है कि यह सभी वर्गों और क्षेत्रों के लोगों के लिए सुलभ है। इसके व्याकरणिक और ध्वनि-विज्ञानिक नियम सरल और स्पष्ट होने के कारण इसे सीखना और समझना आसान होता है। यही कारण है कि हिन्दी को व्यापक रूप से पूरे भारत में बोला और समझा जाता है। हिन्दी भाषा की वैज्ञानिकता उसकी ध्वन्यात्मकता, व्याकरण, और शब्द निर्माण की प्रणाली में स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। इसकी सरलता और तार्किकता इसे न केवल भारत के भीतर, बल्कि पूरे विश्व में एक प्रभावी और वैज्ञानिक भाषा के रूप में प्रस्तुत करती है। आधुनिक युग में भी हिन्दी विज्ञान, प्रौद्योगिकी और संचार के क्षेत्र में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। हिन्दी भाषा भारत की मुख्य और आधिकारिक भाषाओं में से एक है, लेकिन इसका प्रभाव और उपयोग केवल भारत तक सीमित नहीं है बल्कि यह दुनिया के दर्जनों देशों में बोली, समझी और लिखी जाती है और जिससे वैश्विक स्तर पर हिन्दी का महत्व लगातार बढ़ रहा है।

         नेपाल में हिन्दी व्यापक रूप से बोली और समझी जाती है। भारत की भौगोलिक निकटता और सांस्कृतिक संबंधों के कारण यहाँ हिन्दी फिल्मों, संगीत और साहित्य का गहरा प्रभाव है। नेपाली और हिन्दी भाषाएं भी एक-दूसरे से काफी मिलती-जुलती हैं, जिससे हिन्दी का प्रसार आसान हो जाता है। फिजी में हिन्दी भाषा एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। 19वीं शताब्दी में भारत से मजदूरों के आने के बाद, फिजी हिन्दी का विकास हुआ। यद्यपि इसे "फिजियन हिन्दी" कहा जाता है और इसमें स्थानीय तत्व शामिल हैं, फिर भी यह हिन्दी के मूल रूप के बहुत करीब है। फिजी में लगभग अड़तीस प्रतिशत आबादी हिन्दी बोलती है, और इसे फिजी की तीन आधिकारिक भाषाओं में से एक के रूप में मान्यता प्राप्त है। मॉरीशस में भी हिन्दी का व्यापक उपयोग होता है, विशेषकर भारतीय मूल के लोगों के बीच। मॉरीशस में भारत से आए प्रवासी मजदूरों के साथ हिन्दी भाषा का प्रसार हुआ। मॉरीशस की संस्कृति, साहित्य और मीडिया में हिन्दी की महत्वपूर्ण भूमिका है। यहाँ हर साल "विश्व हिन्दी सम्मेलन" का आयोजन भी किया जाता है, जिससे हिन्दी का वैश्विक स्तर पर प्रचार-प्रसार होता है। सूरीनाम, दक्षिण अमेरिका का एक छोटा सा देश, जहां की एक बड़ी आबादी भारतीय मूल की है। यहाँ "सूरीनामी हिन्दी" या "सरनामी हिन्दी" बोली जाती है, जो कि भारत से आए मजदूरों द्वारा लाई गई थी। सूरीनाम में हिन्दी भाषा और संस्कृति के प्रति गहरा लगाव है, और यहां की कई पीढ़ियाँ हिन्दी बोलती और समझती हैं। संयुक्त अरब अमीरात में काम करने वाली भारतीय आबादी में हिन्दी भाषा एक प्रमुख संवाद माध्यम है। यूएई के व्यवसायिक और सांस्कृतिक क्षेत्र में हिन्दी का व्यापक उपयोग होता है, विशेषकर मनोरंजन उद्योग में। हिन्दी फिल्मों और टीवी चैनलों की लोकप्रियता यूएई में बहुत अधिक है। अमेरिका और कनाडा में भारतीय प्रवासियों की संख्या में वृद्धि के साथ-साथ हिन्दी का प्रसार भी हुआ है। कई विश्वविद्यालयों में हिन्दी भाषा के पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं, और हिन्दी साहित्य, संगीत और सिनेमा का यहाँ विशेष प्रभाव है। हिन्दी बोलने वालों की बड़ी संख्या न्यूयॉर्क, कैलिफोर्निया, और टोरंटो जैसे क्षेत्रों में भी पाई जाती है। ब्रिटेन में भी एक बड़ा भारतीय समुदाय रहता है, जहाँ हिन्दी भाषा का उपयोग बड़े पैमाने पर किया जाता है। ब्रिटेन के स्कूलों और विश्वविद्यालयों में हिन्दी भाषा पढ़ाई जाती है, और भारतीय मूल के लोग घरों और सामुदायिक कार्यक्रमों में हिन्दी का प्रयोग करते हैं। ब्रिटिश मीडिया और रेडियो पर भी हिन्दी के कार्यक्रमों का प्रसारण होता है। ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड में भी भारतीय प्रवासियों की संख्या बढ़ने के कारण हिन्दी का प्रसार हुआ है। यहाँ की सरकारें और शैक्षिक संस्थान हिन्दी को सीखने और प्रचारित करने के लिए प्रयासरत हैं। इसके अलावा, हिन्दी सिनेमा और साहित्य की लोकप्रियता भी इन देशों में बढ़ रही है। सिंगापुर और मलेशिया में भी भारतीय मूल के लोगों की एक बड़ी संख्या है जो हिन्दी बोलते और समझते हैं। यद्यपि तमिल वहाँ की प्रमुख भारतीय भाषा है, फिर भी हिन्दी फिल्मों और टीवी कार्यक्रमों की लोकप्रियता के कारण हिन्दी भी प्रमुखता से बोली जाती है। दक्षिण अफ्रीका में हिन्दी भाषा का उपयोग विशेषकर भारतीय समुदाय के बीच होता है। यहाँ हिन्दी सिनेमा, संगीत और धार्मिक कार्यक्रमों के माध्यम से हिन्दी का प्रसार जारी है। हालांकि यहां की भाषाई विविधता के चलते हिन्दी की सीमित भूमिका है, फिर भी यह एक सांस्कृतिक भाषा के रूप में महत्त्वपूर्ण बनी हुई है। इस प्रकार दुनिया के कई देशों में हिन्दी भाषा का प्रसार भारतीय प्रवासियों, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और हिन्दी सिनेमा की लोकप्रियता के कारण हुआ है। हिन्दी न केवल भारत की एक प्रमुख भाषा है, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर भी अपनी पहचान बना रही है। विभिन्न देशों में हिन्दी के प्रति जागरूकता और रुचि को देखकर यह कहा जा सकता है कि आने वाले समय में हिन्दी का वैश्विक प्रभाव और भी व्यापक होगा।

(यह लेखक के अपने विचार हैं)

लेखक काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी के शोधार्थी हैं ।

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(response.prakashnewsofindia@gmail.com)

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