अंकुर पाठक, सुलतानपुर |PrakashNewsOfIndia.in
Last Updated: Wed, 12 Aug 2020; 01:10:00 AM
सुलतानपुर: जिले में वर्षों से चली आ रही दुर्गा पूजा महोत्सव की ऐतिहासिक परंपरा इस साल कोरोना की वजह से मुश्किल में पड़ती दिख रही है। सामान्यतः अगस्त महीने में दुर्गापूजा महोत्सव की तैयारियां शुरू हो जाती हैं। बाहर से आने वाले मूर्तिकार अपने काम में लग जाते हैं लेकिन इस बार ऐसा कुछ दिखाई नहीं दे रहा है।
ऐतिहासिक दुर्गापूजा महोत्सव नवरात्रि के अंतिम दिन से शुरू होता है, जो पूर्णिमा तक चलता है। सुल्तानपुर का दुर्गापूजा महोत्सव बहुत ही भव्य होता है। यह महोत्सव सुल्तानपुर के हर छोटे-बड़े कस्बों और गावों तक भव्य रूप से मनाया जाता है। आसपास के जिलों से लोग दुर्गापूजा की छटा देखने यहां आते हैं। इस बार कोरोना की वजह से दुर्गापूजा महोत्सव पर ग्रहण लगता दिख रहा है। दुर्गापूजा महोत्सव के लिए मूर्तियों के निर्माण की शुरुआत अभी तक नहीं हो सकी है।
आमतौर पर इस समय तक शहर में कई जगह प्रतिमाओं का निर्माण कार्य शुरू हो जाता है। पश्चिम बंगाल से तमाम कारीगर पहुंचकर प्रतिमाओं के निर्माण में जुट जाते हैं।
जिले में दुर्गापूजा का शुभारंभ 1959 में ठठेरी बाजार में भिखारीलाल सोनी व उनके सहयोगियों ने किया था। यहां से शुरू हुआ दुर्गापूजा का सिलसिला समय के साथ ही बढ़ता गया। शहर के दुर्गापूजा महोत्सव से प्रेरित होकर जिले की सभी तहसीलों व कस्बाई क्षेत्रों में भी प्रतिमाओं की स्थापना की जाने लगी है। आज जिले का दुर्गापूजा महोत्सव पूरे देश में दूसरे स्थान पर माना जाता है। कोविड-19 के संक्रमण की वजह से इस बार 60 वर्षों पुरानी दुर्गापूजा महोत्सव की परंपरा टूटती नजर आ रही है।
इस बारे में दुर्गा पूजा समिति के आयोजकों ने कहा कि संक्रमण की स्थिति को देखते हुए जो भी दिशा-निर्देश शासन से प्राप्त होगा, उसी के मुताबिक दुर्गापूजा की व्यवस्था की जाएगी।
Last Updated: Wed, 12 Aug 2020; 01:10:00 AM
सुलतानपुर: जिले में वर्षों से चली आ रही दुर्गा पूजा महोत्सव की ऐतिहासिक परंपरा इस साल कोरोना की वजह से मुश्किल में पड़ती दिख रही है। सामान्यतः अगस्त महीने में दुर्गापूजा महोत्सव की तैयारियां शुरू हो जाती हैं। बाहर से आने वाले मूर्तिकार अपने काम में लग जाते हैं लेकिन इस बार ऐसा कुछ दिखाई नहीं दे रहा है।
ऐतिहासिक दुर्गापूजा महोत्सव नवरात्रि के अंतिम दिन से शुरू होता है, जो पूर्णिमा तक चलता है। सुल्तानपुर का दुर्गापूजा महोत्सव बहुत ही भव्य होता है। यह महोत्सव सुल्तानपुर के हर छोटे-बड़े कस्बों और गावों तक भव्य रूप से मनाया जाता है। आसपास के जिलों से लोग दुर्गापूजा की छटा देखने यहां आते हैं। इस बार कोरोना की वजह से दुर्गापूजा महोत्सव पर ग्रहण लगता दिख रहा है। दुर्गापूजा महोत्सव के लिए मूर्तियों के निर्माण की शुरुआत अभी तक नहीं हो सकी है।
आमतौर पर इस समय तक शहर में कई जगह प्रतिमाओं का निर्माण कार्य शुरू हो जाता है। पश्चिम बंगाल से तमाम कारीगर पहुंचकर प्रतिमाओं के निर्माण में जुट जाते हैं।
जिले में दुर्गापूजा का शुभारंभ 1959 में ठठेरी बाजार में भिखारीलाल सोनी व उनके सहयोगियों ने किया था। यहां से शुरू हुआ दुर्गापूजा का सिलसिला समय के साथ ही बढ़ता गया। शहर के दुर्गापूजा महोत्सव से प्रेरित होकर जिले की सभी तहसीलों व कस्बाई क्षेत्रों में भी प्रतिमाओं की स्थापना की जाने लगी है। आज जिले का दुर्गापूजा महोत्सव पूरे देश में दूसरे स्थान पर माना जाता है। कोविड-19 के संक्रमण की वजह से इस बार 60 वर्षों पुरानी दुर्गापूजा महोत्सव की परंपरा टूटती नजर आ रही है।
इस बारे में दुर्गा पूजा समिति के आयोजकों ने कहा कि संक्रमण की स्थिति को देखते हुए जो भी दिशा-निर्देश शासन से प्राप्त होगा, उसी के मुताबिक दुर्गापूजा की व्यवस्था की जाएगी।
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