अल्हड़ भौजाई और नादान बचपन-लेखक जितेन्द्र कुमार दुबे


बचपन में.....

मुझे पढ़ने में,

होशियार माना जाता था

मुझे भी... 

इसका एहसास होता था

क्योंकि मोहल्ले भर की भौजाइयाँ

मुझसे ही लव-लेटर लिखवाती थीं

और प्रियतम  के आए हुए

जवाबी लव-लेटर को 

अपने कमरे में ले जाकर 

चुपके से पढ़वाती थीं..

मुझे इस बात का गुमान भी था

हो भी क्यों न...? 

जो भौजाइयाँ औरों से 

दिखाती थी नखरे,

रहती थी ताव में....

वे भी सभी मिलती थी, 

मुझसे मेरे ही भाव में....

अब प्रेम की भाषा हो 

या कि विरह की....!

भला कौन नहीं समझता

बालक, बूढा या फिर हो जवान

मैं बालक था पर था तो मानव...

धीरे-धीरे लेटर लिखते-पढ़ते 

मैं भी संकेत-संबोधन एवं संबंध

सब समझने लगा था, 

प्रेम की भाषा में.... 

मगन होने लगा था 

स्त्रैण भाव मुझमें बढ़ने लगा था

खबर घर-घर की मैं रखने लगा था

पर उम्र बढ़ने के साथ 

एक नाजुक दौर आया 

मुझे गाँव वाले 

"घरघुसरा" घोषित कर दिए

बुढ़वे भी मजा मेरा लेने लगे

बात-बात में "मौगड़ा" भी....!

मुझे लोग कहने लगे 

इन तानों पर भी प्रेम भारी रहा 

मैं अपनी भौजाइयों के

इस स्नेह का सदा आभारी रहा 

भौजाइयों से नादान बचपन में ही

मैंने सीखा बहुत कुछ....

जमाने के बारे में ,

जाना भी बहुत कुछ।    

मित्रों ,यदि सही मैं कहूँ....!

आज के दौर में,

इसी सीख का ही नतीजा है 

आपका मित्र "मी-टू" से 

अभी तक बचा है......

आपका मित्र "मी-टू" से 

अभी तक बचा है......


रचनाकार....

जितेन्द्र कुमार दुबे

क्षेत्राधिकारी नगर

जनपद-जौनपुर

Post a Comment

ज्योतिष

[ज्योतिष][carousel1 autoplay]

अपना सुलतानपुर

[अपना सुलतानपुर][carousel1 autoplay]

दि अन्नदाता

[दि अन्नदाता][carousel1 autoplay]

टेक्नोलॉजी

[टेक्नोलॉजी][carousel1 autoplay]

देश

[देश][carousel1 autoplay]

प्रदेश

[प्रदेश][carousel1 autoplay]

कारोबार

[कारोबार][carousel1 autoplay]

खेल समाचार

[खेल समाचार][carousel1 autoplay]
[blogger]

MKRdezign

Contact Form

Name

Email *

Message *

Powered by Blogger.
Javascript DisablePlease Enable Javascript To See All Widget