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Last Updated: Sat, 04 July 2020; 01:40:00 PM
वैसे हमारे देश में अधिकतर लोग सुबह उठकर रोजाना मंदिर जाना पसन्द करते है क्योकि अधिकतर लोगों को उम्मीद होती है कि उनकी हर मनोकामना किसी न किसी दिन जरूर पूरी होगी। इसी कारण से मंदिर को लेकर सभी लोगों की अपनी अलग-अलग आस्था और विश्वास होता है।
लेकिन क्या आप लोगों को पता है कि मंदिर में जाने के पीछे भी एक तरह का वैज्ञानिक तथ्य है जी हां यह बात बिल्कुल सच है, तो चलिए हम आपको एक-एक करके इसके पीछे का वैज्ञानिक कारण को बताते है जिसको जानकर आप लोगों को यकीन हो जाएगा और आपको काफी अच्छा लगेगा...
- - मंदिरों का निर्माण ऐसी स्थान पर किया जाता है । जहां पर उत्तरी और दक्षिणी दिशा में मौजूद चुम्बकीय और विधुतीय तरंगों से सकारात्मक ऊर्जा मिल सके। मुख्य मूर्ति को मंदिर के बीच या मुख्य केंद्र पर स्थापित किया जाता है जिसे गर्भगृह कहा जाता है, इस प्रकार मंदिर इस गर्भगृह के चारों ओर से घिरा रहता है।
- - गर्भगृह मंदिर की ऐसी जगह होती है। जहां पर पृथ्वी की चुम्बकीय किरणें सबसे ज्यादा पड़ती है और मंदिर में मौजूद मूर्ति के नीचे तांबे की प्लेट्स भी लगाई जाती है। इस प्लेट्स के माध्यम से चुम्बकीय किरणों को अवशोषित करके इन्हें मंदिर के पूरे वातावरण में फैला देती हैं। इसलिए जब आप मूर्ति के पास खड़े होते हैं उसी समय में यह ऊर्जा आपके शरीर में सीधे तरह से प्रवेश करती हैं। जिससे आपको सकारात्मक ऊर्जा मिलती रहती है।
- - भगवान की पूजा आराधना करते समय व्यक्ति मानसिक प्रार्थना की एक अलग दुनिया में चला जाता है। जिससे वह अपने मन ही मन में विशेष उस परमात्मा को महसूस करता है। इस प्रकार मूर्ति मनुष्य के ध्यान को केन्द्रित कर परमात्मा को महसूस करने में उसको काफी मदद मिलती है।
- - भगवान की मूर्ति में सकारात्मक ऊर्जा भरी रहती है और जो भी इसके नजदीक जाता है। उसे यह ऊर्जा आसानी से प्रदान हो जाती है। इस प्रकार जब आप मूर्ति की परिक्रमा करते हैं तो मूर्ति द्वारा आपको सकारात्मक ऊर्जा प्रदान की जाती है। जो कि आपके शरीर में मौजूद कई तरह की बीमारियों को दूर करती है और आपके दिमाग को स्वस्थ रखती है।
- - मंदिर की घंटियाँ कैडमियम, जस्ता, सीसा, तांबा, निकल, क्रोमियम और मैंगनीज आदि धातुओं के मिश्रण से बनी होती हैं। इन्हें इस तरह से मिलाया जाता है कि घंटी को बजाने पर हर धातु अपनी एक अलग आवाज निकालती है इससे आपके शरीर में मौजूद दायें और बाएँ दोनों तरफ के दिमागों का आसानी से मिलन होता है।
- - मंदिर में शंख बजाने के पीछे मान्यता है कि शंख की ध्वनि किसी अच्छे काम की शुरुआत का प्रतीक है। जो कि नई ताजगी और नई आशा का बड़ा संदेश देता है। जिससे मंदिर में मौजूद सकारात्मक ऊर्जा के साथ मिलकर यह भक्तों पर कई तरह के अच्छे प्रभाव डालती है।
- - मंदिरों में प्रसाद कई तरह के चिकित्सकीय गुण के मिश्रण से बनाया जाता है।जिसमें तुलसी, केशर, कपूर, इलायची और लौंग आदि तत्व मिले होते हैं। जो कई तरह के रोगों से लड़ने में आपकी मदद करते है।
- - मंदिर में माथे पर लगने वाला टीका भी काफी उपयोगी है जो मानव शरीर में कई तरह की ऊर्जा और एकाग्रता का स्तर बनाए रखता है।
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