अमित पांडेय, जयसिंहपुर |PrakashNewsOfIndia.in|
Last Updated: Mon, 27 July 2020; 06:20:00 PM
सेमरी बाजार, सुलतानपुर:
सावन मास में गांव में हरे भरे पेड़ो पर झूला डालकर झूलने की पुरानी भारतीय संस्कृति की परंपरा आज भी गांवों में देखने को मिल रही है।
सावन मास से शुरू होने वाला झूला झूलने की परंपरा भले ही कम हो गई है। परंतु गांव में आज भी बच्चों द्वारा यह भारतीय संस्कृति की परंपरा कायम रखी जा रही है । क्षेत्र के चकसोरा गांव में आज भी झूला झूलने की पुरानी परंपरा बच्चों द्वारा सजोई जा रही है। जबकि उन्हें अभी यह नहीं पता है कि झूले की पुरानी भारतीय संस्कृति क्या है ?वैसे पहले गांव में बांस के झूले पढ़ते थे जिस पर शाम को गांव की महिला पुरुष झूला झूला झूलते थे तथा #झूला पड़ा कदम की डाली, झूले कृष्ण मुरारी न #कजरी गीत गाकर गांव के इकट्ठा हुए भीड़ को मन मुग्ध कर देते थे ।परंतु लुप्त होती पुरानी परंपरा को आज भी बच्चों द्वारा सवार कर झूले का आनंद लिया जा रहा है। भले ही बांस का झूला ना डालकर साड़ी,व रंगीन कपड़ों का ही झूला डाले हुए हैं ।बच्चों का यह मनमोहक दृश्य आने जाने वाले सभी को पसंद आ रहा है।
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