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Last Updated: Tue, 23 Jun 2020; 10:45:00 AM
ट्रंप प्रशासन ने H-1B वीजा निलंबित कर दिया है। प्रशासन के अनुसार, इस साल के अंत तक वीजा निलंबन का यह फैसला अमेरिकी श्रमिकों के हित के लिए लिया गया है। अमेरिकी प्रशासन के इस बड़े फैसले से सबसे अधिक प्रभावित भारत होगा। भारतीय पेशेवरों को अब स्टैम्पिंग से पहले कम से कम साल के अंत तक इंतजार करना होगा। इसके अलावा वीजा रिन्यू कराने वालों को अब साल भर का इंतजार करना होगा।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को कहा कि यह कदम उन अमेरिकियों की मदद करने के लिए आवश्यक था, जिन्होंने मौजूदा आर्थिक संकट के कारण अपनी नौकरी खो दी है। हालांकि ट्रंप प्रशासन के इस कदम की अप्रवासियों के लिए काम कर रहे मानवाधिकार समुदाय ने कड़ी आलोचना की है।
H-1B, H-2B, J-1 व L-1 वीजाओं पर प्रतिबंध लगने से यहां के एंप्लायर्स (Employers) समेत परिवारों, यूनिवर्सिटी, अस्पतालों, समुदायों के साथ साथ अमेरिका की आर्थिक सुधार की गति भी धीमी पड़ जाएगी।
प्रभावित होने वाले देशों में सबसे आगे भारत
कोरोना वायरस के कारण फैली महामारी के कारण अमेरिका में बढ़ी बेरोजगारी को देखते हुए ट्रंप प्रशासन इमिग्रेशन संबंधित इस फैसले पर लंबे समय से विचार कर रहा था। राष्ट्रपति ट्रंप के इस फैसले से प्रभावित होने वाले देशों में सबसे आगे भारत है क्योंकि अमेरिका में भारतीय आइटी प्रोफेशनल्स को सबसे अधिक H-1B वीजा की जरूरत होती है।
गैर प्रवासी वीजा है H-1B
यह वीजा एक गैर-प्रवासी वीजा है। यह किसी कर्मचारी को अमेरिका में छह साल काम करने के लिए जारी किया जाता है। इसके लिए कुछ प्रावधान और शर्तें हैं। इस वीजा के लिए योग्यता भी निर्धारित की गई है। इसके तहत ग्रेजुएट होने के साथ किसी एक क्षेत्र में योग्यता हासिल होनी चाहिए। वीजा पाने वाले कर्मचारी के वेतन को लेकर भी शर्त है कि कम से कम 45 लाख रुपये सालाना आमदनी होना आवश्यक है। पांच साल तक इस वीजा के तहत वहां रहने वाले लोग अमेरिका की स्थायी नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं।
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