सौरभ तिवारी, नोएडा
भारत पूर्वी लद्दाख सीमा पर जारी तनाव को सैन्य और कूटनीतिक बातचीत के जरिए हल करने पर जोर दे रहा है। लेकिन चीन का मीडिया भारत को गीदड़भभकी देने से बाज नहीं आ रहा है। चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने विश्लेषकों के हवाले से कहा कि अगर भारत ने अपने यहां राष्ट्रवाद को काबू में नहीं किया तो उसे 1962 से भी बड़ी शर्मिंदगी उठानी पड़ेगी।
चीन के सैन्य विश्लेषकों का कहना है कि अगर दोनों देशों के बीच संघर्ष बढ़ता है तो भारत को एक बार फिर 1962 की तरह पराजय का सामना करना पड़ेगा। उनका कहना है कि भारत के साथ सैन्य टकराव कभी भी चीन की प्राथमिकता नहीं रही है इसलिए भारत सीमा पर कम सैनिक तैनात हैं। अगर वहां संघर्ष बढ़ता है तो चीन की सेना भारत की सेना पर हर मोर्चे पर भारी पड़ेगी।
सीमा पर भारी तनातनी
उल्लेखनीय है कि पूर्वी लद्दाख सीमा पर चीन और भारत की सेनाएं पिछले कई हफ्तों से आमने-सामने है। गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सेना में 15 जून को हिंसक झड़प हुई थी. इसमें 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे, जबकि चीन के कई सैनिक हताहत हुए थे। हालांकि चीन ने मारे गए अपने सैनिकों की संख्या के बारे में कोई सार्वजनिक जानकारी साझा नहीं की।
सैनिकों को एलएसी पर हथियार उठाने की इजाजत
इस हिंसक झड़प के बाद से ही दोनों देशों में तनाव बढ़ गया। हालांकि घटना के बाद दोनों देशों के बीच बातचीत भी हुई थी। वहीं गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा था कि न तो कोई हमारी सीमा में घुसा हुआ है और न ही हमारी कोई पोस्ट किसी दूसरे के कब्जे में है। लद्दाख में हमारे 20 जांबाज शहीद हुए, लेकिन जिन्होंने भारत माता की तरफ आंख उठाकर देखा था, उन्हें वो सबक सिखाकर गए।
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