जीडीपी क्या होती है?
एक साल में देश के अंदर पैदा होने वाले सभी सामानों और सेवाओं की कुल वैल्यू को ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट यानी सकल घरेलू उत्पाद कहते हैं। आसान शब्दों में कहें तो जीडीपी किसी देश की मार्कशीट की तरह होती है साल में की गयी मेहनत का रिजल्ट बताती है। जीडीपी आर्थिक गतिविधियों के स्तर को दिखाता है और इससे यह पता चलता है कि किन सेक्टरों की वजह से इसमें तेज़ी या गिरावट आई है। इससे ये भी पता चलता है कि किन सेक्टर्स का प्रदर्शन कैसा रहा।
आगे की क्या स्थिति?
अनुमान ये लगाया जा रहा था कि जीडीपी में 20 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज हो सकती है। लेकिन सामने आये आंकड़े चौकाने वाले निकले। अब इन आंकड़ों के आधार पर ये अनुमान लगाया जा रहा है कि पूरे वर्ष की जीडीपी भी खराब हो सकती है। 1990 के दशक की शुरुआत में आर्थिक स्तिथि में आए सुधार के बाद से भारतीय अर्थव्यवस्था ने हर साल लगभग 7% जीडीपी की बढ़त देखी है। लेकिन इस बार इसमें बदलाव होने की आशंका है। बता दें कि जीडीपी के के ये नए आंकड़े साल 1996 के बाद से सबसे बड़ी गिरावट हैं।
अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों के जीडीपी का अध्ययन किया गया तो सामने आये डेटा के मुताबिक कृषि मे 3.4% की वृद्धि हुई तो वहीं इसके अलावा अर्थव्यवस्था के दूसरे सभी क्षेत्रों में आय में गिरावट देखी गई है। सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्र की बात की जाए तो व्यापार, होटल और अन्य सेवाएं, विनिर्माण और खनन आदि हैं। इस बात में कोई दोराय नहीं हैं कि ये ऐसे क्षेत्र हैं जो देश में सबसे ज्यादा नई नौकरियां प्रदान करते हैं। इन क्षेत्रों में गिरावट का अर्थ है सबसे ज्यादा बेरोजगारी और आय में कटौती होना।
क्या जीडीपी संकुचन का कारण बनता है?
किसी भी देश की अर्थव्यवस्था में माल की कुल मांग जिसे की जीडीपी कहा जाता हैं। वो विकास के चार इंजनों में से किसी एक से उत्पन्न होती है। इन चार में सबसे बड़ा इंजन है व्यक्तियों की मांग उदाहरण के तौर पर इसे (C) समझ लेते हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था की बात करें तो इस तिमाही से पहले सभी 56.4% था। दूसरा सबसे बड़ा इंजन निजी क्षेत्र के व्यवसायों द्वारा उत्पन्न मांग है। उदाहरण के तौर पर इसे (I) समझ लेते हैं। इसका 32% हिस्सा है।
तीसरा इंजन सरकार द्वारा बनाई गई वस्तुओं और सेवाओं की मांग है। उदाहरण के तौर पर इसे (G) समझ लेते हैं। यह भारत के GDP का 11% हिस्सा है।भारत के निर्यात से आयात घटाने के बाद अंतिम इंजन शुद्ध मांग है। चलो इसे (NX) समझ लेते हैं। यह सबसे छोटा इंजन है लेकिन भारत इसके निर्यात से ज्यादा आयात करता है इसलिए यह जीडीपी पर नेगेटिव प्रभाव डालती है।
इस आधार पर, कुल जीडीपी = C + I+ G + NX
अब बात करते हैं हाल में भारत की जीडीपी में आई गिरावट के कारणों की तो आपको बता दें निजी खपत 27% तक गिर गया है। वहीं दूसरा सबसे बड़ा इंजन जो कि व्यवसायों द्वारा निवेश है यह पिछले साल की इसी तिमाही का आधा है। इसलिए दो सबसे बड़े इंजन जो कि कुल जीडीपी के 88% से अधिक के लिए जिम्मेदार थे इनमे सबसे ज्यादा गिरावट देखि गई। इसके अलावा बाकी के क्षेत्रों में भी गिरावट दर्ज की गयी है।
डेटा के मुताबिक सरकार का खर्च 16% बढ़ गया था लेकिन अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों से इस नुकसान की भरपाई हो पाना बेहद ही मुश्किल था।
साफ़ देखा जा सकता है कि जब सी और आई की मांग 10,64,803 करोड़ रुपये घट गई तो सरकार का खर्च 68,387 करोड़ रुपये बढ़ गया। जीडीपी में सरकारी खर्च 11% से बढ़कर 18% हो गया है।
अब क्या है तरीका?
जब भी किसी व्यक्ति आय में कमी होती है तो व्यक्ति अपनी जरूरतों और खर्चों में कमी करता है। ऐसा होने से इसका सीधा असर व्यवसायों पर पड़ता है और व्यवसाय ज्यादा पैसा लगाना बंद कर देता है ।
फ़िलहाल की स्थिति को देखते हुए सिर्फ सरकार ही एक मात्र जरिया है जो जीडीपी को बढ़ावा दे सकती है। अगर सरकार पर्याप्त रूप से पर्याप्त खर्च नहीं करती है तो अर्थव्यवस्था को ठीक होने में लंबा समय लगेगा।
किसने बांध रखे हैं सरकार के हाथ?
कोरोना महामारी के इस संकट से पहले ही सरकारी वित्त को खत्म कर दिया गया था। मतलब साफ़ है सरकार के पास पहले ही पैसा खत्म हो चुका था। ये एक बड़ा कारण है देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति के कमजोर होने की। इसलिए अब संसाधनों को उत्पन्न करने के लिए कुछ नए समाधानों के बारे में सोचना होगा।
साभार--- Instafeed
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