प्रकाश न्यूज़ ऑफ़ इंडिया |PrakashNewsOfIndia.in|
Last Updated: Fri, 26 Jun 2020; 01:30:00 PM
नेपाल के गांवों पर चीन के कथित कब्जे के बाद से ही नेपाल के PM केपी शर्मा ओली की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। सत्ताधारी नेपाल कम्यूनिस्ट पार्टी के चेयरमैन पुष्प कमल दहल प्रचंड खुलेआम पीएम ओली की आलोचना कर उनसे इस्तीफा मांग रहे हैं। वहीं प्रमुख विपक्षी पार्टी नेपाली कांग्रेस ने संसद में एक प्रस्ताव पेश किया है।
- नेपाल विदेश मंत्रालय ने चीन के कब्जे वाली खबरों को किया खारिज, कहा- कोई पिलर गायब नहीं हुआ
- खतरे में नेपाली प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की कुर्सी, पार्टी अध्यक्ष प्रचंड ने मांगा इस्तीफा
काठमांडू: नेपाली गांव को चीन के अपने कब्जे में लेने की खबरे मीडिया में आने के बाद विवादों में फंसे प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। पार्टी में उठ रहे बगावती सुर के बाद अब प्रमुख विपक्षी पार्टी नेपाली कांग्रेस ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। दरअसल, सत्ताधारी नेपाल कम्यूनिस्ट पार्टी के चेयरमैन पुष्प कमल दहल प्रचंड खुलेआम पीएम ओली की आलोचना कर इस्तीफे की मांग कर रहे हैं।
संसद में नेपाली कांग्रेस का प्रस्ताव
नेपाल की विपक्षी पार्टी नेपाली कांग्रेस ने संसद के निचले सदन में चीन के अतिक्रमण को रेग्युलेट करने की मांग करते हुए प्रस्ताव दिया है। नेपाली कांग्रेस के सांसद देवेंद्र राज कंदेल, सत्य नारायण शर्मा खनाल और संजय कुमार गौतम ने यह प्रस्ताव पेश किया है। इसके मुताबिक, चीन नें कई जिलों की 64 हेक्टेयर की जमीन पर अतिक्रमण कर रखा है।'
आरोप: सीमा पिलर गायब किया, नदियों का रुख बदला
बीते दिनों मीडिया में नेपाल सरकार के कृषि मंत्रालय के सर्वे डिपार्टमेंट की रिपोर्ट के हवाले से दावा किया गया था कि चीन ने 10 जगहों पर कब्जा कर रखा है। यही नहीं 33 हेक्टेयर की नेपाली जमीन पर नदियों की धारा बदलकर प्राकृतिक सीमा बना दी गई है और कब्जा कर लिया गया है। चीन नें कथित तौर पर अतिक्रमण को वैध बनाने के लिए गांव के सीमा स्तंभों को हटा दिया है।
मामले में नेपाल सरकार ने बयान जारी कर दी सफाई
नेपाली विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर इन खबरों का खंडन किया है कि चीन नेपाली गांवों पर कब्जा कर रहा है। बयान में कहा गया है कि जिन खंभों के गायब होने की बात कही जा रही है, वे दरअसल वहां थे ही नहीं। हालांकि, सरकार ने अपने बयान में तिब्बत में नदियों का रास्ता मोड़कर जमीन कब्जाने को लेकर कुछ नहीं कहा है। मंत्रालय ने कहा है कि कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में नेपाल-चीन सीमा को लेकर अतिक्रमण की बात कही गई है। मंत्रालय का कहना है कि नेपाल और चीन के बीच 5 अक्टूबर, 1961 सीमा संधि के तहत सीमांकन किया गया था और प्रोटोकॉल पर दोनों देशों ने हस्ताक्षर किए थे।
सीमा पर खंभें लगे होने की बात से नेपाल का साफ इंकार
नेपाल सरकार ने यह सफाई भी दी है कि जिन 37 और 38 नंबर के जिन स्तंभों के गायब होने की बात कही जा रही है, वे दोनों देशों की सहमति पर प्राकृतिक हालात को देखते हुए कभी लगाए ही नहीं गए थे। मंत्रालय का कहना है कि अगर कोई मुद्दा होता है तो नेपाल सरकार संबंधित अधिकारियों से बात करके इसे सुलझा लेगी।
Post a Comment