सोशल मीडिया पर खूब वायरल और शेयर हो रही है, इंजीनियर विजय तिवारी की जन्नत पर लिखी कविता ।



नई दिल्ली :कोरोना वायरस की वजह से इंजीनियर अपने घर पर समय व्यतीत कर रहे हैं।लॉक डाउन में उनके पास काफी समय है, कुछ अलग-अलग  करने का। ऐसे में एक के बाद एक कई सेलेब्स के पोस्ट या वीडियो शेयर कर रहे हैं।
  ऐसे में जब लॉक डाउन की वजह से सब कुछ बंद हैं, तब इलेक्ट्रिकल इंजीनियर और मेगा पावर प्रोजेक्ट के ऑनर इंजीनियर विजय तिवारी की लिखी जन्नत पर कविता खूब वायरल हो रही है। शोशल मीडिया में लोगो के बीच मे इस कविता को खूब लाइक्स और शेयर मिल रहे हैं।आइये पढ़ते हैं वयरल हुई कविता को।

जब जन्नत की दौड़ लगीं है , जाहिल और गंवारों में ।
 शरीफ खड़ा है लाइन में , जाहिल अंदर वालों में ।
  खौफ नहीं है इल्म नहीं है , दौड़ लगाने वाले में ।
 शरीफ़ खड़ा है तपती गर्मी , शोले बरसती राहों में।
जाहिल खड़ा है सबसे ऊपर , ईमान पढ़ाने वाले में।
 शरीफ  खड़ा है  मूक बना ,  मूकदर्शक वालों में ।
 जब जाहिल हों जन्नत में , हम क्यों , हों जन्नत जाने वालों में । हम है ज़मीं पर जन्नत की महल बनाने वालों में ।
पैग़म्बर यहां ज़मीं पर आते हैं , क्यों हों हम जन्नत जाने वालों में ।
जिन्दगी तंगी , दर्द , जुल्म , जख्म से भरी है ।
पर जन्नत जस्न जाम और हूर से भरी है ।
 ऐ देने वाले रहम जो देना है यहां दे दो ।

  •  क्यों जिन्दगी के बाद की तुम्हें पड़ी है । ।

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